किडनी का बैंड बज जायेगा लम्बे समय तक पैकिंग आटा खाने से
तैयार पेकिंग आटा सबसे ज्यादा फैला रहा है बीमारियां # आजकल गेहूं को पिसवाकर आटा बनाने के बजाय मार्केट से पैक्ड आटा लेना ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन बाजार से लिए गए आटे में मिलावट होती है मिलावटखोर गेहूं के आटे में अक्सर चाक पाउडर, बोरिक पाउडर, खड़िया मिट्टी और मैदा मिलाते हैं। #आरोग्यम ; स्वस्थ्य रहे, निरोग रहे, आटा बदले आज ही- “हिमालयायूके” द्वारा जनहित में जारी # Presents by Chandra Shekhar Joshi Editor
आटा खराब होने से लम्बे समय तक बचा रहे है। भले ही इसकी कीमत उपभोक्ता का शरीर चुकाता रहे, कंपनियों का मुनाफा कम नहीं होना चाहिए। अब ऐसी कोई जांच लैब तो आसपास है नहीं, जहां जाकर आटे की जांच करवाई जा सके। ऐसे में एक ही रास्ता बचता है कि अपने आसपास या तो किसी किसान को ढूंढ लीजिए, जो आपको ताजा आटा उपलब्ध करता रहे या फिर आसपास कोई आटा चक्की ढूंढ लीजिए. जहां से आप बिना मिलावट का आटा खरीद सकें।
Presents by Himalayauk Newsportal & Daily Newspaper, publish at Dehradun & Haridwar: Mob 9412932030 ; CHANDRA SHEKHAR JOSHI- EDITOR; Mail; himalayauk@gmail.com
हम पैकिंग बंद आटा रोटी बनाने के लिए लेकर आते हैं तो उसमें फाइबर की मात्रा नहीं होती। ऐसे आटे की रोटी जल्दी से हजम भी नहीं होती है। यह हमारी आंतों में चिपक जाती है जिससे कि हमें कब्ज हो जाती है।
एक केमिकल है- बेंजोयलपर ऑक्साइड, जिसे ‘ फ्लौर इम्प्रूवर ‘ भी कहा जाता है। इसकी पेरमिसीबल लिमिट 4 मिलीग्राम है, लेकिन आटा बनाने वाली फर्में 400 मिलीग्राम तक ठोक देती हैं। कारण क्या है? आटा खराब होने से लम्बे समय तक बचा रहे। बेशक़ उपभोक्ता की किडनी का बैंड बज जाए।
बचपन से अपने घरों में ताई-काकी, मां-दादी-नानी आदि को सुबह-सुबह हाथ की आटा चक्की से गेहूं पीसते देखते थे। वो हमसे ज्यादा जागरूक थी, जो एकदम ताजा पिसा हाथ की चक्की का आटा हमें खिलाती थी. तभी ये कहावत भी चली थी कि आखिर कौन-सी चक्की का आटा खाते हो, ये दरअसल सेहतमंद रहने के छोटे-छोटे मंत्र हैं, जिन्हें भागदौड़ भरी जिंदगी में हम भूलते जा रहे हैं।
आप एक प्रयोग करें गेहूं का आटा पिसवा कर उसे दो तीन महीने स्टोर करने का प्रयास करें, आटे में कीड़े पड़ जाना स्वाभाविक हैं, परंतु आप बाजार से जो थैलियों में आटा खरीदकर लाते हैं. वह साल भर भी खराब नहीं होता.
आखिर आपने कभी जानने की कोशिश की कि क्या कारण है कि आटा इतने लंबे अंतराल के बाद भी खराब नहीं होता. आपके द्वारा गेहूं पिसवाकर लाया गया आटा चंद महीने में खराब होना शुरू हो जाएगा। फिर ये बड़े-बड़े ब्रांड कैसे आटा स्टोर कर पा रहे हैं, यह सोचने वाली बात है।
दरअसल एक केमिकल है बेंजोयलपर ऑक्साइड, जिसे फ्लौर इम्प्रूवर भी कहा जाता है। इसकी पेरमिसीबल लिमिट 4 मिलीग्राम है, लेकिन बताया जाता है कि आटा बनाने वाली फर्में 400 मिलीग्राम तक मिला देती हैं।
“पैकिंग आटा” ; आप एक प्रयोग करें गेहूं का आटा पिसवा कर उसे 2 महीने स्टोर करने का प्रयास करें,आटे में कीड़े पड़ जाना स्वाभाविक हैं,आप आटा स्टोर कर नही पाएंगे। फिर ये बड़े बड़े ब्रांड कैसे आटा स्टोर कर पा रहे हैं? यह सोचने वाली बात है।
व्यवस्था ऐसी बनी हुई है खून चेक कराने की लैबोरेटरी आपको गली के कोने से लेकर शहर में सौ मिल जाएंगी लेकिन आटा और दूध चेक करवाने के लिए एक भी नहीं मिलेगी। कोशिश कीजिये खुद सीधे व्यापारी से गेहूं खरीदकर अपना आटा पिसवाकर खाएं। ताजा खाइये स्वस्थ रहिये
नियमानुसार आटे का समय..ठंडके दिनों में 30 दिन गरमी के दिनोंमें 20 दिन
बारिस के दिनोंमें 15 दिन का बताया गया है।
