मारे गये निर्दोष लोगों की याद में 1 मई
मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत # एक मई को दुनिया के कई देशों में लेबर डे मनाया जाता है और इस दिन देश की लगभग सभी कंपनियों में छुट्टी रहती है. भारत ही नहीं दुनिया के करीब 80 देशों में इस दिन राष्ट्री य छुट्टी होती है. अाज लोग फैशन में शुभकामनाये दे रहे हैं 1 मई की, यह सोशल मीडिया का जमाना है, शब्दों की कमी है पर whatsup संदेश भेजना जरूरी है– भारत में मई दिवस पहली बार चेन्नई में सन 1923 में मनाया गया था। A Detail Report: www.himalayauk.org (Web & Print Media) by CHANDRA SHEKHAR JOSHI
RARE PHOTO; The Triumph of Labour statue at the Marina Beach, Chennai, India.
विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस “1 मई” के दिन मनाया जाता है। किसी भी देश की तरक्की उस देश के किसानों तथा कामगारों (मजदूर / कारीगर) पर निर्भर होती है। एक मकान को खड़ा करने और सहारा देने के लिये जिस तरह मजबूत “नीव” की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, ठीक वैसे ही किसी समाज, देश, उद्योग, संस्था, व्यवसाय को खड़ा करने के लिये कामगारों (कर्मचारीयों) की विशेष भूमिका होती है। पूर्व काल में मजदूर एवं कामगार वर्ग की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। मजदूरों को दिन में दस से पंद्रह घंटे काम कराया जाता था। कार्य स्थल इतने विषम और प्रतिकूल होते थे की वहाँ आये दिन काम पर मजदूरों की अकस्मात मृत्यु की घटनायेँ होती रहती थीं। इन्हीं परिस्थितियों के चलते अमरीका में कुछ मजदूर समस्या निवारण संघ और समाजवादी संघ द्वारा मजदूरों के कल्याण के लिये आवाज़ उठाई जाने लगी।
आगे चल कर वर्ष 1884 में शिकागो शहर के राष्ट्रीय सम्मेलन में मजदूर / कामगार वर्ग के लिये प्रति दिन 8 घंटे काम करने का वैधानिक समय सुनिश्चित कर दिया गया। यह एक ऐतिहासिक फ़ैसला था।
अंतराष्ट्रीिय तौर पर मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई थी. अमेरिका के मजदूर संघों ने मिलकर निश्च8य किया कि वे 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे. जिसके लिए संगठनों ने हड़ताल किया. इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम ब्लास्ट हुआ. जिससे निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्याेदा लोग घायल हो गए. इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ऐलान किया गया कि हेमार्केट नरसंघार में मारे गये निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा.
भारत सही दुनिया के अधिकतर देशों में 1 मई को अंतराष्ट्रीय मज़दूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। अमेरिका और कनाडा में सितम्बर महीने के पहले सोमवार को ,मज़दूर दिवस घोषित किया जाता है। मज़दूर को आमतौर पर लोग गरीब समझकर उसके महत्व को अनदेखा करते हैं जबकि मज़दूर समाज और देश का महत्वपूर्ण हिस्सा है। देश की तरक़्क़ी में मज़दूर का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। हर छोटे और बड़े किसी भी प्रकार के निर्माण में मज़दूर का योगदान महत्वपूर्ण है चाहे वो एक छोटा सा मकान हो या अंतरिक्ष में भेजे जाने वाला कोई अंतरिक्ष यान ही क्यों न हो हर काम में मज़दूर की भूमिका महत्वपूर्ण है। मज़दूर के योगदान के बिना किसी भी तरह के निर्माण का पूरा हो पाना असंभव है। मज़दूर केवल पत्थर तोड़ने वाला, ईंटें धोने या किसी फैक्ट्री में मज़दूरी करने वाला व्यक्ति नहीं है बल्कि हर वो व्यक्ति जो शारीरिक या मानसिक श्रम के जरिये आना जीवन यापन करता है वो भी मज़दूर की श्रेणी में शामिल है। अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस को मनाने की शुरूआत 1 मई 1886 से मानी जाती है जब अमरीका की मज़दूर यूनियनों ने काम का समय 8 घंटे से ज़्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। इस हड़ताल दौरान के शिकागो में बम धमाका हुआ था। बम धमाका किसने किया इसके बारे में कुछ जानकारी स्पष्ट नहीं थी इस धमाके की घटना के बाद पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे मज़दूरों पर गोली चला दी और इससे सात मज़दूरों की मौत हो गई । शुरआत में इस घटना का अमरीका पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा था लेकिन कुछ समय के बाद अमरीका में मज़दूरों के लिए 8 घंटे काम करने का समय निश्चित कर दिया गया था। मौजूदा समय भारत और अन्य देशों में मज़दूरों के 8 घंटे काम करने संबंधित क़ानून लागू है।
