संजय दत्त की बायोपिक ‘संजू’ ;मीडिया पर भड़ास निकाली
संजय दत्त की बायोपिक संजू की जबरदस्त कमाई दसवें दिन भी जारी है। ‘संजू’ ने देशभर में लगभग 265.97 करोड़ रुपए का कलेक्शन कर लिया है। फिल्म के डायरेक्टर राजकुमार हिरानी ने पर्दे पर संजय दत्त की लाइफ को उतारा लेकिन उनकी छवि चमकाने के लिए कई झूठ भी दिखाए हैं।
पिछले 5 सालों में ‘संजू’ बॉलीवुड की पांचवीं बायोपिक फ़िल्म है, जो किसी जीवित शख़्स पर बनायी गयी हो। यह सिलसिला 2013 में राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फ़िल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ से शुरू हुआ था, जिसने 103.50 करोड़ का बॉक्स ऑफ़िस कलेक्शन किया था और हिट रही थी।
फिल्म की कहानी अभिजात जोशी के साथ खुद हिरानी ने ही लिखी है. उन्हें पता है कि कैंसर से मां की मौत, बहनों को रेप की धमकी और बेटे के जेल में रहने पर तपती गर्मी में बाप का जमीन पर सोने जैसे दृश्य दिखाकर लोगों की सहानुभूति कैसे बटोरनी है. ये कहना गलत नहीं होगा कि ये फिल्म संजय दत्त की छवि बदलने के लिए बनाई गई है. खासकर संजय दत्त की खराब छवि के लिए पूरी तरह मीडिया को जिम्मेदार ठहराया है. देखकर लगता है कि फिल्म बनाई है या फिर मीडिया पर भड़ास निकाली है?
स्टारकास्ट: रणबीर कपूर, परेश रावल, मनीषा कोईराला, करिश्मा तन्ना, जिम सर्भ, विक्की कौशल, सोनम कपूर, अनुष्का शर्मा
डायरेक्टर: राजुकमार हिरानी
रेटिंग: **** (4 स्टार)
Sanju Movie Review and Ratings: बॉलीवुड में अब बायोपिक के मायने बदल रहे हैं. अब अगर किसी शख्सियत पर फिल्म बनाने की घोषणा हो तो इसका कतई मतलब ये नहीं होगा कि आप उनके बारे में कुछ अलग देख पाएंगे, बल्कि पब्लिक डोमेन में जो जानकारियां हैं उसी में मिर्च मसाला लगाकर परोसा जाएगा. संजय दत्त जैसे सेलिब्रिटी पर फिल्म बनाना आसान नहीं हैं. ऐसी फिल्मों के साथ कहांनियों में उलझ कर रह जाने का डर हमेशा रहता है. लेकिन यहां ‘संजू’ की कहानी पेश करने में राजकुमार हिरानी का नज़रिया बहुत साफ दिखता है. उन्होंने सिर्फ वही कहानी दिखाई है जो पहले से ही लोग देख चुके हैं. बस उसमें उन्होंने इमोशन का कॉकटेल मिला दिया है ये फिल्म ड्रग्स, अल्कोहल या फिर अफेयर के बारे में नहीं बल्कि बाप-बेटे की कहानी है
मैं बढ़िया, तु बढ़िया’, ‘रुबी-रुबी’ और ‘कर हर मैदान फतह’ जैसे फिल्म में कुल तीन गाने हैं लेकिन एक भी ऐसा नहीं है जो आपको आखिरी तक याद रह सके. हां फिल्म के आखिर में संजय दत्त और रणबीर कपूर के साथ में ‘बाबा बोलता है’ सॉन्ग आपको जरूर पसंद आएगा.
