3 लाख किसानो का ‘दिल्ली चलो’ मार्च, UP, MP. उत्तराखंड पंजाब,हरियाणा में सड़कों पर
पुलिस के अनुमान के अनुसार, पंजाब और हरियाणा के करीब 3 लाख किसान दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं. ये किसान 33 संगठनों से जुड़े हैं और संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा हैं, जो 470 से अधिक किसान यूनियनों का अखिल भारतीय निकाय है. यह सभी राष्ट्रीय राजधानी में अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे.
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27 Nov. 20 ; `दिल्ली चलो` मार्च
किसानों का मोदी सरकार के खिलाफ हल्लाबोल जारी है। मोदी सरकार के नए कृषि कानून का विरोध प्रदर्शन हो रहा है। किसानों के दिल्ली चलो मार्च का बड़ा असर बॉर्डर पर देखा जा रहा है। एक किसान कहता है, “कोई बात नहीं, हम दिल्ली में आगे बढ़ेंगे। हम अपने परिवारों के साथ छह महीने के लिए राशन लेकर जा रहे हैं।” पानीपत के टोल प्लाजा पर किसानों के लिए सामाजिक संस्थाओं द्वारा लंगर लगाया गया
कृषि किसानों के ख़िलाफ़ हरियाणा-पंजाब के किसानों ने जन आंदोलन खड़ा कर दिया है। आंदोलन को धार देते हुए अब कई राज्यों के किसान संगठनों ने मिलकर संयुक्त किसान मोर्चा बनाया है। इस मोर्चे की अगुवाई में ही किसानों का आंदोलन किया जा रहा है। मोर्चे की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी भेजा गया है। ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-ऑर्डिनेशन कमेटी, राष्ट्रीय किसान महासंघ, भारतीय किसान यूनियन सहित कई संगठनों ने इस ‘दिल्ली चलो’ मार्च का आह्वान किया गया।
किसानों ने कहा है कि उनकी मांग यही है कि तीन नए कृषि क़ानूनों और इलेक्ट्रिसिटी बिल 2020 को ख़त्म कर दिया जाए। धान की सरकारी खरीद प्रति एकड़ 20 क्विंटल के स्थान पर 13 कुंटल ही खरीदी जाएगी ऐसा बीजेपी सरकार का निर्णय है। किसानों की मांग है कि पुरानी व्यवस्था ही लागू रहे। यह एमएसपी समाप्त करने का पहला कदम है। मोदी जी को इस आदेश को वापस लेना चाहिए।
पत्र में लिखा है, ‘प्रधानमंत्री जी, आप जानते हैं कि कई राज्यों से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। इनमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश उत्तराखंड, मध्य प्रदेश व कई अन्य राज्यों के किसान शामिल हैं। इन किसानों में युवा भी शामिल हैं। हम सभी को हरियाणा, उत्तर प्रदेश और केंद्र की सरकार द्वारा रोका जा रहा है और रास्ते में बैरिकेडिंग, बड़ी संख्या में मिट्टी से भरे ट्रक खड़े कर दिए गए हैं। पानी की बौछार छोड़ी जा रही है और आंसू गैस का इस्तेमाल किया जा रहा है।’ पत्र में आगे लिखा है, ‘उत्तर भारत में पड़ रही ठंड के बीच ये सब किया जा रहा है लेकिन इसके बाद भी हम लोग लगातार आगे बढ़ रहे हैं। हज़ारों किसान दिल्ली के बॉर्डर पर पहुंच चुके हैं और आगे बढ़ते रहेंगे।’
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड पंजाब,हरियाणा में किसान सड़कों पर
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने शुक्रवार को मुज़फ्फरनगर, मेरठ, बागपत में हाईवे को जाम कर दिया और दिल्ली-देहरादून हाइवे पर भी किसानों ने प्रदर्शन किया। भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार हरियाणा, पंजाब के किसानों के साथ अत्याचार कर रही है और इसके ख़िलाफ़ वे भी आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि सरकार एमएसपी को शामिल करे और इसे लिखकर दे। टिकैत ने कहा कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड पंजाब,हरियाणा में किसान सड़कों पर उतरे। इससे पहले किसानों ने बुधवार को मुज़फ्फरनगर में पंचायत भी की थी। किसानों के आंदोलन के कारण पंजाब में लगभग दो महीने तक रेलगाड़ी व मालगाड़ियां नहीं जा सकीं। इस वजह से रेलवे को तो राजस्व का नुक़सान हुआ ही, पंजाब के लोगों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। राज्य सरकार के ट्रेनों को पूरी तरह सुरक्षा का भरोसा देने के बाद भी केंद्र सरकार हठ पर बैठी रही। कोयला न पहुंचने के कारण राज्य में घंटों तक पावर कट लगे और अनाज, सब्जियां व अन्य ज़रूरी चीजें नहीं पहुंच सकीं।
हरियाणा के किसानों का भी जोरदार समर्थन पंजाब के किसानों को मिला और कई जिलों में किसानों ने पुलिस के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया। हालांकि पुलिस ने दिल्ली की ओर बढ़ रहे किसानों को रोकने की कोशिश की थी। यूपी के मेरठ, मुज़फ्फरनगर, बाग़पत में भी किसान सड़क पर उतरे।
टैक्टर में खाने पीने और अन्य जरूरी सामान लेकर चल रहे किसानों ने कई जगहों से दिल्ली में प्रवेश की कोशिश की थी.
