केदारनाथ आपदा – जब डा0 निशंक निषेधाज्ञा तोड सबसे पहले पहुंचे
16 जुन 2013 उत्तराखंड की आपदा के बाद जब नाकामियां छुपाने के लिए निषेधाज्ञा लगा दी थी- कि वहां कोई नही जायेगा- सरकार अपने स्तर से इन्तजाम करेगी, तब डा0 रमेश पोखरियाल निशंक पहले राजनेता थे जिन्होने निषेघाज्ञा तोड कर पैदल केदारनाथ पहुंच गये- चन्द्रशेखर जोशी की विशेष रिपोर्ट-
एक लेखक होने के नाते मैं भी यही कह सकता हूं कि कोई जागे या न जागे, यह है मुकदर उसका, मेरा काम है आवाज लगाते रहना— चन्द्रशेखर जोशी सम्पादक
उत्तराखंड में आई 2013 की आपदा ने देश और दुनिया के लोगों को हिला कर रख दिया था. इस आपदा में सरकारी अकड़े के हिसाब से करीब पांच हजार से ज्यादा लोग इस त्रासदी का शिकार हुए. उत्तराखंड में आई इस आपदा में सबसे ज्यादा नुकसान केदारनाथ धाम और केदारघाटी को हुआ था. 2013 को जून 16-17 को मंदाकिनी में आई बाढ़ से केदारनाथ मंदिर को छोड़ आस-पास की सभी इमारतों में मलबा भर गया था. केदारनाथ जाने वाले सभी रास्ते नदी के वेग में बह गए थे और मंदिर के कपाट को बंद करना पड़ा था और यात्रा पूरी तरह ठप पड़ गई थी. तबाही इतनी ज़्यादा था कि पहले तो यही समझ नहीं आ पा रहा था कि केदारनाथ के पुनर्निर्माण की शुरुआत कहां से की जाए? आज पांच साल बाद केदारपुरी की सूरत बहुत बदली हुई है.
पांच साल पहले जहां मंदिर इमारतों से घिरा रहता था वहां अब 50 फुट चौड़ा रास्ता है. कई पुरानी इमारतों को मंदाकिनी ने साफ़ कर दिया था तो कई को पुनर्निर्माण कार्यों के दौरान तोड़ दिया गया है. इसके अलावा केदारधाम के चारों तरफ सुरक्षा दीवार खड़ी की जा रही है. अगर 2013 जैसी आपदा दोबारा आए तो यह दीवार धाम की रक्षा करेगी. इसके अलावा सरस्वती और मंदाकिनी नदी के संगम पर खूबसूरत घाट का निर्माण किया गया है.
केदारनाथ आपदा में मारे गये श्रद्वालु सरकारी प्रबन्धन की विफलता के शिकार हुए- आपदा के बाद सरकारी मशीनरी यह मानने को तैयार नही थी कि आपदा इतनी विकराल है- इसके उपरांत हिमालयायूके के सम्पादक चन्द्रशेखर जोशी द्वारा मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली को पत्र मेल किया गया, आयोग की टीम जब केदारनाथ पहुंच गयी तब उत्तराखण्ड की सरकारी मशीनरी में हडकम्प मचा-
हिमालयायूके द्वारा भेजा गया पत्र- जिससे उत्तराखण्ड सरकार, केन्द्र सरकार हरकत में आयी- केन्द्रीय मानवाधिकार आयोग का पत्र
श्रीमान अध्यक्ष
केन्द्रीय मानवाधिकार आयोग
नई दिल्ली
प्रेषक-
चन्द्रशेखर जोशी
सम्पादक
हिमालयायूके डॉट ओआरजी न्यूज पोर्टल
कार्यालय- 567, प्लाट नं0 3/08, टीएचडीसी, बंजारावाला, देहरादून-248001, उत्तराखण्ड
Mail; csjoshi_editor@yahoo.in
विषय- उत्तराखण्ड में हजारों लोगों के मारे जाने पर मानवाधिकार हनन के संबंध में-
