शीर्षासन कर बनाया एक नया रिकार्ड
#हरिद्वार डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी से मिली प्रेरणा #याददाश्त बढ़ाने के लिए ध्यान एवं योग सर्वाेत्तम उपाय #बैतूल मप्र के निवासी किसान दम्पत्ति #योग में आगे बढ़ने के लिए देसंविवि को चुना # देसंविवि के छात्र चंचल ने १३४ मिनट तक शीर्षासन कर बनाया एक नया रिकार्ड # कुलाधिपति डॉ. पण्ड्या की कक्षा से उन्हें मिली प्रेरणा # Presents by www.himalayauk.org (UK Leading Digital newsportal) CS JOSHI- EDITOR
हरिद्वार २० नवम्बर।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार के एमएससी के छात्र चंचल सूर्यवंशी ने लगातार १३४ मिनट तक शीर्षासन कर एक नया रिकार्ड बनाया। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रार्थना सभागार में प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या, डॉ. ज्ञानेश्वर मिश्र-एमडी की चिकित्सकीय देखरेख में चंचल ने शीर्षासन किया। इस अवसर पर विवि परिवार के अलावा अनेक लोग उपस्थित रहे।
बैतूल मप्र के निवासी किसान दम्पत्ति श्री गणपति सूर्यवंशी एवं श्रीमती ज्ञारसी के पुत्र चंचल सूर्यवंशी वर्ष २०१२ से देसंविवि में अध्ययनरत हैं। तब से वे शीर्षासन का अभ्यास कर रहे हैं। पिछले वर्ष ९० मिनट तक शीर्षासन करने वाले देसंविवि के ही छात्र आदित्य प्रकाश से प्रेरित हो चंचल ने शीर्षासन के समय बढ़ाने का क्रम जारी रखा। बचपन में पढ़ाई में औसत रहने वाले चंचल ने याददाश्त की शक्ति को बढ़ाने के लिए पहले शतरंज का सहारा लिया। मामा नारायण खंडाई के मार्गदर्शन से योग में आगे बढ़ने के लिए देसंविवि को चुना। जहाँ उसे देसंविवि में कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या जी की गीता व ध्यान की कक्षा से प्रेरणा मिली कि युवा कभी हारता नहीं। युवा जिस किसी भी क्षेत्र में संकल्पशक्ति के साथ आगे बढ़े, उसे सफलता अवश्य मिलती है। इसी दौरान उसे पता चला कि याददाश्त बढ़ाने के लिए ध्यान एवं योग सर्वाेत्तम उपाय है। तब से योग में शीर्षासन का समय बढ़ाने में जुट गया। चंचल देसंविवि के मैस हॉल में बनने वाला खाना ही खाते हैं और वे बाहर के भोजन, फास्ट फूड आदि से परहेज रखते हैं।
शीर्षासन का क्रम प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या अपने देखरेख में सम्पन्न कराया। उन्होंने १३४ मिनट तक शीर्षासन करने के बाद चंचल की ब्लड प्रेशर, पल्स, हार्ट बिट नापा, जो सामान्य रहा। कुछ ही समय पश्चात चंचल अपनी सामान्य दिनचर्या में जुट गया। चंचल ने बताया कि कुलाधिपति श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी एवं कुलपति श्री शरद पारधी जी की प्रेरणा एवं प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय जी के मार्गदर्शन ने मुझे इस दिशा में आगे बढ़ने में सहयोग किया। मैं सभी का आजीवन आभारी रहूँगा। मेरे कोच व योग शिक्षक डॉ. सुनील यादव एवं योग विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेश वर्णवाल के सहयोग के बिना १३४ मिनट तक शीर्षासन नहीं कर पाता। चंचल भविष्य में योग के क्षेत्र में शोधकार्य कर इसे वैज्ञानिक तरीके से जन-जन तक पहुँचाने की तमन्ना रखते हैं।