डाक विभाग को 15,000 करोड़ का घाटा, BSN- एयर इंडिया से आगे
अब सरकारी कंपनी इंडिया पोस्ट (भारतीय डाक) ने घाटे के मामले में बीएसएनएल और एयर इंडिया को भी पीछे छोड़ दिया है. वित्त वर्ष 2018-19 में इंडिया पोस्ट को कुल 15,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. पिछले तीन वित्त वर्ष में इंडिया पोस्ट का घाटा बढ़कर 150 फीसदी की बढ़त हुई है. अब यह सबसे ज्यादा घाटे वाली सरकारी कंपनी हो गई है. डाक विभाग को 15,000 करोड़ का घाटा, BSN- एयर इंडिया से आगे
इस घाटे की वजह कर्मचारियों को वेतन और अन्य भत्ते देने के लिए होने वाले खर्च को बताया जा रहा है. इस मद पर इंडिया पोस्ट को अपने सालाना राजस्व का 90 फीसदी तक खर्च करना पड़ता है. घाटे के लिए बदनाम दूसरी सरकारी कंपनी बीएसएनएल को वित्त वर्ष 2018-19 में 7,500 करोड़ रुपये और एयर इंडिया को वित्त वर्ष 2017-18 में 5,337 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है.
अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर मामले में गिरफ्तार कथित रक्षा एजेंट सुशेन मोहन गुप्ता द्वारा दायर जमानत याचिका का विरोध करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि उसके भी उन 36 कारोबारियों की तरह देश से फरार होने की संभावना है, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. ईडी ने विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार को बताया कि विजय माल्या और नीरव मोदी समेत कुल 36 कारोबारी हाल में देश से फरार हो चुके हैं.
समाज में गहरी जड़ वाले दावे का विरोध किया
एजेंसी के विशेष लोक अभियोजक डीपी सिंह और एनके मट्टा ने सुशेन के उन दावों का विरोध किया कि उसकी समाज में गहरी जड़े हैं. एजेंसी ने कहा, ‘माल्या, ललित मोदी, मेहुल चोकसी, नीरव मोदी और संदेसरा बंधु (स्टर्लिंग बायोटेक लिमिटेड के प्रवर्तक) की समाज में ज्यादा गहरी जड़े थीं इसके बाद भी वे देश छोड़ गए. ऐसे 36 कारोबारी हैं जो हाल में देश छोड़कर फरार हुए हैं.’ बहस के दौरान ईडी की अधिवक्ता संवेदना वर्मा ने अदालत को बताया की मामले की जांच अहम चरण में है और एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ‘आरजी’ कौन है जिसका संदर्भ सुशेन की डायरी में है. वर्मा ने गुप्ता पर मामले के गवाहों को प्रभावित करने का आरोप लगाते हुए अदालत को बताया कि उसने मामले में साक्ष्यों को नष्ट करने की भी कोशिश की. अदालत ने गुप्ता की जमानत याचिका पर फैसला 20 अप्रैल तक के लिये सुरक्षित रख लिया
इंडिया पोस्ट को वित्त वर्ष 2018-19 में 18,000 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ था, जबकि उसे वेतन और भत्तों में 16,620 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे. इसके अलावा बीएसएनल को पेंशन पर करीब 9,782 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे, यानी उसका कुल कर्मचारी लागत 26,400 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. कंपनी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020 में वेतन/भत्तों पर खर्च 17,451 करोड़ रुपये और पेंशन पर खर्च 10,271 करोड़ रुपये रहेगा. वहीं, इस दौरान आय सिर्फ 19,203 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. इससे साफ है कि आगे चलकर कंपनी की हालत और खराब होगी. उत्पाद लागत और कीमत एवं पारंपरिक डाक सेवाओं की तुलना में अधिक सस्ते और तेज विकल्प मौजूद होने की वजह से इंडिया पोस्ट की परफॉर्मेंस सुधारने और इसकी आय बढ़ाने के प्रयास सफल नहीं हो रहे. इसके अलावा उत्पादों की कीमत बढ़ाने के अलावा कंपनी अपने 4.33 लाख कामगारों और 1.56 लाख पोस्ट ऑफिस के नेटवर्क के दम पर ई-कॉमर्स और अन्य वैल्यू एडेड सर्विसेस में संभावनाएं खंगाल सकती है.
इंडिया पोस्ट अपने हर पोस्ट कार्ड पर 12.15 रुपये ख़र्च करता है लेकिन उसे सिर्फ 50 पैसे यानी लागत का चार फीसदी ही मिलता है. औसतन पार्सल सेवा की लागत 89.23 रुपये है लेकिन कंपनी को इसका सिर्फ आधा ही मिलता है. बुक पोस्ट, स्पीड पोस्ट और रजिस्ट्रेशन आदि के साथ भी ऐसा ही होता है.
व्यय सचिव की अध्यक्षता में व्यय वित्त समिति ने हाल ही में डाक विभाग से कहा था कि यूजर्स से शुल्क वसूलने के लिए कंपनी को आत्मनिर्भर होना चाहिए क्योंकि केंद्र के बजट में इस तरह के रेकरिंग वार्षिक घाटा शामिल नहीं होता. लागत बढ़ती जा रही है लेकिन आय घट रही है क्योंकि इसके विकल्प मौजूद है. लोग डाक के बजाए अब ईमेल, फोन कॉल आदि का इस्तेमाल करने लगे हैं.