हिमालयन दिवस-2017 की तैयारियां
सभी हिमालयी राज्य एकजुट हों ; हिमालयी राज्यों की सामान्य समस्यायें उजागर हों /उत्तराखण्ड जैसे हिमालयी राज्य जो पूरे देश को पर्यावरणीय सेवाएं देता है को कोई प्रतिकर मिले # हिमालय पर्वतीय महासभा ने कहा- विचित्र रवैया है-
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देहरादून 02 अगस्त, 2017(सू.ब्यूरो)
हिमालयन दिवस-2017 की तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में अधिकारियों के साथ बैठक की। देहरादून में होने वाले दो दिवसीय हिमालयी राज्यों के सम्मेलन में पलायन, जलवायु परिवर्तन एवं ग्रीन इंजीनियरिंग, बायोइकोनाॅमी, पर्यावरणीय सेवाएं तथा ग्रीन बोनस, केन्द्रीय योजनाओं का हिमालयी अनुकूलन एवं हिमालयी राज्यों में सहयोग आदि विषयों पर चर्चा होगी। इस सम्मेलन में हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री एवं विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होंगे। इस सम्मेलन में सभी हिमालयी राज्य एकजुट होंगे। सभी हिमालयी राज्यों की सामान्य समस्यायें उजागर होंगी। जिसे भारत सरकार के सामने रखा जायेगा। ताकि इन समस्याओं के समाधान के लिए ठोस नीति बन सके। सम्मेलन का उद्देश्य पर्वतीय क्षेत्रों के विकास को नई धारा से जोड़ना है जो हिमालयी पारिस्थितिकी के अनुरूप हो। क्लाइमेट चेंज के प्रभावों से मुक्त हो और पर्वतीय जनमानस के अनुकूल हो। उत्तराखण्ड जैसे हिमालयी राज्य जो पूरे देश को पर्यावरणीय सेवाएं देता है को कोई प्रतिकर मिले। बैठक में सभी राज्यों से विचार-विमर्श कर शीघ्र ही तिथि निर्धारित करते हुए आयोजन सम्बन्धी अन्य पहलुओं पर अन्तिम निर्णय लेने की बात हुई।
बैठक में मुख्य सचिव श्री एस.रामास्वामी, प्रमुख सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, श्रीमती मनीषा पंवार, श्री उमाकांत पंवार, एडीजी अशोक कुमार, सचिव आर.मीनाक्षी सुन्दरम, अरविन्द सिंह ह्यांकी, जिलाधिकारी देहरादून एस.ए. मुरूगेशन, हेस्को के अनिल जोशी आदि उपस्थित थे।
हिमालय पर्वतीय महासभा के अध्यक्ष हरिकिशन किमोठी ने कहा कि एक ओर हिमालयन दिवस की तैयारी कर हिमालयी राज्यों की सामान्य समस्यायें उजागर करने तथा पर्यावरणीय सेवाएं के बदले प्रतिकर की बात हो रही है वही हिमालय की तलहटी में बडे तथा विशालकाय बांध बनाकर पलायन करवाया जा रहा है, इतिहास गवाह है कि टिहरी बॉध से अभी तक पूर्णतया पुनर्वास नही हो पाया है वही टिहरी बॉध से आसपास के क्षेत्रों में खतरा और मंडरा रहा है, उनकी समस्याओं की ओर कोई ध्यान नही है- हिमालय पर्वतीय महासभा पंचेश्वर बांध पर पर्यावरणविदों की नेशनल पंचायत बुलायेगी वही हेस्को के अनिल जोशी का मौन भी निराशा उत्पन्न कर रहा है-