पिथौरागढ जनपद में- सुप्रीम कोर्ट है माता का दरबार
यात्रा व़तान्त- यह धारचूला पावर प्रोजेक्ट के एक अधिकारी श्री दिनेश त्रिपाठी द्वारा किया गया वर्णन है- जब वह ज्वाइन करने जा रहे थे, मैंने देहरादून में उनसे निवेदन किया था-कि आप सुप्रीम कोर्ट में जरूर जाना, वह आश्चर्य चकित होकर मुझे देखने लगे- सुप्रीम कोर्ट- मैंने कहा- जी, हां सुप्रीम कोर्ट- एक देश का एक सुप्रीम कोर्ट होता है, यह मैं नही, वेदों में वर्णित है- कलयुग में जब कल्याणकारी शक्तियां न्याय देने में विवश होगी उस समय मॉ भगवती कोटगा्डी देवी के दरबार में जो फरियाद लगायेगा, उसको सुप्रीम कोर्ट की तरह अंतिम न्याय यहां मिलेगा,नाम मात्र से जाग्रत होने वाली देवी-का वर्णन धारचूला पावर प्रोजेक्ट में तैनात अधिकारी महोदय द्वारा किया गया है- कल हमारे पोर्टल में पढिये- उत्तराखण्ड की राजनीतिक स्थिति- और मॉ का दरबार- पर विशेष; अगर यहां याचिका दायर हो गयी तो क्या हो सकता है-
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माँ के दरवार मे प्रवेश करते ही ऐसा महसूस हुआ जैसे शक्ति वहाँ पर विराजमान होकर आशीर्वाद दे रही हो। इस पूरे गाँव की पहाड़ी मे पानी की कमी हैं। परंतु मंदिर मे तो जैसे माँ गंगा स्वयं अवतरित यहाँ पाताल गंगा है। इतना भूमिगत पानी है कि पूरा का पूरा वातावरण एक सकारात्मक ऊर्जा का बोध कराता है। “प्रत्यक्ष किम प्रमाण”। मैंने जो वहाँ देखा अद्भुत हैं, अलौकिक है।
अपने भाई श्री चन्द्रशेखर जोशी जी के प्रेरणा व मार्ग दर्शन लेने के बाद न्याय की देवी माँ कोटगाड़ी देवी के दर्शन को मेरी इच्छा प्रबल हो गई।
15 अप्रैल -2016 को राम नवमी के दिन मेरी यह इच्छा पूरी हुई। मैं धारचूला से डीडीहाट थल, पांखू होता हुआ माँ कोटगाड़ी के दरबार पहुँचा । थल मे रामगंगा का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है। उसके बाद लगभग 9 किलो मीटर की मोटर मार्ग चढ़ाई के बाद पांखू से 2 किलो मीटर अंदर की तरफ जाना पड़ता है॥
वहाँ पहुँचते ही आपको सुरम्य स्थान नजर आता है। वृक्षों के घने झुंड के बीच माँ का स्थान है। कहते है इस पूरे गाँव की पहाड़ी मे पानी की कमी हैं। परंतु मंदिर मे तो जैसे माँ गंगा स्वयं अवतरित होकर आई हो। यह भी कहा जाता है कि यहाँ पाताल गंगा है। इतना भूमिगत पानी है कि पूरा का पूरा वातावरण एक सकारात्मक ऊर्जा का बोध कराता है। वहाँ स्नान करने की पूर्ण व्यवस्था है। दर्शनार्थी स्नान कर ऊपर मंदिर मे प्रवेश करते हैं। जब मैंने मंदिर मे प्रवेश किया तो वहाँ देवी भागवत कथा चल रही थी । उसका भी पूर्ण आनंद लिया ।
माँ के दरवार मे प्रवेश करते ही ऐसा महसूस हुआ जैसे शक्ति वहाँ पर विराजमान होकर आशीर्वाद दे रही हो। “प्रत्यक्ष किम प्रमाण”। मैंने जो वहाँ देखा अद्भुत हैं, अलौकिक है। जगह जगह कागजो पर अपनी अपनी समस्यायेँ व उनका समाधान हेतु लिखा गया हैं। मैंने पंडित जी से अभिषेक भी करवाया ।
माँ कोटगाड़ी के बारे मे मान्यता है कि वह न्याय की प्रत्यक्ष देवी है। कहा तो यह भी जाता हैं कि प्राचीन समय मे उस पूरे क्षेत्र मे फैसले ही माँ के दरवार मे होते थे । इसे पहाड़ का सुप्रीम कोर्ट भी कहा जाता हैं। अभी भी फरियादियों की पूर्ण सुनवाई वहाँ होती हैं। सिर्फ आवश्यकता आस्था की है।
माँ के चरणों मे नतमस्तक हो कर मैं वहाँ आस पास विचरण करने लगा, तो पता चला की मंदिर के सामने वाले स्थानो पर कुछ साधू अपनी साधना मे तल्लीन थे। देखकर बहुत अच्छा लगा । एक साधू तो षटमासी व्रत लेकर साधना मे मस्त थे। लोग उनके पास प्रातः जाते, वे देखते ही उनके बारे मे बताना शुरु कर देते थे। उत्तराखंड की संस्कृति एक अध्यात्म का एक ज्वलंत उदाहरण वहाँ देखने को मिला ।
फिर पंडित जी ने मार्गदर्शन किया की गाँव के नीचे नाले के पास भैरवनाथ के दर्शन अवश्य कर के जाना। मैं नीचे गाँव में उतरा, काफी नीचे जाने के बाद भैरव बाबा के दर्शन किए। अद्भुत नजारा देखा, फिर प्रणाम कर अपने गंतव्य को चला गया।
इस भ्रमण की प्रेरणा के लिए श्री चन्द्रशेखर जोशी जी का धन्यबाद देता हूँ। अन्यथा मै एक बहुत बड़ी शक्ति देखने से वंचित रह जाता, वह भी नवरात्रियों में।