अमेरिका से नजदीकी पर बौखलाये चीन ने कहा ;एक “भूराजनीतिक चाल”

सिक्किम में भारत चीन की सेना के बीच टकराव की खबर सामने आने के बाद आज गृह मंत्रालय में अहम बैठक हुई. कल खबर आई थी कि चीन सीमा पर भारत और चीन के सैनिक आपस में भिड़ गये हैं. इसी के बाद इस अहम बैठक को बुलाया गया. चीन के घुसपैठ की संख्या बढ़ गई है. चीनी सैनिकों ने सिक्किम के अलावा कई इलाकों में घुसपैठ की है. जानकारी के मुताबिक बीते 45 दिनों में चीन ने सीमा पर 120 बार घुसपैठ की है. इसके अलावा लद्दाख सेक्टर में भी करीब 100 बार घुसपैठ की है.  सिक्किम के डोकाला पास के करीब चीनी सैनिक एलएसी पर सड़क निर्माण कर रहे थे. भारतीय सैनिकों ने इसका विरोध किया और सड़क के करीब अपने बंकर बना लिए. इसके बाद चीनी सैनिकों ने भारत के दो बंकरों को तोड़ दिया. इस घटना के बाद भारत ने इस इलाके में बड़ी तादाद में सैनिक तैनात कर दिए हैं. इसके बाद से दोनों देशों के सैनिकों के बीच गतिरोध है, फिलहाल कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है.

सिक्किम क्षेत्र में भारतीय सीमा के अंदर चीनी सैनिकों के घुसने के बाद तनाव काफी बढ़ गया है. भारत के शीर्ष सैन्य अफसर इलाके में कैंपिंग कर रहे हैं. इन अधिकारियों में 17वीं डिविजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग भी शामिल हैं. सिक्किम में डोका ला जनरल इलाके में लालटेन चौकी के समीप दोनों बलों के बीच धक्का मुक्की होने के बाद भारतीय अधिकारी और दिल्ली स्थित सैन्य मुख्यालय हर घंटे हालात पर पैनी नजर रखे हुए है. मीडिया रिपोर्ट्स के अऩुसार मौके पर भारत और चीन, दोनों के ही करीब एक-एक हजार सैनिक बीते दस दिनों से आमने-सामने हैं. मंगलवार को सिक्किम-भूटान-तिब्बत से सटे डोका-ला इलाके में तनाव जारी रहा. दोनों ही पक्षों के सैनिक अपने-अपने पोजिशन पर जमे रहे. सेना ने मंगलवार को इस टकराव पर कोई आधिकारिक टिप्पणी तो नहीं की, लेकिन सूत्रों के मुताबिक चीनी सेना के जवान विवादित इलाके में सड़क निर्माण के भारी-भरकम साजोसामान के साथ मौजूद हैं. इससे पहले, बीते 20 जून को दोनों देशों के कमांडरों के बीच हुई फ्लैग मीटिंग असफल रही और कोई निष्कर्ष नहीं निकला.. चीन ने सिक्किम क्षेत्र में भारतीय जवानों पर सीमा पार करने का आरोप लगाकर उनसे तुरंत वापस लौटने की मांग की. चीन ने भारतीय जवानों के सिक्किम क्षेत्र में चीनी क्षेत्र में घुसने का आरोप लगाते हुए नयी दिल्ली और बीजिंग दोनों जगह भारत के समक्ष कूटनीतिक विरोध भी दर्ज कराया है. नाथूला दर्रा समुद्रतल से 4,545 मीटर की उंचाई पर है और यह तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र, शिगात्से विभाग में यादोंग काउंटी और सिक्किम के बीच स्थित है. इस पूरे मामले के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहिर ने कहा कि मुझे उम्‍मीद है दोनों देश बातचीत से मामले को सुलझा लेंगे. 

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कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए गए तीर्थयात्रियों को चीन की मनमानी के कारण बिना दर्शन किए ही वापस लौटना पड़ा. तीर्थयात्रियों के इंतजार के बाद भी चीन ने दरवाजे नहीं खोले, जिसके बाद करीब 100 यात्री वापस दिल्‍ली लौट आए हैं. इस मामले पर अभी भारतीय गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया गया है.   गृह मंत्रालय के मुताबिक चीन ने वीजा तो दिया लेकिन तीर्थयात्रियों को नाथूला दर्रा से अपनी सीमा में दाखिला होने से रोक दिया.  वापस भेजे गए जत्थों में से पहला नाथूला में 20 से 23 जून तक रहा, जबकि दूसरा गंगटोक में रुका रहा. इसके अलावा अन्‍य जो लोग नाथूला से जाने वाले थे उन्हें चीन ने वीजा ही नहीं दिया. इस साल कुल 350 तीर्थयात्रियों ने नाथूला मार्ग के जरिए यात्रा के लिए पंजीकरण कराया था और उन्हें सात जत्थों में यात्रा करनी थी. 

