जिन्दगी के प्रति सकारात्मक नजरिया
सफल जीवन के लिये विश्वास से भरा मन जरूरी
-ललित गर्ग- www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal)
हम जीवन खुशनुमा तभी बना सकते हैं जब हमारा जिन्दगी के प्रति सकारात्मक नजरिया होता है। हर व्यक्ति की यह स्वाभाविक प्रवृत्ति है कि वह अपने जीवन में सफलता की उच्चतम ऊंचाइयों को छूना चाहता है। उसकी यह नैसर्गिक आकांक्षा होती है कि उसे मनचाही वस्तु मिले, मनचाहा पद मिले, मनचाहा जीवन साथी मिले, मनचाहा मान-सम्मान प्राप्त हो, मनचाही गाड़ी, बंगला कोठी, कार का सुख मिले इत्यादि। किन्तु ऐसा सौभाग्यशाली व्यक्ति कोई बिरला ही होता है जिसकी अधिकांश कामनाओं की पूर्ति संभव हो जाए। पर मेरी दृष्टि में वह व्यक्ति ज्यादा सौभाग्यशाली है जो इन सब चीजों के न होने पर भी जीवन के प्रति धन्यता का भाव लिये होता है। हमारी दृष्टि ‘लेने’ या ‘भोगने’ से ज्यादा देने या त्यागने में होनी चाहिए। ‘देने का सुख’ सचमुच अद्भुत होता है। किसी के लिये कुछ करके जो संतोष मिलता है उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। फिर वह कड़कती ठंड में किसी गरीब को एक प्याली चाय देना ही क्यों न हो और इसके साथ मन में ‘जो मिला बहुत मिला- शुक्रिया’ के भाव हों तो जिन्दगी बड़े सुकून तरीके से सफल और सार्थक की जा सकती है। लेकिन ऐसा होता नहीं है, किसी-न-किसी वजह से हमें नकारात्मकता घेरे रहती है।
अगर सोचा जाए तो महत्वपूर्ण यह नहीं होता कि हमारे पास पीड़ाएं, असफलताएं, दर्द और निराशाएं कितनी हैं, जरूरी यह होता है कि आप उस दर्द, पीड़ा, असफलता के साथ किस तरह खुश रह पाते हैं। इसलिये जो कुछ मिला है या जो कुछ बचा है, उसे गले लगाएं बजाय असफलता या दर्द का गम मनाने के। जीवन में कई ऐसी घटनाएं होती हैं जिन पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता। हालांकि हमारे पास विकल्प जरूर होता है- हम समय और घटनाओं को सहते हुए आगे बढ़ते रहें या फिर हार मान जाये। परिवेश बदलने से सब कुछ बदल जाएगा-यह सोच का अधूरापन है। जड़ की बात पर भी हमें जाना होगा, मूल तक जाना होगा। बाधक तत्त्वों का भी विचार करना होगा कि जीवन में बाधक तत्त्व कौन से हैं?
जहां भी विश्वास बूझता है, संपूर्ण रचनात्मक शक्तियां धुंधली-सी हो जाती हैं। विश्वास से भरा मन परिस्थिति के अनुकूल स्वयं ढलता नहीं बल्कि उन्हें अपने अनुसार ढाल लेता है। एक युवा इंटरव्यू देने के लिए जाते वक्त यदि पूरे निश्चय और विश्वास भरा होता है तो नौकरी निश्चित है, क्योंकि निरीक्षक को यूं भी लगता है जैसे यही वह व्यक्ति है जिसकी हमें प्रतीक्षा है। विश्वास के अभाव में सफलताएं संभव नहीं, क्योंकि लड़ाई में युद्ध होने से पहले ही हथियार डाल देने वाला सिपाही कभी विजयी नहीं बनता। कार्य प्रारंभ होने से पहले ही यदि मन संदेह, भय, आशंका से भर जाए तो यह बुजदिली है। जरूरत सिर्फ अहसास की है। एक बार पूरे आत्मविश्वास के साथ स्विच दबा दें, पूरा जीवन रोशनी से भर जाएगा।
सफलता का महत्वपूर्ण सूत्र है साहसी मन का होना। मन यदि बुझा-बुझा-सा है तो शरीर कभी सक्रिय नहीं बन सकता। मन में स्वयं के प्रति विश्वास होना जरूरी है कि मुझे अनंत शक्ति का संचय है। मैं भी वो सब कुछ कर सकता हूं जो दूसरे लोग करते हैं। अपने कदमों पर खड़े होने का साहस भी जिनमें न हो तो भला ऐसे लोग क्या कर पायेंगे अपनी जिंदगी में? इसलिए महावीर ने उपदेश दिया-पराक्रमी बनो।
अपने लिए आप खुद जिम्मेदार हैं। सफल हैं या असफल, खुश हैं या नाखुश। जो करना है, आपको ही करना है। अपने हालात के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराने का कोई मतलब नहीं होता। हर कोई अपने सुख-दुख, अपने ढंग से जी रहा है। ओशो के अनुसार, ‘यहां कोई भी आपका सपना पूरा करने के लिए नहीं है। हर कोई अपनी तकदीर बनाने में लगा है।