महोदय,
उत्तराखंड में राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित चार धाम यात्रा की शुरूआत करने के उपरांत बदइंतजामी के कारण हजारों लोगों के मारे जाने की चर्चा आम है, मौसम विभाग की भविष्यवाणी को उत्तराखण्ड की राज्य सरकार ने अनसुना किया तथा राज्य का आपदा प्रबन्धन विभाग भी लापरवाह बना रहा, जिससे राज्य भीषण आपदा की चपेट में है.भारी बारिश के बाद घर,दुकान-होटल,वाहन सब बह गए हैं.कई सारे लोग लापता हैं और बहुतों के मारे जाने की ख़बरें लगातार मिल रही है. जान-माल की कुल हानि को घोषित करने में राज्य सरकार असफल रही है.लेकिन यह चर्चा आम है कि मरने वालों की संख्या हज़ारों में पहुंचेगी.गढ़वाल के रुद्रप्रयाग,उत्तरकाशी और चमोली तथा कुमाऊं मंडल का पिथौरागढ़ जिला प्रकृति के इस कहर से सर्वाधिक प्रभावित है.
यद्यपि यह प्राकृतिक आपदा थी, पर उत्तराखण्ड सरकार की बदइंतजामी नीतियों और लापरवाही ने इसकी तीव्रता और भीषणता को कई गुणा बढ़ा दिया जिससे लाशों का अंबार लग गया तथा लाशें 700 किमी0 तक बहती हुई हरिद्वार तथा इलाहाबाद तक पहुची, वही अनेक लाशों को केदारनाथ में ही जला दिया गया, इस तरह मानवाधिकार का घोर उल्लंघन हुआ है, अत- आपसे निवेदन है कि इस मामले में स्वत- संज्ञान लेकर कार्यवाही करने का कष्ट करें, मानवाधिकारों का किस कदर उल्लंघन हुआ है इसके लिए 15 जून से लेकर वर्तमान समय तक समाचार पत्रों तथा टीवी चैनलों तथा सोशल मीडिया की रिपोर्ट को तलब कर वास्तविकता से अवगत हुआ जा सकता हैा
आशा है कि हजारों लोगों के मारे जाने पर तथा मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन पर कार्यवाही करने का कष्ट करेगेंा
संलग्लनक-
फेसबुक पर प्रकाशित केदारनाथ में लाशों की बदइंतजामी के फोटो
फेसबुक पर जारी हो रहे रिपोर्ट तथा कमेन्ट-
केदारनाथ धाम में यात्रियों के रहने के लिए टेंट कॉलोनी का इंतज़ाम किया गया है जिससे बड़ी संख्या में यात्री वहां पर रुक सकें. नदियों के पानी को चैनलाइज़्ड करने के लिए कैनाल का निर्माण किया गया है. हैली पैड बनाए गए हैं, जिसमें एक साथ तीन हैलिकॉप्टर उतर सकते हैं. इन सब बदलावों के बाद बावजूद एक तस्वीर ऐसी भी है जिसे 2013 की आपदा ने ऐसा बदला कि उसमें अब रंग भर पाना नामुमकिन सा है. रामबाड़ा का वजूद खत्म हो गया और इसकी वजह से केदारनाथ धाम तक की यात्रा मुश्किल और लंबी हो गई है. 2013 के बाद ऐसा लग रहा था कि यात्री को केदारनाथ धाम की तरफ रुख करने में सालों लगेंगे लेकिन 5 साल बाद ही रिकॉर्डतोड़ यात्री भोले के दर्शनों को उमड़ पड़े हैं. एक महीने की अवधि में ही लगभग 6 लाख यात्री केदारनाथ के दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं जिससे बद्री केदार मंदिर समीति को लगभग आठ करोड़ की आय हुई है.
