बीजेपी मुख्यमंत्री पद पर अपने थोपे गये नाम काेे बदलने को तैयार नही हुई उसका उसको भारी नुकसान
मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा, यह दावा भले ही शिवसेना बरसों से कर रही है लेकिन आज उसके इस ख़्वाब को साकार कराने में शरद पवार की ही महत्वपूर्ण भूमिका #वही बीजेपी मुख्यमंत्री पद पर अपने थोपे गये नाम काेे बदलने को तैयार नही हुई उसका उसको भारी नुकसान- शिवसेना से 30 साल पुरानी दोस्ती टूट गयी, महाराष्ट्र जैसा बडा राज्य भाजपा के हाथ से निकल गया #संजय राउत ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि यह बीजेपी का अहंकार है कि वह राज्य में सरकार बनाने से मना कर रही है और ऐसा करके वह महाराष्ट्र की जनता का अपमान कर रही है। राउत ने कहा कि बीजेपी विपक्ष में बैठने के लिये तैयार है लेकिन वह शिवसेना को सत्ता में 50-50 की भागीदारी देने के लिये तैयार नहीं है #अब शिवसेना को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से बाहर निकलना तथा शिवसेना के मंत्रियों को केंद्र सरकार से इस्तीफ़ा देना; भाजपा के लिए ऑल इस नॉट गुड
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मोदी सरकार में शिवसेना के कोटे से मंत्री पद संभाल रहे अरविंद सावंत ने सोमवार सुबह इस्तीफ़ा देने की घोषणा की है। सावंत केंद्र में भारी उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम का मंत्रालय संभाल रहे थे। इसके बाद ही शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस के मिलकर सरकार बनाने की अटकलें तेज़
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद की लड़ाई की आंच दिल्ली तक पहुंच गई है। मोदी सरकार में शिवसेना के कोटे से मंत्री रहे अरविंद सावंत ने इस्तीफ़ा दे दिया है। सावंत केंद्र में भारी उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम का मंत्रालय संभाल रहे थे।
महाराष्ट्र में चुनावी नतीजे आने के बाद से ही शिवसेना मुख्यमंत्री पद की कुर्सी को लेकर अड़ी हुई है। शिवसेना कहती रही है कि लोकसभा चुनाव के दौरान उसका बीजेपी के साथ 50:50 का फ़ॉर्मूला तय हुआ था। शिवसेना के मुताबिक़, इस फ़ॉर्मूले के तहत मुख्यमंत्री का पद दोनों पार्टियों के पास ढाई-ढाई साल के लिये रहेगा। लेकिन बीजेपी मुख्यमंत्री पद के बंटवारे के लिये तैयार नहीं हुई और अंतत: उसे सरकार बनाने से पीछे हटना पड़ा।
रविवार शाम को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार बनाने का न्यौता दिया था। राजभवन की ओर से शिवसेना के विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे से पूछा गया है कि क्या वह सरकार बनाने के लिये तैयार हैं। शिवसेना राज्य में दूसरा बड़ा राजनीतिक दल है। इससे पहले शनिवार को राज्यपाल ने बीजेपी को राज्य में सरकार बनाने का निमंत्रण दिया था। लेकिन रविवार को दिन भर पार्टी नेताओं के साथ बैठक करने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने अन्य नेताओं के साथ शाम को राज्यपाल से मुलाक़ात की थी और उन्हें बताया था कि बीजेपी राज्य में सरकार बनाने में सक्षम नहीं है।
महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार का कोई सानी नहीं है। उनके राजनीतिक दाँव-पेचों की वजह से कोई उन्हें तेल लगाया हुआ पहलवान कहता है, मतलब ऐसा पहलवान जो आसानी से किसी के हाथ नहीं आता तो कोई उन्हें चाणक्य कहता है। अपने एक दाँव से पवार ने साल 2014 में शिवसेना को सत्ता के हाशिये पर पहुंचा दिया था और आज उसी दाँव से उसको सत्ता के केंद्र में खड़ा कर दिया है।
मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा, यह दावा भले ही शिवसेना बरसों से कर रही है लेकिन आज उसके इस ख़्वाब को साकार कराने में शरद पवार की ही महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। दरअसल, इस ख़्वाब की शुरुआत साल 2014 के विधानसभा चुनावों के दौरान एनसीपी प्रमुख शरद पवार के एक निर्णय से हुई थी, जिसमें उन्होंने सरकार का गठन करने के लिए भारतीय जनता पार्टी को बिना शर्त समर्थन देने की बात कही थी। शरद पवार के इस दाँव ने प्रदेश में बीजेपी की सरकार तो बना दी थी लेकिन शिवसेना सत्ता के हाशिए पर पहुंच गई थी।
सावंत के इस्तीफ़े से सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूट जायेगा। इससे पहले 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूट गया था। लेकिन चुनाव के बाद दोनों दल साथ आ गये थे और मिलकर सरकार बनाई थी। महाराष्ट्र में सरकार में रहने के बावजूद शिवसेना बीजेपी पर ख़ूब हमलावर रही थी और लग रहा था कि दोनों दल लोकसभा का चुनाव अलग-अलग लड़ेंगे। लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री पर आये थे और इसके बाद दोनों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी।