अक्सर हमारे अन्दर अनजाने ही यह धारणा बन जाती है कि यदि हमें इच्छित नहीं मिला तो हम सुखी नहीं रह पायेंगे। यह धारणा निराधार है। कई बार वर्तमान में हमें जो असफलता अथवा विपत्ति दिखलाई पड़ती है, वही हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होती है, जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। सफलता और संघर्ष साथ-साथ चलते हैं। चुनौतियां केवल बुलंदियों को छूने की नहीं होती, खुद को वहां बनाए रखने की भी होती है। ठीक है कि एक काम करते-करते हम उसमें कुशल हो जाते हैं। उसे करना आसान हो जाता है। पर वही करते रह जाना, हमें अपने ही बनाए सुविधा के घेरे में कैद कर लेता है। रोम के महान दार्शनिक सेनेका कहते हैं, ‘कठिन रास्ते भी हमें ऊंचाइयों तक ले जाते हंै।’ इसलिये कठिन रास्ता से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें आगे होकर स्वीकारना चाहिए।
कुछ भी हो सकता है और कुछ गलत ही होगा। इन दोनों में अंतर है। एक में उम्मीद है, तो दूसरे में आशंका। जबकि कुछ भी निश्चित न होना बताता है कि कुछ भी हो सकता है। प्रश्न उठता है कि जब कुछ तय नहीं है तो फिर सपने देखने और योजना बनाने का क्या अर्थ है? फिलेडेल्फिया की टैंपल यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफेसर जाॅन एलेन पाउलोज कहते हैं, ‘अनिश्चितता ही एकमात्र निश्चितता है और यह जानना कि संकट का सामना कैसे करना है, एकमात्र सुरक्षा है।’ एक बार अपने ही जीवन को पीछे मुड़कर देखें। पायेंगे कि भविष्य के लिए आपकी उम्मीद ने ही आपको हर रुकावट का सामना करने में मदद की है। कई ऐसे मौके दिखाई देंगे, जो यह विश्वास देंगे कि हर समस्या सुलझाई जा सकती है। हर मतभेद दूर किया जा सकता है। यही आत्मविश्वास है।
आज यह तय करना जरूरी है कि जीवन धन्य है। हम जब स्वयं के प्रति धन्य होंगे तभी हम वास्तविक सफलताओं को सृजित कर सकेंगे। हम जो उद्देश्य लेकर घर से बाहर कदम रखते हैं उससे कभी विचलित नहीं होना चाहिए। डाॅ. अब्दुल कलाम की जिसने जीवनी पढ़ी है तो उसमें उन्होंने लिखा है कि जो हम सोचते है वह अवश्य पूर्ण होता है।’ जिंदगी को भरपूर जीना है तो पहले जानिए कि आप क्या हैं? आपकी क्षमताएं क्या हैं? भीतर का विज्ञान यही है कि जितना हम खुद को समझते हैं, खुद के साथ प्रयोग करते हैं, उतनी ही बाहरी निर्भरता कम हो जाती है। फिर आप अकेले भी पड़ जाएं तो डरते नहीं हैं। उलझते नहीं हैं। उद्यमी मैल्काॅम एस. फाॅब्र्स कहते हैं, ‘अधिकतर लोग, जो वे नहीं हैं उसे ज्यादा भाव देते हैं और जो हैं उसको कम।’ यही हमारी नकारात्मकता का कारण है।
बुद्धिमान लोग छोटी से छोटी मदद के लिए भी आभार प्रकट करने में कंजूसी नहीं दिखाते। वे विनम्र होते हैं। किसी के कार्य के लिए दिल से प्रशंसा करना आपके भीतर सकारात्मक ऊर्जा भरता है। जितना संभव हो सके खुद को घृणा, गुस्सा और घबराहट से दूर रखें। नकारात्मक भाव न आपका भला करते हैं और न ही आपको आगे बढ़ने देते हैं।
जो हो गया, उसे हम स्वीकार नहीं कर पाते। और जो नहीं मिला, उसे छोड़ नहीं पाते। अधूरी ख्वाहिशों का दुख हमें उस सुख से भी दूर कर देता है, जो हमारा हो सकता था। शारीरिक परेशानियों से हार नहीं मानने वाली हेलन केलर ने कहा है, ‘खुशी का एक दरवाजा बंद होता है तो दूसरा खुल जाता है। हम बंद दरवाजे को ही देखते रह जाते हैं। उसे नहीं देख पाते, जिसे हमारे लिए खोला गया था।’
हर सफल एवं महान व्यक्ति में यह खास बात होती है कि वह अपने भीतर से आ रही आवाज को जरूर सुनता है। आप भी किसी बड़े निर्णय के वक्त अपनी आत्मा की आवाज को सुनना न भूलें। यह मायने नहीं रखता है कि यह आवाज छोटी है या बड़ी। लेकिन गौर करने पर आप पायेंगे कि आपके इरादों से उनका कहीं-न-कहीं, कोई-न-कोई रिश्ता जरूर है। भीतर से आ रहे ये सिग्नल आपके प्रतिभावान होने के संकेत भी हैं। आपका खुद पर विश्वास करना, कुछ ऐसा करने की प्रेरणा है, जो कुछ बिरले ही कर पाते हैं।
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(ललित गर्ग)
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