टिकैत ने कहा कि हम सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ रहे हैं और राशन-पानी साथ लेकर उतरे हैं। उन्होंने कहा कि किसान शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे हैं। टिकैत ने कहा कि किसानों को रोका जाना, बल प्रयोग किया जाना देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए सारे इंतजाम किए थे। पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, पानी की बौछार की। बड़ी संख्या में पुलिस, सीआरपीएफ़ और अन्य पुलिस फ़ोर्स की तैनाती भी की गई है। इससे पहले गुरूवार को पुलिस की तमाम बर्बरताओं को झेलने के बाद भी किसान डिगे नहीं और लगातार आगे बढ़ते रहे।
संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों के साथ ऐसा व्यवहार न हो और अन्नदाताओं और सरकार के बीच संघर्ष के दौरान कोई भी अप्रिय घटना न घटे। मोर्चा ने कहा है कि किसानों की आवाज़ को नहीं सुना गया और अध्यादेश लाकर क़ानून बना दिया गया।
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हरियाणा और पंजाब के किसानों ने दिल्ली पुलिस के छक्के छुड़ा दिए हैं। किसानों के ख़िलाफ़ आंसू गैस से लेकर पानी की बौछार तक इस्तेमाल कर चुकी पुलिस ने शुक्रवार दोपहर को उन्हें बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड आने की इजाजत दी थी। माना जा रहा था कि किसान दिल्ली के भीतर आ जाएंगे लेकिन उन्होंने बुराड़ी आने से इनकार कर दिया है और सिंघु बॉर्डर पर ही डेरा डाल दिया है। इससे पहले किसान लगातार संघर्ष करते हुए शुक्रवार सुबह दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच गए थे।
हरियाणा सरकार की कोशिश थी कि किसान किसी भी क़ीमत पर दिल्ली न पहुंच पाएं। इसलिए हरियाणा-पंजाब बॉर्डर्स से जो किसान आगे बढ़ चुके थे, उन्हें दिल्ली-हरियाणा के बॉर्डर पर रोके जाने के लिए जोरदार तैयारी की गई थी। गुरुग्राम, फरीदाबाद, बदरपुर, सिंघू और टिकरी बॉर्डर को पूरी तरह सील कर दिया गया था।
किसानों ने कहा है, ‘प्रधानमंत्री जी, इस बारे में आप तक अपनी बात भी पहुंचाई गई लेकिन किसी तरह का कोई जवाब नहीं मिला। अब तो कम से कम भारत सरकार को यह संघर्ष वाला रवैया छोड़ देना चाहिए और किसानों से बातचीत की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।’ केंद्र सरकार की ओर से यह कहे जाने पर कि किसानों को 3 दिसंबर को बातचीत के लिए बुलाया गया है, किसानों ने पत्र में लिखा है कि यह पूरी तरह फिजूल बात है कि सरकार बातचीत के लिए बुला रही है लेकिन वह ऐसा माहौल नहीं बनने दे रही है, जहां पर बात हो सके। पत्र में प्रधानमंत्री मोदी से मांग की गई है कि किसानों को दिल्ली आने के लिए सुरक्षित और खुला रास्ता दिया जाए। अखिल भारतीय और क्षेत्रीय स्तर के किसान संगठनों को बातचीत के लिए बुलाया जाए और कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों से उनकी बातचीत हो। किसानों ने कहा है कि उनकी मांग यही है कि तीन नए कृषि क़ानूनों और इलेक्ट्रिसिटी बिल 2020 को ख़त्म कर दिया जाए।
किसान नेता योगेंद्र यादव का कहना है कि नए कृषि क़ानूनों के लागू होने से एमएसपी बंद हो जाएगी। इससे मंडी नहीं होगी और सरकारी रेट पर फसलों की ख़रीद धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा है कि किसानों और कंपनी के बीच कॉन्ट्रैक्ट की नई व्यवस्था शुरू होने से किसान कंपनी और उसके वकीलों का बंधक बन जाएगा। यादव के मुताबिक़, इन क़ानूनों में व्यापारियों को जमाखोरी और कालाबाजारी की पूरी छूट दे दी गई है। इससे किसान की फसल सस्ती बिकेगी और खरीदार को ज्यादा महंगी पड़ेगी।
इस बीच, कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हुंकार भर रहे हरियाणा और पंजाब के किसानों का संघर्ष रंग लाया है। किसानों को दिल्ली के अंदर आने की इजाजत दे दी गई है लेकिन इस दौरान पुलिस उनके साथ रहेगी। पुलिस ने सभी किसानों को बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड में जाने की इजाजत दी है। इससे पहले किसान लगातार संघर्ष करते हुए शुक्रवार सुबह दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच गए थे।
किसान आंदोलन पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने ट्वीट किया, “PM को याद रखना चाहिए था जब-जब अहंकार सच्चाई से टकराता है, पराजित होता है. सच्चाई की लड़ाई लड़ रहे किसानों को दुनिया की कोई सरकार नहीं रोक सकती. मोदी सरकार को किसानों की मांगें माननी ही होंगी और काले क़ानून वापस लेने होंगे. ये तो बस शुरुआत है.”
दिल्ली पुलिस ने आम आदमी पार्टी सरकार से शहर के 9 स्टेडियमों को अस्थायी जेल के तौर पर इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी थी. लेकिन सरकार ने ये अनुमति देने से मना कर दिया है.
आंदोलनकारी किसानों से अपील करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, “एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर परेशानी होने पर वे राजनीति छोड़ देंगे.” उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को ‘किसानों को उकसाने’ के लिए भी दोषी ठहराया.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रदर्शनकारी किसानों को बातचीत के आमंत्रित किया है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “नए कानून बनाना समय की आवश्यकता थी, आने वाले कल में ये नए कृषि कानून, किसानों के जीवन स्तर में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं. नए कृषि कानूनों के प्रति भ्रम को दूर करने के लिए मैं सभी किसान भाइयों और बहनों को चर्चा के लिए आमंत्रित करता हूं.”