आजकल हर हाल में चुनाव जीतने का चलन ;चुनाव आयुक्त ओपी रावत
चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि आजकल हर हाल में चुनाव जीतने का चलन बना है। चुनाव आयुक्त ने कहा कि लोकतंत्र तभी अच्छा चलता है जब चुनाव निष्पक्ष और सही तरीके से हो, लेकिन आम आदमी को ऐसा लग सकता है कि राजनीतिक दल चुनाव को हर हाल में जीतना चाहते हैं और इसके लिए एक तरह की स्क्रिप्ट भी लिखते हैं – विधायकों की खरीद-फरोख्त करना, उन्हें धमकाना आदि एक चतुर चुनावी प्रबंधन है। किसी को अपने पक्ष में करने के लिए पैसे का लालच देना, राजतंत्र का उपयोग करना, ये सब चुनाव जीतने का हथकंड़ा बन गया है- ओपी रावत
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13 अगस्त 2015 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रावत को चुनाव आयोग में आयुक्त नियुक्त किया था # मप्र कैडर के 1977 बैच के आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश रावत # रावत भारत सरकार में भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्रालय में सचिव (लोक उपक्रम) के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उनके बारे में कहा जाता है कि वे फैसले लेने में देरी नहीं करते और उनके फैसले मैरिट पर आधारित होते हैं।
गुजरात में हुए राज्यसभा चुनाव के राजनीतिक ड्रामे के करीब दस दिन बाद चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने मौजूदा राजनीतिक माहौल में नैतिकता के नए पैमाने पर बड़ा बयान दिया है. ओपी रावत ने कहा कि आज हर हाल में चुनाव जीतने की सोच हावी हो गई है और राजनीतिक पार्टियां हर हाल में चुनाव जीतना चाहती हैं.
गुरुवार को एडीआर के एक कार्यक्रम में चुनाव आयुक्त ने कहा, “जब चुनाव निष्पक्ष और साफ सुथरे तरीके से होते हैं तो लोकतंत्र भी आगे बढ़ता है. हालांकि, अब आम आदमी ये सोचने लगा है कि चुनाव जीतने की स्क्रिप्ट पहले से लिखी जा रही है और हर कीमत पर चुनाव जीतना है, जहां नैतिकता के लिए कोई जगह नहीं होती.”
ओपी रावत ने कहा कि इन हालात में जन प्रतिनिधियों की खरीद फरोख्त को बेहतरीन राजनीतिक प्रबंधन माना जाता है. इस काम में राज्य की मशीनरी भी इस्तेमाल की जाती है.
हालांकि, चुनाव आयुक्त ने इससे मुक्ति की वकालत की. उन्होंने इससे मुक्ति के लिए राजनीतिक पार्टियों, मीडिया और आम नागरिकों की भागीदारी पर जोर दिया.
आपको याद होगा कि बीते दिनों गुजारत में राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए बीजेपी-कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. कांग्रेस को अपने विधायकों को बेंगलुरू के रिसॉर्ट में रखना पड़ा, क्योंकि उन्हें अपने विधायकों की खरीद फरोख्त का डर सता रहा था, जबकि बीजेपी गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को हराकर बड़ा संदेश देना चाहती थी. दोनों पार्टियों ने इस लड़ाई को चुनाव आयोग में भी लड़ा. राज्यसभा के इस चुनाव में कांग्रेस के कैंडिडेट अहमद पटेल की जीत हुई थी.