उत्‍तराखण्‍ड सूचना आयोग ब्‍लैकमैलरो पर अंकुश लगायेगा

सूचना आयोग उत्‍तराखण्‍ड ब्‍लैकमैलरो पर अंकुश लगायेगा, आरटीआइ आवेदन के साथ इस आशय का शपथ पत्र देंगे कि मांगी गई सूचना में व्यापक जनहित है, सूचना का प्रयोग व ब्लैकमेलिंग में नहीं करेंगे और मांगी गई सूचना या इससे मिलती जुलती सूचना पूर्व में नहीं मांगी गई है। मुख्य सूचना आयुक्त ने दिया निर्देश-   बडी खबर-‘ हिमालयायूके

जनहित से इतर सूचनाएं मांग रहे हैं, तो देना होगा शपथ पत्र- 

देहरादून, : सूचना आयोग ने कृषि विभाग के पूर्व कर्मचारी रमेश चंद्र चौहान पर अंकुश लगाया है। इस अंकुश के दायरे में चौहान के वह आरटीआइ आवेदन आएंगे, जिसमें वह कृषि विभाग से सूचना मांगेंगे। इसके तहत तीन शर्त पूरी करने पर ही कृषि विभाग उनका आवेदन स्वीकार करेगा। रमेश चंद्र को कृषि विभाग से संबंधित आरटीआइ आवेदन के साथ इस आशय का शपथ पत्र देंगे कि मांगी गई सूचना में व्यापक जनहित है, सूचना का प्रयोग व ब्लैकमेलिंग में नहीं करेंगे और मांगी गई सूचना या इससे मिलती जुलती सूचना पूर्व में नहीं मांगी गई है।
मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने यह आदेश राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की शिकायत पर दिया। परिषद ने आयोग में शिकायत दर्ज कर बताया था कि रमेश चंद्र चौहान को गबन के मामले में वर्ष 2010 में बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद से वह विभाग के तमाम कार्मिकों से जुड़ी व्यक्तिगत सूचनाएं मांग रहे हैं और इसकी आड़ में ब्लैकमेलिंग का धंधा भी चला रहे हैं। उन्होंने 85 अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ विभिन्न न्यायालयों में वाद भी दायर किया है। शिकायत का संज्ञान लेते हुए आयोग ने एसएसपी देहरादून को गोपनीय जांच कराने को कहा था।
 
सूचना आयोग ने विकासनगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के चिकित्सा अधीक्षक केके शर्मा पर 21 हजार 250 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना उन पर आरटीआइ में मांगी गई सूचनाएं 85 दिन के विलंब से देने व इस पर नोटिस का संतोषजनक जवाब न देने पर लगाया गया।
 

गोपनीय जांच के बाद मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने आदेश जारी कर कहा कि रमेश चंद्र विभिन्न आरटीआइ आवेदनों के माध्यम से कार्मिकों के नाम, पते, मोबाइल नंबर आदि जैसी व्यक्तिगत सूचनाएं भी मांग रहे हैं। आदेश में उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि रमेश चंद्र जो जनहित से इतर सूचनाएं मांग रहे हैं, उससे राज्य सरकार के सीमित संसाधनों व मानव शक्ति का उपयोग कल्याणकारी कार्यों की जगह रमेश चंद्र के आरटीआइ आवेदनों के निस्तारण में हो रहा है।
कई बिंदुओं पर कार्मिकों की निजी सूचना निजता के अधिकार के विपरीत मांगी जा रही हैं। आयोग ने सवाल खड़े किए कि एक सेवानिवृत्त कर्मचारी निजी व्यय पर इतनी बड़ी संख्या में कार्मिकों के खिलाफ कैसे वाद दायर कर पा रहा है। इन तमाम तथ्यों का आकलन करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे प्रकरण में सूचना आयोग मूकदर्शक नहीं बना रह सकता, क्योंकि अधिनियम के सही क्रियान्वयन की जिम्मेदारी आयोग पर है। ताकि किसी भी दशा में आरटीआइ का दुरुपयोग न किया जा सके।

सूचना आयुक्तों के खिलाफ राजभवन में दो दर्जन शिकायतें

तीन सालों के भीतर राज्य के सूचना आयुक्तों के खिलाफ राजभवन में दो दर्जन शिकायतें प्राप्त हुई हैं. सूचना अधिकार कार्यकर्ता को उपलब्ध कराई गई सूचनाओं में स्पष्ट है कि सूचना आयुक्तों के विरुद्ध गंभीर आरोप लगे हैं. जिसमें खासकर रिश्वतखोरी, पद का दुरुपयोग, माफिया गैंगस्टर व राष्ट्र विरोधी तत्वों से संबंध रखने, सूचना अधिकार कार्यकर्ता का उत्पीड़न, नियम कानूनों के विरुद्ध फैसले, कंप्लेंस को बिना सुने आदेश करने, अपीलों पर समुचित ढंग से गहनता से सुनवाई न करना, अनुसूचित जाति तथा जनजाति वर्ग की उपेक्षा, बंद कमरे में सुनवाई जैसे आरोप शामिल हैं. इसके अलावा रिश्वत लेकर भ्रष्टाचारी को सूचना अधिकार से बचाने तथा गलत फैसला देना भी शामिल है. सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीमउद्दीन ने इन शिकायतों की सत्यतता पाए जाने पर हायर लेवल जांच की मांग की है. लेकिन यह भी कहा है कि झूठी शिकायतों पर शिकायतकर्ता के खिलाफ केस दर्ज होना चाहिए. सूचना अधिकार कार्यकर्ता को प्राप्त शिकायत पत्रों की प्रतियों में मुख्य सूचना आयुक्तों को छोड़कर 18 शिकायतों में सूचना आयुक्तों के नामों का उल्लेख है. जबकि बाकी शिकायतों में किसी भी सूचना आयुक्त का नाम नहीं है. आयुक्तों की शिकायत करने वाले:::
– दून निवासी राजेंद्र प्रसाद, सुधीर गोयल, कमांडर पदम सिंह खाती, रवि कुमार, भूपेंद्र कुमार, सुरेंद्र दत्त जोशी, सुरेंद्र अग्रवाल, कृष्ण कुमारी.

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