विशेष योग -24 मई -गंगा दशहरा

24 मई को इस बार गंगा दशहरा #इस दिन गंगा मइया का धरती पर अवतरण हुआ था #इस बार गंगा स्नान के दिन विशेष योग बन रहा है #पानी का दान जरूर करना चाहिए #जिनके परिवारों पर पितरों का श्राप है उन्हें कम से कम 10 लीटर पानी बाटना चाहिए #’ऊं नमह शिवाये नारायनये दशहराये गंगाये नमह’ का जाप करना चाहिये # गंगा दशहरा 24 मई को, पीपल पर गंगा जल चढ़ाने से दूर हो सकता है शनि दोष# जिस घर में निगेटिव शक्ति का असर हो, वहां सुबह-शाम गंगा जल छिड़कने से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है #गंगा जल को हमेशा पूजा स्थान पर रखना चाहिए, ऐसा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है#शिवलिंग का अभिषेक गंगा जल से करने पर सभी सुखों की प्राप्ति होती है# व्यापिनी ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र कालीन स्वर्ग से गंगा नदी का धरती पर अवतरण हुआ था। धरती पर बढ़ रहे पापों का नाश करने के लिए पतित पावनी गंगा भागीरथ के तप से धरती पर आईं।

 

गंगा दशहरा प्रति वर्ष ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। इस दिन लोग दान पुण्‍य करते हैं और गंगा स्‍नान कर के मां गंगा का आर्शिवाद लेते हैं। पुराणों में कहा गया है कि जो भी व्‍यक्‍ती गंगा दशहरा के दिन ये सभी काम करेगा उसे सभी तरह के पापों से मुक्‍ति‍  मिलेगी।  

ष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को ही गंगा धरती पर आई थी। इसलिए इस दिन गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान व पूजन से दस प्रकार के पापों (तीन कायिक, चार वाचिक व तीन मानसिक) का नाश होता है। इसीलिए इसे दशहरा कहते हैं-

ज्येष्ठे मासि सिते पक्षे दशमी हस्तसंयुता।
हरते दश पापानि तस्माद् दशहरा स्मृता।।
(ब्रह्मपुराण)

मां गंगा में स्‍नान करने से मोक्ष की प्राप्‍ती होती है, पाप का नाश होता है और सभी कष्‍टों से जीवनभर के लिये मुक्‍ती मिल जाती है। हर की पौड़ी की महिमा इतनी ज्‍यादा है कि बताया जाता है कि इस जगह पर भगवान श्री कृष्‍ण आए थे, पदचिह्न आपको एक पत्‍थर पर मिल जांएगे। वे लोग जो नहीं जानते कि उन्‍हें इस दिन क्‍या दान देना चाहिये तो उनकी जानकारी के लिये बता दें कि इस दिन उन्‍हें सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करना चाहिये। साथ ही इस दिन हर किसी को श्री विष्‍णु  के नाम का व्रत भी करना चाहिये। 

यदि गंगा दशहरा का पूरा फल लेना है तो गंगा दशहरा के दिन गंगा स्‍नान जरूर करें। गंगा दशहरा के दिन मां गंगा की पूजा की जाती है और गंगा स्तोत्र पढ़ा जाता है। जो लोग इस दिन गंगा स्‍नान करते हैं उन्‍हें सभी पापों से मुक्‍ती मिलती है।  

भगीरथ इक्ष्वाकुवंशीय सम्राट दिलीप के पुत्र थे, जिन्होंने घोर तपस्या से गंगा को पृथ्वी पर अवतरित किया और कपिल मुनि के शाप से मुक्ति दिलाकर 60 हजार सागर पुत्रों का उद्धार किया। भागीरथ के इनके नाम पर ही गंगा को ‘भागीरथी’ कहा जाता है। गंगावतरण की इस घटना का क्रमबद्ध वर्णन वायुपुराण (47,37), विष्णुपुराण (4.4.17), हरवंश पुराण (1.15), ब्रह्मवैवर्त पुराण(1.0), महाभारत (अनु. 126.26), भागवत (9.9) आदि पुराणों तथा वाल्मीकीय रामायण (बाल., 1.42-44) में मिलता है। 

ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गंगा का धरती पर हस्त नक्षत्र में अवतरण हुआ था। पुराणों के अनुसार इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। साथ ही इस दिन गंगा की विशेष पूजा अर्चना और भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। गंगा दशहरा पर दान और उपवास का बड़ा महत्व होता है। दस तरह के पापों को हरने के कारण इसे दशहरा कहते हैं। इन दस तरह के पापों में तीन कायिक, चार वाचिक और तीन मानसिक पाप होते हैं।

इस साल ज्येष्ठ मास अधिकमास है, इसलिए अधिकमास की शुक्लपक्ष की दशमी को गंगादशहरा मनाया जाएगा। जिस वर्ष अधिकमास हो तो उस वर्ष अधिकमास में ही गंगा दशहरा माना जाता है न कि शुद्धमास में। इस दिन व्यक्ति गंगाजी या पास में स्थिति किसी पवित्र नदी में स्नान और पूजन करने की परंपरा है। गंगा स्नान करते समय ऊं नम: शिवाय नारायण्यै दशहरायै गंगायै नम: का जप करना चाहिए।

गंगा के महत्व के बारे में स्कन्दपुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी मानी गई है इसमें स्नान और दान तो विशेष करके करें। इसमें स्नान, दान, रूपात्मक व्रत होता है। किसी भी नदी पर जाकर अर्घ्य (पू‍जादिक) एवं तिलोदक (तीर्थ प्राप्ति निमित्तक तर्पण) अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने वाला महापातकों के बराबर के दस पापों से छूट जाता है। यदि ज्येष्ठ शुक्ला दशमी के दिन मंगलवार रहता हो व हस्त नक्षत्र युता तिथि हो यह सब पापों के हरने वाली होती है।
वराह पुराण में लिखा हुआ है कि, ज्येष्ठ शुक्ला दशमी बुधवारी में हस्त नक्षत्र में श्रेष्ठ नदी स्वर्ग से अवतीर्ण हुई थी वह दस पापों को नष्ट करती है। इस कारण उस तिथि को दशहरा कहते हैं। ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, बुधवार, हस्त नक्षत्र, गर, आनंद, व्यतिपात, कन्या का चंद्र, वृषभ के सूर्य इन दस योगों में मनुष्य स्नान करके सब पापों से छूट जाता है।
भविष्य पुराण में लिखा हुआ है कि, जो मनुष्य इस दशहरा के दिन गंगा के पानी में खड़ा होकर स्कंद पुराण में वर्णित गंगा दशहरा स्तोत्र को दस बार पढ़ता है तो चाहे वो दरिद्र हो, चाहे असमर्थ हो वह भी प्रयत्नपूर्वक गंगा की पूजा कर उस फल को पाता है।

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