राष्ट्रपति चुनाव ; सभी विपक्षी दलों को साधने की कोशिश
राष्ट्रपति चुनाव के लिए डा. कर्णसिंह सर्वसम्मति उम्मीदवार ; प्रो.भीम सिंह #शिवसेना पर विपक्ष की नजर #द हिन्दू के मुताबिक,विपक्षी पार्टियों की नजर मुख्य तौर पर बीजू जनता दल (बीजेडी), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और वाईएसआर कांग्रेस पर # बीजेडी विधायक तथागत सत्पथी ने द हिन्दू से कहा, “निजी तौर पर मैं राष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी उम्मीदवार को सपोर्ट नहीं करूंगा# डॉ॰ कर्ण सिंह धर्मार्थ न्यास के अन्तर्गत चल रहे सौ से अधिक हिन्दू तीर्थ-स्थलों तथा मंदिरों सहित जम्मू और कश्मीर में अन्य कई न्यासों का काम-काज भी देखते हैं # www.himalayauk.org (HIMALAYA GAURAVF UTTRAKHAND) Web & Print Media : Mob.9412932030: by cs joshi
राष्ट्रपति चुनावों में आपसी सहमति से उम्मीदवार उतारने के लिए एक साथ आने वाला विपक्ष अब अपनी संख्या बढ़ाने के लिए तटस्थ पार्टियों को पाले में लाने की सोच रहा है। बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए को राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए करीब 20,000 हजार वोट चाहिए। विपक्ष इसी फिराक में है कि वह किस तरह इन वोटों में सेंध लगा सके। अंग्रेजी अखबार द हिन्दू के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि इन विपक्षी पार्टियों की नजर मुख्य तौर पर बीजू जनता दल (बीजेडी), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और वाईएसआर कांग्रेस पर है।
गुरुवार को CPI(M) के जनरल सेक्रेटरी सीताराम येचुरी ने ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजेडी मुखिया नवीन पटनायक से भुवनेश्वर में मुलाकात की थी। नवीन पटनायक ने तो सीधे तौर पर जवाब नहीं दिया, लेकिन सूत्रों का कहना है कि मीटिंग में धर्मनिरपेक्ष उम्मीदवार खड़ा करनी की बात हुई है। इसके बाद बीजेडी विधायक तथागत सत्पथी ने द हिन्दू से कहा, “निजी तौर पर मैं राष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी उम्मीदवार को सपोर्ट नहीं करूंगा। हालांकि पार्टी की राय अभी तक मुझे नहीं पता।” बीजेडी की चिंता तब से और बढ़ गई जब हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में भाजपा ने बड़ी संख्या में सीटों पर कब्जा करते हुए कांग्रेस की हराया था। पिछले महीने नई दिल्ली में राष्ट्रपति चुनावों के सवाल पर नवीन पटनायक ने बताया कि पिछले बार उन्होंने पूर्व लोकसभा स्पीकर पी. संगमा के नाम का प्रस्ताव दिया था। वह तब बीजेडी उम्मीदवार थीं। इस बार के चुनावों के लिए अभी नाम तय नहीं हुआ है।
सीताराम येचुरी जल्द ही YSR कांग्रेस और डीएमके से भी बातचीत करेंगे। सीनियर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और सीपीआई मुखिया एस सुदाकर रेड्डी टीआरएस नेता के केशव राव से लगातार संपर्क में हैं। टीएमसी की ओर से कोई बयान नहीं आया लेकिन एक सीनियर पार्टी सांसद ने बताया कि पार्टी का विचार विपक्ष के साथ हाथ मिलाने का है।
वही कांग्रेस की स्थिति कमजोर हुई है, ऐसे में सवाल उठा है कि क्या सोनिया का राहुल से भरोसा उठ गया है. यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि, राहुल की अगुआई में ही यूपी समेत कई राज्यों में कांग्रेस अपनी लाज नहीं बचा पाई है. एक के बाद एक हार ने कांग्रेस को भीतर से हिला कर रख दिया है. शायद इसीलिए कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में प्रस्ताव पारित करने के बाद भी राहुल की कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर ताजपोशी नहीं हुई है. राहुल की कार्यक्षमता और उनकी गंभीरता सवालों के घेरे में है. अगर ऐसा नहीं होता तो इस वक्त राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले सोनिया की सक्रियता राहुल की शिथिलता पर भारी नहीं पड़ रही होती.
