मात खाने के बाद हर बार मजबूत बनकर उभारा कुदरत ने; लोकप्रिय नेता के जन्मदिवस पर विशेष
High Light# Harish Rawat Birth Day Special# गर्दन पर बडा संकट था और 3 विधानसभा उप चुनाव थेे# गर्दन पर गंभीर संकट और मुख्यमंत्री का विशाल जनता दरबार और विश्वासघात की तैयारी में दरबारी # इन सब संकटो को झेला # अपने प्रतिद्वंदियों से मात खाने के बाद हर बार और मजबूत होकर उभरे रहे उत्तराखण्ड के यह लोकप्रिय नेता- # इस जननायक के प्रति दीवानगी आज भी कम नही। #ऐसी दीवानगी देखी नहीं कही मैंने इस लिए#जी हा- आज भी कम नही हुई है इस लोकप्रिय नेता केे प्रति जनता की दीवानगी- यह शायद उनके सदकर्मो का ही नतीजा है कि जनता आज उनको याद कर रही है# AM Top Story by Chandra Shekhar Joshi- Editor Himalayauk Web & Print Media##
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा उत्तराखंड के 8वें और Ex. मुख्यमंत्री हरीश रावत का जन्म 27 अप्रैल 1947 को उत्तराखंड के अलमोड़ा जिले के मोहनारी में एक राजपूत परिवार में हुआ। पिता का नाम राजेंद्र सिंह रावत तथा माता का नाम देवकी देवी है। बचपन से ही रुझान राजनीति की ओर रहा। अल्मोड़ा में भिकियासैंण और सल्ट तहसील का इलाका स्वतंत्रता संग्राम के दिनों से ही राजनीतिक गतिविधियों में काफी चर्चित रहा है और ऐसे वातावरण में पले बढ़े रावत का राजनीति से लगाव होना स्वभाविक ही रहा। विवाह रेणुका रावत से हुआ। उनके दो बच्चे हैं।
हरीश रावत ने भिकियासैंण से ब्लाॅक प्रमुख से अपना राजनीतिक सफर शुरु किया था। उनका पंचायत स्तर से केन्द्र सरकार में पहुंचने तक का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा। ब्लाॅक प्रमुख बनने के बाद अल्मोड़ा के जिला युवक कांग्रेस के अध्यक्ष, केन्द्रीय कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष बने। हरीश रावत संजय गाॅधी के भी नजदीकी रहे। संजय गाॅधी ने उन्हें युवक कांग्रेस का राष्ट्रीय महामंत्री बनाया था। कांग्रेस संगठन की मजबूती के लिए हरीश रावत ने काफी संघर्ष किया। 1992 में उन्हें कांग्रेस सेवादल का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। यूपी के समय वह स्व0 जितेन्द्र प्रसाद के नजदीकी रहे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन सिंह से भी उनकी निकटता रही।
हरीश रावत ने 1980 में भाजपा के डा0 मुरली मनोहर जोशी जैसे कद्दावर नेता को हराकर अपनी पहचान स्थापित की तथा संसद पहुंचे। 1984 के चुनाव में भी उनकी लोकप्रियता बढ़ी। 1989 में उन्होंने क्षेत्रीय दल उक्रांद के काशी सिंह ऐरी को हराया। इसके बाद उन्हें पराजय का भी सामना करना पड़ा। 2004 में उन्होंने अपनी पत्नी रेणुका रावत को चुनाव मैदान में उतारा जो दस हजार वोटों के मामूली अंतर से चुनाव हारी।
राजनीति के उतार-चढाव व झंझावातों से आजिज आकर हरीश रावत ने 2010 तक होने भी चुनाव न लडने का ऐलान तो किया परन्तु हरिद्वार पर पैनी दृष्टि रखी। परिसीमन के बाद जैसे ही हरिद्वार को सामान्य सीट में रखा गया उन्होेंने कांग्रेस आलाकमान से हरिद्वार सीट से चुनाव लडने का आग्रह किया जिसे आलाकमान ने स्वीकार कर लिया और उन्होंने हरिद्वार संसदीय सीट में ऐरी रणनीति चली कि पहाड़ मैदान, हिन्दू-मुस्लिम जैसे तमाम मुद्दे हवा हो गए और सिर्फ हरीश रावत की हवा बह निकली जिसका प्रतिफल कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें केन्द्र सरकार में राज्यमंत्री बनाकर दिया।