गेहूं के आटे को ज्यादा सफेद बनाने के लिए उसमें घटिया चावल का चूरा भी मिलाया जाता है। मिलावटी आटे की रोटियां बेशक ज्यादा सफेद होती हैं, मगर उन में नेचुरल स्वीटनेस नहीं होती। आटा गूंथने में ज्यादा समय लगता है और बेलने पर रोटी नहीं फैलती, च्यूइंगम की तरह खिंचती हैं। आटा/मैदा या सूजी में कुछ मिलावटखोर लोहे का बुरादा भी मिलाते हैं। इसे जांचने के लिए किसी कांच की प्लेट में थोड़ा सा आटा या मैदा लीजिए। इसपर एक चुम्बक घुमाइये। यदि आटा/मैदा शुद्ध होगा तो चुम्बक पर कुछ नहीं चिपकेगा, लेकिन यदि आटे में मिलावट की गई होगी तो लोहे का बुरादा चुम्बक पर नजर आएगा।
आटे में मिलावट को आप घर पर ही साइंटिफिक तरीके से भी चेक कर सकते हैं। हाइड्रोक्लोरिक एसिड आपको मेडिकल स्टोर में मिल जाएगा। आटे की मिलावट जांचने के लिए आप एक टेस्ट-ट्यूब लीजिए और उसमें थोड़ा-सा आटा डालें। फिर इसमें थोड़ा-सा हाइड्रोक्लोरिक एसिड डालें। हाइड्रोक्लोरिक एसिड डालने पर अगर ट्यूब में कुछ छानने वाली चीज नजर आए तो समझ लें कि आटे में मिलावट की गई है।
एक कांच के गिलास में आधा गिलास पानी भरें और इसमें एक चम्मच आटा डालें। यदि आटे में मिलावट की गई होगी तो उसमें मिलाई गई चीजें भूसी, रेशे और चोकर पानी की ऊपरी सतह पर तैरने लगेंगे। इसका अर्थ यह है कि आटे में मिलावट है।
नींबू के रस की मदद से भी मिलावटी आटे की पहचान कर सकते हैं। इसके लिए आप एक बड़ा चम्मच आटा लेकर उसमें नींबू के रस की कुछ बूंदे डालें। अगर आटे में बुलबुले बने या हल्की झाग की तरह दिखे तो आटे में चॉक पाउडर या खड़िया मिट्टी की मिलावट की गई है। क्योंकि चॉक पाउडर और खड़िया मिट्टी में कैल्शियम कार्बोनेट होता है जो नींबू के रस में मौजूद साइट्रिक एसिड से मिलने के बाद झाग छोड़ता है, जिसके कारण बुलबुले बनते हैं।
मुनाफे के लिए मिलावटखोर कुट्टू के आटे में अरारोट पाउडर, पिसा चावल, खरपतवार की बीज (कुंज्जू) या बाजरा को पीसकर मिला देते हैं। कुंज्जू के बीज न सिर्फ सेहत के लिए नुकसानदेह होते हैं बल्कि इसके ज्यादा इस्तेमाल से जान भी जा सकती है। मिलावटी आटे के इस्तेमाल से पेट में कई तरह की तकलीफ हो सकती है, कब्ज बढ़ सकता है और लीवर भी प्रभावित हो सकता है। सिंघाड़ा और कुट्टू का शुद्ध आटा पीलापन लिए होता है, जबकि मिलावट वाला सिंघाड़ा और कुट्टू का आटा सफेद होता है। खराब और मिलावटी आटा गूंथते समय लसलसा हो जाता है और उसमें से अजीब गंध आती है।
जैविक अनाज की अपनी अलग महत्ता है। गेहूं की सबसे पुरानी किस्म ‘बंशी’ इस गेहूं को खाने में मधुमेह के रोगियों को भी लाभ मिलता है क्योंकि इसमें ग्लूकोज की मात्रा काफी कम रहती है। यह अन्य गंभीर बीमारियों में भी गेहूं कारगर है। यह आसानी से पच जाता है। जैविक गेहूं का आटा इस में किसी भी तरह की रासायनिक खाद जैसे यूरिया आदि नहीं डाली जाती है और फसल तैयार हो जाने पर उस से ऑर्गेनिक आटा तैयार किया जाता है जो आटा हम रोटी बनाने के लिए ले रहे हैं वह आटा चोकर युक्त होना चाहिए। क्योंकि ऐसे आटे की रोटी खाने से यह रोटी बहुत ही जल्दी हजम हो जाती हैं और पौष्टिक भी होती हैं। अच्छा तो यही है कि गेहूं खरीद कर स्वयं ही उसे पिसवाएं और उसी आटे की रोटी बनाएं।
देहरादून में जैविक आटा किसान भवन,रिंग रोड से प्राप्त कर सकते हैं, जैविक किसान सजवाण जी मो0 7895290065 से सम्पर्क कर सकते हैं और उत्तराखण्ड जैविक बोड के किसान भवन के आउटलेट मे मैडम प्रज्ञा से सहायता ली जा सकती है, उनका मो0 9456169555 & Delhi ( Any Palace) Sh. Girish Joshi 9868926909 पर सम्पर्क कर जैविक आटा प्राप्त कर सकते हैं-
जनहित में हिमालयायूके न्यूजपोर्टल सम्पादक चन्द्रशेखर जोशी की एक पहल- इस आलेख के लिंक को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक भेजे- ताकि सब निराेग रहे, स्वस्थ्य रहे, पैकिंग आटे से दूरी बनाकर रहे- जय हिन्द
Yr. Contribution Deposit Here: HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND
Bank: SBI CA
30023706551 (IFS Code SBIN0003137) IFSC CODE: SBIN0003137 Br. Saharanpur Rd Ddun UK