खैर, इन सबके बीच सोनिया की अगुआई में विपक्ष की कोशिश एनडीए के भीतर भी दरार पैदा करने की है. खासतौर से शिवसेना पर विपक्ष की नजर है. पहले भी यूपीए के उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी का समर्थन शिवसेना ने किया है.
इस वक्त शिवसेना के साथ बीजेपी के रिश्तों में रह-रह कर खटास देखने को मिल जाती है. विपक्ष की कोशिश इस दरार का फायदा उठाने की है.
सोनिया से लेकर सीताराम तक और लालू-नीतीश से लेकर मुलायम तक की कवायद एक रस्म अदायगी ही नजर आ रही है. क्योंकि मौजूदा वक्त में आंकड़े उनके साथ नहीं हैं. खासतौर से पांच राज्यों में चुनावी जीत के बाद तो बीजेपी और एनडीए के पक्ष में आंकड़े ज्यादा बेहतर हो गए हैं.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्टोरल कॉलेज के कुल मतों का वैल्यू 10,98,882 है. इसमें राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए आधे से ज्यादा यानी 5,49,442 मतों के वैल्यू की जरूरत है. फिलहाल एनडीए के पक्ष में सभी सांसदों और विधायकों के मतों के मूल्य को जोड़ने पर ये आंकड़ा 5,31,442 आता है.
एनडीए फिलहाल बहुमत से करीब 18000 मतों के मूल्य से पीछे है. ऐसे में एआईएडीएमके, बीजेडी या टीआरएस को साथ लाकर बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर राष्ट्रपति पद पर अपने उम्मीदवार को जीताने में सफल हो सकती है.
मौजूदा दौर में इस बात की संभावना है कि विपक्षी एकता के बावजूद भी बीजेपी और एनडीए को रोक पाना मुश्किल ही होगा. लेकिन, रस्मअदायगी करनी है तो कांग्रेस और बाकी विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव से पहले मतभेद भुलाकर एकजुट होने की कवायद कर रहा है. शायद हार के बावजूद 2019 की लड़ाई के पहले विपक्ष मोदी विरोधी मंच का खांका खींचने की कोशिश में सफल हो जाए.
यह कोशिश 2019 की लड़ाई के लिए नहीं है. यह सरगर्मी दो महीने बाद जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर है. अगले लोकसभा चुनाव के लिए महागठबंधन बनाने की कवायद पहले से ही चल रही है. फिलहाल सोनिया की सक्रियता राष्ट्रपति चुनाव को लेकर है. इसमें वो सभी विपक्षी दलों को साधकर विपक्ष की तरफ से एक साझा उम्मीदवार खड़ा करना चाहती हैं.
इस कड़ी में सोनिया गांधी ने मुलायम सिंह यादव से लेकर लालू प्रसाद यादव तक को फोन घुमाया है. मुलाकातों को सिलसिला शुरू है. सोनिया गांधी ने जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात की है. नीतीश की भी कोशिश गैर-बीजेपी दलों को एक साथ एक मंच पर खड़ा करने की रही है.
सोनिया गांधी ने इसके पहले एनसीपी नेता शरद पवार, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी राजा और जेडी एस के नेता पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा से भी मुलाकात की है.