हरिद्वार में कांग्रेस के पास न तो कार्यकर्ताओं की फौज थी और न ही सांगठनिक मोर्चे पर अधिक मजबूती। इसके बाद भी हरीश रावत ने विरोधी दलों के बड़े दिग्गजों को अपने पक्ष में खड़े करने में सफलता पायी। कार्यकर्ताओं को एकजुट किया।
हरीश रावत (जन्म २७ अप्रैल १९४८) भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो फ़रवरी २०१४ में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बने। पाँच बार भारतीय सांसद रह चुके रावत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता हैं। १५वीं लोकसभा में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में जल संसाधन मंत्री केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं। वो संसदीय मामलों के मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (२०११-२०१२) और श्रम और रोजगार मंत्रालय (२००९-११) में राज्य मंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं।
बेटा आनंद सिंह रावत भी राजनीति से जुड़ा है, जबकि बेटी अनुपमा रावत सॉफ्टवेयर के क्षेत्र से हैं तथा राजनीति में भी दखल रखती हैं। उत्तराखंड से ही अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त कर, लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलबी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद रावत ने वकालत को अपने जीवन यापन का साधन बनाया लेकिन राजनीति का दामन भी थामे रखा।
व्यावसायिक तौर पर वे कृषि से जुड़े होने के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं और श्रमिक संघ से भी संबद्ध रहे। विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने भारतीय युवक कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। 1973 में कांग्रेस की जिला युवा इकाई के प्रमुख चुने जाने वाले वे सबसे कम उम्र के युवा थे।
आज उत्तराखंड के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाने वाले हरीश रावत ऐसे राजनीतिज्ञ माने जाते है जो अपने प्रतिद्वंदियों से मात खाने के बाद हर बार और मजबूत होकर उभरे और केंद्र में केबिनेट मंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद अंतत: प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए।
करीब 13 साल पहले जब केंद्र में राजग सरकार और मूल प्रदेश उत्तर प्रदेश में भाजपा के कार्यकाल में उत्तराखंड का जन्म हुआ, उस दौरान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रुप में सामने आये हरीश रावत ने पूरे प्रदेश में ऐसा बदलाव ला दिया कि 2002 की शुरुआत में हुए पहले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बेदखल करते हुए सरकार बना ली।
