ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मनुष्य ग्रहों के अधीन है
मनुष्य ग्रहों के प्रभाव से प्रभावित होकर जीवन जीता है ; Top Execlusive Article; www.himalayauk.org (Leading Digital Newportal)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मुख्यत: 9 ग्रह बताए गए हैं। इनके प्रभाव से मानव प्रभावित हो सुख-दु:ख का अनुभव करता है। एक ही ग्रह के प्रभाव से कोई सुखी तो कोई दु:खी होता है। नौ ग्रहों का प्रभाव मूल रूप से एक ही जैसा सब पर पड़ता है पर वे ही ग्रह अलग-अलग स्थानों में होकर अलग-अलग फल देते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मनुष्य ग्रहों के अधीन है अर्थात ग्रहों के प्रभाव से प्रभावित होकर जीवन जीता है। दुष्कर्म, सत्कर्म, पाप-पुण्य उससे ही संचालित होते हैं। ग्रह हमारे जीवन को इतना प्रभावित किए हैं कि कभी इच्छा मात्र से सबकुछ आसानी से हासिल हो जाता है और कभी बहुत प्रयत्न करने के बाद भी छोटी सी सफलता नहीं मिल पाती है। क्या नौ ग्रहों का प्रभाव इतना है? एक ही ग्रह लोगों को अलग-अलग कैसे प्रभावित कर सकता है? नौ ग्रहों का अस्तित्व है या नहीं, इसका प्रमाण क्या है? ये ग्रह हमें प्रभावित करते भी हैं या नहीं? यह प्रश्न समझ में नहीं आता कि सूर्य जब सबको बराबर धूप दे रहा है तो लोगों को अलग-अलग कैसे प्रभावित कर सकता है।
हमारे जीवन के लिए आवश्यक सभी तत्वों का निर्माण और पृथ्वी पर उनका वितरण तारों के माध्यम से ही हुआ है। आपका सवाल होगा कि कैसे? मगर इस प्रश्न का उत्तर जानने से पहले यह जानना आवश्यक होगा कि मानव शरीर किन तत्वों से निर्मित हुआ है। यदि आपका जवाब है कि यह पंच-तत्वों- पृथ्वी, गगन, वायु, अग्नि और जल से निर्मित है तो आप आधुनिक विज्ञान के अनुसार गलत हैं। मगर क्यों? आखिर इन पांच तत्वों से ही तो ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई है न! और तो और ये जीव-जंतु, पेड़-पौधे और हम मनुष्य भी इन पंच-तत्वों के ही संयोग से पैदा हुए हैं। दरअसल इन पंच-तत्वों को प्राचीन काल से ही मूलतत्वों की संज्ञा दी जाती रही है, यानी इन पांच पदार्थों का और कोई रूपांतर नहीं हो सकता। मगर प्राचीन काल से प्रचलित यह पंच-तत्व सिद्धांत आधुनिक विज्ञान के समक्ष टिक नहीं सका। उन्नीसवी शताब्दी के वैज्ञानिक जॉन डाल्टन ने बताया कि पृथ्वी, गगन, वायु आदि मूल तत्व नहीं हैं। इनमे से प्रत्येक पदार्थ का विश्लेषण किया जा सकता है और विश्लेषण करने पर सभी पदार्थों में एक से अधिक पदार्थ स्पष्ट दिखाई देते हैं। जैसे वायु- ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, कार्बन-डाई ऑक्साइड आदि से तथा जल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से निर्मित है। इसलिए ये पंच-तत्व भी शुद्ध तत्व नहीं है और ये भी अन्य तत्वों से मिलकर बने हैं, तो ऐसे कौन से प्रमुख तत्व हैं जिनसे मानव शरीर निर्मित हुआ है? मानव शरीर का लगभग 99% भाग मुख्यतः छह तत्वो से बना है: ऑक्सीजन, कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, कैल्सीयम और फास्फोरस। लगभग 