हजारों लोग के साथ निशंक केदारनाथ पहुंचे
देहरादून। सरकार द्वारा केदारनाथ धाम में पूजा के मौके पर स्थानीय लोगों के लिए भी निषेध किये जाने के विरोध में पूर्व मुख्यमंत्री तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता डा रमेश पोखरियाल निशंक केदारनाथ पहुंचे। निशंक विगत दिवस दून से केदारनाथ के लिए रवाना हुए थे और रात्रि विश्राम गुप्तकाशी में किया। इस दौरान वह स्थानीय लोगों,पुरोहितों तथा सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं से भी मिले। सुबह ६ बजे निशंक धारा १४४ को तोडते हुए तीर्थ पुरोहितों और आम जनता की अगुवाई करते हुए पैदल मार्ग से फाटा के लिए रवाना हुए। रामपुर,सोनप्रयाग तथा गौरीकुंड होते हुए डा निशंक २ बजे रामबाडा पहुंचे। इस दौरान उनके साथ क्षेत्र के हजारों लोग मौजूद थे। इस दौरान डा निशंक ने कहा कि कांग्रेस का मकसद क्षेत्र में कफर्यू लगाकर वस्तु स्थिति से ध्यान भटकाने जैसा रहा। केदारनाथ में पूजा अर्चना से स्थानीय लोगों को विरत रखना ऐंसा मुददा है जिसको भाजपा ने नेतृत्व दिया है। भाजपा चाहती है कि भगवान केदार की पूजा में तीर्थ पुरोहितों,पंडो के साथ आम आदमी की भी भागेदारी हो। उन्होंने कहा कि हम जनता के साथ हैं और जनता को पूजा से दूर रखना निश्चित रूप से इस बात का संकेत है कि सरकार नही चाहती कि जनता के लोग केदारनाथ की असली स्थिति देखे। उन्होंने कहा कि जिन पुजारी परिवारों के आवास केदारनाथ में हैं उन्हें भी न जाने दिया जाना एक बडी साजिश का संकेत है। डा निशंक का मानना है कि जिन परिवारों के लोग केदार धाम में आपदा के समय थे और अब लापता हैं उन परिवारों को संभावना है कि उनके परिजन आज भी भवनों में मृत हो सकते हैं। उनके शव भी विकृत हो रहे होंगे। सरकार ने न तो इन परिवारों की सुध ली है और न इन परिवारों को वहां जाने देना चाहती है जिससे वह पारिवारिकों का अंतिम संस्कार कर सके। इसके पीछे की गयी साजिश को भाजपा बेनकाब करेगी। उन परिवारों को केदारनाथ पहुंचायेगी ताकि वह परिवारकों का अंतिम संस्कार कर सके।
केदारनाथ में आपदा को आज पांच साल पूरे हो गए हैं. 14 जून 2013 को हुई धाम में हुई जमकर बारिश बारिश से बदरीनाथ मार्ग लंगासू के पास टूट चुका था. बदरीनाथ मार्ग लंगासू के पास टूट जाने के बाद प्रशासन ने सभी यात्रियों को भी रुद्रप्रयाग से केदारनाथ की ओर भेज दिया था. जिससे गौरीकुंड से केदारनाथ तक करीब 15 से 20 हजार यात्री पहुंच गए. 16 जून 2013 को करीब 4:30 बजे शाम को केदारपुरी के सामने भैरव शिला में लैंड स्लाइड हुआ. भैरवशिला में लैंड स्लाइड की घटना के बाद से केदार पुरी में हलचल शुरू हो गई थी. तेज बारिश के कारण केदारनाथ धाम में बह रही मंदाकिनी नदी भी आपने रौद्र रूप में आ चुकी थी. 