आरती मे कपूर का अदभुत महात्मय ; स्कंद पुराण में भगवान की आरती के संबंध में कहा गया है
14 MAY 2023#आरती करने के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना चाहिए. #आरती मे कपूर का अदभुत महात्मय: मंदिर मे आरती के लिए कपूर दे कर पुण्य अर्जित करे: आइये, कपूर का महात्मय जानते है: चंद्रशेखर
By Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030
स्कंद पुराण में भगवान की आरती के संबंध में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता ,पूजा की विधि भी नहीं जानता हो, लेकिन भगवान की हो रही आरती और उस पूूजन कार्य में श्रद्धा के साथ शामिल होकर आरती करें,तो भगवान उसकी पूजा को पूरी तरह से स्वीकार कर लेते हैं
स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने कहा है कि जो व्यक्ति घी के दीपक से आरती करता है वो कोटि कल्पों तक स्वर्गलोक में निवास करता है. जो व्यक्ति मेरे समक्ष हो रही आरती के दर्शन करता है, उसे परमपद की प्राप्ति होती है और अगर कोई व्यक्ति कपूर से आरती करता है तो उसे अनंत में प्रवेश मिलता है.
आरती में कपूर जलाने से व्यक्ति के पूर्वज काफी प्रसन्न होते हैं। कपूर जलाने से आसपास के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि देवी-देवता की आरती में कपूर जलाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है
व्यक्ति अपने जीवन में धार्मिक पथ पर चलने लगता है। और वह समाज कल्याण के कार्यों में लग जाता है। इससे उसे समाज में काफी मान-सम्मान हासिल होता है। साथ ही उस पर ईश्वर की कृपा भी बनी रहती है।
धुप, कपूर और लौंग से आरती करना बहुत शुभ होता है।
आरती में अदिकतर लोग घी का दिया जलाकर आरती करते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं। धूप, लाल बत्ती, कपूर और लौंग से आरती करना बहुत शुभ होताहै
कैसी हो आरती की थाली
आरती के लिए तांबे, पीतल और चांदी की थाली का प्रयोग करें. स्टील की थाली या स्टील के दीपक का प्रयोग नहीं करना चाहिए. आरती करने के लिए पीतल या चांदी के दिए का इस्तेमाल करें .यदि ये नहीं है तो मिट्टी या फिर आटे के बने दिए का उपयोग किया जा सकता है. आरती की थाली में कर्पूर, रोली, कुमकुम, अक्षत, पुष्प, प्रसाद और धूप, दीप को व्यवस्थित रूप से रखें.
दीपक घुमाने का सही तरीका क्या होता है. इसलिए भगवान की आरती करते वक्त दीपक को घुमाने के तरीके और संख्या पर विशेष ध्यान रखना चाहिए.
भगवान की आरती सबसे पहले भगवान के चरणों से शुरू करनी चाहिए. सबसे पहले आरती उतारते समय चार बार दीपक को सीधी दिशा में घुमाएं. उसके बाद ईश्वर की नाभि के पास दो बार आरती उतारें, तत्पश्चात सात बार भगवान के मुख की आरती उतारें.
आरती लेने का सही तरीका ये होता है कि आरती की लौ को हाथ से लेकर पहले सिर पर घुमाएं और उसके बाद उस आरती की लौ को अपने माथे की ओर धारण करें.
मंदिरों में 5, 7, 11, 21 या 31 बातियों से आरती की जाती है
सबको भेजे जानकारी — चंद्रशेखर जोशी