सुषमा स्वराज का 4 घण्टे पहले टविट ;मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी
अपने आखिरी ट्वीट में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पीएम मोदी का शुक्रिया अदा किया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा,” प्रधानमंत्री जी – आपका हार्दिक अभिनन्दन। मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी।” HIMALAYAUK REPORT
पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी की सीनियर लीडर सुषमा स्वराज का दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। वे लंबे अर्से से बीमार चल रही थीं और उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था। बीमारी की वजह से ही उन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव से खुद को अलग रखा था। वर्ष 2014 में सुषमा स्वराज को विदेश मंत्रालय का प्रभार मिला था। बीजेपी के शासन के दौरान सुषमा दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रही थी। उन्हें दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ था।
सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हुआ था। उन्होंने अंबाला में एसडी कॉलेज अम्बाला छावनी से बीए किया और पंजाब यूनिवर्सिटी से चंडीगढ़ से लॉ की पढ़ाई की थी। सुषमा स्वराज ने 1974 के छात्र आंदोलन में भी बढ़-चढकर हिस्सा लिया था। सुषमा स्वराज के निधन की खबर सुनते ही डॉ. हर्षवर्धन, नितिन गडकरी, मनोज तिवारी एम्स पहुंच गए।
निधन से करीब चार घंटे पहले ही सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर संसद में जम्म कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित होने को लेकर खुशी जताई थी और प्रधानमंत्री की तारीफ की थी। सुषमा ने अपने आखिरी ट्वीट में लिखा- ‘प्रधान मंत्री जी – आपका हार्दिक अभिनन्दन. मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी।’ वहीं एक अन्य ट्वीट में उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को बधाई दी थी। उन्होंने लिखा- श्री अमित शाह जी को उत्कृष्ट भाषण के लिए बहुत बहुत बधाई।
सुषमा स्वराज महज 25 बरस की उम्र में ही राजनीति मेंआईं थीं। लाल कृष्ण आडवाणी को सुषमा अपना राजनीतिक गुरु मानती थीं। सुषमा स्वराज एक प्रखर और ओजस्वी वक्ता, प्रभावी पार्लियामेंटेरियन और कुशल प्रशासक मानी जाती हैं। एक वक़्त था जब बीजेपी में अटल बिहारी वाजपेयी के बाद सुषमा और प्रमोद महाजन का नाम सबसे लोकप्रिय वक्ताओं में शुमार था।
करीब 40 साल के सियासी करियर में वे 11 चुनाव लड़ीं, जिसमें तीन बार विधानसभा का चुनाव लड़ीं और जीतीं। इसके अलावा सुषमा स्वराज सात बार सांसद भी बनीं। साल 2014 से 2019 तक वह भारत की विदेश मंत्री रहीं।
उनका जन्म 14 फरवरी 1952 को हुआ था। वे मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भारत की विदेश मंत्री थी। इससे पहले वो 2009 में भारतीय जनता पार्टी द्वारा संसद में विपक्ष की नेता चुनी गई थी। वो दिल्ली की मुख्यमन्त्री भी रही थी। सन 2009 के लोकसभा चुनावों के लिये भाजपा के 19 सदस्यीय चुनाव-प्रचार-समिति की अध्यक्ष भी रहीं थीं।
उनका जन्म अंबाला छावनी में हुआ था। उन्होंने एस.डी. कालेज अम्बाला छावनी से बी.ए. तथा पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली थी। शिक्षा पूरी होने के बाद सुषमा स्वराज ने जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। आपातकाल का विरोध कर वो सक्रिय राजनीति का हिस्सा बन गई।
उनके पिता का नाम हरदेव शर्मा और माता का नाम श्रीमती लक्ष्मी देवी था। उनके पिता आरएसएस के प्रमुख सदस्य रहे थे। स्वराज का परिवार लाहौर के धरमपुरा क्षेत्र का रहने वाला था, 13 जुलाई 1975 को उनका विवाह स्वराज कौशल के साथ हुआ था जो सर्वोच्च न्यायलय में उनके सहकर्मी थे। कौशल बाद में राज्यसभा में सांसद भी रहे, और इसके अतिरिक्त वे मिजोरम प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके हैं। स्वराज दम्पत्ति की एक पुत्री है, जो लंदन के इनर टेम्पल में वकालत कर रही हैं।