16 जून 2013 के रात 8 बजे तक केदारपुरी में मंदाकिनी के किनारे बसे होटल और पुल सभी मंदाकिनी के तेज़ बहाव में बह गए. केदारघाटी में सारे रास्ते तहस-नहस होने के बाद से हजारों श्रद्धालुओं के वहां फंसने का सिलसिला शुरू हो गया. यहां तक की लोगों के बहने की सूचना मिलने लगी. धीरे-धीरे केदारनाथ के चारों तरफ पानी बढ़ गया और रात 10 बजे तक थोड़ा-थोड़ा केदारपुरी शांत होने लगा, लेकिन लोगों को अभी तक आने वाली बड़ी आपदा का अहसास नहीं था. 17 जून 2013 की सुबह 7 बजे केदारनाथ घाटी में स्थित चौराबाड़ी ताल में हलचल शुरू होने लगी. यही वो जलजला था जिसने केदारघाटी की ही तस्वीर बदल दी. सुबह 7:15 बजे केदारनाथ में तबाही का मंजर शुरू हुआ. सुबह 7:30 बजे तक रामबाड़ा जो केदारनाथ धाम का प्रमुख पड़ाव वो भी जल में समां गया और रामबाड़ा पूरी तरह तबाह हो गया. करीब 8 बजे गौरीकुंड से लेकर सोनप्रयाग तक केदारपुरी से आए पानी ने अपने आगोश में ले लिया. जिसमें हजारों लोग बह गए. केदारनाथ में तबाही मचा चुका पानी आगे बढ़ा और सोनप्रयाग से लेकर रुद्रप्रयाग तक अपना रौद्र रूप दिखाया. त्तराखंड की राजधानी देहरादून में वर्ष 2013 की 16-17 जून को जलप्रलय से हुई तबाही का एक खौफनाक मंजर देखा था. इस दिन आसमान से बरसी आफत ने प्रदेश के केदार घाटी को पूरी तरह तबाह कर दिया था, जिसे कभी भूला नहीं जा सकता. उन निशानों को मिटाने में वर्षों लग गए. 5 साल पहले आपदा का दंश झेल चुका बाबा धाम केदार घाटी में अब सब कुछ सामान्य होने लगा है. बाबा के धाम की रौनक लौट आई है. बाबा के धाम को नया रंग रूप प्रदान करने की कोशिशें अभी भी जारी है. अगर ये सब इसी गति से जारी रहा तो केदारनाथ एक ऐसा स्थान होगा, जहां दुनिया का हर आदमी एक बार जरूर यहां आकर बाबा के दर्शन करना चाहेगा.
वहीं वर्ष 2013 की केदारनाथ की जल प्रलय के सरकारी आंकड़े बताते है कि आज भी करीब 4 हजार से ज्यादा लोग लापता हैं. इनको इस लिए मृत नहीं माना जा सकता क्योंकि कानूनी लिहाज से जब तक किसी भी मृत व्यक्ति का 7 साल में शव नहीं मिल जाता तब तक उसे मृत घोषित नहीं जा सकता है. शायद यही वजह है कि आज भी प्रदेश सरकार की फाइलों में कई हजार गुमशुदा लोगों के नाम दर्ज हैं.
आज केदारनाथ पूरी तरह से बदल गया है. केदारनाथ जाने वाली सड़कें पूरी तरह से बदल गईं हैं. केदारनाथ में अब हाईटेक हेलीपैड है तो वहीं होटल और धर्मशाला अत्याधुनिक तरीके से बनाई जा रहीं हैं. केदारनाथ मंदिर के चारों तरफ बड़ी सुरक्षा दीवार बनाई जा रही है और तो और अगर भविष्य में कभी आपदा जैसे हालात अगर बनते हैं तो उसके लिए रेस्क्यू टीमों की टुकड़ी भी हमेशा अलर्ट रहने के निर्देश हैं.
