लॉकडाउन अपर्याप्त; आक्रामक उपाए उठाने होंगे; कैबिनेट मंत्रियों को बांटी राज्यों की जिम्मेदारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने कहा कि भारत सहित दुनिया भर में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए किया जा रहा लॉकडाउन अपर्याप्त है। इसने कहा है कि इससे यह महामारी ख़त्म नहीं होगी। इसे ख़त्म करने के लिए आक्रामक उपाए उठाने होंगे।
केंद्र सरकार ने 17 राज्यों से कहा है कि वे कोरोना से संक्रमित लोगों के लिए अलग अस्पताल तैयार रखें। हालांकि केंद्र सरकार ने यह साफ़ नहीं कहा है कि इन राज्यों में कोरोना महामारी विकराल रूप लेने वाली है, पर केंद्र के इस अलर्ट का यह अर्थ निकाला जा सकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा है कि इन राज्यों में कोरोना के लिए अलग अस्पताल के इंतजाम पर काम शुरू हो चुका है। स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा है कि कोविड से प्रभावित लोगों की तादाद बढ़ रही है, पर जिस गति से वह बढ़ रही है, वह स्थिर हो चुकी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह माना है कि यदि अभी जनता और सरकार मिल कर संक्रमण रोकने की दिशा में गंभीरता से काम नहीं करेगी तो यह सामुदायिक संक्रमण की स्थिति में पहुँच जाएगा। यानी सरकार यह मानती है कि कोरोना सामुदायिक संक्रमण की स्थिति तक जा सकती है। इसके साथ ही सरकार का राज्यों को यह अलर्ट करना कि वे कोरोना के लिए अलग से अस्पताल का इंतजाम करें, बताता है कि कोरोना राज्यों में तेजी से फैल सकता है।
: कोरोना वायरस (CoronaVirus) से जंग में केंद्र सरकार और PM मोदी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. केंद्र और राज्य के बीच बेहतर समन्वय के साथ-साथ मंत्री स्तर पर मॉनीटरिंग भी की जा रही है. आवश्यक वस्तुओं की कमी न हो और राज्यों में कोई दिक्कत नहीं हो इसके लिए सभी कैबिनेट मंत्रियों को अलग-अलग राज्यों की जिम्मेदारी दी गई है.
राज्यों से ग्राउंड फीडबैक लेने के लिए सभी कैबिनेट मंत्रियों को राज्य का प्रभारी बनाया गया है. इन मंत्रियों को राज्य के हर जिले के डीएम और अन्य उच्च अधिकारियों से रोज बात करके फीडबैक लेने को कहा गया है. ये मंत्री उनसे गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के गाइडलाईंस के क्रियान्वयन में कोई दिक्कत तो नहीं आ रही, उसकी जानकारी ले रहे हैं. इसके अलावा इस बात पर भी ध्यान दिया जा रहा है कि समस्याओं के लिए केंद्र कैसे मदद कर सकता है. मंत्रियों द्वारा इस बात की भी जानकारी ली जा रही है कि बाहर से कितने लोग अपने जिले में वापस आए हैं. जिले में कितने कोरोना पॉजिटिव हैं, कितने क्वारंटीन में है, इस बात की भी जानकारी ली जा रही है. मंत्रियों को जिन राज्यों की जिम्मेदारी दी गई है, उन्हें हर दिन पीएमओ को कोरोना वायरस के संक्रमण अपडेट और बचाव के काम का अपडेट देना होगा राजस्थान और पंजाब की जिम्मेदारी गजेंद्र सिंह शेखावत, असम की जनरल (रि) वीके सिंह, यूपी की राजनाथ सिंह, संजीव बाल्यान, महेंद्रनाथ पांडेय, कृष्णपाल गुर्जर, बिहार की रविशंकर प्रसाद और रामविलास पासवान, ओडिशा की धर्मेद्र प्रधान, छत्तीसगढ की अर्जुन मुंडा, झारखंड की मुख्तार अब्बास नकवी, महाराष्ट्र की नितिन गडकरी और प्रकाश जावड़ेकर को दी गई है.
केंद्र सरकार के इस अलर्ट के एक दिन पहले ही वैज्ञानिकों ने बताया कि भारत में कोरोना फैला तो एक से 13 लाख लोगों की मौत हो सकती है। विश्व बैंक के आँकड़ों के मुताबिक़, भारत में अस्पताल बिस्तर की तादाद एक हज़ार लोगों में सिर्फ़ 0.7 है, जबकि यह फ्रांस में 6.5 है। यह संख्या दक्षिण कोरिया में 11.5, चीन में 4.2, इटली में 3.4 और अमेरिका में 2.8 है। इसके ठीक पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने कहा कि भारत सहित दुनिया भर में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए किया जा रहा लॉकडाउन अपर्याप्त है। इसने कहा है कि इससे यह महामारी ख़त्म नहीं होगी। इसे ख़त्म करने के लिए आक्रामक उपाए उठाने होंगे।
तेल की कीमतों का वही हाल होने जा रहा है, जो 1998 में हुआ था. उस वक्त कच्चे तेल की कीमतों में सबसे बड़ी गिरावट आई और कीमतें 10 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे पहुंच गई थीं. लॉकडाउन होने की वजह से तेल की खपत में भारी गिरावट आई है. विश्लेषकों के मुताबिक, कनाडा में घरेलू उत्पादन की वजह से कुछ ही दिन में तेल भंडार भर सकते हैं. आपूर्ति बढ़ जाएगी, जबकि मांग नहीं है. अभी की जो स्थिति है, इसके चलते रेल से होने वाले कच्चे तेल के निर्यात में भी भारी गिरावट आएगी. खनन से जुड़ी कई परियोजनाएं भी ठप हैं रिस्टैड ने इंडस्ट्री को चेतावनी दी है कि तेल की कीमतें इस साल 10 डॉलर प्रति बैरल तक नीचे आ सकती हैं. पिछले कुछ सप्ताह से तेल की कीमत लगातार 30 डॉलर प्रति बैरल से नीचे बनी हुई है. साल की शुरुआत में ये 65 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा की कीमत पर बिक रहा था. शिपिंग सर्विसेज की कीमतें आसमान छूने लगी हैं. तेल भंडारण में मुश्किल होने से कीमतें और गिरेंगी. दुनिया भर में अगले महीने मांग की तुलना में तेल की आपूर्ति और तेजी से बढ़ने की उम्मीद है.
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