कोई भी बीमारी आने से पहले संकेत देती है- एक्‍सपर्ट कहते है

हार्मोन असंतुलन से बीमारियां घेरने लगती है   – HIMALAYAUK NEWSPORTAL एक्‍सपर्ट कहते है कि कोई भी बीमारी आने से पहले संकेत देती है, जरूरत है बस उसे पहचानने और समय रहते उपचार करने की,

हार्मोन्स असंतुलन के प्रभाव जान लें। पुरुषों में जब हार्मोन असंतुलन होता है तो उनमें चिड़चिड़ापन, स्पर्म कम बनना और सेक्स की इच्छा कम होने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।  इसी तरह महिलाएं भी सेक्स की इच्छा कम व्यक्त करती हैं। साथ ही उनका मूड खराब रहता है, किसी भी वक्त वे चिड़चिड़ी हो जाती हैं। चेहरे पर मुंहासे आने लगते हैं, साथ ही चेहरे के साथ अन्य शारीरिक अंगों पर अनचाहे बाल उगने लगते हैं।   इतना ही नहीं, हार्मोन्स असंतुलन की वजह से महिलाओं के मासिक धर्म पर भी असर दिखाई देता है। मासिक धर्म के दौरान जरूरत से अधिक दर्द, मासिक धर्म देरी से होना या कई बार होना ही नहीं, आदि तकलीफें यदि सामने आएं तो समझ जाएं कि कुछ तो गड़बड़ है।

आपको जानकर अचंभा होगा लेकिन हार्मोन की छोटी-सी मात्रा ही कोशिका के मेटाबोलिज़्म को बदलने के लिए काफी होती है। क्योंकि जिस प्रकार ये काम करती है उससे शरीर के विभिन्न हिस्सों को लाभ होता है। ये एक प्रकार के कैमिकल मैसेंजर की तरह एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक सिग्नल भेजते हैं। हमारी आदतें ही हार्मोन्स को कमज़ोर बनाती हैं।  कारण हमारी दिनचर्या से ही जुड़ा है। सुबह देरी से उठना, नाश्ता ना करना, या फिर देरी से करना। इसके बाद काम के चक्कर में दोपहर का खाना भी देरी से करना और रात में भी देरी से जागते रहने की लत आजकल लोगों को रात का खाना भी देरी से करने के लिए मजबूर करती है। सबसे बड़ी भूल हम देरी से भोजन करने की करते हैं और दूसरी भूल भोजन के अलावा फल-आहार ना लेने की करते हैं। आजकल लोग फास्ट फूड खाना अधिक पसंद करते हैं, जरूर खाएं लेकिन केवल टेस्ट के लिए। अपनी सेहत का ख्याल रखने के लिए रोज़ाना फल लेना आवश्यक है। ज़रूरी आहार के अलावा व्यायाम को भी लोग भूल गए हैं, जिसका कारण वे अपना बिज़ी शेड्यूल बताते हैं। लेकिन हमें नहीं लगता कि कसरत करने में घंटों का वक्त लगता है।

शरीर में कुछ असामान्यता जैसे सूजन या फिर असहजता महसूस हो, तो यह हार्मोन के असंतुलन के कारण भी हो सकता है। अलग-अलग मानसिक परिस्थि‍तियों से गुजरने पर शरीर के आंतरिक अंगों में संबंधि‍त हार्मोन का सक्रिय होना सामान्य बात है। साथ ही महिलाओं में प्रेग्नेंसी, मासिक धर्म और मेनोपॉज के समय भी हार्मोन का स्त्राव और बदलाव होता है। लेकिन कभी-कभी कुछ दवाओं या स्वास्थ्य समस्याओं के चलते भी हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं।  शरीर में हार्मोन्स के असंतुलन को समझने के लिए आपको अपने शरीर के प्रति सजग रहने की जरूरत है। अगर आपको यह 12 लक्षण दिखाई दें या महसूस हों तो यह हार्मोन्स का असंतुलन हो सकता है –

