गुजरात विधानसभा चुनाव; टेंशन कम होने की जगह बढ़ती दिखाई दे रही हैं
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में नवसृजन यात्रा कर रहे हैं। इस दौरान राहुल गांधी राज्य की भाजपा सरकार, केंद्र सरकार, पीएम मोदी और अमित शाह पर लगातार निशाने साध रहे हैं। छोटा उदयपुर जिले में छात्रों को संबोधित करते हुए शिक्षा के लिए उचित फंड मुहैया नहीं कराने पर राज्य सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार छात्रों का भविष्य सुरक्षित नहीं करना चाहती। राहुल ने कहा, ‘गुजरात में जो भी गलत हो रहा है, उसे बदलने के लिए कांग्रेस आ रही है।’
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गुजरात में टेंशन बढती दिख रही है, वही अमित शाह के बेटे केस दर्ज कराकर अदालत ही नही गये, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह द्वारा न्यूज पोर्टल के खिलाफ दायर किए गए आपराधिक मानहानि के मुकदमे की बुधवार को सुनवाई होनी थी लेकिन मेट्रोपॉलिटिन अदालत को आज सुनवाई स्थगित करनी पड़ी। वजह बनी शिकायतकर्ता के वकील के अदालत में उपस्थित न होना। इस वजह से सुनवाई स्थगित की गयी।
गुजरात विधानसभा; भाजपा की टेंशन कम होने की जगह बढ़ती दिखाई दे रही हैं।
वही दूसरी ओर गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा की टेंशन कम होने की जगह बढ़ती दिखाई दे रही हैं। गुजरात की कुल आबादी करीब 6 करोड़ 27 लाख है और इसमें पटेल समुदाय की भागेदारी करीब 20 फीसदी है। मौजूदा गुजरात सरकार के 120 विधायकों में से करीब 40 विधायक, 7 मंत्री और 6 सांसद पटेल समुदाय से हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी के गुजरात के सीएम से देश का पीएम बन जाने के बाद से पाटीदारों पर बीजेपी की पकड़ कमजोर हुई है।
पटेल समुदाय एक दौर में कांग्रेस के पक्के समर्थक थे लेकिन 1980 के दशक में कांग्रेस ने आरक्षण के समीकरणों और इंदिरा के ‘गरीबी हटाओ’ नारे को देखते हुए अपना ध्यान क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी व मुस्लिम की तरफ कर दिया। इससे नाराज पटेल भाजपा के खाते में छिटक गए। साल 1995 में केशुभाई पटेल ने इन्हें भाजपा के और ज्यादा करीब लाकर खड़ा कर दिया।
पहले राज्य में बिगड़ते राजनीतिक समीकरण और अब पाटीदारों की नाराजगी का कम न होना पीएम मोदी के साथ भाजपा के रणनीतिकारों बेरीकेटिंग काम कर रही है। जबकि गुजरात की सियासत में पाटीदारों के कद की बात करें तो एेसा वर्ग है जो हमेशा किंग मेकर की भूमिका में रहता है। जो किसी भी पार्टी का राजनीतिक खेल बनाने और बिगाड़ने की खासी कुवत रखते हैं लेकिन मौजूदा हालात में ये पाटीदार इस दफा भाजपा के लिए मुसीबत का सबब बनते दिखाई दे रहे हैं।
गुजरात के लगभग 4200 उद्योगों में से 1700 उद्योग पाटीदारों के अधीन है। गुजरात की 1.50 करोड़ पाटीदार जनसंख्या में से आधे पाटीदार करोड़पति है। इसके वर्तमान बीजेपी सरकार में भी 40 विधायक और 7 मंत्री इसी समुदाय से आते हैं लेकिन राज्य में पिछले दशकों में 60 हजार उद्योग बंद हो गए और उसका इंपेक्टी पटेल समुदाय पर ज्यांदा हुआ। इसी तरह दक्षिण गुजरात में डायमंड इंडस्ट्रीक का डिक्लापइन हुआ और उसका भी प्रभाव इन पर हुआ। इसी वजह है कि ये लोग जो आरक्षण मांग रहे हैं।
