GST पर सवालिया निशान लगा दिये वर्ल्ड बैंक ने
वर्ल्ड बैंक ने बुधवार यानि 14 मार्च को ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट’ को लेकर छमाही रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार की अति महत्तवकांशी कर सुधार प्रणाली यानी गॅुडस एण्ड सर्विस टैक्स (GST) पर सवाल या निशान खड़े कर दिए है।
दरअसल वर्ल्ड बैंक ने जीएसटी को भारत में लागू करने को लेकर कहा है कि यह एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है। विश्व बैंक के अनुसार दुनिया के 115 देशों में से भारत में टैक्स रेट दूसरा सबसे ऊंचा है।
दुनिया में GST के अन्तर्गत पांच स्लैब बनाने वाले भारत समेत पांच देश हैं जिनमे इटली, लक्जेम्बर्ग, पाकिस्तान और घाना जैसे देश मौजूद है। बता दें कि चारो देशो कि अर्थव्यवस्था डांवाडोल है।
ओर वहीं दूसरी तरफ दुनिया के 49 देशों में GST के तहत एक और 28 देशों में दो स्लैब है। गौरतलब है कि मोदी सरकार के द्वारा 1 जुलाई 2017 को अमल में लाए गए GST के ढांचे में पांच स्लैब बनाए गए है। सभी वस्तुओं और सेवाओं को इसी दायरे में रखा गया है।
लेकिन सरकार ने कुछ वस्तुओं और सेवाओं जैसे अल्कोहल, पेट्रोलियम उत्पाद, रियल एस्टेट पर स्टाम्प ड्यूटी और बिजली बिल को GST के दायरे से बाहर रखा है। भारत इनमें सबसे ज्यादा स्लैब वाला देश है।
पिछले साल नंवबर में हुई GST कांउसिल की बैठक में 28 फीसदी के स्लैब को लेकर महत्तवपूर्ण फैसला लिया गया था। पहले GST के दायरे में 228 वस्तुओं व सेवाओं को रखा गया था, जिसे बाद में चौतरफा विरोद्ध के बाद घटाकर 50 कर दिया गया।
वर्ल्ड बैंक ने टैक्स रिफंड की धीमी गति को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की है। इसके इलावा रिपोर्ट में GST कर प्रणाली के प्रावधानों को अमल में लाने पर होने वाले खर्च को लेकर भी सवाल उठाए गए है।
वर्ल्ड बैंक ने अपने अनुभवों के आधार पर भविष्य में स्थिति में सुधार आने की उम्मीद जताई है। रिपोर्ट में टैक्स रेट की संख्या कम करने और कानूनी प्रावधान व प्रक्रियाओं को सरल बनाने की सिफारिश की गई है।
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