गुजरात में अग्निपरीक्षा का वक्त
धर्म का कार्ड सावधानी से खेल रही हैं दोनो पार्टियां– #राहुल ने मंच पर पंडितों से आशीर्वाद लिया और पूजा की. वही हार्दिक पटेल ने लिखा- बीजेपी को वोट देना असफल और विनाशकारी साबित वही कमल हसन के लेेेेख सेे हंगामा मच गया; दक्षिण भारतीय फिल्मों के बड़े अभिनेता और राजनीति में एंट्री की तैयारी कर रहे कमल हासन के एक लेख से हंगामा मच गया है. अपने इस लेख में कमल हासन ने हिंदू आतंकवाद का जिक्र करते हुए कहा है कि आप कह नहीं सकते कि हिंदू आतंकवाद नहीं है.
वही अक्षरधाम के बहाने पाटीदारों को रिझाने, पटाने की भरपूर कोशिश की जा रही है- पाटीदार गुजरात में हमेशा से बीजेपी का वोटबैंक रहे हैं, लेकिन 2015 में हार्दिक पटेल के आरक्षण आंदोलन के बाद से पाटीदार बीजेपी से नाराज बताए जा रहे हैं. गुजरात में कुल 15% पाटीदार हैं, इनमें से ज्यादातर स्वामीनारायण संप्रदाय से जुड़े हुए माने जाते हैं. स्वामीनारायण संप्रदाय के मौजूदा प्रमुख भी पटेल हैं. जानकारों के मुताबिक सिर्फ पटेल ही नहीं बल्कि स्वामीनारायण संप्रदाय को मानने वालो में पिछड़े वर्ग के लोग भी शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में अहमदाबाद पहुंच गए हैं. स्वामीनारायण संप्रदाय का अक्षरधाम मंदिर आज अपनी सिल्वर जुबली मनाने जा रहा है. गुजरात में अगले महीने विधानसभा के चुनाव हैं और राज्य में पाटीदार समुदाय इन दिनों बीजेपी से नाराज़ चल रहा है. इसलिए पीएम मोदी के इस दौरे के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. गांधीनगर का अक्षरधाम मंदिर 1992 में बनकर तैयार हुआ था. अक्षरधाम मंदिर का निर्माण स्वामीनारायण संप्रदाय की बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण ने करवाया था. स्वामीनारायण संप्रदाय की शुरूआत 1801 में गुजरात के आनंद के पास बोचासन गांव में हुई थी, जो पटेलों का गढ़ था. स्वामीनारायण संप्रदाय की संस्था के दुनियाभर में 3850 केंद्र हैं. दुनिया भर में स्वामीनारायण संप्रदाय के 1100 मंदिर हैं. दिल्ली और गांधीनगर के अक्षरधाम मंदिर भारत में सबसे बड़े और मशहूर माने जाते हैं.
हिमालयायूके न्यूज पोर्टल ब्यूरो रिपोर्ट-
पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने एक बार फिर बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए लिखा है कि बीजेपी को वोट देना असफल और विनाशकारी साबित हुआ है.
उन्होंने गुरुवार को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट पर ट्वीट किया, ‘नरेन्द्र मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी को वोट देने का हमारा प्रयोग पूरी तरह असफल और विनाशकारी साबित हुआ !!’
इससे पहले कांग्रेस और पाटीदार अनामत आंदोलन समिति की बैठक में चार मुद्दों पर सहमति बनी थी. हालांकि आरक्षण के मुद्दे पर कोई हल नहीं निकल सका था. कांग्रेस ने कहा कि संवैधानिक तरीके से आरक्षण लागू करने के लिए वह कानूनी सलाह लेगी.
गुजरात में हार्दिक पटेल के लिए ये अग्निपरीक्षा का वक्त है. वो अच्छी तरह जानते हैं कि पाटीदार समाज उनके साथ है. लेकिन कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी साथ रहेगा इसमें संशय है. यही वजह है कि उन्होंने 3 नवंबर तक का अल्टीमेटम दिया है.
धर्म का कार्ड सावधानी से खेल रही हैं दोनो पार्टियां-
गुजरात चुनाव में इस बार बीजेपी-कांग्रेस की लड़ाई का मुद्दा कहने को विकास है लेकिन अंदर की अंदर दोनों पार्टियां सावधानी से धर्म का कार्ड खेल रही हैं. गुजरात में बीजेपी की मजबूती के पीछे हिन्दू ध्रुवीकरण एक बड़ा फैक्टर है, उसकी काट के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी अपने दौरे में मंदिरों में जा रहे हैं. आज पीएम नरेंद्र मोदी अक्षरधाम मंदिर में एक कार्यक्रम में शामिल हुए तो कल भरूच में राहुल गांधी को आशीर्वाद देने मंच पर पंडित जा पहुंचे. अहम बात ये भी है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में भी कांग्रेस अब 2002 दंगों की बात नहीं कर रही है. माना जा रहा है कि ये सब सॉफ्ट हिंदुत्व की रणनीति के तहत किया जा रहा है.