पाटीदार समुदाय बीजेपी का परंपरागत मतदाता माने जाते हैं। जबकि अगस्त 2015 में हार्दिक पटेल के नेतृत्व में हुए आरक्षण आंदोलन से पाटीदार समुदाय बीजेपी से नाराज माने जा रहे हैं। पाटीदार समुदाय की नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा हरसंभव कोशिश में जुटी है लेकिन 26 महीने के बाद भी पटेल समुदाय का गुस्सा कम होता दिखाई नहीं दे रहा है। इसमें पाटीदार आंदोलन के अगुआ हार्दिक भी भरकस प्रयास में लगे हैं कि इस पटेलों का समर्थन भाजपा को न मिले। इसके चलते पिछले दिनों उन्होंने पिछले दिनों तो उन्होंने संकल्प यात्रा भी निकाली थी। विजय रुपाणी के नेतृत्व वाली गुजरात की भाजपा सरकार ने पटेल को साधने के लिए तमाम घोषणाएं कर रखी है। इसमें अनारक्षित केटेगरी में आने वाले समुदायों के लिए आयोग के गठन के साथ, पाटीदार युवाओं के खिलाफ पुलिस मामलों को वापस लेने और आंदोलन में मारे गए लोगों के परिवारों को नौकरी और मुआवजा देना शामिल है। इसी क्रम में भाजपा ने सरदार पटेल के गांव करमसद से ‘मिशन गुजरात’ का आगाज किया लेकिन पाटीदार समुदाय ने कई जगहों पर गौरव यात्रा का विरोध किया। मंगलवार को तो गौरव यात्रा में कुर्सियां फेंकीं और जमकर विरोध किया।
राहुल गांधी ने विकास को लेकर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर निशाना भी साधा। उन्होंने कहा, ‘मोदीजी ने आदिवासियों और गरीबों से इतना झूठ बोला कि विकास पागल हो गया। मोदीजी ने विकास को जिस पागलखाने में भेजा है, उसे कांग्रेस वापस लेकर आएगी। आपकी नई सरकार ‘पीएम की मन की बात’ की नहीं होगी, अगली सरकार ‘आपके मन की बात’ की होगी। कांग्रेस ने गुजरात को मनरेगा के लिए 35 हजार करोड़ रुपए दिए थे। इन्होंने उसे नैनो प्लांट पर खर्च कर दिया। क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 35 हजार करोड़ रुपए के मनरेगा फंड से कितने लाोगों को रोजगार मिलता। ‘
तेल की कीमतों को लेकर भी राहुल गांधी पीएम मोदी सरकार को घेरते हुए नजर आए। उन्होंने कहा, ‘जब वैश्विक स्तर पर तेल के दाम नीचे गिर रहे हैं, तब भारत में तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं। और वे इसे विकास कहते हैं।’ साथ ही उन्होंने कहा, ‘ मेरे पास उन वादों की लिस्ट है, जो मोदीजी ने आदिवासियों से किए थे। क्या उन्होंने पांच लाख नौकरियां दी? क्या उन्होंने घर दिए? नहीं।’ राहुल गांधी ने अमित शाह पर भी निशाना साधा, ‘मुझे अभी भी नहीं समझ में आया कि शाह के बेटे जय शाह की फायदे में चल रही कंपनी को उसे नोटबंदी से पहले अचानक बंद क्यों कर दिया जाता है। मोदीजी और अमित शाह के अच्छे दिन साल 2014 में आए थे और अब कांग्रेस गुजरात में अच्छे दिन लेकर आएगी।’
नोटबंदी पर राहुल गांधी ने बोला कि पीएम मोदी को इसे लागू करने से पहले इस बारे में किसानों और दुकानदारों से चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘क्या मोदी जी ने इस बारे में किसानों, दुकानदारों और मनरेगा वर्कर्स से बात की, जिन्हें सबसे ज्यादा कैश की जरूरत होती है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने नोटबंदी करके उन लोगों की मदद की है, जिनके पास कालाधन था। उन्होंने कहा, ‘मोदीजी ने आम लोगों को बैंक की लाइनों में खड़ा कर दिया और उन लोगों की मदद की, जिन्होंने इस दौरान कालेधन को सफेद धन में बदल लिया।’
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