13 अप्रैल, शुक्रवार; बडा विचित्रता से भरा दिन- शुभ और अशुभ दोनो
13 अंक का मतलब है कि आपका कठिन समय शुरू हो गया है और आगे चलने वाले रास्ते पर खतरा ही खतरा है #सदपुरूषो के लिए शुभ तथा निदनीयो के लिए अशुभ समय #हिमालयायूके न्यूज पोर्टल # वैशाख मास -आज 13 अप्रैल, शुक्रवार ; इसी मास में भगवान विष्णु के अवतार जिनमें नर-नारायण, भगवान परशुराम, नृसिंह अवतार और ह्यग्रीव आदि अवतार अवतरित हुए थे। मान्यता है कि देवी सीता भी इसी मास में धरती माता की कोख से प्रकट हुई थी।
वही शनिवार 14 अप्रैल का दिन बहुत सारे संयोग एकसाथ लेकर आ रहा है। प्रात: 8 बज कर 12 मिनट पर सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेगा। भारत रत्न डा. बाबा साहिब भीम राव अम्बेदकर जी की जयंती। दमदमा साहिब में मेला गुरु की काशी और खालसा पंथ साजना दिवस रहेगा।
बैशाखी को सूर्य की संक्रांति होती है। इस दिन सूर्यदेव एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन दान का भी विशेष महत्व है। बौद्ध समुदाय के लोगों का मानना है कि इसी दिन भगवान बुद्ध ने आत्मज्ञान की प्राप्ति की थी।
उल्लास, उमंग और खुशियों का त्योहार बैसाखी, रबी की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। इसी दिन गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की। सामाजिक भेदभाव को खत्म करने के लिए पंज प्यारों के हाथों से अमृत चखकर सिंह की उपाधि धारण की। इसके बाद ही सिखों के लिए केश, कंघा, कड़ा, कच्छा और कृपाण धारण करना अनिवार्य किया गया।
हिंदुओं के लिए यह त्योहार नववर्ष का आरंभ है। केरल में यह त्योहार विशु के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर फूल, फल, अनाज, वस्त्र, सोना आदि सजाए जाते हैं और सुबह इसके दर्शन किए जाते हैं। इस दिन बोहाग बिहू असमिया नववर्ष की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है।
वैशाख भारतीय पंचांग के अनुसार वर्ष का दूसरा माह है। चैत्र पूर्णिमा के बाद आने वाली प्रतिपदा से वैसाख मास का आरंभ होता है। धार्मिक और सांस्कृतिक तौर पर वैशाख महीने का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। वैशाख मास में धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नानादि का भी महत्व माना जाता है। वैशाख मास का महत्व इसलिये भी माना जाता है क्योंकि इसी मास में भगवान विष्णु के अवतार जिनमें नर-नारायण, भगवान परशुराम, नृसिंह अवतार और ह्यग्रीव आदि अवतार अवतरित हुए थे। मान्यता है कि देवी सीता भी इसी मास में धरती माता की कोख से प्रकट हुई थी।
आज 13 अप्रैल, शुक्रवार है। दुनिया के अनेक देशों में इस दिन को (13 तारीख+शुक्रवार) अशुभ माना जाता है। इसे Friday the 13th कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जिस शुक्रवार को 13 तारीख का योग बनता है, उस दिन कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। टैरो ज्योतिष में 13 को मौत का अंक माना गया है। मौत से यहां मतलब आने वाले मुश्किल समय है। यानी 13 का अंक जीवन में आने वाली परेशानियों के बारे में संकेत करता है। 13 अंक का मतलब है कि आपका कठिन समय शुरू हो गया है और आगे चलने वाले रास्ते पर खतरा ही खतरा है।
ईसाई धर्म के लोग इसे शैतान का दिन भी कहते हैं। भारत में रहने वाले क्रिश्चियन कम्युनिटी के लोग भी इसे अशुभ दिन मानते हैं। 13 नंबर से कई अंधविश्वास जुड़े हैं। न्यूमरोलॉजी में इसे अपूर्ण माना गया है। इसका कारण है कि 13 अंक 12 के बाद आता है, क्योंकि इसे किसी भी नंबर से भाज्य (डिवाइड) नहीं किया जा सकता। इसलिए इस नंबर में संतुलन की कमी मानी जाती है। वहीं कुछ समय पहले तक रोम में फांसी की सजा शुक्रवार को देने का चलन था। एक शताब्दी पहले तक अमेरिका में भी यही परंपरा थी। इसलिए ये मान्यता प्रचलित हो गई कि 13 नंबर और शुक्रवार का योग अशुभ होता है। दुनिया के अनेक देशों में 13 नंबर का खौफ इस कदर है कि 13 तारीख को लोग यात्रा करने से बचते हैं, कोई जरूरी काम न हो तो घर से भी नहीं निकलते। कुछ देशों में बिल्डिंग्स में 13 नंबर का फ्लोर और फ्लैट भी नहीं होते। ईसाई धर्म में भी 13 तारीख को अशुभ माना गया है। ईसाई धर्म के लोग मानते हैं कि यह वही तारीख है जब ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था।
