31 मार्च हनुमान जयंती; अत्यंत शुभ दुर्लभ संयोग
चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाया जाता है। इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था। इस महीने हनुमान जयंती चैत्र शुक्ल पूर्णिमा यानि 31 मार्च 2018 (शनिवार) को है। इस बार हनुमान जयंती पर अत्यंत शुभ संयोग बन रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि हनुमान जयंती पर यह दुर्लभ संयोग 9 साल बाद बन रहा है। इससे पहले हनुमान जयंती 31 मार्च को साल 2008 में पड़ी थी। हिमालयायूके न्यूज पोर्टल ब्यूरो)
हनुमान जयंती के दिन महाबली हनुमान की आराधना से जीवन में आने वाली संकटों का स्वतः समाधान हो जाता है। हनुमान जयंती पर इस बार अत्यंत शुभ संयोग बन रहा है। हनुमान जयंती का दिन महावीर हनुमान की कृपा प्राप्त करने के लिए बेहद खास है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन महाबली हनुमान जी की विशेष आराधना से विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है।हनुमान की का जन्म आज से लगभग 1 करोड़ 85 लाख 58 हजार 112 वर्ष पहले चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन हुआ था। इस बार हनुमान जयंती 31 मार्च 2018 (शनिवार) को पड़ रही है। हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी की पूजा करते समय इन्हें चोला अवश्य चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।
इसके अतिरिक्त हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी को गुलाब की माला चढ़ाने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है। आर्थिक लाभ के लिए भी हनुमान जयंती का शुभ दिन बेहद खास माना जाता है। धन-लाभ के लिए इस दिन 11 पीपल के पत्ते पर श्री राम लिखें। नौकरी-व्यापार में सफलता पाने के लिए अथवा करियर में सफलता पाने के लिए एक पान के पत्ते पर दो बूंदी के लड्डू रखकर एक लौंग लगाएं और इसमें चांदी का भस्म लगाकर हनुमान जी को अर्पित करें।
हनुमान जी को विशेष पान का बीड़ा चढ़ाएं। इसमें गुलकंद, बादाम कतरी डालें। ऐसा करने से भगवान की विशेष कृपा आपको मिलती है। हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी को विशेष पान का बीड़ा चढाएं। साथ ही आपको हनुमान जयंती के दिन इस पान के बीड़े में गुलकंद, बादाम आदि का का कतरी डालकर हनुमान जी को अर्पित करें।
नासे रोग हरे सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बल बीरा।।
राम भक्त हनुमान की शरण में जो भी जाता है उसका कल्याण हो जाता है। हनुमान जी के पाठ और मंत्रों का जाप करने के बहुत से लाभ होते हैं। केवल मंगलवार को व्रत से ही सब कुछ नहीं होता इन सबके अलावा आप हनुमान जी के मंत्रों का जाप करके उनकी कृपा पा सकते हैं। क्योंकि हनुमान जी के कुछ ऐसे मंत्र हैं जिनके जाप से आप अपने दुश्मन को मात दे सकते हैं और आपका हर कार्य पूरा हो सकता है।
ऊं दक्षिणामुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय- नारसिंहास ऊं हां हीं हूं हौं ह: सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहा:।
प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन – जासु हृदय आगार बसिंह राम सर चाप घर।।
लाभ- इस मंत्र का प्रथिदिन स्वच्छ शरीर से 108 बार जाप करने से प्रते बाधा से मुक्ति मिलती है।
मर्कटेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन। शत्रून संहर मां रक्षा श्रियं दापय मे प्रभो।।
लाभ- इस मंत्र के जाप से घर में सुख-समृद्धि आती है।
हनुमान अंगद रन गाजे।
हांके सुनकृत रजनीचर भाजे।।
लाभ- इसके रोजाना जाप से मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं से हनुमान जी स्वयं रक्षा करते हैं।
नासे रोग हरे सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बल बीरा।।
लाभ- इस चौपाई का रोजाना नियम से जाप करने से बड़े से बड़ा रोग भी ठीक हो जाता है।
वायुपुत्र! नमस्तुभ्यं पुष्पं सौवर्णकं प्रियम्।
पूजयिष्यामि ते मूर्धि नवरत्न-समुज्जलम्।।
लाभ- इस मंत्र का जाप करते हुए हनुमान जी को फूल अर्पित करें। इससे सदा सौभाग्य मिलता है।
ऊं हनुमते नम:।
लाभ- सबसे लाभकारी है ‘ऊं हनुमते नम:।’ जब भी घर से बाहर किसी कार्य के लिए जाएं तो उस कार्य को पूरा करने हेतु इस मंत्र को मालाओं द्वारा 11 बार जाप करें।
हनुमान जयंती के दिन शुभ मुहूर्त में लाल रंग के आसन पर पूरब या उत्तर की ओर मुख करके बैठना चाहिए। शरीर पर लाल धोती और ऊपर वस्त्र चादर, दुपट्टा आदि डाल लें। सामने छोटी चौकी पर शुद्ध लाल वस्त्र बिछाकर तांबे की प्लेट में लाल पुष्पों का आसन देकर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद मूर्ति पर सिंदूर से टीका कर लाल पुष्प अर्पित करें। मूर्ति पर सिंदूर लगाने के बाद धूप-दीप, अक्षत, पुष्प और नैवेद्य (भोग) आदि से पूजन करें। सरसों या तिल के तेल का दीप ओर धूप जलाएं। द्वादश नामों का स्मरण 151 बार करें।
संध्या के समय दक्षिण मुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर मन्त्र जाप करने को अत्यंत महत्त्व दिया गया है। हनुमान जयंती पर रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।
ये है हनुमानजी के 12 नाम वाली स्तुति
हनुमानञ्जनीसूनुर्वायुपुत्रो महाबल:।
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भेवत्।
राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन।।
इस श्लोक के आरंभ में पहला नाम दिया गया है हनुमान, दूसरा नाम है अंजनीसूनु, तीसरा नाम है वायुपुत्र, चौथा नाम है महाबल, पांचवां नाम है रामेष्ट यानी श्रीराम के प्रिय, छठा नाम है फाल्गुनसुख यानी अर्जुन के मित्र। सातवां नाम है पिङ्गाक्ष यानी भूरे नेत्रवाले, आठवां नाम है अमितविक्रम, नवां नाम है उदधिक्रमण यानी समुद्र को अतिक्रमण करने वाले, दसवां नाम है सीताशोकविनाशन यानी सीताजी के शोक का नाश करने वाले। ग्याहरवां नाम है लक्ष्मणप्राणदाता यानी लक्ष्मण को संजीवनी बूटी द्वारा जीवित करने वाले और बाहरवां नाम है दशग्रीवदर्पहा यानी रावण के घमंड को दूर करने वाले। ये सभी बारह नाम हनुमानजी के गुणों को भी प्रकट करते हैं। इन नामों में श्रीराम और सीता के लिए की गई सेवा का स्मरण हो जाता है। इसी वजह से इन नामों के जप से बजरंग बली बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। हनुमान जयंति के दिन इन नामों का जाप करने से सभी बिगड़े काम पूरे हो जाते हैं। साथ सभी प्रकार की बाधाओं का अंत होता है। ये उपाय पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाए तो जल्दी ही शुभ फल प्राप्त होता है।
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