भाजपा नेता के खिलाफ कोर्ट का FIR का आदेश &चीन में कई नामचीन लोग गायब & दो सरकारी बैंक और एक सरकारी बीमा कंपनी के निजीकरण का फ़ैसला & TOP News 24 Nov. 21
24 Nov. 21: Himalayauk Leading Newsportal & Print Media
दो सरकारी बैंकों और एक सरकारी बीमा कंपनी के निजीकरण का फ़ैसला
केंद्र सरकार ने वित्तीय क्षेत्र में आर्थिक सुधार के अगले चरण के रूप में दो सरकारी बैंकों और एक सरकारी बीमा कंपनी के निजीकरण का फ़ैसला किया है। वह इसके अलावा आईडीबीआई बैंक के अपने पूरे शेयर बेच देगी। इसके लिए विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किए जाएंगे। अब देश में देश में कुल 12 सरकारी बैंक ही हैं। सरकार अब इनमें से दो बैंकों का निजीकरण करने जा रही है।
निजीकरण की यह सरकारी मुहिम उस योजना का हिस्सा है, जिसके तहत नरेंद्र मोदी सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में सरकारी उपक्रमों के अपने हिस्से बेच कर 1.75 लाख करोड़ रुपए उगाहने का लक्ष्य तय कर रखा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल बजट पेश करते समय एलान किया था कि दो सरकारी बैंकों का निजीकरण कर दिया जाएगा, लेकिन उन्होंने उन बैंकों के नाम नहीं बताए थे। लेकिन यह बहुत जल्दी साफ हो जाएगा क्योंकि सरकार को इससे जुड़े विधेयक पेश करने होंगे और उनमें उन बैंकों के बारे में बताना होगा।
सरकार ने इसी तरह एक बीमा कंपनी के निजीकरण की योजना बनाई है। समझा जाता है कि यह साधारण बीमा कंपनी होगी, शायद जनरल इंश्योरेंस आरई हो। समझा जाता है कि सरकार इसमें अपना पूरा हिस्सा बेच देगी, इस पर कैबिनेट कमेटी का फ़ैसला हो चुका है।
सरकार इसके जरिए बैंकिंग क्षेत्र में सुधार का दूसरा चरण शुरू करने जा रही है। पहले चरण के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगस्त 2019 में एलान किया था कि अलग-अलग रूप से 10 बैंकों का विलय किया जाएगा और उसके बाद 4 नए बैंक बनेंगे। इसके बाद कुल मिला कर 12 सरकारी बैंक होंगे। याद दिला दें किसी समय देश में कुल 27 सरकारी बैंक थे।
- यह प्रक्रिया 1 अप्रैल 2020 को पूरी हो गई। सके तहत पंजाब नेशनल बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ़ कॉमर्स और युनाइटेड बैंक का विलय कर एक बैंक बनाया गया।
- केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक का विलय कर एक बैंक बनाया गया।
- इंडियन बैंक और इलाहाबाद बैंक का विलय कर दिया गया।
- यूनियन बैंक. कॉरपोरेशन बैंक और आंध्रा बैंक का विलय कर एक बैंक बनाया गया।
कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज (First Information Report) करने का आदेश दिया
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा के लिए राजधानी दिल्ली से बुरी खबर आई है। भाजपा नेता संबित पात्रा के खिलाफ दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज (First Information Report) करने का आदेश दिया है। अब सबकी नजरें दिल्ली पुलिस पर लगी हैं कि कब वह भाजपा नेता संबित पात्रा के खिलाफ मामला दर्ज करती है। इसके साथ ही कोर्ट ने जांच में करने की बात कही है।
भाजपा नेता संबित पात्रा पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कथित रूप से फर्जी वीडियो इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट करने का आरोप लगा है। इसको लेकर मामला दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट पहुंचा तो मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में उचित धाराओं के तहत एफआइआर दर्ज करे। इसके साथ ही कोर्ट ने जांच का भी आदेश दिया है।
तथा कथित फर्जी वीडियो के इस मामले में आम आदमी पार्टी की नेता और विधायक आतिशी की शिकायत पर दिल्ली की तीस हजारों कोर्ट ने संबित पात्रा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। तीस हजारी कोर्ट के मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट ऋषभ कपूर ने पुलिस से इस मामले में उपयुक्त धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने का निर्देश दिया है।