बहरहाल, केदार यात्रा सीजन के बीते 30 अप्रैल को बाबा के धाम के कपाट खुलने के बाद से अब तक 6 लाख से ज्यादा लोग बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं. ये सिलसिला अनवरत जारी है, साथ ही जारी है बाबा के धाम को एक नया स्वरूप देने की मुहिम. ताकि केदारपुरी में पहुंचने वाले यात्री जब वापस जाएं तो वे 2013 की डरावनी यादों को नहीं बल्कि 2018 के खुशनुमा माहौल के साथ सुरक्षित यात्रा को अपने दिलों में बसाकर अपने घर वापस पहुंचे.
केदारनाथ आपदा के पुनर्निर्माण कार्यों में घोटाले के मामले पर हाईकोर्ट ने उरेडा के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए हैं. हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि घोटाले में सामिल सभी अधिकारियों पर एक महिने के भीतर एफआईआर दर्ज करें.
अधिवक्ता सुशील वशिष्ठ ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि साल 2013 में केदारनाथ में आपदा आई थी. इसके बाद 30 करोड़ का ठेका उरेडा को बिजली-पानी की टूटी लाइनों को ठीक करने के लिये सरकार ने जारी किए थे.
याचिकाकर्ता का कहना था कि उरेड़ा के अधिकारियों ने आपदा के दौरान न सिर्फ पैसे की बंदरबांट की बल्कि फर्जी बिल लगाकर पैसा लिया गया. आपदा के दौरान उरेडा के इस घोटाले को बड़ा घोटाला बताते हुए याचिका में मांग की गई थी कि ऐसे सभी अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए.
यह घोटाला तब सामने आया जब डीएम ने जांच की और पाया कि उरेडा अधिकारियों ने पुराने पाइपों को ही लाइन में जोड़ दिया और फर्जी बिल लगाकर भुगतान ले लिया. आज कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेकर सभी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए हैं. केदारनाथ भगवान शिव का धाम है. जहां दर्शन करने मात्र से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, लेकिन 16 और 17 जून को साल 2013 में केदारनाथ घाटी में मंदाकिनी नदी ने प्रलयकारी विनाश किया था. इस तबाही में पचास हजार लोग लापता हुए. वहीं लाखों लोगों को सेना ने बचाया. इस भयंकर आपदा का शिकार घाटी में स्थित देवली भणी गांव भी हुआ. जहां के 50 लोग इस आपदा में मारे गये थे, लेकिन गांव के लोगों की मेहनत ने गांव की तस्वीर बदलकर रख दी है.
गांव के लोगों की जीवटता केदारनाथ घाटी में रहने वाले लोगों से सीखी जा सकता है. भयंकर विपदा में देवली भणी के लगभग पचास लोगों के मारे जाने के बाद इस गांव को विधवाओं का गांव कहा जाने लगा. गांव के सारे पुरुष काल के गाल में समा गये थे, लेकिन गांव की महिलाओं ने अपनी मेहनत से गांव की सूरत बदलने के साथ आत्मनिर्भरता की एक नई इबारत लिख डाली.
गांव के रहने वाले हरिकृष्ण बगवाड़ी ने मंदाकिनी महिला समिति बनाकर उससे गांव की महिलाओं को जोड़ा है. 110 महिलाओं के इस समूह में महिलाएं सूत कातने, चरखा चलाने और कपड़े की बुनाई तक का काम करती हैं. बुनाई के अलावा खेतों में जाकर हरियाली को संभालने से लेकर खेत की मिट्टी को भी अपने कंधे के बल पर उर्वरा बना रही हैं.
देवली भणी गांव की महिलाओं के चेहरे पर अपनों के खोने का दर्द आज भी छलकता है, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत की बदौलत गांव की तस्वीर बदल दी है. उन्होंने ये साबित कर दिया है कि विपदा के बाद भी जीवन को सही तरीके से जारी रहने का नाम जिंदगी है.
