125 सीटें हम ऐसे आसानी से जीत लेगे- किसने कहा ?
कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव में पाटीदार आंदोलन के लीडर हार्दिक पटेल को साथ देने का न्योता दिया है। हार्दिक के अलावा कांग्रेस ने ठाकोर समुदाय के अल्पेश, दलित लीडर जिग्नेश मेवानी से भी मिलकर इलेक्शन लड़ने के लिए कहा है। जिग्नेश मेवाणी ने यह कहा कि वर्तमान बीजेपी सरकार को सत्ता से हटाना जरूरी है.
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गुजरात में बीजेपी को रोकने के उद्देश्य से कांग्रेस ने वहां के तीन युवा नेताओं- हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी को चुनाव लड़ने का नयौता दिया. गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी ने इन तीनों को कांग्रेस तरफ से चुनाव लड़ने का निमंत्रण दिया. ये तीनों नेता गुजरात में चल रहे विभिन्न जाति-समाज के आंदोलनों के नेता हैं. ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर ने हालांकि अभी तक इस ऑफर पर कोई टिप्पणी नहीं की है. वे राहुल गांधी से मिलने दिल्ली पहुंच गए हैं. इससे पहले यह भी खबर थी कि अल्पेश 23 अक्टूबर को गुजरात चुनाव को लेकर अपनी रणनीति की घोषणा कर सकते हैं. यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि वे नई राजनीतिक पार्टी भी बना सकते हैं.
पाटीदार वोटरकितने हैं 20% #20%पाटीदारों में लेउवा कितने 60% #20%पाटीदारों में कड़वा कितने 40% #2012में बीजेपी को कितने पाटीदार वोट मिले 80% #बीजेपी के पास कितने पाटीदार विधायक 44
अहम क्यों? #19 साल से BJP को सत्ता में रखने में अहम भूमिका
गुजरात कांग्रेस चीफ भारत सिंह सोलंकी ने कहा कि इन सभी लीडर्स के सपोर्ट के जरिए कांग्रेस आसानी से 182 में से 125 सीटें जीत लेगी। सोलंकी ने कहा, “हम हार्दिक पटेल की लड़ाई का सम्मान करते हैं और उसमें साथ भी हैं। हम उनसे अपील करकते हैं कि विधानसभा इलेक्शन में हमारा सपोर्ट करें। अगर वो चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं तो हम भविष्य में उन्हें टिकट भी देंगे।” सोलंकी ने दावा किया, “गुजरात के सीनियर आम आदमी पार्टी (AAP) लीडर कनुभाई कलसारिया ने राहुल गांधी से मुलाकात की थी। वे और दूसरे सीनियर AAP लीडर्स चुनाव से पहले कांग्रेस ज्वाइन कर लेंगे। आने वाले चुनावों में कांग्रेस एक मजबूत पार्टी के तौर पर उभरेगी।”
हार्दिक पटेल ने कहा, “संवैधानिक तौर पर मैं चुनाव नहीं लड़ सकता। और, चुनाव लड़ना मेरी प्राथमिकता नहीं है। हालांकि, मैं ये विश्वास करता हूं कि हमें बीजेपी के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। ये बीजेपी-कांग्रेस का इळेक्शन नहीं है, ये गुजरात के 6 करोड़ लोगों का चुनाव है।”
पाटीदार, दलित और ठाकोर समाज के लीडर्स से चुनाव में साथ देने की अपील के अलावा कांग्रेस ने इस बात के भी संकेत दिए हैं कि वो NCP के साथ गठबंधन कर सकती है। इसके अलावा गुजरात के अकेले JDU विधायक छोटू वासवा को भी साथ ला सकती है। सोलंकी ने कहा, “हम छोटी वासवा से भी साथ देने की अपील करते हैं, जिन्होंने राज्यसभा चुनाव में हमारा साथ दिया। हालांकि, इन चुनावों में NCP ने हमें धोखा दिया था, लेकिन अगर वो बीजेपी को गुजरात से बाहर करना चाहते हैं तो हमारी पार्टी के दरवाजे उनके लिए भी खुले हुए हैं।” JDU लीडर वासवा ने कहा था कि वो गरीबों और आदिवासियों के लिए किए जा रहे गुजरात सरकार के काम से संतुष्ट नहीं हैं।
जीएसटी और डिजिटल इंडिया की आलोचना करने का अधिकार
नई तमिल फिल्म ‘‘मर्सल’’ में जीएसटी पर टिप्पणी को लेकर उठे विवाद में राहुल गांधी भी शामिल हो गए हैं. शनिवार को राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी से कहा कि वह इस मामले में दखल देकर तमिल के गौरव को न डराएं.