0.85% भाग अन्य पांच तत्वो से बना है: पोटेशियम, सल्फर, सोडीयम, क्लोरीन तथा मैग्नेशियम है। इसके अतिरिक्त एक दर्जन ऐसे तत्व हैं, जो जीवन के लिये आवश्यक माने जाते हैं, जिसमे बोरान, क्रोमीयम, कोबाल्ट, कॉपर, फ़्लोरीन आदि सम्मिलित हैं। ये तो हुए हमारे शरीर/जीवन के निर्माण में योगदान देने वाले तत्व, अब हम इस प्रश्न पर आते हैं कि किस प्रकार से मानव जीवन के निर्माण हेतु आवश्यक तत्वों को तारों ने किस प्रकार मुहैया कराया, उसके लिए हम 13.8 अरब वर्ष पहले शुरू हुए ब्रह्मांड के जन्म की यात्रा पर चलते हैं।
नौ ग्रहों के अस्तित्व की जहां तक बात है। सूर्य-चंद्र को तो सभी आसानी से देख लेते हैं। सात ग्रहों को समझना है। ये सात ग्रह भी ग्रह मंडल में मौजूद हैं। हम आकाश मंडल में बहुत कुछ देखते हैं। तारे भी देखते हैं। असंख्य तारे भी लगभग एक जैसे हैं। स्कूल में बच्चे जब एक ड्रेस में होते हैं और छुट्टी के समय बाहर निकलते हैं तो उसमंत अपने बच्चे को पहचानना मुश्किल होता है। हमारे बच्चे हमें आसानी से पहचान लेते हैं और दौड़कर पास आ जाते हैं। दरअसल जब हम खड़े होते हैं तो हमारे जैसा दूसरा कोई भ्रम पैदा करने वाला नहीं होता है। इसलिए बच्चे हमें पहचान लेते हैं। चूंकि सभी बच्चे एक जैसे दिखते हैं इसलिए हमें पहचानने में कठिनाई होती है। इसी तरह सूर्य-चंद्र कु छ अलग विशेषता के कारण पहचान में आ जाते हैं, जैसे पूरे स्कूल में कोई बच्चा सात फुट का हो तो उसे आसानी से पहचाना जा सकता है। सूर्य-चंद्र आसानी से दिख जाते हैं। अन्य ग्रहों को भी आम जनमानस ग्रह मंडल में देखता तो है पर जान नहीं पाता, थोड़ा प्रयास करने पर उन्हें भी पहचाना जा सकता है। रही बात सूर्य सबको एक ही डिग्री में धूप देता है। सभी अपनी अपनी ऊर्जा एक जैसा फेंकता है तो अलग-अलग लोगों को अलग-अलग फल कैसे देता है। दरअसल सूर्य तो एक जैसा ही प्रभाव डालता है पर हमारे शरीर का निर्माण किस तरह का है, उसी के अनुसार ऊर्जा रिसीव हो पाती है। समुद्र से कोई एक लोटा, कोई एक लीटर, कोई 25 लीटर जल निकाल लेता है, समुद्र किसी को मना नहीं करता है, पर हमारे पास जो पात्र है हम उसके अनुसार ही जल ले पाते हैं। समुद्र में जल है पर हमारे पास पात्र नहीं है। दूसरी बात यह है कि एक समय में ही सूर्य एक जैसी ऊर्जा दे रहा होता है, दूसरे समय में वैसी ऊर्जा सूर्य नहीं दे सकता। अर्थात अलग-अलग तिथि-समयों में जन्म हमारा होता है। सूर्य व अन्य ग्रह व राशि के अनुसार हमारे शरीर का निर्माण होता है। उस समय जब हमारे शरीर का निर्माण हो रहा था और जो हमारी पात्रता बनी, बाद में सूर्य कैसी भी ऊर्जा दे हमारा शरीर अपनी पात्रता के अनुसार ही उसे ग्रहण करता है। एक अन्य उदाहरण समझ में आता है कि मिठाई सबको मीठी लगती है पर जिस व्यक्ति में बुखार हो उसे मिठाई का मूल स्वाद नहीं मिलता है। किसी को सुगर हो तो वही मिठाई जहर का काम करती है। हमें समझना चाहिए कि दोष मिठाई में नहीं है। एक ही मिठाई किसी को लाभ पहुंचा रही है और किसी को नुकसान। उसी प्रकार ग्रहों का प्रभाव भी हमारे ऊपर होता है।