हालांकि यह अलग बात है कि सत्ता तक पहुंचाने वाले रावत की मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी वयोवृद्घ कांग्रेसी नेता एनडी तिवारी के सामने खारिज कर दी गई। 1973 और 1980 के बीच की अवधि में रावत जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक युवक कांग्रेस के महत्वपूर्ण पदों पर रहे। 1980 में वह पहली बार अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए. उसके बाद 1984 व 1989 में भी उन्होंने संसद में इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 1992 में उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस सेवा दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का महत्वपूर्ण पद संभाला, जिसकी जिम्मेदारी वे 1997 तक संभालते रहे।
राज्य निर्माण के पश्चात रावत प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए और उनकी अगुवाई में 2002 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बहुमत प्राप्त हुआ और उत्तराखण्ड में कांग्रेस की सरकार बनी। नारायण दत्त तिवारी के मुकाबले मुख्यमंत्री पद की दावेदारी से बाहर होने के बाद, उसी साल नवम्बर में रावत को उत्तराखण्ड से राज्यसभा के सदस्य के रुप में भेजा गया।
पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने हरिद्वार संसदीय सीट सें चुनाव लड़ा, जहां उन्होंने भारी मतों से जीत दर्ज की। उनके निकटस्थ प्रतिद्वंद्वी से जीत का अंतर एक लाख वोटों से भी ज्यादा रहा. पिछले काफी समय से भाजपा, सपा या बसपा की झोली में रही हरिद्वार सीट जीतने वाले रावत को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में पहले राज्य मंत्री और बाद में कैबिनेट मंत्री का दायित्व सौंपा।
हालांकि, 2012 में कांग्रेस के प्रदेश में एक बार फिर सत्ता में आने के बाद उनका नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चलता रहा, लेकिन इस बार भी पार्टी आलाकमान ने उनकी दावेदारी को नकार दिया और उनकी जगह विजय बहुगुणा को तरजीह दी।
बहुगुणा के सत्ता संभालने के बाद से लगातार प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें चलती रहीं, जो जून-2012 में आई प्राकृतिक आपदा से निपटने में राज्य सरकार की कथित नाकामी के आरोपों के चलते और तेज हो गईं। छात्र जीवन में हरीश रावत ने अपने कॉलेज की ओर से विश्वविद्यालय का कई खेलों में प्रतिनिधित्व किया है, विशेषत: फुटबॉल, हॉकी, कबड्डी और एथलेटिक्स में। चीन, नेपाल, थाईलैंड, जापान, इंडोनेशिया, इराक़ सहित अनेक देशों की यात्राएं कर चुके हैं। किताबें पढ़ना उनके पसंदीदा टाइम पास में से एक है।
उत्तराखण्ड राज्य्ा के लोकप्रिय जननेताः
उत्तराखंड राज्य गठन के बाद सत्तासीन रही बीजेपी को सत्ताच्युत कर कांग्रेस के जननायक हरीष रावत ने उत्तराखण्ड में कांग्रेस को सत्तानषीन किया, और लम्बे झझावातो के बाद जब स्वयं मुख्यमंत्री बने तो 4 विधानसभा उपचुनाव जीत कर स्वयं की लोकप्रियता साबित किया। राज्य्ा में मृतपाय्ा हो चुकी कांग्रेस फिर से नय्ाी ऊर्जा हासिल कर करवायी, 27 अप्रैल को उनके जन्मदिवस पर चन्द्रषेखर जोषी की विषेश रिपोर्ट
