फांसी देने के ठीक पहले जेलर दौड़कर अपने ऑफिस तक जाता है; जानते हो क्योे
#फांसी देने के ठीक पहले जेलर दौड़कर अपने ऑफिस तक जाता है; जानते हो क्यो # फांसी लगाने के 5 हजार रुपये मिलते हैं.” पवन जल्लाद ने कहा, #
पवन जल्लाद से पूछा था कि जेलर अपने हाथ में पकड़े रूमाल का इस्तेमाल क्यों और कैसे करता है. इसका जवाब देते हुए पवन जल्लाद बोले, “फांसी देते समय वहां मौजूद लोग कुछ भी बोलते नहीं हैं, सिर्फ इशारों से काम होता है. इसी वजह से फांसी का लीवर खींचने का इशारा देने के लिए रूमाल का इस्तेमाल किया जाता है.”
फांसी देने से पहले कैदियों को नहलाया जाता है और नाश्ता दिया जाता है. फिर काले कपड़े पहनाकर फांसी के फंदे तक ले जाया जाता है. उस वक़्त कैदी के साथ 12 सुरक्षाकर्मी होते हैं. फांसी देते वक्त सिर्फ चार लोग मौजूद होते हैं. फांसी देने के बाद आधे घंटे तक शरीर को फांसी के फंदे पर लटके रहने दिया जाता है.
किन्हीं भी दोषियों को फांसी देने से पहले जेलर एक दौड़ लगता है. फांसी देने के ठीक पहले जेलर दौड़कर अपने ऑफिस तक जाता है. कुछ ऐसा ही होगा जब निर्भया रेप केस के दोषियों को फांसी पर लटकाया जाएगा. लेकिन ये फांसी कब होगी? किसी को नहीं पता. हालांकि जानकर ये मानते हैं कि चारों दोषियों को 2020 के शुरुआत में ही फांसी पर लटकाया जा सकता है.
जल्लाद पवन ने कहा, ” कैदी के हाथ तो पहले ही बंधे होते हैं, फिर उसके पैर बांधे जाते हैं, सिर पर नकाब डाल दिया जाता है और फिर फांसी का फंदा कसना होता है. जैसे ही सारा काम पूरा हो जाता है, हम लीवर के पास पहुंच जाते हैं और जेल अधीक्षक को अंगूठा दिखाकर बताते हैं कि हमारा काम पूरा हो गया है. अब इशारा होते ही लीवर खींचने की तैयारी होती है.”
दरअसल, एक दोषी अक्षय ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यु पिटीशन लगाई है जिस पर 17 दिसंबर को सुनवाई होनी है. उसके अगले दिन पटियाला हाउस कोर्ट चारों दोषियों की फांसी देने की प्रकिया को सुनेगा. अगर चारों दोषी मर्सी पिटीशन ना लगाने का दावा करते हैं तो पटियाला हाउस कोर्ट इनको नोटिस जारी कर 7 दिन का समय दे सकता है कि अगर वे सात दिन में अपने कानूनी विकल्प का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो कोर्ट चारों को फांसी देने का ब्लैक वारंट जारी कर सकती है. इसके बाद 14 दिन के अंदर चारों दोषियों को फांसी दे दी जाएगी. फांसी चारों को एक साथ ही दी जाएगी, जिसके लिए तिहाड़ प्रशासन ने भी तैयारी शुरू कर दी है.
ब्लैक वारंट जारी होने के बाद कोर्ट द्वारा निर्धारित तारीख और समय पर चारों को फांसी दे दी जाएगी, लेकिन फांसी देने से ठीक पहले जेल सुप्रिटेंडेंट एक बार दौड़कर ये देखने अपने ऑफिस जाते हैं कि कहीं फांसी रोकने के लिए कोई ऑर्डर तो नहीं आया है. अगर कोई ऑर्डर नहीं आया होता तो तय वक़्त पर फांसी दे दी जाती है.
निर्भया केस के दोषियों को कभी भी फांसी दी जा सकती है. दोषियों की दया याचिका प्रेसीडेंट के पास लंबित है. उस पर फैसला होते ही चारों दोषियों को फांसी हो सकती है. इसके लिए फांसी की स्पेशल रस्सी भी बनवाई जा रही है और जल्लाद की भी खोज शुरू हो गई है. फांसी देने का समय क्या होता है, कैसी पूरी प्रक्रिया संपन्न होती है, फांसी देने पर जल्लाद को कितने पैसे मिलते हैं, इन सब सवालों के जवाब पाने के लिए क्राइम तक की टीम ने पवन जल्लाद से बात की, जिनका पूरा खानदान ही फांसी देने के काम में लगा रहा.
जल्लाद पवन ने कहा, ” कैदी के हाथ तो पहले ही बंधे होते हैं, फिर उसके पैर बांधे जाते हैं, सिर पर नकाब डाल दिया जाता है और फिर फांसी का फंदा कसना होता है. जैसे ही सारा काम पूरा हो जाता है, हम लीवर के पास पहुंच जाते हैं और जेल अधीक्षक को अंगूठा दिखाकर बताते हैं कि हमारा काम पूरा हो गया है. अब इशारा होते ही लीवर खींचने की तैयारी होती है.”
पवन जल्लाद ने कहा, “पहले तो इस काम के पुराने समय के हिसाब से बहुत पैसे मिलते थे. उस समय 100 रुपये मिला करते थे, जो पुराने समय में एक बड़ी रकम होती थी. 2013 तक यह बढ़कर 3 हजार रुपये हो गई थी, लेकिन यह राशि आज के हिसाब से बहुत कम थी. फिर इसके लिए हमने आवाज उठाई. अब फांसी लगाने के 5 हजार रुपये मिलते हैं.” पवन कुमार के परिवार ने अभी तक 25 से ज्यादा लोगों को जल्लाद के रूप में फांसी दी है. इस जल्लाद परिवार की कहानी आजादी के बाद से लक्ष्मण, कालूराम, बब्बू सिंह से होते हुए अब पवन जल्लाद पर आ गई है.
निर्भया मामले में दोषियों की फांसी के लिए उल्टी गिनती शुरू होते ही जल्लाद की खोज शुरू हो गई है. तिहाड़ जेल प्रशासन ने जल्लाद की खोज के लिये उत्तर प्रदेश के जेल प्रशासन को चिट्ठी लिखी है. 9 दिसंबर को तिहाड़ जेल प्रशासन की तरफ से चिट्ठी लिखी गई थी जिसमें यूपी जेल प्रशासन से जल्लादों के बारे में ब्योरा मांगा गया. तिहाड़ जेल प्रशासन ने जल्लादों को जल्द से जल्द देने की बात भी इस चिट्ठी में कही थी.
निर्भया केस मे दोषियों को फांसी देने के लिए जल्लादों की जरूरत पड़ेगी. यूपी में दो जल्लाद मौजूद हैं. दोनों में से किसी एक को यूपी जेल प्रशासन तिहाड़ जेल भेजेगा. इस काम के लिये तिहाड़ जेल प्रशासन जल्लादों के सारे खर्चों और यात्रा का खर्च वहन भी करता है.
जल्लाद पवन ने कहा, सीक्रेट रखा जाता है फांसी घर का नक्शा; फांसी घर कैसा होता है? इस पर वह बोले, “इसका जवाब मैं नहीं दे सकता, हमारे अधिकारियों ने फांसी घर का नक्शा बताने के लिए मना किया है.
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