आम आदमी पार्टीर की नेता और AAP आतिशी ने अदालत में दायर शिकायत में कहा था कि जनवरी में पात्र ने मुख्यमंत्री को बदनाम करने के लिए वीडियो पोस्ट किया था। इस बाबत पुलिस से शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि संबित पात्र ने अपने ट्विटर हैंडल से वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें अरविंद केजरीवाल को केंद्र के नए कृषि कानूनों की तारीफ करते दिखाया गया था। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक प्रेस कान्फ्रेंस कर उस वीडियो की सच्चाई बताई थी।
चीन में कई नामचीन लोग अचानक हुए गायब
चीन में और कई नामचीन महिलाएं गायब हो चुकी हैं। वर्ष 2017 में चीन की कारोबारी महिला वेइहांग भी लापता हो गई थीं। वेइहांग के पति ने चीन के समृद्ध वर्गों में भ्रष्टाचार का खुलासा किया था।
मार्च 2020 में राष्ट्रपति शी चिनफिंग की निंदा करने के बाद रियल एस्टेट के कारोबारी रेन झिक्यिआंग गायब हो गए थे। इसके बाद उनको भ्रष्टाचार के मामले में फंसाकर 18 वर्ष की सजा दी गई।
इसके पूर्व चीन के प्रमुख कारोबारी व ई-कामर्स कंपनी अलीबाबा ग्रुप के फाउंडर जैक मा और लोकप्रिय अभिनेत्री फान बिंगबिंग को भी चीनी सत्ता के खिलाफ बोलने की सख्त सजा मिल चुकी है। जैक का कसूर सिर्फ इतना ही था कि उन्हाेंने अक्टूबर 2020 में एक भाषण में नियामकों को बहुत रूढ़िवादी बताया था। सरकार की निंदा के बाद जैक सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए।
चीन अपनी आक्रामकता के लिए जगजाहिर है। उसकी यह आक्रामकता न केवल देश के बाहर बल्कि देश के अंदर भी दिखती है। कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ आवाज उठाने पर चीन में सख्त सजा दी जाती है। हाल ही में चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के एक शीर्ष अधिकारी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई के गायब होने की खबर सुर्खियों में थी। अब संयुक्त राष्ट्र ने चीन की महिला पत्रकार एवं पूर्व वकील झांग झान के उत्पीड़न पर चिंता जाहिर की है। पेंग और झांग के मामले में एक बार फिर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की तानाशाही पर सवाल उठने लगे हैं। खास बात यह है कि ये चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर यह आरोप तब लग रहे हैं जब अमेरिका एवं पश्चिमी देश चीन में मानवाधिकार उल्लंघन और कोरोना की उत्पत्ति को लेकर चीन पर सवाल उठा रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने झांग को लेकर यह चिंता तब जाहिर की है, जब अमेरिका चीन को कोरोना के प्रसार के लिए दोषी मान रहा है। इस मामले में बाइडन प्रशासन अपने पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन का अनुसरण कर रहा है। अमेरिका कई बार चीन की सरकार पर निष्पक्ष जांच में बाधा उत्पन्न करने का आरोप लगा चुका है। ऐसे में झांग का मामला और गंभीर हो सकता है। बता दें कि झांग पेशे से पत्रकार हैं। कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने चीन के वुहान शहर में रिर्पोटिंग की थी। उनकी रिपोर्ट से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी नाखुश थी। चीन की सरकार ने झांग को जेल में डाल दिया तब वह अन्याय के खिलाफ जेल में भूख हड़ताल पर बैठ गईं। अब उनकी हालत काफी नाजुक है। उनको नाक के जरिए तरल पदार्थ दे रहे हैं।