रविवार शाम को ही महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार बनाने का न्यौता दिया था। राजभवन की ओर से शिवसेना के विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे से पूछा गया है कि क्या वह सरकार बनाने के लिये तैयार हैं। शिवसेना राज्य में दूसरा बड़ा राजनीतिक दल है। इससे पहले शनिवार को राज्यपाल ने बीजेपी को राज्य में सरकार बनाने का निमंत्रण दिया था। लेकिन रविवार को दिन भर पार्टी नेताओं के साथ बैठक करने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने अन्य नेताओं के साथ शाम को राज्यपाल से मुलाक़ात की थी और उन्हें बताया था कि बीजेपी राज्य में सरकार बनाने में सक्षम नहीं है।
सावंत के इस्तीफ़ा देने के बाद यह माना जा रहा है कि राज्य में शिवसेना-एनसीपी की सरकार बन सकती है। क्योंकि एनसीपी के नेता नवाब मलिक ने रविवार शाम को कहा था, ‘अगर शिवसेना हमारा समर्थन चाहती है तो उसे बीजेपी से कोई संबंध नहीं रखना होगा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से बाहर निकलना होगा। साथ ही शिवसेना के मंत्रियों को केंद्र सरकार से इस्तीफ़ा देना होगा।’ मलिक ने कहा था कि शिवसेना को समर्थन देने के बारे में अंतिम फ़ैसला कांग्रेस और एनसीपी संयुक्त रूप से लेंगे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार इस बारे में घोषणा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि 12 नवंबर को एनसीपी के विधायकों की बैठक बुलाई गई है।
अटकलें तेज़ हो गई हैं कि राज्य में कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना मिलकर सरकार बना सकते हैं। महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात पर आज ही कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई है। इसके अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने भी मुंबई में पार्टी के कोर ग्रुप के सदस्यों से राजनीतिक हालात पर चर्चा की है। पवार ने कोर ग्रुप की बैठक से पहले कहा कि आज वह इस बारे में कांग्रेस से बात करेंगे। पवार ने कहा कि सरकार गठन को लेकर जो भी फ़ैसला होगा, वह कांग्रेस से बातचीत के बाद ही लिया जायेगा। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी ताज़ा हालात पर विधायकों से चर्चा की है।
एनसीपी की बैठक के बाद पार्टी प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि कांग्रेस के फ़ैसले के बाद ही उनकी पार्टी इस बारे में निर्णय करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान की महाराष्ट्र के नेताओं के साथ शाम 4 बजे बैठक होगी, उसके बाद इस बारे में स्थिति साफ़ होगी। मलिक ने कहा कि एनसीपी शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिये तैयार है लेकिन उन्हें कांग्रेस के फ़ैसले का इंतजार है। जबकि कांग्रेस की बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सोमवार शाम को 4 बजे महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं की बैठक बुलाई गई है।
संजय राउत ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि यह बीजेपी का अहंकार है कि वह राज्य में सरकार बनाने से मना कर रही है और ऐसा करके वह महाराष्ट्र की जनता का अपमान कर रही है। राउत ने कहा कि बीजेपी विपक्ष में बैठने के लिये तैयार है लेकिन वह शिवसेना को सत्ता में 50-50 की भागीदारी देने के लिये तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी 50-50 के फ़ॉर्मूले पर सहमत थी। राउत ने कहा कि अगर राज्यपाल ने उन्हें ज़्यादा समय दिया होता तो उनकी पार्टी के लिये सरकार बनाना आसान होता। उन्होंने कहा कि बीजेपी को 72 घंटे दिये गये जबकि हमें कम समय दिया गया, यह बीजेपी की राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की रणनीति है।
मोदी सरकार में शिवसेना के कोटे से मंत्री पद संभाल रहे अरविंद सावंत ने सोमवार सुबह इस्तीफ़ा देने की घोषणा की है। सावंत केंद्र में भारी उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम का मंत्रालय संभाल रहे थे। इसके बाद ही शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस के मिलकर सरकार बनाने की अटकलें तेज़ हो गई हैं। क्योंकि एनसीपी के नेता नवाब मलिक ने रविवार शाम को कहा था, ‘अगर शिवसेना हमारा समर्थन चाहती है तो उसे बीजेपी से कोई संबंध नहीं रखना होगा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से बाहर निकलना होगा। साथ ही शिवसेना के मंत्रियों को केंद्र सरकार से इस्तीफ़ा देना होगा।’