गुजरात चुनाव का दबाव – ‘पद्मावती’ रिलीज टलने के आसार
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फिल्म पद्मावती लगातार विवादों में है. इसे लेकर बवाल मचा हुआ है. राजपूत समाज इस फिल्म को लेकर नाराज़ है और अब ये एक सियासी मुद्दा बन गया है. एक तबका जहां फिल्म के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है वहीं एक तबका ऐसा भी है जो फिल्म के समर्थन में है. अब इस मुद्दे के संवेदनशीलता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई को तैयार हो गया है. विरोध करने वालों का कहना है कि फिल्म में महारानी पद्मावती का चित्रण सही ढ़ंग से नहीं किया गया है और इतिहास के साथ भी छेड़छाड़ की गई है.
फिल्म के खिलाफ राजस्थान से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन समूचे गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक तक फैल चुका है. यह बहुत भव्य और महंगी फिल्म है. इसमें काफी मेहनत, समय और पैसा लगा है. ‘पद्मावती’ जैसी कोई महंगी फिल्म शादी की उम्र के लायक बेटी के समान होती है. इसे समय पर रिलीज करने का आप पर दबाव होता है.’’ फिल्म प्रदर्शक अक्षय राठी ने कहा कि मौजूदा हालात में बातचीत ही एकमात्र तरीका है. ये फिल्म एक दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है.
गुजरात चुनाव के चलते फिल्म ‘पद्मावती’ की रिलीज के टलने के आसार हैं. सेंसर बोर्ड ने ‘पद्मावती’ फिल्म को वापस लौटा दिया है. अधूरे आवेदन के आधार पर फिल्म को लौटा दिया गया है. गुरुवार को ही ‘पद्मावती’ फिल्म सर्टिफिकेशन के लिए सेंसर बोर्ड के पास आई थी. सीबीएफसी के अनुसार मुद्दा सुलझाने के बाद बोर्ड के पास फिल्म भेजे जाने पर तय मानदंडों के मुताबिक एक बार फिर इसकी समीक्षा की जाएगी. गौरतलब है कि फिल्म के रिलीज से पहले ही कई राजपूत समूह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. मेरठ में क्षत्रिय समाज के ठाकुर अभिषेक सोम ने फिल्म पद्मावती का विरोध करते हुए विवादित बयान दिया है. उन्होंने अभिनेत्री दीपिका पादुकोण और संजय लीला भंसाली की गर्दन काटने वाले को 5 करोड़ रुपए देने का एलान किया है. फिल्म पद्मावती की अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को करणी सेना की धमकी के बाद मुंबई में दीपिका के घर की सुरक्षा बढ़ाई गई है और बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. फिल्म पद्मावती के विरोध में बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी के संगठन विराट हिंदू संगम ने पटना के करगिल चौक पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन कारियों ने संजय लीला भंसाली और दीपिका पादुकोण का पुतला फूंका.
राजपूत रानी पद्मिनी पर आधारित दीपिका पादुकोण-रणवीर सिंह-शाहिद कपूर अभिनीत फिल्म पर 150 करोड़ रुपये का दांव लगा है. रानी पद्मिनी का वर्णन मलिक मोहम्मद जायसी के 16वीं सदी के ऐतिहासिक काव्य ‘पद्मावत’ में मिलता है.
वही दूसरी ओर कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी ही पार्टी के सांसद शशि थरूर को फटकार लगाई है। सिंधिया ने कहा कि भारत के महाराजाओं पर बयान देने से पहले उन्हें इतिहास पढ़ना चाहिए। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समाचार एजेंसी एएनआई को कहा, ‘मैं समझता हूं कि उन्हें इतिहास का अध्ययन करना चाहिए, मैं ज्योतिरादित्य सिंधिया हूं और मुझे अपने विरासत और इतिहास पर गर्व है।’ ज्योतिरादित्य सिंधिया का ये बयान तब आया है जब शशि थरूर ने एक बयान में कहा था कि, ‘ आज जिन ‘तथाकथित जाबांज महाराजाओं’ जो कि एक फिल्मकार के पीछे पड़े हैं और दावा कर रहे हैं कि उनका सम्मान दांव पर लग गया है, ये वही राजा- महाराजा उस समय भाग खड़े हुए थे जब ब्रिटिश शासकों ने उनके मान सम्मान को ‘रौंद’ दिया था। बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का परिवार मध्य प्रदेश में राजाओं के परिवार से आता है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी मध्य प्रदेश में महाराजा कहकर पुकारा जाता है। शशि थरूर के इस बयान पर विवाद होने के बाद उन्होंने इस पर सफाई दी और इसके पीछे बीजेपी का हाथ बताया। थरूर ने कहा, ‘कुछ भाजपाई अंधभक्तों द्वारा साज़िशन झूठा प्रचार किया जा रहा है कि मैंने राजपूत समाज के सम्मान के ख़िलाफ़ टिप्पणी की है। मैंने राष्ट्र हित में अंग्रेज़ हुकूमत के कार्यकाल का विरोध करते हुए उन राजाओं की चर्चा की थी जो स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेज़ के साथ थे।’ थरूर ने ट्विट कर सफाई दी और कहा, ‘ मैं यह भी निर्भीक होकर कहूँगा की भारत की विविधता व समरस्ता के मद्देनजर राजपूत समाज की भावनाओं का आदर किया जाना सबका कर्तव्य है। राजपूतों की बहादुरी हमारे इतिहास का हिस्सा है व इस पर कोई प्रश्न नहीं उठा सकता। भाजपा व उसके सेन्सर बोर्ड को इन भावनाओ का सम्मान करना चाहिए।’