जीएसटी की वजह से विजय रथ लड़खड़ा गया ?
#मोदी का विजय रथ लड़खड़ा गया # मोदी का गुजरात में चुनाव प्रचार का पहला दिन कई संकेत दे गया # बीजेपी को अपनी आसान नहीं दिखती # मेरी स्थिति खराब है# पटेल फैक्टर के अलावा दलित फैक्टर भी भाजपा के खिलाफ #कारोबारी नाखुश बीजेपी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं को लोगों की नाराजगी ने विजय रथ को लडखडा दिया #दलित समुदाय अभी भी गुजरात में कांग्रेस के साथ ज्यादा दिख जाता है# मोदी ने स्वीकारा कि जीएसटी से जनता नाराज है, # वरुण गांधी तथा मोदी विरोधी रूख अपनाये हुए भाजपा नेता कांग्रेस से चुनाव मैदान में हो सकते है 2019 में- इनमें से कई तो जिताऊ चेहरे है # www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal)
जीएसटी की वजह से मोदी का विजय रथ लड़खड़ा गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात में चुनाव प्रचार का पहला दिन कई संकेत दे गया है. इसने बीजेपी के खेमे के मौजूदा हालात की भी झलक दिखा दी है. प्रधानमंत्री मोदी की पहली चुनावी रैली भुज से संकेत गया कि गुजरात के मोर्चे पर बीजेपी को अपनी आसान नहीं दिखती.
वही दूसरी ओर पटेल फैक्टर के अलावा दलित फैक्टर भी भाजपा के खिलाफ जा रहा है,
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी का एक कथित ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह सुरेंद्रनगर से नरेश संगीतम से बात कर रहे हैं। इस ऑडियो में रुपाणी कह रहे हैं कि मेरी स्थिति खराब है। बातचीत में विजय रुपाणी कह रहे हैं कि मैं अभी देश में इकलौता जैन मुख्यमंत्री हूं। उन्होंने कहा कि मुझे नरेंद्र भाई का फोन आया था, उन्होंने बताया कि 5 फीसदी जैन होने के बाद भी हमने जैन मुख्यमंत्री बनाया।
BIG BREAKING;
2019 में- वरुण गांधी तथा मोदी विरोधी रूख अपनाये हुए भाजपा नेता कांग्रेस से चुनाव मैदान में हो सकते है इनमें से कई तो जिताऊ चेहरे है
वही एक बडी खबर के अनुसार इंडिया टुडे वेबसाइट पर छपी खबर के अनुसार अटकलें लगाई जा रही हैं कि राहुल गांधी अपने कजिन भाई और बीजेपी सांसद वरुण गांधी का भारत की सबसे पुरानी पार्टी इंडियन नेशनल कांग्रेस में स्वागत कर सकते हैं। आगामी 2019 के लोकसभा चुनावों में एक सदस्य या पदाधिकारी के तौर पर वरुण गांधी को कांग्रेस कार्यकारिणी में शामिल किया जा सकता है। प्रियंका गांधी के समर्थन से वरुण गांधी और राहुल गांधी को पार्टी का मजबूत हिस्सा बनाया जा सकता है क्योंकि प्रियंका के वरुण के साथ बहुत ही अच्छा रिश्ता है। वरुण गांधी को बीजेपी से बाहर लाने और उन्हें कांग्रेस में शामिल करने में प्रियंका एक मुख्य स्रोत बन सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो करीब 35 साल के बाद नेहरु-गांधी परिवार की एकता फिर से कायम होगी।
कयास है कि भाजपा के अनेक नाराज नेता कांग्रेस से चुनाव मैदान में उतर सकते है, उनके मोदी विरोधी रूख को देखते हुए भाजपा से टिकट मिलना मुश्किल है, ऐेसे में नाराज भाजपा नेताओं का एक बडा गुप कांग्रेस से चुनाव मैदान में उतर सकता है,
आत्मविश्वास से भरे राहुल गांधी वही खुद भाजपा को अपनी राह उतनी आसान नहीं दिख रही, जीएसटी की वजह से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर वही कारोबारी नाखुश हैं. वही सूत्रो का कहना है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं को लोगों की नाराजगी ने विजय रथ को लडखडा दिया है, उत्तर प्रदेश के चुनाव को देखते हुए भाजपा गुजरात में भी कुछ अति ही आत्मविश्वास से भरी हुई थी, बाद में अहसास हुआ तो जनता के बीच दौडे, भाषण में बदलाव हुआ, अपनी रैलियों में मोदी ने जीएसटी को अपने भाषण में सबसे आखिर में रखा. विकास, गुजराती अस्मिता और अपने गुजरात के बेटे होने की बातों पर जोर देते रहे. वो पुरानी बातों से नया माहौल बनाने में जुटे रहे. जीएसटी को लेकर लोगों की नाराजगी भुनाने की राहुल गांधी की कोशिश को नाकाम करने की जोरदार कोशिशे की गई,
जीएसटी का असर बीजेपी की चुनावी फसल पर पडना तय मान कर यह भी स्वीकार कर लिया कि जीएसटी से जनता नाराज है, मोदी ने जनता को यह भी याद दिलाया कि वो लोगों की नाराजगी समझते हैं. लोगों की मांग के मुताबिक बदलाव भी करने को राजी हैं. मोदी ने अपने भाषण के आखिर में जिस तरह जीएसटी का जिक्र किया मोदी इस मोर्चे पर बहुत सावधानी से काम ले रहे हैं.
