बीजेपी से नाराज चल रहे है जाटों ने मायावती का समर्थन करने की बात कही
हरियाणा में पिछले काफी समय से आरक्षण की मांग कर रहे जाट नेताओं ने रविवार को बीजेपी पर हमला बोला. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ऑल इंडिया जाट आरक्षण बचाओ महा आंदोलन (AIJABM) के बैनर तले, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और मध्यप्रदेश से आए जाट नेताओं ने कहा, ‘सरकार ने हमारी कोटा की मांग को न मानकर, आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य जाति के लोगों को सात दिनों के अंदर 10 फीसद आरक्षण देकर, हमारे समुदाय को धोखा दिया है.’अ
आंध्र प्रदेश में भाजपा के चार विधायकों में से एक ने रविवार को विधानसभा की सदस्यता और पार्टी से इस्तीफा दे दिया. राजमहेन्द्रवरम (शहरी) विधानसभा सीट से विधायक अकुला सत्यनारायण ने कहा कि उन्होंने अपना त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष कोडेला सिवप्रसाद राव को भेज दिया है. उन्होंने कहा कि उन्होंने राज्य भाजपा अध्यक्ष कन्ना लक्ष्मी नारायण को भी अपना इस्तीफा भेज दिया है. बाद में सत्यनारायण ने मीडिया में जारी एक बयान में अपने इस्तीफे की घोषणा की लेकिन उन्होंने इस्तीफा देने के किसी कारण का उल्लेख नहीं किया था.
2014 में पहली बार विधानसभा के लिए चुने गये पेशे से डॉक्टर सत्यनारायण ने बताया कि वह सोमवार को अभिनेता पवन कल्याण की जन सेना पार्टी में शामिल हो सकते हैं. तेदेपा के साथ गठबंधन में 2014 में मैदान में उतरी भाजपा के निर्वाचित चार विधायकों में से सत्यनारायण भी एक थे. इस बीच, राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म है कि विशाखापतनम उत्तर से भाजपा के एक अन्य विधायक पी विष्णु कुमार राजू भी पार्टी छोड़ने वाले हैं.
आपको बता दें कि हरियाणा में तीन साल पहले आरक्षण की मांग को लेकर किया गया जाटों का आंदोलन हिंसक हो गया था, जिसमें करीब 30 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं अब बीजेपी से नाराज चल रहे है जाटों ने मायावती का समर्थन करने की बात कही है. यूपी के जाट नेताओं ने कहा है कि वो अपने समुदाय के लोगों से मायावती के लिए वोट डालने को कहेंगे, क्योंकि वो यूपी की एकमात्र ऐसी नेता हैं, जिन्होंने जाटों के आरक्षण का समर्थन किया था और सरकार पर निशाना साधा था.
2014 में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को 43 प्रतिशत वोट के साथ 73 सीट मिली थीं जो अनुमान से कहीं ज़्यादा थीं। आरक्षित सीटों पर 17 दलित उम्मीदवार बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते थे। वर्तमान परिस्थितियों में दलितों, अन्य पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के तेवर देख कर फ़िलहाल नहीं लगता कि 2019 में बीजेपी के लिए लोकसभा की राह आसान होगी। दिसम्बर में बीजेपी की बहराइच से सांसद सावित्रीबाई फुले ने यह कहकर पार्टी से नाता तोड़ लिया कि सरकार दलितों और पिछड़े वर्ग के अधिकारों की अनदेखी कर रही है और उनके दलित होने की वजह से उनकी बात भी नहीं सुनी जा रही है। सिर्फ़ सावित्रीबाई ही नहीं बल्कि पार्टी के रॉबर्ट्सगंज से सांसद छोटेलाल खरवार, इटावा के सांसद अशोक कुमार दोहरे और नगीना के विधायक यशवंत सिंह ने भी पार्टी के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ उठाई। जब 2014 की प्रचंड मोदी लहर में भी बसपा को लगभग 20 प्रतिशत वोट मिले थे तो यह कहा जा सकता है कि 2019 में पार्टी को ज़्यादा वोट मिलेंगे जिसमें जाटवों का बड़ा योगदान होगा भले ही वाल्मीकि और मल्लाहों का मायावती को पूरा सहयोग ना मिले।
दूसरी तरफ़ अन्य पिछड़ा वर्ग है जिसको डर है कि हाल ही में बहुसंख्यकों को दिए गए आरक्षण से उनका नुक़सान हो सकता है। आरक्षण लागू होने से पहले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर, जो प्रदेश सरकार में मंत्री भी हैं, का मानना है गोरखपुर, फूलपुर और कैराना के उपचुनावों में बीजेपी की हार की वजह पिछड़े वर्ग के लोगों का नाराज़ होना है।
AIJABM के मुख्य समन्वयक धरमवीर चौधरी ने कहा कि यूपीए सरकार ने हमें सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया था. लेकिन जब इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, तब मौजूदा एनडीए सरकार ने गंभीरता से इस पर बहस नहीं की और न ही मामले को ठीक से लिया, जिस कारण सरकार के आदेश को कोर्ट ने रद्द कर दिया. इसके बाद से मोदी सरकार हमें सिर्फ आश्वासन दे रही है. मैं मोदी सरकार को चुनौती देता हूं कि जाट अब और बातों में नहीं आएंगे. हम बीजेपी को हराने के लिए उन 131 निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार करेंगे, जहां जाटों की अच्छी संख्या है.
उन्होंने कहा कि हमारी संस्था ने जाट समुदाय के लोगों से कहा है कि वो बीजेपी नेताओं का स्वागत जूतों की माला से करें, क्योंकि वो संसद में जाट आरक्षण का मुद्दा उठाने में नाकाम रहे हैं.
Jat leaders say will oppose BJP if not given quota, support Maya
Dharamveer Chaudhary, Chief Coordinator of AIJABM, said that the organisation has asked the community to welcome their MPs with “shoes” as they have failed to raise the issue of Jat reservations in Parliament.
Jat leaders from across the country Sunday called for the defeat of the BJP in the forthcoming Lok Sabha polls unless their demand for reservation was met. Gathered under the banner of the All India Jat Arakshan Bachao Maha Andolan (AIJABMA), leaders from Uttar Pradesh, Rajasthan, Haryana, Delhi and Madhya Pradesh said that the government had cheated the community by not accepting its demand for quota and giving forward castes 10 per cent reservation “within seven days” instead.
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Almost three years after the Jat agitation for reservation turned violent in Haryana leaving almost 30 dead, leaders from UP asserted that they will ask their community to vote for Mayawati in the state saying that the BSP chief was the only UP leader who had supported reservation for Jats and criticised the action taken by the government against Jats in the 2016 agitation in Haryana.
“The UPA government had given us reservation in central jobs. But when it was challenged in the Supreme Court, the present NDA government deliberately did not argue our case well and the government order was quashed. Since then, the Narendra Modi government has just been giving us assurances. I warn the government that Jats won’t be manipulated anymore. We will campaign in 131 constituencies where Jats have a significant population to defeat the BJP,” said Dharamveer Chaudhary, Chief Coordinator of AIJABM said at a press briefing in Delhi.