 

सिक्किम के अग्रिम इलाकों में भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच हुई झड़प के बाद तनाव को देखते हुए केंद्र ने भारत-चीन सीमा पर स्थिति की समीक्षा के लिए मंगलवार को एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई. अधिकारियों ने कहा कि इस बैठक में गृह मंत्रालय के अलावा सेना और भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस के प्रतिनिधि शामिल हुए. बैठक में सीमा पर हालात खासतौर पर सिक्किम का जायजा लिया गया. सूत्रों के अनुसार सिक्किम सरकार ने गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट भेजकर घुसपैठ की जानकारी दी है.

 भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात की चीनी मीडिया में काफी चर्चा है। दोनों देशों के बीच मजबूत होते रिश्तों से भड़के चीनी मीडिया ने कहा है कि भारत से बढ़ती अमेरिका की नजदीकी एक “भूराजनीतिक चाल” है जिससे भारत को कोई मदद नहीं मिलने वाली। चीनी मीडिया का मानना है कि भारत और अमेरिका चीन पर लगाम लगाने के लिए एक दूसरे से दोस्ती बढ़ा रहे हैं। चीन में मीडिया स्वतंत्र नहीं है। चीनी मीडिया पर वहां की कम्युनिस्ट सरकार का नियंत्रण रहता है। चीन के ग्लोबल टाइम्स अखबार ने 1950 और 1960 के दशकों के इतिहास का हवाला देते हुए भारत को अमेरिका और रूस का राजनीतिक हथियार बनने के प्रति आगाह किया है।

ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, “1950 के दशक के आखिरी से लेकर 1960 के दशक के शुरुआत में सोवियत यूनियन और अमेरिका दोनों ही चीन पर लगाम लगाने के लिए भारत का कार्ड चलते रहे हैं। तत्कालीन केनेडी सरकार ने इंडिया फॉरवर्ड पॉलिसी को समर्थन दिया था। लेकिन नतीजा वो नहीं है जो वो चाहते थे।” चीन अखबार ने 1962 के युद्ध में भारत की हार और अमेरिका द्वारा मदद न मिल पाने की भी याद दिलायी है। चीनी अखबार ने कहा है कि भारत चीन की बराबरी करने में सक्षम नहीं है। अखबार ने लिखा है, “भारत चीन की बराबरी नहीं कर सकता और ये इतिहास सिद्ध है। भारत को भूराजनीतिक चाल में फंसने से बचना चाहिए। चीन के उभार से उपजे तनाव के बावजूद चीन के संग बेहतर रिश्ते रखना ही उसके सुरक्षा और विकास के लिए बेहतर होगा।” चीनी अखबार ने सवाल उठाया है, “भारत को अमेरिका के करीब जाने से कितने व्यावहारिक फायेद हो सकते हैं?” अखबार ने भारत को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता न मिलने को लेकर भी ताना मारा है। चीनी अखबार ने लिखा है, “बराक ओबामा के कार्यकाल में भारत को लुभाने के लिए उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट दिलाने का वादा किया गया लेकिन इसके लिए कोई व्यावहारिक प्रयास नहीं किया गया। क्या ट्रंप भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट दिलाने के लिए ठोस कदम उठाएंगे? कहना मुश्किल है। क्या ट्रंप पाकिस्तान द्वारा कथित तौर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के खिलाफ उस पर ज्यादा दबाव बनाएंगे? इसका जवाब भी लगभग ना ही है। ” चीनी अखबार ने लिखा है कि अमेरिका भारत को चाहे जितना भी चारा डाले लेकिन उसके साथ अमेरिका के रिश्ते जापान या ऑस्ट्रेलिया की तरह रिश्ते नहीं हैं। चीनी अखबार ने कहा है कि अगर भारत ने अमेरिका के साथ रिश्ते बढ़ाए तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। चीनी अखबार ने धमकी दी है कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते प्रगाढ़ होने पर दक्षिण एशिया में तनाव बढ़ सकता है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इसी साल अप्रैल में अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिले थे।