संजय दत्त की बायोपिक ‘संजू’ इसका ताजा उदाहरण है. इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार इसलिए भी था क्योंकि संजय दत्त की पूरी लाइफ ट्विस्ट एंड टर्न्स से भरी हुई है. बचपन से लेकर अब तक की उनकी ज़िंदगी पर नज़र डालेंगे तो शायद वो किसी फिल्म से भी ज्यादा दिलचस्प लगेगी. लेकिन जिस तरह से डायरेक्टर राजकुमार हिरानी ने ये फिल्म बनाई है उसे देखकर तो ऐसा साफ लग रहा है कि ये संजय दत्त की छवि सुधारने से ज्यादा कुछ भी नहीं.
ट्रेलर में संजय दत्त ने कहा था कि वो बेवड़े हैं, ठरकी हैं, ड्रग एडिक्ट हैं, पर टेररिस्ट नहीं हैं. इसी बात को फिल्म में पूरी शिद्दत के साथ साबित करने की कोशिश की गई है.
संजय दत्त की ज़िंदगी के बारे में अगर जानना हो तो एक फिल्म काफी नहीं है. ट्रेलर में संजय दत्त ने कहा था कि वो बेवड़े हैं, ठरकी हैं, ड्रग एडिक्ट हैं, पर टेररिस्ट नहीं हैं. इसी बात को फिल्म में पूरी शिद्दत के साथ साबित करने की कोशिश की गई है. इसमें संजय दत्त का पक्ष दिखाया गया है. मुख्य रूप से फिल्म में तीन पहलूओं को दिखाया है.
https://youtu.be/1J76wN0TPI4
हालांकि, अगर इसे नज़रअंदाज करें तो फिल्म में संजय दत्त की पूरी कहानी को बहुत ही इंटरटेनिंग तरीके से दिखाया गया है. डायलॉग्स अच्छे हैं, कहानी पर पकड़ मजबूत है और बेहतरीन अदाकारी की बदौलत इस फिल्म में आखिर तक दिलचस्पी बनी रहती है. रणबीर कपूर ने संजय दत्त की भूमिका निभाई है और अपने किरदार में ऐसे डूबे हैं कि आपका दिल जीत लेते हैं.
आखिर संजय दत्त कैसे ड्रग्स के चक्कर में फंस गए. वो छोड़ना चाहते थे लेकिन क्यों उससे निकलना नामुकिन लगा. जैसा कि फिल्म में एक डायलॉग भी है- ‘हर ड्रग एडिक्ट कोई ना कोई बहाना ढ़ूढता है नशे के लिए…’ संजय दत्त को भी ज़िंदगी ने कई वजहें दीं. सुनील दत्त और नरगिस दत्त जैसे पैरेंट्स हों तो बच्चों के लिए उस लेगेसी को आगे बढ़ाना कितना मुश्किल होता है ये भी बताने की कोशिश की गई है.
दिखाया गया है कि जब संजय दत्त जेल में थे तो तपती गर्मी में सुनील दत्त जमीन पर सोते थे. उन्हें लगता था कि बेटा भी तो वैसे ही सो रहा होगा. सुनील दत्त को टेररिस्ट का बाप बुलाया गया. उतनी मुश्किल घड़ी में भी उन्होंने संजय दत्त को बेल दिलाने के लिए उन्होंने कई बड़े राजनेताओं के चक्कर लगाए.
ड्रग्स, अफेयर से ज्यादा इसमें बाप-बेटे की कहानी दिखाई गई. कैसे पिता सुनील दत्त मुसीबत की हर घड़ी में संजय दत्त के साथ खड़े रहे. ड्रग्स की लत से कैसे निकाला. करियर पर संजय दत्त ध्यान दे सकें इसके लिए हर तरह का हथकंड़ा अपनाया. उन पर अंडरवर्ल्ड से संबंध रखने के आरोप लगते रहे हैं, उस पल उन्होंने संजय दत्त को कैसे सही रास्ता दिखाया. इस बात का एहसास आप एक दृश्य से कर सकते हैं जिसमें दिखाया गया है कि जब संजय दत्त जेल में थे तो तपती गर्मी में सुनील दत्त जमीन पर सोते थे. उन्हें लगता था कि बेटा भी तो वैसे ही सो रहा होगा. सुनील दत्त को टेररिस्ट का बाप बुलाया गया. उतनी मुश्किल घड़ी में भी उन्होंने संजय दत्त को बेल दिलाने के लिए उन्होंने कई बड़े राजनेताओं के चक्कर लगाए.