वही दिसंबर में होने वाले गुजरात चुनाव से पहले राहुल गांधी तीन दिनों के गुजरात दौरे पर हैं. इस बार वे दक्षिण गुजरात में पार्टी के लिए प्रचार कर रहे हैं. कांग्रेस ने राहुल के प्रचार अभियान को नवसृजन यात्रा का नाम दिया है. इसके तीसरे चरण के पहले दिन बुधवार को भरूच के जम्बुसर की सभा में राहुल गांधी ने दावा किया कि वोटिंग के दिन बीजेपी को करंट लगेगा. लेकिन इस जोशीले भाषण से पहले राहुल ने मंच पर पंडितों से आशीर्वाद लिया और पूजा की.
राहुल के मंच पर पहुंचे पंडित जम्बुसर के स्थानीय मंदिरों के पुजारी हैं. पंडित ओमकार गिरी कहना है कि वो और दो अन्य पंडित अपनी मर्जी से मंच पर गए थे. उनका कार्यक्रम राजनीतिक उद्देश्य से नहीं था. लेकिन ये समझना मुश्किल नहीं है कि क्या वाकई कोई पंडित अपनी मर्जी से SPG सुरक्षा घेरे में रहने वाले राहुल गांधी तक पहुंच सकता है? जाहिर है कार्यक्रम सोच समझ कर पहले से बना होगा. अहम बात ये है कि जिस इलाके में ये सभा हो रही थी वो एक मुस्लिम बहुल इलाका था और राहुल को सुनने के लिए भीड़ में भी ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोग थे. ऐसे में भी राहुल के मंच पर पंडितों का आना क्या संदेश देता है. राहुल अपने भाषणों में 2002 दंगों की बात भी नहीं कर रहे. गुजरात में लगभग 10 फीसदी मुस्लिम आबादी है. इस वर्ग का ज्यादातर वोट कांग्रेस को ही जाता है. लेकिन पिछले चुनावों में हिंदुत्व कार्ड के सहारे बीजेपी को ध्रुवीकरण का फायदा मिलता रहा है. कांग्रेस की रणनीति साफ है कि गुजरात में 22 सालों के बीजेपी शासन के संभावित एन्टी इनकंबेंसी को वोटरों के धार्मिक ध्रुवीकरण से हर हाल में बचाया जाए. शायद इसलिए राहुल हिन्दू वोटबैंक को लुभाने की कोशिश में दिख रहे हैं. नवसृजन यात्रा की शुरुआत भी उन्होंने मंदिरों में पूजा पाठ से की थी. ये सिलसिला यात्रा के तीसरे चरण में जारी है. गुरुवार को राहुल को तापी जिले के उनाई माता मंदिर में आना था. हालांकि रायबरेली हादसे के कारण उन्हें कार्यक्रम बदलना पड़ा. बीजेपी को राहुल की इस रणनीति का एहसास है. प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार शाम अहमदाबाद के अक्षरधाम मंदिर के एक कार्यक्रम में शामिल हुए. अब भगवान का आशीर्वाद किसे मिलता है ये चुनाव के नतीजों से ही स्पष्ट होगा.
पटेल मुखिया हुए अलग
इसके अलावा कुछ पाटीदार मुखियाओं ने बुधवार को अहमदाबाद में बैठक करके हार्दिक पटेल से अलग होने का फैसला कर लिया है. पटेल ऑर्गेनाइजेश कमेटी ने मिलकर यह फैसला लिया है कि हार्दिक ने पटेल समाज को गुमराह किया है.
पाटीदार मुखियाओं ने यह भी आरोप लगाया है कि हार्दिक पटेल कांग्रेस का मोहरा बन चुके हैं. लिहाजा अब उनका साथ नहीं दिया जाएगा. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की तरफ से कांग्रेस को पाटीदारों के आरक्षण के मुद्दे पर अपना नजरिया साफ करने के लिए दिया गया अल्टीमेटम गुजरात की सियासत को नया मोड़ दे सकता है. हार्दिक ने तीन नवंबर तक कांग्रेस को पाटीदारों के आरक्षण के मुद्दे पर खुलकर अपनी राय रखने को कहा है.
कमल हासन ने तमिल साप्ताहिक पत्रिका आनंदा विकटन के लेख में लिखा है, ‘’कोई नहीं कह सकता कि हिंदू आतंकवाद का वजूद नहीं है. हिंदू कट्टरपंथी पहले बातचीत में यकीन रखते थे, लेकिन अब हिंसा में शामिल हैं. लोगों की ‘सत्यमेव जयते’ में आस्था खत्म हो चुकी है.’’ कमल हासन के इस लेख के बाद बीजेपी और आरएसएस से जुड़े लोगों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. आरएसएस के विचारक राकेश सिन्हा ने कमल हासन से उनके इस बयान पर माफी मांगने को कहा है. राकेश सिन्हा ने ट्वीट कर कहा है, ‘कमल हासन समझ नहीं पाए कि हिंदुत्व को गाली देकर में राजनीति सफलता पाने का युग गया. अपनी उत्तेजक/हिंसक बातों के लिए माफ़ी मांगे.”
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