कर्नाटक निवासी अरमर ग्लोबल टेररिस्ट करार
अमेरिका ने भारत और पड़ोसी देशों (इंडियन सबकॉन्टिनेंट) में ISIS के चीफ रिक्रूटर मोहम्मद शफी अरमर (30) को ग्लोबल टेररिस्ट करार दिया है। अरमर भारत से जुड़ा ऐसा पहला आतंकी है, जिस पर अमेरिका ने सैक्शन्स लगाए हैं। कर्नाटक का रहने वाला है अरमर… कर्नाटक के रहने वाले मोहम्मद शफी अमरान को अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया है। शफी अरमान पर भारत की नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के लिए काम करने का मामला दर्ज किया था। अमेरिका के वित्त मंत्रालय की तरफ से गुरुवार (15 जून) को जारी किए गए बयान में शफी अरमान को विशेष तौर पर तैनात अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी कहा गया है। बयान के अनुसार शफी अरमान से किसी भी तरह का “लेन-देन या कारोबार” करना प्रतिबंधित है।
अमेरिकी मंत्रालय ने शफी अरमान के साथ ही इस्लामिक स्टेट से जुड़े तीन अन्य आतंकवादियों इसा अल-बिनाली (बहरीन), उमर अल-कुबैसी (इराक) और ओसमा अहमद अतर (बेल्जियम) को भी “विशेष तौर पर तैनात अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी” घोषित किया है। अमेरिकी प्रशासन ने पिछले कुछ महीनों में करीब एक दर्जन आतंकवादियों को अंतरराष्ट्रीय आंतकवादी घोषित किया है।
खुफिया एजेंसी के सूत्रों के अनुसार इन चारों आतंकवादियों के आपस में जुड़े होने के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं है। सूत्रों के अनुसार अल-बिनाली बहरीन के गृह मंत्रालय में अधिकारी के तौर पर काम कर चुका है। वो साल 2014 में इस्लामिक स्टेट के एक वीडियो में नजर आया था जिसमें उसने रियासत के लोगों से बगावत की अपील की थी। अल-कुबैसी की वित्तीय लेन-देन कराने वाली कंपनी अल-कवतार पर भी गुरुवार को प्रतिबंध लगााया गया है। कुबैसी की कंपनी ने साल 2015 और 2016 के दौरान इस्लामिक स्टेट का 2.5 करोड़ डॉलर का वित्तीय प्रबंधन संभाला था।
अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने अपने बयान में ये नहीं बताया है कि उसने शफी अरमान एवं अन्य आतंकवादियों को किस आधार पर ग्लोबल आतंकवादी घोषित किया है। सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार अमेरिकी सरकार के बयान से लगता है कि वो शफी अरमार को आंतकवादियों को पैसा मुहैया कराने वाले के तौर पर देखते हैं न कि सीधे आतंकवादी कार्रवाई को अंजाम देने वाले के रूप में।
साल 2015 में भारतीय जांच एजेंसी एनआईए ने शफी अरमार ने नाम बदलकर मुंबई के मुदब्बीर अहमद शेख से संपर्क किया था। अहमद शेख पर 10 लाख डॉलर से भारत में इस्लामिक स्टेट का नेटवर्क तैयार करने की कोशिश का मामला चल रहा है। कुछ मीडिया रिपोर्ट में शफी अरमान की पिछले साल एक हवाई हमले में मौत की गलत खबर भी चली थी।
न्यूजएजेंसी के मुताबिक, अमेरिका ने अपनी स्पेशियली डेजिगनेटेड ग्लोबल टेररिस्ट (SDGT) में अरमर का नाम शामिल किया है। बता दें कि अरमर मूल रूप से कर्नाटक के भटकल का रहने वाला है। अरमर के खिलाफ इंटरपोल भी रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर चुका है। अरमर को छोटे मौला, अनजान भाई और यूसुफ अल-हिंदी के नाम से भी जाना जाता है।
अरमर का नाम अमेरिका की ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल ऑफ द यूएस ट्रेजरी डिपार्टमेंट की लिस्ट में भी शामिल किया है, ताकि उस पर इकोनॉमिक सैंक्शन्स लगाए जा सकें। अमूमन ये सैक्शन्स देशों या फिर टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन्स और नारकोटिक्स ट्रैफिकर्स (नशे का कारोबार करने वाले) पर लगाए जाते हैं। ये पहली बार है जब अमेरिका ने भारत के किसी ISIS आतंकी के खिलाफ सैंक्शन लगाए हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, अरमर भारत में फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन (FTO) में आतंकियों की भर्ती करने वाला चीफ था। “उसने सैकड़ों ISIS सिम्पैथाइजर्स तैयार किए। इन्हीं लोगों ने भारत में आतंकी गतिविधियां मसलन हमले का प्लॉट तैयार करना, हथियार मुहैया कराना और हमले की जगह देखना शुरू किया।”