पूरे गुजरात में दलितों का आंदोलन जिस अंदाज में चला उसके बाद इस बार के चुनाव में दलित-फैक्टर भी सामने आ गया. जिग्नेश मेवानी के नेतृत्व में कांग्रेस को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन देने की कोशिश ने दलित समुदाय को कांग्रेस के और करीब ला दिया है.
हालांकि संघ की तरफ से दलित समुदाय को अपनी तरफ जोड़ने की पहल लगातार होती रही है, लेकिन, दलित समुदाय अभी भी गुजरात में कांग्रेस के साथ ज्यादा दिख जाता है.
जिग्नेश मेवानी जैसे दलित आईकॉन लगातार बीजेपी सरकार के दौरान हो रहे अत्याचार और दलित-उत्पीड़न को लेकर इस बार सवाल खड़े कर रहे हैं. निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे जिग्नेश मेवाणी को कांग्रेस का समर्थन दलित सियासत को साधने की कोशिश के तौर पर ही दिखता है. उना कांड के बाद चर्चा में आए दलित विचार मंच के जिग्नेश मेवानी को उना के ये दलित अपना हीरो मान रहे हैं. इनके भीतर जिग्नेश से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने की बात कही जा रही है. अपने अधिकारों और अपने लिए इंसाफ की मांग को लेकर उना के ये दलित आंदोलन पर उतारु होने की बात कर रहे हैं.
पूरे गुजरात में दलित समुदाय का वोटिंग प्रतिशत महज सात फीसदी है जो कि राष्ट्रीय औसत के करीब आधा है. देश भर में दलितों का वोटिंग प्रतिशत 16 फीसदी के आस-पास है. दलितों की तादाद के हिसाब से बात करें तो दलित समुदाय गुजरात की राजनीति में उस कदर प्रभावी नहीं रहा है.
दलित नेता जिग्नेश मेवानी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है। गुजरात के बनासकांठा जिले की वडगाम सीट से जिग्नेश मेवानी निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। जिग्नेश का कांग्रेस पूरी तरह समर्थन कर रही है। इस सीट पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार नहीं उतारकर उनका पूरा तरह समर्थन कर रही है। मेवानी ने सोशल मीडिया से इसकी घोषणा की है। गुजरात में दलितों पर हमलों का विरोध कर जिग्नेश मेवानी चर्चा में आ गए थे। जिग्नेश मेवानी ने दलितों पर हमलों के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया और भाजपा के खिलाफ लडऩे का संकल्प लिया है। मेवानी के अलावा पटेलों के आरक्षण की मांग कर रहे है पटेल आरक्षण समिति के संयोजक हार्दिक पटेल भी राहुल गांधी के साथ आ चुके हैं और कांग्रेस को पूरी तरह समर्थन की बात कह चुके हैं। हार्दिक ने एक प्रेसवार्ता कर कहा था कि कांग्रेस ने आरक्षण को लेकर हमारी कई शर्तें मान ली हैं इसलिए हम उन्हें समर्थन देने का एलान कर रहे हैं।
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