सोनिया गांधी ने हाल ही में नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्लाह से भी मुलाकात की है जिसे राष्ट्रपति चुनाव से पहले सभी विपक्षी दलों को साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए डा. कर्णसिंह सर्वसम्मति उम्मीदवार ; प्रो.भीम सिंह
कर्ण सिंह ने देहरादून स्थित दून स्कूल से सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा प्रथम श्रेणी के साथ उत्तीर्ण की डॉ॰ कर्ण सिंह धर्मार्थ न्यास के अन्तर्गत चल रहे सौ से अधिक हिन्दू तीर्थ-स्थलों तथा मंदिरों सहित जम्मू और कश्मीर में अन्य कई न्यासों का काम-काज भी देखते हैं।नेशनल पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक प्रो.भीमसिंह ने आज राष्ट्रीय एवं राज्य के मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के सभी अध्यक्षों को पत्र भेजकर संसद सदस्यों से राष्ट्रपति चुनाव के लिए डा. कर्णसिंहको सर्वसम्मति उम्मीदवार के रूप में समर्थन देकर चुनने का आग्रह किया। उन्होने पत्र में राष्ट्रपति के जुलाई में होने वाले चुनाव के संबंध में अपने विचार व्यक्त करनेवाली इस स्वतंत्रता को लेकर की है। उन्होंने भारत के भविष्य के राष्ट्रपति की पसंद पर अपने विचारों कीमांग करने के लिए कई प्रतिष्ठानों से संपर्क में किया हैं, क्योंकि माननीय श्री प्रणब मुखर्जी इस सालसेवानिवृत्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे डा. कर्णसिंह के बारे में इस अभिव्यक्ति से परे बात नहीं करना चाहते,क्योंकि वे अपनी पृष्ठभूमि, राजनीतिक विचार और योगदान के साथ एक व्यक्तित्व के रूप में जानाजाता है। उन्होंने अपने पत्र में कहा कि डा. कर्णसिंह भारत के राष्ट्रपति के रूप में कश्मीर से कन्याकुमारीतक राष्ट्रीय एकता की लहर पैदा करेेंगे और भारत को शांतिपूर्ण राष्ट्र के रूप में दुनिया के नक्शे पर अपनेसुपर स्थान मिलेगा। प्रो. भीमसिंह ने इलेक्टोरल कॉलेज के सभी सदस्यों से भारत के अगले राष्ट्रपति का चुनाव में पूर्व महाराजा के बेटे एवं वर्तमान राज्यसभा सांसद डा.कर्णसिंह, जो इस समय राष्ट्रपति पद के लिएसबसे पसंदीदा विकल्प हैं, को चुनने की विनम्र प्रार्थना की है, जो कश्मीर से कन्याकुमारी और मणिपुरसे द्वारका तक पूरी तरह से लोगों की समन्वित संस्कृति, भारत की सांस्कृतिक विरासत, प्यार और स्नेहकी पुरानी शीतल हवाओं तथा उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम में इस देश के लोगों की आवाज का कुशलप्रतिनिधित्व करेंगे, जिस पर राजनीतिक दल एक आम सहमति पर पहुंच सकते हैं, यह दुनिया को एकमहान संदेश भेज देगा।
HIMALAYA GAURAV UTTRAKHAND
कर्ण सिंह भारतीय राजनेता, लेखक और कूटनीतिज्ञ
कर्ण सिंह (जन्म 1931) भारतीय राजनेता, लेखक और कूटनीतिज्ञ हैं। जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह और महारानी तारा देवी के प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी (युवराज) के रूप में जन्मे डॉ॰ कर्ण सिंह ने अठारह वर्ष की ही उम्र में राजनीतिक जीवन में प्रवेश कर लिया था और वर्ष १९४९ में प्रधानमन्त्री पं॰ जवाहरलाल नेहरू के हस्तक्षेप पर उनके पिता ने उन्हें राजप्रतिनिधि (रीजेंट) नियुक्त कर दिया। इसके पश्चात अगले अठारह वर्षों के दौरान वे राजप्रतिनिधि, निर्वाचित सदर-ए-रियासत और अन्तत: राज्यपाल के पदों पर रहे।