आठ घंटे के कार्य दिवस की जरुरत को बढ़ावा देने के लिये साथ ही संघर्ष को खत्म करने के लिये अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस या मई दिवस मनाया जाता है। पूर्व में मजदूरों की कार्य करने की स्थिति बहुत ही कष्टदायक थी और असुरक्षित परिस्थिति में भी 10 से 16 घंटे का कार्य-दिवस था। 1860 के दशक के दौरान मजदूरों के लिये कार्यस्थल पर मृत्यु, चोट लगना और कई प्रकार की करथिन परिस्थितियां आम बात थी और पूरे कार्य-दिवस के दौरान काम करने वाले लोग बहुत क्षुब्ध थे जब तक कि आठ घंटे का कार्य-दिवस घोषित नहीं कर दिया गया।
बहुत सारे उद्योगों में श्रमिक वर्ग लोग (पुरुष, महिला) की बढ़ती मृत्यु, उद्योगों में उनके काम करने के घंटे को घटाने के द्वारा कार्यकारी दल के लोगों की सुरक्षा के लिये आवाज उठाने की जरुरत थी। मजदूरों और समाजवादियों के द्वारा बहुत सारे प्रयासों के बाद अमेरिकन संघ के द्वारा 1884 में श़िकागो के राष्ट्रीय सम्मेलन में मजदूरों के लिये वैधानिक समय के रुप में आठ घंटे को घोषित किया गया।
मज़दूर समूह के लोगों की समाजिक और आर्थिक उपलब्धियों को बढ़ावा देने के लिये साथ ही शिकागो के हेयमार्केट नरसंहार की घटना को याद करने के लिये मई दिवस मनाया जाता है।
भारत में एक मई को मज़दूर दिवस सब से पहले चेन्नई में 1 मई 1923 को मनाना शुरू किया गया था। उस समय इसे मद्रास दिवस के तौर पर मनाया गया था। इस की शुरूआत भारतीय मज़दूर किसान पार्टी के नेता कामरेड सिंगरावेलू चेट्यार ने शुरू की थी। मद्रास में हाईकोर्ट के सामने एक बड़ा प्रदर्शन कर एक संकल्प के पारित करके यह सहमति बनाई गई कि इस दिवस को भारत में भी कामगार दिवस के तौर पर मनाया जाये और इस दिन छुट्टी का ऐलान किया जाये। भारत समेत लगभग 80 देशों में यह दिवस 1 मई को मनाया जाता है। इस पीछे तर्क है कि यह दिन अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस के तौर पर प्रवानित हो चुका है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मज़दूरों के अधिकारों के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) का गठन किया गया। यह एक संस्था है जो संयुक्त राष्ट्र में उपस्थित है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रमिक मुद्दों को देखने के लिये स्थापित हुयी है। पूरे 193 (यूएन) सदस्य राज्य के इसमें लगभग 185 सदस्य हैं। विभिन्न वर्गों के बीच में शांति प्रचारित करने के लिये, मजदूरों के मुद्दों को देखने के लिये, राष्ट्र को विकसित बनाने के लिये, उन्हें तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिये वर्ष 1969 में इसे नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) मजदूर वर्ग के लोगों के लिये अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन की सभी शिकायतों को देखता है। इसके पास त्रिकोणिय संचालन संरचना है अर्थात् “सरकार, नियोक्ता और मजदूर का प्रतिनिधित्व करना (सामान्यतया 2:1:1 के अनुपात में)” सरकारी अंगों और सामाजिक सहयोगियों के बीच मुक्त और खुली चर्चा उत्पन्न करने के लिये, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक कार्यालय के रुप में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन सचिवालय कार्य करता है।
अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) के कार्यों में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन, स्वीकार करना या कार्यक्रम आयोजित करना, मुख्य निदेशक को चुनना, मजदूरों के मामलों के बारे में सदस्य राज्य के साथ व्यवहार, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक कार्यालय कार्यवाही की जिम्मेदारी के साथ ही जाँच कमीशन की नियुक्ती के बारे में योजना बनाने या फैसले लेने के लिये संस्था को अधिकार प्राप्त है। अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) के पास लगभग 28 सरकारी प्रतिनिधि हैं, 14 नियोक्ता प्रतिनिधि और 14 श्रमिकों के प्रतिनिधि हैं। आम नीतियाँ बनाने के लिये, कार्यक्रम की योजना और बजट निर्धारित करने के लिये जून के महीने में जेनेवा में वार्षिक आधार पर ये एक अंतरराष्ट्रीय श्रमिक सभा आयोजित करता है (