अरमर ने कहा था कि भारत में इंडियन मुजाहिदीन (IM) पर कार्रवाई के बाद वह अपने बड़े भाई के साथ पाकिस्तान चला गया भटकल भाइयों के झगड़े के बाद (इसमें IM का फाउंडर रियाज भी शामिल है) अरमर ने अंसार-उल-तौहीद संगठन बनाया, जो बाद में ISIS से जुड़ गया। ऐसी भी कई रिपोर्ट्स आई थीं कि अरमर ड्रोन अटैक में मारा गया। हालांकि, हर बार इंटेलिजेंस एजेंसियों इस दावे की विश्वसनीयता परखी अरमर टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट है। उसने फेसबुक और दूसरी मैसेंजर सर्विस के जरिए भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश में यूथ्स का ब्रेनवॉश किया और आतंकियों की भर्ती की। ISIS से उसका जुड़ाव तब सामने आया, जब 2013 में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार यासीन भटकल से पूछताछ की गई। अरमर पहली बार तब जांच एजेंसियों के रडार पर आया था, जब NIA ने मध्य प्रदेश के रतलाम में ISIS संदिग्धों की जांच शुरू की थी। NIA की पूछताछ में संदिग्धों ने माना था कि अरमर भारत में मुसलमानों को ISIS की तरफ मोटिवेट करने का काम करता है।
######कर्नाटक के भटकल का रहने वाला अरमार तीन भाइयों में दूसरे नंबर का है. उसने सबसे पहले अपने बड़े भाई सुल्तान अरमार के साथ इंडियन मुजाहिदीन ज्वाइन किया था. दोनों को रियाज भटकल ने आईएम में शामिल किया था. सुल्तान जहां आतंकी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल होता था वहीं शफी उसके सहयोगी के तौर पर काम करता था.
बाद में रियाज भटकल के बड़े भाई इकबाल भटकल को लेकर हुए विवाद और पैसों में गड़बड़ी के बाद अरमार बंधुओं ने आईएम का साथ छोड़ दिया. दोनों आईएस और अल-कायदा में से किसी एक को ज्वाइन करने के बारे में सोचने लगे.
ऐसे जुड़े आईएस से
जब अरमार बंधुओं ने आईएम छोड़ा तब आईएसआईएस तेजी से बढ़ रहा था. ऐसे में दोनों ने आईएस ज्वाइन करने का फैसला किया. इसके बाद दोनों आईएसआईएस से जुड़े लिटरेचर पोस्ट करने लगे. धीरे-धीरे वे आईएस के टॉप नेताओं की नजर में आए और जब ग्लोबल इस्लामिक काउंसिल शुरू हुआ तो उसके लिए अरमार बंधु उनकी पसंद बन गए. इसके बाद सुल्तान ने आईएसआईएस के साथ मिलकर लड़ने का फैसला किया वहीं शफी ने ऑनलाइन गतिविधियों में शामिल होने का फैसला किया.
रिकॉर्ड नहीं
शफी के खिलाफ आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का कोई रिकॉर्ड नहीं है. वह ज्यादातर ऑनलाइन गतिविधियों में ही शामिल रहा है. शफी का नाम पहली बार साल 2014 में सामने आया जब राजस्थान में एक आतंकी गुट का पर्दाफाश हुआ था. इसके बाद साल 2015 में मध्यप्रदेश के रतलाम में एक आतंकी समूह का पर्दाफाश हुआ था तब इसके मुखिया ने बताया था कि वह शफी के संपर्क में है. शफी एक ऐसा मॉड्यूल तैयार कर रहा है जिसके जरिए ऐसे युवा आईएसआईएस से जुड़ सकें जो इसकी विचारधारा को मानते हैं लेकिन सीरिया या ईराक नहीं जाना चाहते.
कहां है इसका पता नहीं
शफी कहां है फिलहाल इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. भटकल में रहने वाले उसके परिजनों का कहना है कि वह और सुल्तान सालों पहले घर से चले गए थे. उसके बाद से उन दोनों के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. वहीं सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पिछले सात सालों में उसे पाकिस्तान, सउदी अरब, ओमन और अफगानिस्तान में ट्रेस किया गया है. फिलहाल उसके सीरिया में होने की संभावना है.
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