UK.PhQ;पुलिस अधीक्षक मानवा0 ने मानवाधिकार हनन का ठीकरा मीडिया पर फोडा

PHQ2#पुलिस ने मानवाधिकार हनन का ठीकरा मीडिया के सिर फोडा  #गिरफ्तार व्यक्तियों के प्रदर्शन पर उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग की सख्ती  #पुलिस अधीक्षक मानवाधिकार अजय जोशी ने अपनी सफाई में इसके लिये पत्रकारों को ही जिम्मेदार ठहरा दिया  #पुलिस मुख्यालय की ओर से पुलिस अधीक्षक मानवाधिकार अजय जोशी – लिखा गया है कि समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार/फोटो संबंधित पत्रों के पत्रकारों द्वारा अपने समाचार पत्रों का प्रचार प्रसार करने हेतु उक्त फोटो/समाचार प्रकाशित किये गये हैं। www.himalayauk.org (UK Leading Digital Newsportal) 
गिरफ्तार व्यक्तियों के प्रदर्शन पर उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग की सख्ती के चलते पुलिस मुख्यालय ने इसका ठीकरा मीडिया के सिर फोडा हं। इस सम्बन्ध में मानवाधिकार आयोग के नोटिस पर पुलिस मुख्यालय की ओर से पुलिस अधीक्षक मानवाधिकार अजय जोशी ने अपनी सफाई में इसके लिये पत्रकारों को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है।
काशीपुर निवासी नदीम उद्दीन एडवोकेट द्वारा उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग में गिरफ्तार व्यक्तियों के मीडिया के सामने प्रदर्शन करके मानवाधिकार हनन की शिकायत की थी जिस पर कार्यवाही करते हुये डी.जी.पी. को ०७ अप्रैल के आदेश से शिकायत पर प्रस्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिये गये है। पुलिस मुख्यालय की ओर से पुलिस अधीक्षक मानवाधिकार अजय जोशी ने सभी जिले के पुलिस अधीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों की आख्याओं सहित आयोग में उत्तर प्रस्तुत किया है। इसकी प्रति आयोग द्वारा शिकायतकर्ता नदीम उद्दीन को अपनी आपत्तिां प्रस्तुत करने हेतु उपलब्ध करायी गयी है। इस उत्तर में गिरफ्तार व्यक्तियों के मीडिया के सामने प्रदर्शन को मानवाधिकार हनन तथा गैर कानूनी तो माना है। लेकिन इनके प्रदर्शन करने वाले पुलिस अधिकारियों के स्थान पर पत्रकारों को ही जिम्मेदार ठहरा दिया गया है। इसमें स्पष्ट लिखा गया है कि समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार/फोटो संबंधित पत्रों के पत्रकारों द्वारा अपने समाचार पत्रों का प्रचार प्रसार करने हेतु उक्त फोटो/समाचार प्रकाशित किये गये हैं।
माकाक्स के केन्द्रीय अघ्यक्ष नदीम उद्दीन (एडवोकेट) द्वारा उत्तराखण्ड मानवाधिकार आयोग को शिकायत की गयी है कि पूरे उत्तराखण्ड में उत्तराखंड पुलिस के अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी गिरफ्तारी सम्बन्धी गाइडलाइन के गिरफ्तारी के बाद के निर्देशों के उल्लंघन में गिरफ्तार व्यक्तियों की गरिमा का सम्मान नहीं किया जा रहा है। उनकी मीडिया के सामने अपराधी बताते हुये प्रदर्शित करते हुये परेड करायी जा रही है। इसके बाद मीडिया द्वारा उन्हें समाचार पत्रों तथा न्यूज चैनलों पर दिखा दिया जाता ह।इस मानवाधिकार उल्लंघन में केवल छोटे स्तर के पुलिस अधिकारी ही नहीं बल्कि वह वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी शामिल है जिन पर जिले भर के पुलिस अधिकारियों द्वारा मानवाधिकार संरक्षण तथा नियम कानूनों का पालन सुनिश्चित कराने को दायित्व है। उदाहरण के लिये उधमसिंह नगर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा ही विभिन्न बार मीडिया कर्मियों के समक्ष गिरफ्तार व्यक्तियों को अपराधी बताते हुये गिरफ्तार व्यक्तियों को प्रदर्शित किया गया है। इसके फोटो सहित समाचारों की ७ कटिंग भी शिकायत के साथ संलग्न की गयी है।
श्री नदीम द्वारा आयोग को भेजी शिकायत के अनुसार अधिकतर जिन मामलों में गिरफ्तार व्यक्तियों का मीडिया के समक्ष प्रदर्शन किया जाता है उनके विरूद्ध सम्बन्धित मुकदमें की तफ्तीश पूर्ण नहीं होती। इसलिये पुलिस द्वारा उनके विरूद्ध तब तक चार्जशीट बनाकर न्यायालय को प्रेषित न किये जाने से यह स्पष्ट होता है कि पुलिस अभिलेखों के अनुसार भी तब तक मीडिया के सामने अपराधी के रूप में प्रदर्शित किया गया व्यक्ति आरोपी नहीं होता है।
शिकायत में पुलिस अधिकारियों के इस कार्य को गैर कानूनी व अपराध बताया गया है। इसके अनुसार ऐसा करना जहां राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की गिरफतारी गाइडलाइन का उल्लंघन तथा न्यायालय अवमान है वहीं पुलिस फोर्सेज रेस्ट्रक्शन ऑफ राइट एक्ट १९६६, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८ की धारा १३(१)(डी), भारतीय दण्ड संहिता की धारा १६६ के अन्तर्गत अपराध है तथा उत्तराखड सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली २००२ के नियम ६ व ९ का उल्लंघन होने के कारण स्पष्ट सेवा कदाचार है।
श्री नदीम ने शिकायत में इस अवैध प्रदर्शन के प्रभावों से भी आयोग को अवगत कराया है जिसमें गिरफ्तार व्यक्ति को मीडिया में अपराधी के रूप में नाम प्रकाशित होने से उसका सारा जीवन ही बर्बाद होना, असली अपराधी को पकडना मुश्किल हो जाना और कई बार निर्दोष व्यक्ति के प्रति जनाक्रोश भडक जाना, न्यायालय में निष्पक्ष विचारण भी प्रभावित होने की संभावनायें, गिरफ्तार नहीं हुये अभियुक्तों के फरार होने की संभावनायें बढना, छटे अपराध करने वाले व्यक्तियो के भी सुधरने की संभावनाये समाप्त होना, ऐसे व्यक्तियों के परिवार का भी तिरस्कार व सामाजिक अपमान होना, पुलिस अधिकारिय के समय व विभाग के संसाधनों की बर्बादी, भ्रष्टाचार की संभावनाये बढना शामिल है।
शिकायत में आयोग से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की गाइडलाइन का पूर्ण पालन सुनिश्चित कराने तथा पूरे प्रदेश में उत्तराखड के पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार व्यक्तियों के अवैध रूप से मीडिया के समक्ष प्रदर्शित करने व उनकी गरिमा का सम्मान न करने से रकने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने तथा दोषियों के विरूद्ध जनहित में कार्यवाही करने की प्रार्थना की गयी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *