तमाम शहीदो को नमन जिनका बलिदान कभी न होगाअस्त
फिर आया स्वतंत्रता दिवस
कृतज्ञ राष्ट्र तैयार है उनतमाम शहीदो को करने नमन
जिनका बलिदान कभी न होगाअस्त ।
यह अमूल्य राष्ट्रीय पर्व जिसे हम, गर्व से हर वर्ष मनाए
यह वह पावन दिवस जबहम अपना राष्ट्रीय ध्वज फहराए
धर्म भाषा जाति से उठकरभारतीयता का अहसास कर जाएँ ।
वह तिरंगा जो केवल तीन रंग में
कितने उच्च आदर्श कह जाए
आओ इस स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक को
जनसाधारण के मन मे बसाए ।
आओ आजादी का ये पावन दिवस
हर्षोउल्लास से एक साथ मनाए
प्रण करें आत्मसम्मान से भरा जीवन
तमाम उम्र सब जी जाएँ ।
शपथ ले सब पूर्व पीढ़ी के,
संघर्ष को कभी भूल ना जाएँ ।
आजादी का यह प्रजल्ल्व दीप,
कभी ना कोई बुझा ने पाएँ
कभी ना कोई बुझाने पाएँ ।
मोनिका चोरड़िया — जोधपुर, चाड़वास राजस्थान
मोनिका चोरड़िया कहती है कि सदियों की गुलामी के पश्चात 15 अगस्त सन् 1947 के दिन आजाद हुआ। पहले हम अंग्रेजों के गुलाम थे। उनके बढ़ते हुए अत्याचारों से सारे भारतवासी त्रस्त हो गए और तब विद्रोह की ज्वाला भड़की और देश के अनेक वीरों ने प्राणों की बाजी लगाई, गोलियां खाईं और अंतत: आजादी पाकर ही चैन लिया। इस दिन हमारा देश आजाद हुआ, इसलिए इसे स्वतंत्रता दिवस कहते हैं। अंग्रेजों के अत्याचारों और अमानवीय व्यवहारों से त्रस्त भारतीय जनता एकजुट हो इससे छुटकारा पाने हेतु कृतसंकल्प हो गई। सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद ने क्रांति की आग फैलाई और अपने प्राणों की आहुति दी। तत्पश्चात सरदार वल्लभभाई पटेल, गांधीजी, नेहरूजी ने सत्य, अहिंसा और बिना हथियारों की लड़ाई लड़ी। सत्याग्रह आंदोलन किए, लाठियां खाईं, कई बार जेल गए और अंग्रेजों को हमारा देश छोड़कर जाने पर मजबूर कर दिया। इस तरह 15 अगस्त 1947 का दिन हमारे लिए ‘स्वर्णिम दिन’ बना। हम, हमारा देश स्वतंत्र हो गए। इस दिन का ऐतिहासिक महत्व है। इस दिन की याद आते ही उन शहीदों के प्रति श्रद्धा से मस्तक अपने आप ही झुक जाता है जिन्होंने स्वतंत्रता के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दी। इसलिए हमारा पुनीत कर्तव्य है कि हम हमारे स्वतंत्रता की रक्षा करें। देश का नाम विश्व में रोशन हो, ऐसा कार्य करें। देश की प्रगति के साधक बनें न कि बाधक।
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