जीएसटी और डिजिटल लेनदेन पर की गई टिप्पणी की वजह से विजय अभिनीत तमिल फिल्म ‘‘मर्सल’’ विवाद में आ गई है. इसके बाद बीजेपी की तमिलनाडु इकाई की प्रमुख टी सुंदरराजन ने कहा था, ‘‘जीएसटी के बारे में ‘मर्सल’ में गलत संदर्भ दिया गया है…विख्यात हस्तियों को जनता के बीच गलत सूचनाएं दर्ज करवाने से परहेज करना चाहिए.’’ बीजेपी ने इस पर आपत्ति जताते हुए इस दृश्य को फिल्म से हटाने की मांग की.
राहुल गांधी ने शनिवार को ट्वीट किया, ‘‘मिस्टर मोदी, सिनेमा तमिल संस्कृति और भाषा की सशक्त अभिव्यक्ति है. मर्सल में हस्तक्षेप कर तमिल के गौरव को न डराएं.’’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भी इस फिल्म को लेकर सरकार पर तंज किया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘फिल्म निर्माताओं को नोटिस : कानून आने ही वाला है, आप केवल सरकार की नीतियों की सराहाना करने वाले वृत्त चित्र बना सकते हैं.’’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘बीजेपी ‘मर्सल’ में संवाद निकालने को कह रही है. कल्पना करिए कि आज ‘पराशक्ति’ रिलीज हुई होती. ’’ वहीं कांग्रेस के सिनियर नेता कपिल सिब्बल ने भी इस विवाद पर ट्वीट किया. उन्होंने कहा, ”मर्सल में विजय को जीएसटी और डिजिटल इंडिया की आलोचना करने का पूरा अधिकार है.”
नोटबंदी तथा जीएसटी के कारण दीपावली बिक्री में 40 प्रतिशत की गिरावट
दीपावली का त्यौहार आमतौर पर कारोबार और व्यापार जगत के लिए उत्साहवर्धक रहता आया है लेकिन असंगठित क्षेत्र के व्यापारियों के एक प्रमुख का कहना है कि इस साल नोटबंदी तथा जीएसटी के कारण यह तस्वीर बदली हुई थी। संगठन का दावा है कि इस दीपावली बिक्री में पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत की गिरावट आई और यह पिछले दस सालों की सबसे सुस्त दीपावली मानी जा रहा है। खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन आॅफ आॅल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जारी बयान में कहा कि कि देश में सालाना करीब 40 लाख करोड़ रुपए का खुदरा कारोबार होता है। इसमें संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी महज पांच प्रतिशत है जबकि शेष 95 प्रतिशत योगदान असंगठित क्षेत्र का है। दीपावली के दस दिन पहले से शुरू होने वाली त्यौहारी बिक्री पिछले सालों में करीब 50 हजार करोड़ रुपए की रही है। इस साल यह 40 प्रतिशत नीचे गिर गई और इस दृष्टि से यह पिछले दस सालों की सबसे खराब दीपावली रही है। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि बाजारों में उपभोक्ताओं की कम उपस्थिति, सीमित खर्च आदि इस दीपावली कारोबार कम रहने के मुख्य कारण हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी के बाद अस्थिर बाजार तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था की दिक्कतों ने बाजार में संशय का माहौल तैयार किया जिसने उपभोक्ताओं और कारोबारियों दोनों की धारणा प्रभावित की। रेडीमेड कपड़े, उपहार के सामान, रसोई के सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद, एफएमसीजी वस्तुएं, घड़ियां, बैग-ट्रॉली, घर की साज-सज्जा, सुखे मेवे, मिठाइयां, नमकीन, फर्निचर, लाइट-बल्ब आदि चीजें दीपावली के दौरान मुख्य तौर पर खरीदी जाती हैं। कैट ने कहा कि व्यापारियों की उम्मीदें अब विवाह के सीजन पर लगी हुई हैं।
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