केदारनाथ त्रासदी -दो वर्षों में क्या कदम उठाये गये; हाईकोर्ट
सैकड़ों टन मलबा गंगोत्री हाईवे पर#केदारनाथ त्रासदी के बाद आयी आपदा में बदइंतजामी # केदारनाथ त्रासदी -दो वर्षों में क्या कदम उठाये गये; हाईकोर्ट #चार करोड़ की धनराशि गलत ढंग से खर्च कर दी गई #गंगोत्री हाईवे के लिए नासूर बना सुक्खी नाला #डबराणी में पहाड़ी पर बादल फटने से करीब पांच सौ मीटर ऊपर से सैकड़ों टन मलबा गंगोत्री हाईवे पर# www.himalayauk.org (Newsportal)
केदारनाथ त्रासदी और आपदा प्रबंधन मद के खर्चे में लापरवाही से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर बुधवार को हाईकोर्ट की खंडपीठ में सुनवाई हुई. कोर्ट ने राज्य सरकार और केन्द्र से जवाब दाखिल करने को कहा है और पूछा है कि दो वर्षों में क्या कदम उठाये गये.
केदारनाथ त्रासदी में लापता लोगों के मामले से जुड़ी पीआईएल पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. आपदा के तीन साल बीत जाने के बाद भी लापता शवों की खोजबीन न किये जाने की बात जनहित याचिका में कही गई है. साथ ही ये भी कहा गया है कि तकरीबन साढ़े चार हजार लोगों के लापता शवों में से सिर्फ छः सौ पचास कंकाल मिले हैं.
याचिकाकर्ता अजय गौतम का कहना है कि शवों की तलाश के लिये कोई कदम नहीं उठाये गये हैं जबकि 16 जून 2016 को दो कंकाल बरामद हुये थे जिससे जाहिर हो रहा है कि मलबे में अब भी शव दबे हैं.मामले की गंभीरता को देखते हुये हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार ने जवाब दाखिल करने को कहा है और पूछा है कि पिछले दो वर्षों में इस मसले पर क्या कदम उठाये गये हैं.
याचिकाकर्ता ने ये भी मांग की है कि लापरवाही बरतने वाले अफसरों और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाये.बीजेपी नेता प्रकाश पंत व अन्य की ओर से भी याचिकाएं दाखिल की गई हैं. हाईकोर्ट की खंडपीठ अब इस मामले पर 9 नवम्बर को सुनवाई करेगी.
वहीं एक अन्य जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुये आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से तकरीबन चार करोड़ की धनराशि गलत ढंग से खर्च करने के मामले पर हाईकोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकार से अपना जवाब दाखिल करने को कहा है.
केदारनाथ त्रासदी के बाद आयी आपदा में बदइंतजामी के बाद एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी जिसपर सुनवाई करते हुये हाईकोर्ट की खंडपीठ ने नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि आरटीआई के जरिये आपदा प्रबंधन विभाग ने जानकारी दी है कि हर जिले को तीस तीस लाख रूपये की धनराशि आपदा से राहत कार्यों से जुड़े उपकरण खरीदने के लिये जारी की गई थी लेकिन जून 2013 में आयी आपदा के बाद पता चला कि ये सारे उपकरण किसी काम के नहीं हैं.एनडीआरएफ की गाइडलाइन्स के मुताबिक बेल्चा, टॉर्च, बल्ली, आईड्रॉप जैसी चीजें मानकों के विपरीत थीं.
ऐसे में तकरीबन चार करोड़ की धनराशि गलत ढंग से खर्च कर दी गई.याचिका में ये भी कहा गया है कि उत्तराखंड में मलबे में दबने से ज्यादातर लोगों की मौत हो जाती है लेकिन ऐसी कोई डिवाइस नहीं खरीदी गई जिससे इंसान को डिटेक्ट किया जा सके. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद केन्द्र और राज्य से जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 9 नवम्बर को होगी.
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डबराणी में पहाड़ी पर बादल फटने से करीब पांच सौ मीटर ऊपर से सैकड़ों टन मलबा गंगोत्री हाईवे पर
उत्तराखंड में गंगोत्रीघाटी में बुधवार शाम भारी बारिश के बाद बादल फटने और गदेरों के उफान पर आने से गंगोत्री हाईवे बुरी तरह से बाधित हो गया.
करीब चौबीस घंटे बाद गुरुवार को मार्ग खोलकर फंसे वाहनों को किसी तरह निकाला गया, लेकिन चंद मिनटों के बाद ही मार्ग एक बार फिर बंद हो गया है.
गंगोत्री हाईवे के लिए नासूर बना सुक्खी नाला हाईवे को एक साथ पांच स्थानों पर क्रास करता है. बुद्धवार को भारी बारिश के बीच नाले के उफान पर आने से हाईवे पांचों स्थानों पर बड़ी मात्रा में मलबा और बोल्डर आने से बाधित हो गया.
इसके अलावा डबराणी में पहाड़ी पर बादल फटने से करीब पांच सौ मीटर ऊपर से सैकड़ों टन मलबा गंगोत्री हाईवे पर पसर गया. इसके अलावा दर्जनों स्थानों पर जगह-जगह मार्ग बाधित हो गया. शाम को गंगोत्री से लौटने वाले पर्यटक और जन्माष्टमी मनाकर गंगोत्री से लौट रहे स्थानीय लोग मार्ग पर ही फंसे रह गए.
गुरुवार शाम करीब पांच बजे किसी तरह मार्ग खोलने में सफलता हासिल की और मार्ग पर फंसे सैकड़ों यात्रियों को सकुशल निकाल लिया गया.