हार्दिक की कांग्रेस को सहमति -गुजरात में चुनावी लहर कांग्रेस के पक्ष में
हार्दिक पटेल और कांग्रेस की राहें गुजरात में एक हो गयी है, वही भाजपा के लिए संजीवनी मानी जा रही थी दोनों की अलग अलग राहे, और मीडिया बाकायदा इसके लिए खबरे भी प्रकाशित करने लगा था कि हार्दिक पटेल और कांग्रेस की राहें गुजरात में अलग अलग हो गयी है, वही कुछ चैनल हिमाचल को लेकर प्रायोजित चुनावी सर्वे दिखाने में लग गये है- जो आदर्श चुनावी आचार संहिता का सरासर उल्लधन है-
चुनावों से पहले गुजरात में चुनावी लहर कांग्रेस के पक्ष में चलने लगी है। गुजरात में पिछले कुछ दिन पहले ही दलित एवं ओबीसी समुदाय के बीच फैले असंतोष के लीडर बने हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर ने इस बार चुनावी मैदान में बीजेपी के खिलाफ उतरने का फैसला किया है। गुजरात में इन युवा नेताओं का साथ मिलने के बाद कांग्रेस की तकदीर में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है। यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि मोदी के गढ़ में कांग्रेस को इन युवाओं की कितनी ताकत मिलती है जो उन्हें चुनाव में विजय पताका लहराने का सौभाग्य देगी। गुजरात में आदिवासी समुदाय के बीच पहले से बेहतर जनाधार वाली कांग्रेस को दलित और ओबीसी समुदाय के इन लोकप्रिय नेताओं का समर्थन मिलने के साथ कांग्रेस की नजरें निश्चित तौर पर गुजरात के जरिए राष्ट्रीय राजनीति में दमदार वापसी पर हैं. हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश की तिकड़ी का समर्थन मिलना कांग्रेस के लिए इसलिए भी संजीवनी जैसा लग रहा है, क्योंकि गुजरात में पाटीदार और दलित समुदाय की आबादी 25 फीसदी है। पाटीदार 18 फीसदी और दलित 7 फीसदी हैं। खासकर तब जब पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत बीजेपी से सिर्फ नौ फीसदी कम रहा था।
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कांग्रेस और पाटीदार नेताओं के बीच सोमवार को मीटिंग हुई। बाद में हार्दिक पटेल ने बताया कि कांग्रेस ने हमारी पांच में से चार मांगें मान ली हैं। आरक्षण को कांग्रेस ने टेक्निकल मुद्दा मानकर उस पर विचार करने को कहा है। हार्दिक पटेल ने कहा- “कांग्रेस ने 5 में से 4 मुद्दे स्पष्ट किए। पहला- कांग्रेस ने कहा कि आंदोलन के वक्त पाटीदारों के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के केस वापस लेंगे। दूसरा- बीजेपी ने 35 में से 20 लाख रुपए सिर्फ कुलदेवी के मंदिर को दिए। कांग्रेस ने कहा कि वह हर परिवार को 35 लाख रुपए देगी। इसके अलावा परिवार के एक मेंबर को नौकरी देंगे। “तीसरा- हमारे ऊपर गोली और लाठी चलाई उस पर क्या होगा? बीजेपी ने सीआईडी का झांसा दिया। कांग्रेस ने कहा कि अगर हमारी सरकार बनती है, तो जिन लोगों ने आप पर गोली चलाई। हम उस पर जांच समिती बनाएंगे।” “हमारे नेताओं को कांग्रेस से बातचीत में यकीन दिखा। फिलहाल हम कांग्रेस पर विश्वास कर सकते हैं।” चौथा- आरक्षण पर कांग्रेस ने कहा कि ये टेक्निकल मुद्दा है। अगर कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया तो क्या होगा? इसलिए वो संविधान के दायरे में आना चाहिए। बीजेपी ने ईबीसी से जो दिया, वो कोर्ट ने खारिज कर दिया। कांग्रेस ने कहा कि हम इस मुद्दे पर सर्वे कराएंगे।”
– “पांचवा मुद्दा था बीजेपी ने हमारे लिए आयोग बनाया। इसका सिर्फ नोटिफिकेशन जारी हुआ। कोई कानून नहीं बनाया गया। कांग्रेस ने कहा है कि हमारी सरकार बनाती तो 600 करोड़ के इस आयोग को 2 हजार करोड़ तक ले जाएंगे। इसे संवैधानिक आधार पर लागू किया जाएगा। इसका सेंट्रल दर्जा होगा। अभी ये स्टेट का मामला होता है।”
वहीं, सीएम विजय रूपाणी ने कहा, “हार्दिक को बताना चाहिए कि कांग्रेस उनकी कम्युनिटी को क्या ओबीसी का दर्जा दिलाने को तैयार है। अगर कांग्रेस आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात करती है तो बीजेपी पहले ही ऐसा कर चुकी है।”
– हार्दिक पटेल ने शनिवार को कांग्रेस को अल्टीमेटम दिया था। हार्दिक ने कहा था, “3 नवंबर तक कांग्रेस ये बताए कि संवैधानिक आरक्षण कैसे देगी।” उन्होंने ट्वीट किया, “कांग्रेस इस मुद्दे पर अपना स्टैंड क्लियर कर दे, नहीं तो अमित शाह जैसा मामला सूरत में होगा।” हार्दिक ने सूरत का जिक्र इसलिए किया, क्योंकि वहां अमित शाह की रैली के दौरान पाटीदारों ने शाह के विरोध में नारे लगाए थे और हंगामा किया था। 3 नवंबर को राहुल गांधी भी सूरत पहुंचने वाले हैं।
गुजरात कांग्रेस ने हार्दिक पटेल को विधानसभा चुनाव में मिलकर बीजेपी के खिलाफ लड़ने की बात कही थी। इसके बाद राहुल गांधी से हार्दिक की अहमदाबाद के होटल में मुलाकात की बात सामने आई। इस होटल के सीसीटीवी फुटेज भी सामने आए, जिसमें हार्दिक एक बैग लेकर जाते दिख रहे थे।
– इस पर हार्दिक ने कहा था, “राहुल गांधी कोई आतंकवादी नहीं हैं कि उनसे छिपकर मिलने जाना पड़े। जब उनसे मिलना होगा तो खुलेआम मिलेंगे।”
हार्दिक पटेल ने कहा था, “संवैधानिक तौर पर मैं चुनाव नहीं लड़ सकता। और, चुनाव लड़ना मेरी प्राथमिकता नहीं है। हालांकि, मैं ये विश्वास करता हूं कि हमें बीजेपी के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। ये बीजेपी-कांग्रेस का इळेक्शन नहीं है, ये गुजरात के 6 करोड़ लोगों का चुनाव है।”
छोटू भाई वासवा: झगड़िया विधानसभा से JDU के एमएलए हैं। शनिवार (28 अक्टूबर) को राहुल गांधी से मुलाकात के बाद कहा- कांग्रेस के साथ मिलकर इलेक्शन लड़ेंगे और जीतेंगे।
– अल्पेश ठाकोर: OBC लीडर हैं। वे 23 अक्टूबर को कांग्रेस में शामिल हुए।
– रेशमा और वरुण पटेल: दोनों पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के करीबी माने जाते हैं। 23 अक्टूबर को अमित शाह से मुलाकात के बाद BJP में शामिल हुए।
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