उत्तराखंड राज्य्ा के मुख्य्ामंत्र्ाी श्रीमान हरीश रावत जी का जन्म 27 अप्रैल, 1948 को अल्मोडा जिले की भिकिय्ाासैंण तहसील में मोहनरी गांव के किसान श्री राजे सिंह के यहां हुआ। बचपन में ही आपके पिता का निधन हो गय्ाा। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा गाॅंव के निकटवर्ती विद्यालय्ा में ही हुई थी लेकिन आप इन्टर पढने रामनगर चले गय्ो थे। अपनी य्ाुवा अवस्था में ही आप राजनीति में सक्रिय्ा हो गय्ो थे। आपने भिकिय्ाासैंण के ब्लाक प्रमुख से राजनैतिक पारी प्रारम्भ कर एक सामान्य्ा पितृ विहीन य्ाुवक के राजनैतिक संघर्ष में स्वंय्ा को स्थापित करने की क्षमता दिखाय्ाी। आपका बचपन से ही रूझ्ाान जनसेवा पूर्ण राजनीति की ओर रहा। निर्दलीय्ा उम्मीदवार के रूप में आपने अल्मोडा के भिकिय्ाासैंण ब्लाक से ब्लाक प्रमुख का चुनाव लडकर विजय्ा प्राप्त की थी, लेकिन प्रतिद्वन्दी ने आपकी उम्र कम होने के कारण न्य्ााय्ापालिका में वाद दाय्ार किय्ाा , जिसके कारण आप ब्लाक प्रमुख पद से हट गय्ो। इसके बाद ही आप जनआन्दोलन में सक्रिय्ा हो गय्ो थे। 28 नवम्बर 1974 में वन बचाओं संघर्ष समिति के नेत्तृव में नैनीताल में वन की नीलामी का जर्बदस्त विरोध करने पर 18 लोगों के साथ आप (हरीश रावत) पहली बार गिरफ्तार हुए थे। आपकी गिरफ्तारी का विरोध करते हुए पूरे कुमाऊॅ में छात्र्ाों ने हडताल के साथ बंद करा दिय्ाा था। इसी बीच आप रानीखेत के विधाय्ाक गोविंद सिंह मेहरा के सम्पर्क में आय्ो, जो बाद में आपके ससुर भी बने। सन् 1976 में आप (श्री हरीष रावतजी) कांग्रेस में चले गय्ो। आपने लखनऊ में विधाय्ाक निवास में रहकर एलएलबी की। वहां तत्कालीन छात्र्ा नेता सी0बी0 सिंह के सम्पर्क में आय्ो जंहा से आपको जुझ्ाारूपन की शिक्षा मिली, सन् 1980 तक आपने अल्मोडा क्षेत्र्ा में अपने कायर््ाो से अपनी पहचान बनाई। उत्तराखंड के अल्मोडा जनपद को तीन मुख्यमंत्री देने का सौभाग्य मिला है, अल्मोडा जनपद से हरीश रावत तीसरे मुख्य्ामंत्र्ाी बने हैं। चन्द्रशेखर जोशी सम्पादक ने आपके सक्रिय राजनीतिक जीवन पर विस्तार से प्रकाश् डाला है।
अल्मोडा में भिकियासैण और सल्ट तहसील का इलाका स्वतंत्रता संग्राम के दिनों से ही राजनीतिक गतिविधियो में काफी चर्चित रहा है और ऐसे वातावरण में पले बढे आपका राजनीति से लगाव होना स्वभाविक ही रहा। लखनऊ विश्वविद्यालय्ा से एलएलबी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आपने वकालत को अपने जीवन यापन का साधन बनायाा लेकिन राजनीति का दामन भी थामे रखा। विद्यार्थी जीवन में ही आपने भारतीय युुुुवक कांग्रेस की सदस्यताा ग्रहण कर ली। वर्ष 1973 में कांग्रेस की जिला युुुुवा इकाई के प्रमुख चुने जाने वाले वे सबसे कम उम्र के युुुुवा थे। वर्ष 1973 और 1980 के बीच की अवधि में आप जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक युुु कांग्रेस के महत्वपूर्ण पदों पर रहे। 1980 में कांग्रेस ने आपको अल्मोडा-पिथौरागढ संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया, और आपने भारी मतो से विजय हासिल की। फिर इसी संसदीय क्षेत्र से आप तीन बार सांसद रहें । वर्ष 1992 में आपने अखिल भारतीय्ा कांग्रेस सेवा दल के राष्ट्रीय्ा उपाध्य्ाक्ष का महत्वपूर्ण पद संभाला जिसकी जिम्मेदारी आपने 1997 तक संभाली। राज्य्ा निर्माण के पश्चात आप उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस के अध्य्ाक्ष बनाय्ो गय्ो और आपकी अगुवाई में 2002 के विधान सभा चुनावों में कांग्रेस को बहुमत प्राप्त हुआ। इसके उपरांत सन् 2009 में य्ाह