38 वर्षीय झांग झान ने फरवरी 2020 में वुहान में महामारी के प्रबंधन को लेकर सवाल खड़े किए थे। झांग ने बाकयदा इसका वीडियो भी बनाया था। रिपोर्ट पेश करने पर उन्हें मई 2020 में हिरासत में ले लिया गया। इसके बाद सरकारी कामकाज में बाधा डालने के आरोप में झांग को चार सालों की सजा सुनाई गई। झांग ने ट्विटर पर लिखा है कि आने वाली सर्दी के मौसम में शायद वह जिंदा न रहें। उनकी इस ट्विटर के बाद अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गुरुवार को चीन की सरकार से झांग को तुरंत रिहा करने की मांग की। एमनेस्टी के कंपेनर ग्वेन ली ने एक बयान में कहा कि झांग को हिरासत में लिया जाना ‘मानवाधिकारों पर एक शर्मनाक हमला है।
हाल में चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के एक शीर्ष अधिकारी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई के गायब होने की खबर सुर्खियों में है। पेंग के गायब होने के साथ ही एक बार फिर चीन की सत्ता पर आसीन कम्युनिस्ट पार्टी चर्चा में थी। पेंग ने कम्युनिस्ट पार्टी की सबसे शक्तिशाली पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष और सदस्य झांग गाओली पर उत्पीड़न का आरोप लगाया था। वर्ष 2013 के विंबलडन में महिला डबल्स में और 2014 के फ्रेंच ओपन में जीतने वाली दुनिया की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी पेंग तीन बार ओलंपिक में भी भाग ले चुकी हैं। बीजिंग में 4 फरवरी से विंटर गेम की शुरुआत होनी है और इस लिहाज से पेंग का लापता होना और चर्चा में है।
दो नंवबर को पेंग उस समय सुर्खियों में आईं जब उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने उत्पीड़न का एक लंबा पोस्ट लिखा। झांग ने तील साल पहले जबरन उनके साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की, जबकि वह बार-बार मना करती रहीं। हालांकि, यह पोस्ट सोशल मीडिया प्लेटफार्म वीबो पर उनके वेरिफाइड अकाउंट से जल्द ही हटा दी गई। लेकिन अब इस सनसनीखेज खुलासे के स्क्रीनशाट चीन में इंटरनेट पर फैल गए हैं।
त्रिपुरा में ‘राजनीतिक हिंसा’ – पाँच राज्यों में चुनावी नतीजों पर असर पड़ेगा
त्रिपुरा में ‘राजनीतिक हिंसा’ से बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी की छवि को कितना नुक़सान हो रहा है? बीजेपी के विधायकों से बेहतर कौन जान सकता है! त्रिपुरा में बीजेपी विधायकों ने आशंका जताई है कि राज्य में राजनीतिक हिंसा ने पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुंचाया है और इससे पाँच राज्यों में चुनावी नतीजों पर असर पड़ेगा।
राज्य में राजनीतिक हिंसा को लेकर बीजेपी विधायक सुदीप रॉय बर्मन और आशीष कुमार साहा ने मंगलवार को मीडियाकर्मियों से कहा, ‘पैराट्रूपर नेता अपने निजी एजेंडे और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के बीच अपनी लोकप्रियता के लिए माकपा से बीजेपी में आए गुंडों का इस्तेमाल उत्सव की तरह मनाए जाने वाले चुनाव को खौफ के माहौल में बदलने के लिए कर रहे हैं। उनके दिन गिनती के हैं।’
हालाँकि दोनों विधायकों ने किसी का नाम लेकर यह हमला नहीं किया, लेकिन समझा जाता है कि वे बीजेपी नेता और राज्य के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब पर निशाना साध रहे थे।
उनका यह बयान तब आया है जब त्रिपुरा में हाल में कई जगहों पर हिंसा हुई थी। तृणमूल कांग्रेस राज्य में विस्तार में लगी और वह आरोप लगाती रही है कि टीएमसी को रैली व सभाएँ नहीं करने दी जा रही हैं और उसपर हमले किए जा रहे हैं।
त्रिपुरा में 25 नवंबर को नगर निकाय चुनाव होने हैं। माकपा, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने अपने उम्मीदवारों को डराए और धमकाए जाने का आरोप लगाया है। माकपा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
