7 मई को 1000 संतों का कश्मीर प्रस्थान
युद्ध विजय यज्ञ #पत्थरबाजों की सेना की गई है तैयार #संतों के साथ पत्थरों से भरा ट्रक भी #कानपुर के एक धार्मिक संगठन ‘जन सेना’# #पत्थरबाजों की अपनी टीम 100 कारें और 3 बसें बुक #14 मई को वहां पहुंचेंगे#उनके साथ पत्थरों से भरा ट्रक भी जाएगा #पत्थरबाजों को सबक सिखाने के लिए लोगों को ट्रेृनिंग #कश्मीर के लाल चौक पर विजय युद्ध के महायज्ञ का आयोजन #देशभर से महंत जुटेगें पत्थरबाजों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जा सके#जन सेना के संस्थापक ने अपनी इस मुहिम को युद्ध विजय यज्ञ का नाम दिया # www.himalayauk.org (Web & Print Media) Dehradun & Haridwar
जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के जवानों पर हो रही पत्थरबाजी का देशभर में विरोध हो रहा है. इसके चलते अब कश्मीर में पत्थरबाजों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए कानपुर के एक धार्मिक संगठन ‘जन सेना’ पत्थरबाजों की अपनी टीम बना रही है. यह जानकारी जनसेना के बालयोगी अरुण पुरी चैतन्य ने दी. जन सेना के संस्थापक बालयोगी चैतन्य महाराज ने पत्रकारों से कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो और भी संत भेजे जाएंगे.
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि जो लोग जम्मू-कश्मीर में सेना के जवानों पर पत्थर बरसा रहे हैं, वे देशद्रोही हैं. ऐसे लोगों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने के लिए शहर से पत्थरबाजों की सेना तैयार की गई है.
जन सेना के संस्थापक ने अपनी इस मुहिम को युद्ध विजय यज्ञ नाम दिया है. उन्होंने कहा कि हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इजाजत मांगी थी कि कश्मीर में हमें पत्थरबाजों से दो-दो हाथ कर जवानों का हौसला बढ़ाने दिया जाए लेकिन वो हमें नहीं मिली.
जिला प्रशासन ने भी इसकी इजाजत नहीं दी है लेकिन हम परिणामों की परवाह किए बगैर अपने रास्ते पर आगे बढ़ेंगे. अगर हमें रोका गया तो हम अपने-अपने स्तर पर वहां जाकर फिर से एकजुट हो जाएंगे.
संतों के जाने के लिए सौ कारें और 3 बसें बुक की गई हैं बाकी लोग ट्रेन से 14 मई को वहां पहुंचेंगे. उनके साथ पत्थरों से भरा ट्रक भी जाएगा. साथ ही वहां जाने वाले संतों को कानपुर में ही पत्थरबाजी की ट्रेनिंग दी जाएगी.
संतों ने कहा कि सैनिकों के साथ अत्याचार हो रहा है और प्रधानमंत्री कोई निर्णय नहीं ले पा रहे है. ऐसे में अब संत समाज आगे आया है और अपनी सैनिकों की मदद के लिए कश्मीर जाएगा. इसमें कानून तोड़ने की बात ही नहीं है.
सिद्धनाथ घाट आश्रम के अरुण पुरी चैतन्य ने कहा प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन 24 अप्रैल को एडीएम सिटी को दिया गया था, अभी तक उनका कोई जवाब नहीं आया है. ऐसे में हमलोग कब तक चुप रहेंगे, यदि कोई कार्रवाई करनी होती तो हमलोगों को मना किया जाता. बताया जा रहा है कि जनसेना करीब 1000 संतों और स्थानीय लोगों को साथ लेकर 7 मई को कश्मीर के लिए रवाना होगी. मिली जानकारी के अनुसार कानपुर में शुक्रवार को गंगा किनारे सिद्धनाथ घाट पर हुई इस ट्रेनिंग में युवाओं, महिलाओं को मिलाकर करीब 1300 लोग शामिल हुए. युवाओं और संतों को ये ट्रेनिंग जनसेना के संस्थापक अरुण पुरी चैतन्य जी महाराज दे रहे हैं. उनका कहना है कि हम उन पत्थरबाजों को सबक सिखाने के लिए लोगों को ट्रेृनिंग दे रहे हैं, जोकि भारत की एकता तोड़ रहे हैं. हम हजारों की संख्या में 7 मई को कश्मीर के लिए रवाना होंगे.