आपका (हरीश रावत) का ही करिश्मा था कि आपने हरिद्वार संसदीय लोकसभा सीट से कांग्रेस का वनवास खत्म करा दिया। संघर्ष से उपजे, केवल अपने और अपने दम पर राजनीति में स्थापित ग्रामीण पृष्ठ भूमि के इस संघर्शषील जननेता ने बचपन से ही उत्तराखण्ड का दर्द समझ्ाा तथा उसे दूर करने करने के लिए आप हमेषा दृढ प्रतिज्ञ रहे। समय्ा और परिस्थितिय्ाां कभी आपके बहुत अनुकूल नही रही परन्तु इसके बावजूद केवल अपनी क्षमता, जुझारूपन से आप उत्तराखण्ड राज्य्ा के सबसे लोकप्रिय जननेता के रूप में छा चुके हैं। उत्तराखण्ड के मुख्य्ामंत्र्ाी के रूप में जननाय्ाक की ताजपोशी पर राज्य की जनता का उत्साह मानो राज्य का गठन सरीखे था। उत्तराखंड के कददावर नेता व करिष्माई नेता व राज्य्ा आन्दोलनकारी के रूप में शुमार किय्ो जाने वाले हरीश रावत जी का करिष्मा 2009 के लोकसभा चुनावों में भी देखने को मिला, जब वह ं पूरे राज्य में अपने दम पर बदलाव लाने में कामयाब हुए थे। आपको प्रधानमंत्र्ाी मनमोहन सिंह ने अपने मंत्र्ािमंडल में पहले राज्य्ा मंत्री ओर बाद में कैबिनेट मंत्रीी का दायित्व दिया। इसके उपरांत मुख्यमंत्री बनने के बाद जनता की इस जननायक के प्रति दीवानगी ने भी सूबे का माहौल ही बदल दिया।
2 फरवरी 2014 दिन रविवार को देवभूमि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पद को आपके द्वारा सुषोभित करते हुए पूरे उत्तराखण्ड मेे हर्श की लहर दौड गयी थी। विद्वानो ने उनके बारे में लिखाः
कूर्माचल नवगौरव स्वरूप ”भूमिपुत्र आम पर्वतजन“ मुख्यमंत्री महोदय को सर्वभूत हिते रताः (गीता 12.4/5.25) जो उत्तराखण्ड जन के हित में रत हैं एवं सम्पूर्ण जीवन इस भूमि के लिए समर्पित करने की भावना लिये हुए ”कूर्मावतार“ की भांति जैसे भगवान विश्णु ने अपनी पीठ पर धारण कर मदरांचल पर्वत को समुद्र से डूबने से उबारा था वैसे ही विगत वर्श आयी भीशण प्राकृतिक आपदा से ग्रसित इस देवभूमि को अनेकानेक आयी भीशण कठिनाईयों से उबारने एवं यहां के नैसर्गिक संसाधनों को विकसित करते हुए यहां सरल स्वभाव के पर्वतीय जनों में स्वाभिमान का भाव उत्पन्न करने के नित्य कर्मयोग में रत रहे।
आपके सतत् संघर्श के उपरांत प्राप्त मुख्य सेवक के पद पर राजा जनक की भांति कर्म करते रहे जैसा गीता के ष्लोक में उद्धृत हैः-
”कर्मणैव हि संसिद्वि मास्थिता जनकादयः।
लोक से.ग्रह मेवाणि सम्पष् यन्क र्तुमर्हसि।।“ (गीता 3.20)
“यघदा चरति श्रेश्ठ स्तन्त देवेतरो जनः
स प्रत् प्रमाणं कुरुते लोकस्त दनुवर्तते।।” गीता 3.21)
उत्तराखण्ड के आम जन का उनके प्रति दीवानगी का आलम था षायद तभी आम जन के इस भावना को विद्वानो ने षब्दो में पिरोया था कि इस देवभूमि को सर्वागीण विकास के पथ पर ले जाने हेतु भौतिक, दैहिक एवं आत्मिक सहयोग देने को तत्पर रहेगें जिससे यह प्रदेष, राश्ट्र एवं विष्व में अपनी श्रेश्ठता प्रकट कर सके एवं पथ प्रदर्षक भी बन जाये। उत्तराखण्ड का पूरा समाज आपको पूर्ण सहयोग देने का वचन देता है।
(चन्द्रषेखर जोषी- महासचिव) कूर्माचल सांस्कृतिक एवं कल्याण परिशद, देहरादून
एवं मुख्य सम्पादक हिमालयायूके वेब एण्ड प्रिन्ट मीडिया तथा प्रमुख सेवकः माॅ दषम पीताम्बरा विद्याषक्ति पीठ, बंजारावाला देहरादून