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जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3,488 किलोमीटर भारत-चीन सीमा का 220 किलोमीटर का हिस्सा सिक्किम में आता है. भारतीय सेना और पीएलए के बीच हुई झड़प के बाद चीनी जवानों ने सीमा पर भारत की तरफ बने बंकरों को नष्ट कर दिया था. यह वाकया दोनों सेनाओं के आमने सामने आने के बाद डोका ला सामान्य इलाके के लालटेन पोस्ट के पास जून के पहले हफ्ते में हुआ था. इसके बाद सीमा पर तनाव बढ़ गया था.
चीन ने मंगलवार को भारत के समक्ष सिक्किम क्षेत्र में भारतीय जवानों द्वारा कथित रूप से ‘सीमा पार करने’ पर विरोध दर्ज कराया और उन्हें तुरंत वापस बुलाने की मांग की. बीजिंग ने चेताया कि भविष्य में कैलाश मानसरोवर की भारतीय श्रद्धालुओं की यात्रा इस गतिरोध के समाधान पर निर्भर करेगी. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता को बुलंद रखने को लेकर हमारा रुख दृढ़ है. हम उम्मीद करते हैं कि भारत इसी दिशा में चीन के साथ काम कर सकता है तथा अपने सैनिकों को तुरंत वापस बुलाए जो आगे चले गए हैं और चीनी सीमा में घुस गए हैं.’ उन्होंने कहा ‘हमने अपने महत्वपूर्ण रुख के बारे में बताने के लिए बीजिंग और नई दिल्ली में गंभीर विरोध दर्ज कराया है.’ तिब्बत में घुसने की चीन द्वारा अनुमति नहीं देने के बाद गंगटोक वापस लौटने वाले कैलाश मानसरोवर जा रहे श्रद्धालुओं के भविष्य के बारे में लु कांग ने कहा कि सुरक्षा कारणों से उनकी यात्रा रद्द कर दी गई.’
लु ने श्रद्धालुओं की भविष्य की यात्रा को क्षेत्र से भारत द्वारा ‘जवानों को हटाने’ से जोड़ा. उन्होंने कहा कि जहां तक सिक्किम क्षेत्र में नाथू ला र्दे से होकर भारतीय श्रद्धालुओं की यात्रा का सवाल है तो मुझे लगता है कि भारतीय पक्ष इसे लेकर बहुत स्पष्ट है. लंबे वक्त से चीन की सरकार ने भारतीय श्रद्धालुओं को जरूरी सुविधाएं देने के लिए बहुत प्रयास किए हैं. उन्होंने कहा कि लेकिन हाल में भारतीय सीमा पर तैनात जवानों ने चीन की सीमा पार करके हमारा निर्माण कार्य बाधित किया, हमने जरूरी कार्रवाई की है. सुरक्षा कारणों से हमें चीनी र्दे से होकर भारतीय श्रद्धालुओं की तीर्थयात्रा रोकनी होगी.
चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता रेन गुओछियांग ने मंगलवार को कहा, ‘दोनों देशों के विदेश मंत्रालय इस मुद्दे को लेकर बातचीत कर रहे हैं. प्रवक्ता का यह बयान तब आया है जब भारतीय सेना और पीएलए के जवानों के बीच धक्का मुक्की के बाद दूरवर्ती सिक्किम क्षेत्र में तनाव बढ़ गया. इसमें चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसकर अस्थायी बंकरों को नुकसान पहुंचाया. यह घटना जून के पहले सप्ताह की है जब सिक्किम में डोका ला जनरल इलाके में लालटेन चौकी के समीप दोनों बलों के बीच धक्का मुक्की होने के बाद चीन-भारत सीमा पर तनाव उत्पन्न हो गया. झड़प के बाद पीएलए भारतीय क्षेत्र में घुसी और उसने सेना के दो अस्थायी बंकरों को क्षतिग्रस्त कर दिया. वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद इस क्षेत्र में भारतीय सेना और सीमा रक्षक बल आईटीबीपी तैनात है और उसका शिविर अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने बुधवार को कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों को अनुमति देने से चीन के इनकार कर देने के विरोध में लोगों से चीनी सामानों को बहिष्कार करने की अपील की है. पड़ोसी देश ने 50 तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को प्रवेश करने से मना कर दिया है, जो सिक्किम के नाथू ला के रास्ते कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले थे. इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए वीएचपी के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र कुमार जैन ने कहा कि चीन की नजर तिब्बत पर है, जहां उसने ‘अवैध’ कब्जा किया हुआ है. उन्होंने केंद्र सरकार से जल्दी से जल्दी इस मुद्दे को पड़ोसी देश के साथ उठाने की अपील की है और लोगों से चीनी वस्तुओं को बहिष्कार करने का आग्रह किया है.

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