महिलाओं और पुरुषों दोनों में हार्मोन असंतुलन के अलग-अलग प्रभाव होते हैं। हार्मोन असंतुलन केवल महिलाओं को प्रभावित नहीं करता, पुरुषों में भी हार्मोन असंतुलन के प्रभाव के विभिन्न स्तर पाए गए हैं। एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और प्रोलैक्टिन हार्मोन पुरुषों के शरीर में भी उत्पादित होते हैं। इन सभी हार्मोन में टेस्टोस्टेरोन पुरुषों में मौजूद सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन में से एक है। इसलिए शरीर के समुचित कार्य को ठीक रखने के लिए टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर सही बनाए रखना बेहद जरूरी है। इस हार्मोन के स्तर के बिगड़ने के कई कारण हो सकते हैं। अच्छा खान-पान ना होना तो एक कारण है ही, साथ ही व्यायाम ना करना और पूरी नींद ना लेना भी बड़े कारणों में आते हैं। महिला हो या पुरुष, नींद पूरी ना होना कई शारीरिक व मानसिक समस्याओं को आमंत्रित करता है। यह हार्मोन असंतुलन के लिए एक बड़ा कारण बनकर सामने आता है। रात को पूरी नींद ना लेने से पूरा दिन तो बेकार जाता ही है, साथ ही यदि 2-3 दिन तक ऐसे ही नींद पूरी ना हो तो धीरे-धीरे यह इंसान के अंदरूनी अंगों पर प्रभाव करता है। यह असर एकदम नज़र नहीं आता, लेकिन धीरे-धीरे इसका असर हो जाता है। इसलिए रात को पूरी नींद लेने की सलाह दी जाती है। रोज पर्याप्त नींद लेने से मस्तिष्क और शरीर दोनों ही स्वस्थ रहते हैं, अत: हार्मोन्स का संतुलन सही बना रहता है।

आजकल की जीवनशैली में मेरे हिसाब से एक व्यक्ति हर वह संभव काम कर सकता है जिसके लिए वह सक्षम है, लेकिन एक कार्य ऐसा भी है जो वह चाहकर भी पूरा नहीं पर पाता। वह है अपने स्वास्थ्य का ख्याल। लाइफ इतनी फास्ट हो गई है कि लोगों को इतना तो पता है कि कब क्या काम करना है, कौन सी तरकीब अपनाकर अधिक से अधिक धन कमाया जा सकता है, लेकिन अपनी सेहत का ध्यान कैसे रखना है, ये कोई नहीं जानना चाहता। वैसे इसमें कोई दो राय नहीं, कि जिन्हें खुद को तंदुरुस्त रखने का तरीका आता है वे भी हेल्दी रहने के मामले में कहीं ना कहीं मार खा ही जाते हैं। सबसे बड़ा कारण, लोग खुद से प्यार करना भूल गए हैं। जब हम किसी अन्य वस्तु या इंसान की तुलना में स्वयं से अधिक प्रेम करेंगे तो अपनी हर एक ज़रूरत का ख्याल रखेंगे। खैर, यह हमारा मुद्दा नहीं है.. मुद्दा है आज आपको उस बीमारी से परिचित कराना जो शायद हमारे बीच बैठे हर दूसरे इंसान को है। या फिर हर किसी को आंशिक रूप से तो है ही, लेकिन वे अनजान हैं। या फिर जान बूझकर उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं। यह परेशानी है हार्मोन्स का असंतुलन।

महिलाओं में मासिकधर्म की समयावधि‍ में परिवर्तन हार्मोन्स के कारण होता है। सामान्यत: 21 से 35 दिन के अंदर शुरू होने वाला मासिक धर्म, यदि महीनों के अंतराल के बाद हो रहा हो या समय पर नहीं हो रहा हो, तो यह एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन्स की अधि‍कता या कमी का नतीजा हो सकता है। 

यह किसी को भी हो सकता है, महिला, पुरुष… किसी को भी। यह किसी भी उम्र में भी हो सकता है। आम लोगों में यह अवधारणा प्रसिद्ध है कि जब महिलाएं मीनोपॉज़ से होकर गुज़रती हैं, तभी उन्हें हार्मोन्स असंतुलन जैसी समस्या का शिकार होना पड़ता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है…

हार्मोन्स असंतुलन के कई सारे कारण होते हैं। महिला या पुरुष, दोनों में होने वाले हार्मोन्स असंतुलन के कुछ ऐसे लक्षण पाए गए हैं जो उनकी रोज़मर्रा की आदतों के कारण उत्पन्न होते हैं। यदि इन आदतों पर काबू कर लिया जाए तो शायद यह दिक्कत उत्पन्न ही ना हो। हार्मोन्स असंतुलन कई वजहों से होता है जैसे कि, अनियमित जीवनशैली, कुपोषण, समय से भोजन ना करना, ज्यादा स्ट्रेस यानि कि तनाव लेना, व्यायाम ना करना, आदि। कुछ लोगों की शिकायत होती है कि वे हमेशा समय से भोजन करते हैं, फिर उनमें यह दिक्कत क्यों आती है। इसका जवाब है उनकी गलत डायट। जी हां… गलत डायट का हमारे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है, इसलिए हर किसी को डॉक्टर की सलाह से सही डायट ले लेनी चाहिए। यदि आप केवल अपनी डायट भी ठीक कर लें तो शायद आपको फर्क दिखना शुरू हो जाएगा। चलिए ज़रा गहराई से जानते हैं हार्मोन्स से जुड़े तथ्य – हमारे शरीर में कुल 230 हार्मोन्स होते हैं, जो शरीर की अलग-अलग क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।

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