१९६७ में डॉ॰ कर्ण सिंह प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए गए। इसके तुरन्त बाद वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में जम्मू और कश्मीर के उधमपुर संसदीय क्षेत्र से भारी बहुमत से लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। इसी क्षेत्र से वे वर्ष १९७१, १९७७ और १९८० में पुन: चुने गए। डॉ॰ कर्ण सिंह को पहले पर्यटन और नगर विमानन मंत्रालय सौंपा गया। वे ६ वर्ष तक इस मंत्रालय में रहे, जहाँ उन्होंने अपनी सूक्ष्मदृष्टि और सक्रियता की अमिट छाप छोड़ी। १९७३ में वे स्वास्थ्य और परिवार नियोजन मंत्री बने। १९७६ में जब उन्होंने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा की तो परिवार नियोजन का विषय एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के रूप में उभरा। १९७९ में वे शिक्षा और संस्कृति मंत्री बने। डॉ॰ कर्ण सिंह पूर्व रियासतों के अकेले ऐसे पूर्व शासक थे, जिन्होंने स्वेच्छा से निजी कोश(प्रिवी पर्स) का त्याग किया। उन्होंने अपनी सारी राशि अपने माता-पिता के नाम पर भारत में मानव सेवा के लिए स्थापित ‘हरि-तारा धर्मार्थ न्यास’ को दे दी। उन्होंने जम्मू के अपने अमर महल (राजभवन) को संग्रहालय एवं पुस्तकालय में परिवर्तित कर दिया। इसमें पहाड़ी लघुचित्रों और आधुनिक भारतीय कला का अमूल्य संग्रह तथा बीस हजार से अधिक पुस्तकों का निजी संग्रह है। डॉ॰ कर्ण सिंह धर्मार्थ न्यास के अन्तर्गत चल रहे सौ से अधिक हिन्दू तीर्थ-स्थलों तथा मंदिरों सहित जम्मू और कश्मीर में अन्य कई न्यासों का काम-काज भी देखते हैं। हाल ही में उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान, संस्कृति और चेतना केंद्र की स्थापना की है। यह केंद्र सृजनात्मक दृष्टिकोण के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभर रहा है।
कर्ण सिंह ने देहरादून स्थित दून स्कूल से सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा प्रथम श्रेणी के साथ उत्तीर्ण की और इसके बाद जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त की। वे इसी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी रह चुके हैं। वर्ष १९५७ में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में एम.ए. उपाधि हासिल की। उन्होंने श्री अरविन्द की राजनीतिक विचारधारा पर शोध प्रबन्ध लिख कर दिल्ली विश्वविद्यालय से डाक्टरेट उपाधि का अलंकरण प्राप्त किया।
कर्ण सिंह कई वर्षों तक जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रहे हैं। वे केंद्रीय संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष, भारतीय लेखक संघ, भारतीय राष्ट्र मण्डल सोसायटी और दिल्ली संगीत सोसायटी के सभापति रहे हैं। वे जवाहरलाल नेहरू स्मारक निधि के उपाध्यक्ष, टेम्पल ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एक प्रसिद्ध अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्विश्वास संगठन) के अध्यक्ष, भारत पर्यावरण और विकास जनायोग के अध्यक्ष, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर और विराट हिन्दू समाज के सभापति हैं। उन्हें अनेक मानद उपाधियों और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इनमें – बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और सोका विश्वविद्यालय, तोक्यो से प्राप्त डाक्टरेट की मानद उपाधियां उल्लेखनीय हैं। वे कई वर्षों तक भारतीय वन्यजीव बोर्ड के अध्यक्ष और अत्यधिक सफल – प्रोजेक्ट टाइगर – के अध्यक्ष रहने के कारण उसके आजीवन संरक्षी हैं।
डॉ॰ कर्ण सिंह ने राजनीति विज्ञान पर अनेक पुस्तकें, दार्शनिक निबन्ध, यात्रा-विवरण और कविताएं अंग्रेजी में लिखी हैं। उनके महत्वपूर्ण संग्रह “वन मैन्स वर्ल्ड” (एक आदमी की दुनिया) और हिन्दूवाद पर लिखे निबंधों की काफी सराहना हुई है। उन्होंने अपनी मातृभाषा डोगरी में कुछ भक्तिपूर्ण गीतों की रचना भी की है। भारतीय सांस्कृतिक परम्परा में अपनी गहन अन्तर्दृष्टि और पश्चिमी साहित्य और सभ्यता की विस्तृत जानकारी के कारण वे भारत और विदेशों में एक विशिष्ट विचारक और नेता के रूप में जाने जाते हैं। संयुक्त राज्य अमरीका में भारतीय राजदूत के रूप में उनका कार्यकाल हालांकि कम ही रहा है, लेकिन इस दौरान उन्हें दोनों ही देशों में व्यापक और अत्यधिक अनुकूल मीडिया कवरेज मिली।