केदारघाटी में 2013 की त्रासदी के बाद सरकार ने कोई सीख नहीं ली. आज भी केदारनाथ में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या पर कोई प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है और ना ही कोई मानक तय नहीं किये गये हैं. सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो जून 2013 में केदारनाथ घाटी में आयी त्रासदी में करीब 4 हजार लोगों की मौत हुई थी. आपदा के दौरान केदार घाटी में क्षमता से ज्यादा श्रद्धालु मौजूद थे. श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा होने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. स्थानीय जानकार मानते हैं कि इस बार श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है, लेकिन इस पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है. एक बार में कितने तीर्थ यात्री दर्शन के लिए जाएंगे इसे लेकर पांच साल तक कोई मानक तय नहीं है. ना ही सरकार इसे लेकर नियंत्रण अभी तक तय किया गया है. फिलहाल सरकार ने चारधाम आने वाले यात्रियों का बॉयोमैट्रिक रजिस्ट्रेशन करना शुरू कर दिया है. केदारनाथ जैसे कठिन क्षेत्र में यात्रियों का भारी संख्या में जाना कहीं ना कहीं चिंता का विषय जरूर होगा. इस बार केदारनाथ में अभी तक करीब 6 लाख यात्रियों ने दर्शन किये है जो अभी तक एक रिकॉर्ड यात्रा है. इस रिकॉर्ड यात्रा से सरकार के साथ वहां के छोटे बड़े सभी व्यवसायियों के चेहरे खिले हुए हैं. सरकार भी मानती है कि अच्छे इंतजाम और बढ़िया वातावरण की वजह से ये रिकॉर्ड तोड़ यात्री आये हैं. सरकार ये दावा करती है कि केदारनाथ में ज्यादा-ज्यादा यात्रियों के रुकने कि व्यवस्था की है, लेकिन कोई मनका तय नहीं किये है कि एक बार में सिर्फ इतने ही यात्री जाएंगे. वहीं मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह का मानना है कि जो वहां काम किया जा रहा है. यात्रियों को किसी भी तरह से कोई परेशानी ना हो इसके लिए सरकार ने सुविधा तय की हुई है. भले ही प्रदेश सरकार केदारनाथ में रिकॉर्ड तोड़ यात्रियों के पहुंचने को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही हो लेकिन सच तो ये है अगर यात्रियों की संख्या के मानक तय हो तो कम से कम जून 2013 की आपदा जैसी घटनाओं से लोगों को बचाया जा सकता है.
केदारनाथ आपदा से एक माह पूर्व प्रकाशित आलेख- जिसमें राजगुरू पशुपतिनाथ जी ने हिमालयायूके कार्यालय से 30 दिन के अन्दर प्रलय की भविष्यवाणी की थी- जिसे तत्कालीन मुखिया ने गंभीरता से नही लिया था- और ठीक 30वे दिन प्रलय आयी- उस समय प्रकाशित आलेख पुन- बिना फेरबदल किये-
पूज्यपाद लक्ष्मी नारायण राजगुरू पशुपतिनाथ काठमांडू की भविष्यवाणी सही साबित हुई।
१४ जून तक अनिष्ट की आशंका जतायी थी- मई में पोर्टल कार्यालय से ही भविष्वाणी की थी
आखिरकार चारधाम और हेमकुंड साहिब की यात्रा रोकी गयी, कुदरत ने धार्मिक यात्रा की अनुमति देने से इंकार कर दिया