वैशाख मास का नामकरण
हिंदू पंचांग में चंद्रमास के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं। जिस मास की पूर्णिमा जिस नक्षत्र में होती है उसी के अनुसार माह का नाम पड़ा है। वैशाख मास की पूर्णिमा विशाखा नक्षत्र में होने के कारण इस मास का नाम वैशाख पड़ा। वर्ष 2018 में वैशाख मास की शुरुआत 1 अप्रैल से होगी, 30 अप्रैल को वैशाख पूर्णिमा के साथ ही वैशाक माह का समापन होगा।
वैशाख मास के व्रत व त्यौहार
ईस्टर – ईसा मसीह के पुन: जीवित हो उठने की खुशी में ईस्टर का त्यौहार गुड फ्राइडे के बाद आने वाले रविवार को मनाया जाता है। गुड फ्राइडे 30 मार्च को मनाया जा रहा है। इसके पश्चात रविवार का दिन 1 अप्रैल को है। इस कारण ईस्टर इस बार 1 अप्रैल को मनाया जा रहा है।
वरुथिनी एकादशी – वैसाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरूथिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। वरुथिनी एकादशी का व्रत 12 अप्रैल को मंगलवार के दिन है।
मेष संक्रांति और बैसाखी या वैशाखी
वैसाख मास के लगते ही जब सूर्य मेष राशि में आते हैं तब मेष संक्रांति मानी जाती है। इसी संक्रांति के दिन वैशाखी का त्यौहार भी मनाया जाता है जो कि हर्षोल्लास के साथ उत्तर भारत विशेषकर पंजाब व हरियाणा में मनाया जाता है। यह त्यौहार अक्सर 13 अप्रैल को मनाया जाता है लेकिन चूंकि संक्रांति 14 अप्रैल को हो रही है इस कारण यह पर्व 14 अप्रैल को भी मनाया जा रहा है।
वैसाख अमावस्या – अमावस्या को स्नान दान व तर्पण के लिये बहुत ही शुभ माना जाता है। वैशाख अमावस्या 16 अप्रैल को है। इस दिन सोमवार होने से यह सोमवती अमावस्या भी है जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
अक्षय तृतीया – वैसाख मास का सबसे महत्वपूर्ण पर्व अक्षय तृतीया का ही माना जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहा जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण ने अवतार लिया था। भगवान विष्णु के ही अन्य अवतार भगवान परशुराम की जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है। इस कारण यह बहुत ही सौभाग्यशाली दिन माना जाता है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य को करने के लिये बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है। अक्षय तृतीया अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 18 अप्रैल को है।
सीता नवमी – वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी मनायी जाती है। मान्यता है कि इस दिन माता सीता धरती मां की कोख से प्रकट हुई थी जो हल जोतते समय मिथिला नरेश जनक को मिली थी और जनकपुत्री के रूप में जानी गई। माता सीता को मां लक्ष्मी का ही अवतार माना जाता है जिन्होंने भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री राम के लिये अवतार धारण किया। सीता नवमी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 24 अप्रैल को मनाई जा रही है।
मोहिनी एकादशी – वैशाख शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। मोहिनी एकादशी का उपवास भी बहुत खास माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा उपासना व व्रत आदि का विधान है। मोहिनी एकादशी 26 अप्रैल को है।
वैशाख पूर्णिमा – पूर्णिमा चंद्र मास का अंतिम दिन माना जाता है। पूर्णिमा को उपवास रखने का विधान भी माना जाता है। वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। वैशाख मास की पूर्णिमा 30 अप्रैल को है।
अपनी राशि के अनुसार उपाय कर ग्रह दोष दूर होगे
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