इन्हीं हलचलों के बीच सुदीप रॉय बर्मन और आशीष कुमार साहा राजनीतिक हिंसा को लेकर मंगलवार को मीडियाकर्मियों से रूबरू हुए थे। उन्होंने कहा कि हमने रविवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को अवगत कराया है। इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इन नेताओं ने सवाल किया कि क्या बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले 44 महीनों में विकास किया है। उन्होंने कहा, ‘त्रिपुरा में इतनी राजनीतिक हिंसा के बावजूद राज्य के गृह मंत्री ने कोई बयान नहीं दिया है। पुलिस शक्तिहीन औजार बन गई है। माकपा के गुंडे पार्टी में आ गए और उनका राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।’
बीजेपी नेताओं ने कहा, ‘त्रिपुरा में चुनाव उत्सव जैसा है, लेकिन इस बार 25 नवंबर को होने वाले निकाय चुनावों में आतंक का राज है।’
बिप्लब देब के ख़िलाफ़ लंबे समय से कुछ विधायकों में असंतोष व्याप्त है। पिछले साल अक्टूबर में कम से कम 7 विधायक मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब को बदलने की माँग को लेकर दिल्ली में पहुँच गए थे। ये विधायक बिप्लब कुमार देब को ‘तानाशाह’, ‘अनुभवहीन’ और ‘अलोकप्रिय’ होने का आरोप लगा रहे थे। उन सभी विधायकों का नेतृत्व सुदीप रॉय बर्मन कर रहे थे। इस विरोध को तब शांत कराया जा सका था जब केंद्रीय नेतृत्व ने दखल दिया था।
कंगना रनौत के ख़िलाफ़ मंगलवार को सिख समुदाय की धार्मिक भावनाएँ आहत करने के लिए एफ़आईआर दर्ज
लगातार विवादों में रहने वाली कंगना रनौत के ख़िलाफ़ मंगलवार को सिख समुदाय की धार्मिक भावनाएँ आहत करने के लिए एफ़आईआर दर्ज की गई है। कंगना ने इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर सिख समुदाय के लोगों के लिए आपत्तिजनक बातें लिखी थीं।
यह एफ़आईआर अमरजीत सिंह संधू ने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के साथ मिलकर दर्ज कराई है। 21 नवंबर को शिकायत दी गई थी। उसके अनुसार, उन्हें कंगना रनौत की प्रोफाइल पर अंग्रेजी और हिंदी में लिखी एक आपत्तिजनक पोस्ट मिली थी। एफ़आईआर में कहा गया है कि उस पोस्ट से सिख धर्मावलंबियों की भावनाएँ आहत हुई हैं।
महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने आपत्तिजनक बयान के मामले में एफ़आईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसके बाद रिपोर्ट आई थी कि खार पुलिस स्टेशन में कंगना के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज की जा रही है।
कंगना ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा था, ‘खालिस्तानी आतंकवादी आज सरकार की बांहें मरोड़ सकते हैं… लेकिन हमें एक महिला को नहीं भूलना चाहिए। वह अकेली महिला प्रधानमंत्री थी, जिसने इन्हें अपनी जूतियों के नीचे कुचल दिया था। … अपनी जान की कीमत पर उन्हें मच्छरों की तरह कुचल दिया… लेकिन देश को टुकड़े-टुकड़े नहीं होने दिया… उनकी मृत्यु के दशकों बाद भी…उनका नाम सुनकर कांपते हैं… उन्हें उनके जैसे गुरुओं की ज़रूरत है।’
कंगना के इस बयान पर दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने कहा था कि कंगना रनौत ने जानबूझ कर ऐसा किया है और पूरे सिख समुदाय को अपमानित किया है। इसके अध्यक्ष और अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी इस अभिनेत्री के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत की थी।
हाल ही में कंगना रनौतने महात्मा गांधी पर भी एक बेहद आपत्तिनजक टिप्पणी की थी। कंगना ने महात्मा गांधी का नाम लिए बिना कहा, “जिन लोगों ने देश की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी, उन्हें उन लोगों ने अपने मालिकों को सौंप दिया जिनके पास अत्याचार करने वालों से लड़ने की हिम्मत नहीं थी लेकिन वे सत्ता के भूखे और चालाक लोग थे।”
कंगना की यह टिप्पणी उनके एक अन्य विवादित टिप्पणी की प्रतिक्रिया में आई थी। तब उन्होंने ‘टाइम्स नाउ टीवी’ के एक कार्यक्रम में 1947 में मिली आज़ादी को ‘भीख में मिली आज़ादी‘ बताया था और कहा था कि असली आज़ादी 2014 में मिली। 2014 में ही देश में मोदी सरकार सत्ता में आई थी।
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