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा नन्दा देवी राजजात यात्रा हेतु ९० करोड रूपये बजट स्वीकृत किये हैं। पर्यटन मंत्री अमृता रावत ने इस अवसर पर यात्रा अच्छी तरह सम्पंन हो, की बात की थी, तो पमुख सचिव तकनीकी शिक्षा राकेश शर्मा ने भी बढ चढ कर दावे किये थे,
४ धाम यात्रा तथा नंदा राजजात यात्रा के नाम पर करोडों नहीं अरबों का बजट ठिकाने लगाने की पूरी तैयारियां हो चुकी थी, धरातल पर कुछ नहीं, सब कुछ कागजी, नौकरशाह के सहयोग से बजट ठिकाने लगाया जाना था, परन्तु देवभूमि में कुदरत इन सत्ताधीशों के कार्यो से रौद्र रूप में आ गयी, परिणाम धार्मिक यात्रा बंद हुई, यह भी एक इतिहासयोग्य व स्मरणीय रहेगा कि धार्मिक यात्रा किस मुख्यमंत्री के समय में रोकी गयी थी, ऐसा प्रतीत होता है कि देवभूमि में हो रहे लूटखसोट व जमीनों की लूट का नतीजा है, जिसमें कुदरत ने धार्मिक यात्रा की अनुमति देने से इंकार कर दिया।
चार धाम यात्रा में व्यवधान- अनिष्कारी व अमंगल योग बना रहे हैं- कुदरत ने कहर बरपा कर ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि चार धाम यात्रा में व्यवधान पडा है, राजपक्ष के लिए यह बडी विडम्बना व दुखदपूर्ण सथिति है कि धार्मिक यात्राओं को रोकना पडा है, इससे अनिष्टकारी योग का निर्माण हो रहा है।
अनिष्टकारी व अमंगल कारी योग बना रहे हैं चार धाम यात्रा में व्यवधान, पूज्यपाद लक्ष्मी नारायणराजगुरू पशुपतिनाथ काठमांडू ने कहा है कि ४ धाम यात्रा में कुदरत व्यवधान पैदा कर रोक रही है इससे अनिष्कारी व अमंगल योग बन रहे हैं, चार धाम यात्रा में व्यवधान आने से राजपक्ष के लिए अमंगलकारी योग बन रहे हैं, वहीं इस शुक्र व वहस्पति अस्त हो चुके हैं, जिससे व््यवधान व यात्रा अवरूद्व होने के योग बन रहे हैं, वैसे भी वहस्पति अस्त होने से चार धाम यात्रा वर्जित है, यह तमाम स्थिति राजपक्ष के लिए कष्टदायक योग बना रहे हैं, राजगुरू ने कहा कि मुख्यमंत्री बहुगुणा मानसिक रूप से कष्टदायक व परेशान की स्थिति में रहेगें व राजकार्य में उथल पुथल मची रहेगी।
मई में अपने परिवारजनों के साथ मुख्यमंत्री ने अपने विधायक को अजमेर शरीफ के लिए चादर, फूल भेजकर रवाना किया जहां वह मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के लिए दुआएं मांगी, ज्ञात हो कि इससे पूर्व मुख्यमंत्री केदारनाथ तथा ४ धामों में परिजनों के साथ चलकर पूजा पाठ की थी, मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह धार्मिक सथानों की यात्राओं को गददी सुरक्षित करने की पहल भी मानी जा रही है, जून तक उनकी गददी पर खतरा माना जाने की चर्चाएं जोरों पर है शायद इसकी रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री धार्मिक स्थलों पर जाकर गददी पर आये संकट को दूर करने की पहल कर रहे हैं, ज्ञात हो कि पवन बंसल द्वारा भी इसी तरह का टोटका आजमाया गया था परन्तु जो किसी न आ पाया, देखना है कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री की धार्मिक स्थानों की पूजापाठ उनके रास्ते को कितना निष्कंटक कर पाती है, १४ मई को उत्ततराखण्ड के विवादित कैबिनेट मंत्री डा० हरक सिंह रावत ने केदारनाथ के कपाट खुलते ही दर्शन व पूजा अर्चना की थी,
हमने खबर १४ मई २०१३ को खबर प्रकाशित की थी-