७० के दशक में ही स्वराज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गयी थी। उनके पति, स्वराज कौशल, सोशलिस्ट नेता जॉर्ज फ़र्नान्डिस के करीबी थे, और इस कारण ही वे भी १९७५ में फ़र्नान्डिस की विधिक टीम का हिस्सा बन गयी। आपातकाल के समय उन्होंने जयप्रकाश नारायणके सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। आपातकाल की समाप्ति के बाद वह जनता पार्टी की सदस्य बन गयी। १९७७ में उन्होंने अम्बाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से हरियाणा विधानसभा के लिए विधायक का चुनाव जीता और चौधरी देवी लाल की सरकार में से १९७७ से ७९ के बीच राज्य की श्रम मन्त्री रह कर २५ साल की उम्र में कैबिनेट मन्त्री बनने का रिकार्ड बनाया था। १९७९ में तब २७ वर्ष की स्वराज हरियाणा राज्य में जनता पार्टी की राज्य अध्यक्ष बनी।
८० के दशक में भारतीय जनता पार्टी के गठन पर वह भी इसमें शामिल हो गयी। इसके बाद १९८७ से १९९० तक पुनः वह अम्बाला छावनी से विधायक रही, और भाजपा-लोकदल संयुक्त सरकार में शिक्षा मंत्री रही। अप्रैल १९९० में उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया, जहाँ वह १९९६ तक रही। १९९६ में उन्होंने दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीता, और १३ दिन की वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री रही। मार्च १९९८ में उन्होंने दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र से एक बार फिर चुनाव जीता। इस बार फिर से उन्होंने वाजपेयी सरकार में दूरसंचार मंत्रालय के अतिरिक्त प्रभार के साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में शपथ ली थी। १९ मार्च १९९८ से १२ अक्टूबर १९९८ तक वह इस पद पर रही। इस अवधि के दौरान उनका सबसे उल्लेखनीय निर्णय फिल्म उद्योग को एक उद्योग के रूप में घोषित करना था, जिससे कि भारतीय फिल्म उद्योग को भी बैंक से क़र्ज़ मिल सकता था।
अक्टूबर १९९८ में उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया, और १२ अक्टूबर १९९८ को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। हालांकि, ३ दिसंबर १९९८ को उन्होंने अपनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया, और राष्ट्रीय राजनीति में वापस लौट आई। सितंबर १९९९ में उन्होंने कर्नाटक के बेल्लारी निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के विरुद्ध चुनाव लड़ा। अपने चुनाव अभियान के दौरान, उन्होंने स्थानीय कन्नड़ भाषा में ही सार्वजनिक बैठकों को संबोधित किया था। हालांकि वह ७% के मार्जिन से चुनाव हार गयी। अप्रैल २००० में वह उत्तर प्रदेश के राज्यसभा सदस्य के रूप में संसद में वापस लौट आईं। ९ नवंबर २००० को उत्तर प्रदेश के विभाजन पर उन्हें उत्तराखण्ड में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल में फिर से सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में शामिल किया गया था, जिस पद पर वह सितंबर २००० से जनवरी २००३ तक रही। २००३ में उन्हें स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और संसदीय मामलों में मंत्री बनाया गया, और मई २००४ में राजग की हार तक वह केंद्रीय मंत्री रही।
अप्रैल २००६ में स्वराज को मध्य प्रदेश राज्य से राज्यसभा में तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से निर्वाचित किया गया। इसके बाद २००९ में उन्होंने मध्य प्रदेश के विदिशा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से ४ लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की। २१ दिसंबर २००९ को लालकृष्ण आडवाणी की जगह १५वीं लोकसभा में सुषमा स्वराज विपक्ष की नेता बनी और मई २०१४ में भाजपा की विजय तक वह इसी पद पर आसीन रही। वर्ष २०१४ में वे विदिशा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से दोबारा लोकसभा की सांसद निर्वाचित हुई हैं और उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। भाजपा में राष्ट्रीय मन्त्री बनने वाली पहली महिला सुषमा के नाम पर कई रिकार्ड दर्ज़ हैं। वे भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने वाली पहली महिला हैं, वे कैबिनेट मन्त्री बनने वाली भी भाजपा की पहली महिला हैं, वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमन्त्री थीं और भारत की संसद में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार पाने वाली पहली महिला भी वे ही हैं। वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्रीऔर देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है।
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