7 लाख युवाओं को नशे के विरूद्व मुहिम में जोड चुके हैं ललित
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय का नशे के खिलाफ आदेश
ललित मोहन जोशी जी उत्तराखण्ड का एक ऐसा नवयुवक जिसने नशे के खिलाफ एक मुहिम चलाकर लाखो युवाओं को शपथ पत्र भराया, मुहिम को प्रभावी बनाने के लिए पुलिस अधिकारियों, मीडिया सम्पादकों, अध्यापको तथा समाज के अनेक गणमान्य को एकजुट कर चुके हैं- संस्था के माध्यम से नशा मुक्त समाज के लिए मुहिम चलाते हुए लाखों युवाओं को जागरूक कर चुके है। और अब तक प्रदेश के 13 जिलों में हजारों युवाओं को नशा मुक्ति मुहीम से जोड़ चुके है। धर्मपुर देहरादून में आयोजित श्रीरामलीला में श्रीराम की भूमिका से लोकप्रिय हुए श्री ललित जोशी की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें प्रदेश सचिव- उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी में चुनाा गया, आज वह करीबन 7 लाख युवाओं को नशे के विरूद्व मुहिम में जोड चुके हैं- हिमालयायूके की रिपोर्ट
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने कहा है कि बच्चों को ये अलग अलग तरह के नशे आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं जो उन्होंने नशे का आदी बना रहा है। उन्होंने सभी शैक्षिक संस्थानों के मुख्याओं से कहा है कि वो ये सुनिश्चित करें कि उनके छात्र नशा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने तथ्यों को देखते हुए उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि दुकानों में आयोडेक्स, फेवी क्विक, व् दूसरे पदार्थ जिससे नशा होता है 18 वर्ष से कम आयु के बालक व् बालिका को नहीं दिया जाए। न्यायमूर्ति ने उत्तराखण्ड के हुक्का क्लबों में भी 18 वर्ष से काम आयु के युवाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी है। उन्होंने आदेश का पालन नहीं होने कि स्थिति में सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को निजी रूप से जिम्मेदार होने होने की बात भी कही है।
श्री ललित जोशी जी की मुहीम रंग लाई, हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान :
ब्रेकिंग न्यूज़ :- उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति राजीव शर्मा ने अखबारों में छपी ख़बरों के आधार पर बीती 23 अक्टूबर को भवाली में नसीला पदार्थ सूंघने से हुई 15 वर्षीय नाबालिग की मौत पर स्वतः संज्ञान ले लिया है। न्यायालय ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि बच्चों को ये अलग अलग तरह के नशे आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं जो उन्होंने नशे का आदी बना रहा है। उन्होंने सभी शैक्षिक संस्थानों के मुख्याओं से कहा है कि वो ये सुनिश्चित करें कि उनके छात्र नशा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने तथ्यों को देखते हुए उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि दुकानों में आयोडेक्स, फेवी क्विक, व् दूसरे पदार्थ जिससे नशा होता है 18 वर्ष से कम आयु के बालक व् बालिका को नहीं दिया जाए। न्यायमूर्ति ने उत्तराखण्ड के हुक्का क्लबों में भी 18 वर्ष से काम आयु के युवाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी है। उन्होंने आदेश का पालन नहीं होने कि स्थिति में सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को निजी रूप से जिम्मेदार होने होने की बात भी कही है। भवाली में गैरीखेत के जंगल में चार नाबालिगों ने फैवी बाण्ड नामक पदार्थ सूंघकर सूखा नशा किया जहाँ नशे की ओवर डोज लेने कि वजह से कक्षा आठ के छात्र शिवम नेगी की मौत हो गई थी।
इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए मानवाधिकार संरक्षण एवम् भ्रस्टाचार निवारक समिति के अध्यक्ष श्री ललित मोहन जोशी जी के नेतृव में संस्था एक पहल के माध्यम से लाखों युवाओं को जागरूक कर चुके है। और अब तक प्रदेश के 13 जिलों में हजारों युवाओं को इस मुहीम से जोड़ चुके है। 1 नवम्बर 2016 से 24 दिसम्बर 2016 तक पुनः सभी स्कूलों में यह पहल जारी रहेगी जिसका मुख्य उद्देश्य समाज के युवा पीडी को नशे के विरुद्ध जागरूक करना और युवाओं का मार्गदर्शन करने के साथ उनका मनोबल बढ़ाना जिससे मध्यम परिवार के युवा अपना भविष्य सवार सके तथा नशे के आतंक को पुरे देश से ख़त्म किया जा सके जिससे फिर कोई मासूम मौत के मुह में ना जा सके और किसी माँ की गोद सुनी ना रहे, ना ही कोई मासूम कम उम्र में अनाथ हो।