अनिष्टकारी योग में कपाट खुलवा रही है मंदिर समिति
अनिष्टकारी योग में कपाट खुलवा कर पूजा करवा रही है मंदिर समिति – १४ जून तक कुछ विशेष घटित होने की आशंका
रेल मंत्रालय बचाने के लिए पवन बंसल ने शाम को सफेद बकरे का टोटके का सहारा भी लिया था। पवन बंसल ने रेल भवन जाने के लिए घर से निकलने से पहले एक बकरे को कुछ खिलाया, उसे सहलाया और पास खडी बंसल की पत्नी ने उनकी नजर उतारी परन्तु सितारो की चाल उल्टी पडने लगी थी, कोई भी टोटका काम न आया, पवन बंसल की कुर्सी चली गई. बेचारे टोटका करने के लिए बकरा लाए, कुर्सी बचाने के लिए बकरे की नजर उतारी गई, उसको खिलाया पिलाया गया, लेकिन बकरे के पैर बंसल के घर में पडते ही अनहोनी हो गई. इसी तरह का कुछ वाक्या उत्तराखण्ड में देखने को मिल रहा है, अवसर अक्षय ततीया पर चार धाम के कपाट खुलने का है, उत्तराखण्ड के सत्तासीन नेता सोंच रहे है कि सरकारी खर्चे से पूजापाठ कर अपने पाप उतार लिये जाये, परन्तु इस बार बडी भारी चूक होकर अनहोनी घटना घटने जा रही है, हुआ यूं कि गंगोत्री तथा यमनोत्री धाम के कपाट मंदिर समिति ने अक्षय ततीय पर खोलना सुनिश्चित किया, इसके लिए समय निकाला गया १३ मई को समय २ बजकर २४ मिनट परन्तु यही चूक हो गयी, घडी के अंतर ने विधि के विधान में अपशकुन की घडी फिट करा दी, अक्षय ततीया १२ मई को शुरू होकर १३ मई को १२ बजकर ४२ मिनट पर खत्म हो रही है, तथा रोहणी नक्षत्र है, इस दौरान शानदार व विशेष संयोग है परन्तु यह अवसर चूक गये तो अनिष्टकारी योग है, १२ बजकर २४ मिनट के बाद रोहणी नक्षत्र खत्म हो रहा है तथा पित्र पूजन का योग है जिसमें पवित्र कार्य निषेध है, देवताओं की पूजा न करने का योग है, जबकि मंदिर समिति यह अनिष्टकारी योग में कपाट खुलवा कर पूजा करवा रही है, इसका क्या असर व परिणाम होगा, यह तो ज्योतिषाचार्य गणना कर बाद में बताएंगे परन्तु गंगोत्री व यमुनोत्री के कपाट गलत मुहूर्त में खोले जाने का मुहूर्त पहली बार हो रहा है, इसके लिएजाने क्या अनिष्टकारी योग छिपा है।
१४ मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के समय होने वाली पूजा अर्चना में शामिल होकर मुख्येमंत्री अपनी गददी सुरक्षित करने के लिए पूजा पाठ करेगें तथा राज्यं में सितंबर में होने जा रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में डूबती साख को बचाने के लिए गुहार लगाएंगे, कहीं केदारनाथ में कदम रखते ही सितारे उल्टी चाल न चलने लेगे,
१२ मई को चार धाम यात्रा की औपचारिक शुरूआत ऋषिकेश में कैबिनेट मंत्री डा० हरक सिंह रावत ने सैकडों बसों को हरी झण््डी दिखाकर यात्रा शुरू करवायी वही १२ मई को समय १३० बजे सूबे के डीजीपी ने ईटीवी से बातचीत में कहा कि उन्हें डर है कि सडकों व लैंसस्लाइडिंग के कारण दुर्घटनाओं ज््यादा न हो ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;; बदरीविशाल, बाबा केदारनाथ का कहर कहा टूटने वाला है, यह भविष्य के गर्त में है, एक लेखक होने के नाते मैं भी यही कह सकता हूं कि कोई जागे या न जागे, यह है मुकदर उसका, मेरा काम है आवाज लगाते रहना— चन्द्रशेखर जोशी सम्पादक