मुंबई अटैक के बाद संजय दत्त हथियार रखने के इल्जाम में टाडा के तहत गिरफ्तार हुए. बाद में टाडा से बरी कर आर्म्स एक्ट के तरह 6 सला की सजा सुनाई गई. फिल्म में ये दिखाया गया है कि जो हथियार उनके घर से मिले थे वो उनके पास कैसे पहुंचे. इस मामले में इमोशनल दलीलें भी रखी गई हैं जैसे ‘अगर मैं ब्लास्ट में इन्वॉल्व होता तो इंडिया वापस आता क्या?’ संजय दत्त ने घर में हथियार क्यों रखे इसके पक्ष में बहुत ही हल्की और हास्यास्पद दलील पेश की गई है. संजय दत्त के पिता को जान से मारने की धमकी से लेकर बहनों को रेप की धमकी तक… सब कुछ बहुत ही मार्मिक तरीके से पेश किया गया है. इसे फिल्माते वक्त इतनी चालाकी दिखाई गई है कि दर्शक के तौर पर शायद आप संजय दत्त के गुनाह को भूल जाएं या माफ कर दें.
इस फिल्म की जान रणबीर कपूर हैं जो हर सीन में जमे हैं. फिल्म में कई कमियां होने के बावजूद रणबीर कपूर की वजह से ये फिल्म मस्ट वॉच और शानदार है. फिल्म शुरु होने के बाद एक पल ऐसा आता है कि लगता नहीं कि आप संजय दत्त नहीं बल्कि रणबीर कूपर को देख रहे हैं. ‘बेशरम’, ‘रॉय’, ‘बॉम्बे वेलवेट’, ‘तमाशा’ और ‘जग्गा जासूस’ जैसी कई फ्लॉप फिल्में देने के बाद रणबीर के पास खुद को साबित करने के लिए इससे बेहतरीन फिल्म नहीं हो सकती थी. इसे देखने के बाद कोई शक नहीं कि ‘रॉकस्टार’ और ‘बर्फी’ के बाद ‘संजू’ ऐसी फिल्म है जो संजय दत्त के साथ-साथ रणबीर कपूर की किस्मत बदलने वाली है. ड्रग एडिक्ट का सीन हो या फिर ब्रेकअप इफेक्ट या फिर मां नरगिस की मौत के बाद लगा सदमा, हर सीन में रणबीर कपूर ने जान फूंक दी है. फिल्म में ह्यूमर भी है जिससे बोर होने का ज्यादा कुछ स्कोप नहीं दिखता.
रणबीर के अलावा सुनील दत्त की भूमिका में परेश रावल परफेक्ट लगे हैं. रणबीर और परेश रावल की जोड़ी बिल्कुल रीयल लगती है. शायद परेश रावल से बेहतर ये भूमिका कोई भी नहीं कर सकता. नरगिस के किरदार में मनीषा कोईराला हैं. उनको फिल्म में जितनी जगह मिली है वो बेहतरीन लगी हैं. उनके अलावा मान्यता की भूमिका में दीया मिर्जा को एकाथ ही डायलॉग्स मिले हैं. अनुष्का शर्मा उस लेखिका की भूमिका में हैं जिसे संजय अपनी बायोपिक लिखने के लिए अप्रोच करते हैं. सोनम कपूर का छोटा सा रोल है, जो फिल्म देखने के बाद तक याद भी नहीं रहता. खास दोस्त की भूमिका में जिम सर्भ और विक्की कौशल इंप्रेस करते हैं.
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