इस ग्रुप का एक ट्रेनिंग वीडियो भी सामने आया है, जिसमें कई लोगों को कानपुर में गंगा किनारे पुतलों पर पत्थर फेंकते और वंदे मातरम, इंकलाब जिंदाबाद और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते देखा जा सकता है. शहर के हर वार्ड से करीब 10-10 ऐसे चुनिंदा पत्थरबाज हैं, जिनका निशाना अचूक है. हमने उन युवाओं को इस ट्रेनिंग में शामिल किया है, जो अपने देश के लिए मर-मिटने को तैयार हैं.वहीं संस्था ने कश्मीर जाने के लिये सभी तैयारी पूरी कर ली है और जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर इसकी अनुमति भी मांगी थी लेकिन अभी तक कोई जबाव नही आया है.
इसी लिये महंत चैतन्यपुरी महाराज ने ये निर्णय लिया कि हर हाल मे कश्मीर में हालात को समान्य करना है और ईट का जबाव पत्थर से देना है इसके साथ कश्मीर के लाल चौक पर विजय युद्ध के महायज्ञ का आयोजन भी किया है. जिसमे देशभर से महंत जुटेगें. हालाकि जिला प्रशासन इस पूरे मामले पर बैक फुट पर नजर आ रहा हैं.
अलगाववादियों और आतंकवादियों से जूझ रहे सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों की सहायता के लिए अब संतों की एक सेना कश्मीर रवाना होने की तैयारी कर रही है। कानपुर के एक हिंदूवादी संगठन जन सेना के बैनर तले तकरीबन एक हजार संत 7 मई को इस मकसद से कश्मीर रवाना होंगे। खास बात यह है कि इन संतों के साथ पत्थरों से भरा ट्रक भी जाएगा ताकि पत्थरबाजों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जा सके। जन सेना के संस्थापक बालयोगी चैतन्य महाराज ने पत्रकारों से कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो और भी संत भेजे जाएंगे। उन्होंने कहा कि जो लोग जम्मू-कश्मीर में सेना के जवानों पर पत्थर बरसा रहे हैं, वे देशद्रोही हैं। ऐसे लोगों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाएगा। जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना के जवानों के ऊपर हो रही पत्थरबाजी का देशभर में विरोध हो रहा है. इसी कड़ी में कानपुर में एक संत लोगों को पत्थर फेंकना की ट्रेनिंग दे रहे हैं.
उनकी शुक्रवार को गंगा किनारे सिद्धनाथ घाट पर हुई इस ट्रेनिंग में युवाओं, महिलाओं को मिलाकर करीब 1300 लोग शामिल हुए. खास बात ये है कि युवाओं का ये जत्था 7 मई को एक ट्रक पत्थर के साथ कश्मीर घाटी के लिए रवाना होंगे. बता दें, कि युवाओं को ये ट्रेनिंग जनसेना के संस्थापक अरुण पुरी चैतन्य जी महाराज दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि मेरे एक से डेढ़ हजार अनुयायी हैं, जो कश्मीर घाटी जाने के लिए तैयार हैं. जो 7 मई को कश्मीर के लिए रवाना होंगे. उन्होंने बताया कि मैंने एक ट्रक पत्थर तुड़वाकर रखा है, जिसे हम अपने साथ वहां लेकर जाएंगे.
जन सेना के संस्थापक ने अपनी इस मुहिम को युद्ध विजय यज्ञ का नाम दिया है। उन्होंने कहा कि हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इजाजत मांगी थी कि कश्मीर में हमें पत्थरबाजों से 2-2 हाथ कर जवानों का हौसला बढ़ाने दिया जाए लेकिन वह हमें नहीं मिली। जिला प्रशासन ने भी इसकी इजाजत नहीं दी है लेकिन हम परिणामों की परवाह किए बगैर अपने रास्ते पर आगे बढ़ेंगे। अगर हमें रोका गया तो हम अपने-अपने स्तर पर वहां जाकर फिर से एकजुट हो जाएंगे। संतों के जाने के लिए 100 कारें और 3 बसें बुक की गई हैं। बाकी लोग ट्रेन से 14 मई को वहां पहुंचेंगे। उनके साथ पत्थरों से भरा ट्रक भी जाएगा।
# Jansena, a group of sadhus in Kanpur, is training men & women to take on stone pelters in Kashmir; they’ll leave for J&K on May 7.