महाबली का हुआ राजनीतिक रिटायरमेंट – BIG FOCUCS
भाजपा (BJP) ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के लिए गुरुवार को अपने 184 उम्मीदवारों की पहली सूची (BJP Candidates List) जारी की. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और BJP अध्यक्ष अमित शाह का भी नाम शामिल है. बीजेपी की पहली लिस्ट में उत्तर प्रदेश के 28 प्रत्याशियों के नामों की भी घोषणा की गई है. लाल कृष्ण आडवाणी की सीट से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) चुनाव लड़ेंगे. प्रत्याशियों की सूची से BJP के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी (Lal krishna advani News) का नाम कटने को लेकर कांग्रेस ने तंज कसा है. कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पीएल पुनिया ने कहा कि इस लिस्ट को देखने से भारतीय जनता पार्टी (BJP) में परिवर्तन नजर आता है. लाल कृष्ण आडवाणी (LK advani) जैसे धुरंधर सांसद की जगह तड़ीपार रहे अमित शाह जगह ले रहे हैं. जनता सब जानती है कि कैसे एक व्यक्ति के शिकंजे में पूरी पार्टी चली जा रही है. बता दें कि गांधीनगर सीट से लाल कृष्ण आडवाणी 6 बार सांसद रहे हैं. उधर, क्या आडवाणी का टिकट काटा गया गया के सवाल पर अरुण जेटली ने कहा कि काटा जाना जैसा शब्द इस्तेमाल करना उचित नहीं है. पार्टी का इंटरनल सिस्टम होता है जिस का हिस्सा पार्टी के सभी बड़े लोग होते हैं.
1991 to 2019: How times have changed for Amit Shah and LK Advani
पहले श्री लाल
कृष्ण अडवाणी को ज़बरन ‘मार्ग
दर्शक’ मंडल में भेज
दिया, अब उनकी
संसदीय सीट भी छीन ली।
जब मोदीजी बुज़ुर्गों का आदर नहीं
करते, वह जनता के विश्वास का आदर कहाँ करेंगे? रणदीप सिंह
सुरजेवाला
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘पहले लाल कृष्ण आडवाणी को ज़बरन ‘मार्गदर्शक’ मंडल में भेज दिया, अब उनकी संसदीय सीट भी छीन ली. जब मोदी जी बुज़ुर्गों का आदर नहीं करते, वह जनता के विश्वास का आदर कहां करेंगे? भाजपा भगाओ, देश बचाओ.’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे. गृह मंत्री राजनाथ सिंह पुरानी सीट लखनऊ से लड़ेंगे जबकि नितिन गडकरी नागपुर से प्रत्याशी होंगे. स्मृति ईरानी अमेठी से चुनाव लड़ेंगी. ईरानी के सामने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मुकाबले में होंगे.
भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने शुक्रवार को कहा कि वह आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी, क्योंकि उनकी मई से 18 माह तक तीर्थयात्रा पर जाने की योजना है. उमा ने इन खबरों को खारिज कर दिया कि वह झांसी से नहीं बल्कि किसी सुरक्षित सीट से लड़ना चाहती हैं. उमा ने कहा कि उन्होंने 2016 में ही तय कर लिया था कि वह इस बार आम चुनाव चुनाव नहीं लड़ेंगी.
लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से जारी का गई उम्मीदवारों की लिस्ट में लालकृष्ण आडवाणी का टिकट काट दिया गया है. अब इसके बाद कोई आडवाणी का टिकट कटने के लिए उम्र को जिम्मेदार ठहरा रहा है तो कोई इसके लिए सफाई पेश कर रहा है. केंद्रीय मंत्री उमा भारती का कहना है कि आडवाणी जी का टिकट नहीं कटा है, इस बार उन्होंने भी चुनाव न लड़ने का मन बना लिया है. उमा भारती ने कहा कि इसका कारण यह है कि आडवाणी पहले भी कई बार चुनाव नहीं लड़े हैं. उन्होंने कहा कि आडवाणी जी को हम भुला ही नहीं सकते, 1984 में 2 सीटों से बीजेपी आज यहां तक पहुंची है तो आडवाणी जी के ही कारण ही यह मुमकिन हुआ है.
59 वर्षीय उमा ने बताया ‘‘मैंने 2016 में कहा था कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगी, क्योंकि मुझे गंगा के तटों पर बसे तीर्थस्थानों पर जाना है. अगर मैं चुनाव लड़ती तो मैं झांसी से ही लड़ती. मैं अपना निर्वाचन क्षेत्र कभी नहीं बदल सकती. वहां के लोगों को मुझ पर गर्व है और वह मुझे अपनी बेटी जैसा मानते हैं.’
उमा ने यह भी कहा कि वह 2024 का चुनाव लड़ेंगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी ‘‘शानदार बहुमत’’ हासिल करेगी. उन्होंने कहा कि उन्होंने आगामी चुनाव न लड़ने के अपने फैसले से भाजपा महासचिव (संगठन) रामलाल को अवगत करा दिया था. रामलाल ने उनसे तीर्थयात्रा के लिए जाने से पहले पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करने को कहा था.
उमा ने कहा कि वह पांच मई तक भाजपा के लिए चुनाव प्रचार करेंगी. उन्होंने कहा ‘‘पार्टी ने मुझे मुख्यमंत्री पद से ले कर कैबिनेट मंत्री के पद तक बहुत कुछ दिया है. मैंने भाजपा के अध्यक्ष पद को छोड़ कर लगभग सभी संगठनात्मक दायित्व संभाले हैं. यह मेरा दायित्व है कि पार्टी को शर्मिन्दा न होने दूं. मैं पांच मई तक चुनाव प्रचार करूंगी.’
मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री रह
चुकी हैं
2003 में बीजेपी ने उमा भारती के
नेतृत्व में ही कांग्रेस के दस साल के शासन को खत्म किया था. इसके बाद वह मुख्यमंत्री
बनी थीं, लेकिन
बाद एक मुकद्मे में नाम आने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
इसके बाद पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान को सीएम बना दिया था. इससे खफा होकर उन्होंने
नई पार्टी का गठन कर लिया था. हालांकि थोड़े समय बाद ही उनकी पार्टी का बीजेपी में
विलय हो गया था.
उमा भारती ने कहा कि अयोध्या आंदोलन का नेतृत्व आडवाणीजी ने किया, रथयात्रा आडवाणी जी ने निकाली, आज आडवाणी जी के कारण ही मोदी प्रधानमंत्री हैं. उनका सिर्फ योगदान ही नहीं है, उनका होना ही पार्टी के लिए बड़ी बात है. आज बीजेपी का यह अस्तित्व भी उनके ही कारण है.
केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि यह बात गोवा से शुरू हुई, जब नरेंद्र मोदी को प्रचार समिति की कमान सौंपने की बात हुई थी और राजनाथ सिंह पार्टी अध्यक्ष बने थे और उस वक्त भी आडवाणी गोवा नहीं गए थे. इसके कारण चर्चाएं चलीं और उसे मोदी बनाम आडवाणी बना दिया गया था.
उमा भारती ने कहा कि वो बात आज तक खत्म नहीं हुई और उस बात को खत्म करने का एक ही तरीका है. आडवाणी जी से अपील करती हूं, वह खुलकर मोदीजी को आशीर्वाद दें और इन बातों को नकारें. बड़ों ने छोटों को सम्मान के साथ आगे बढ़ाया है, इस परंपरा को आडवाणीजी भी जानते हैं.
खुद के चुनाव न लड़ने की घोषणा पर उमा भारती ने कहा कि मैं गंगा के कारण, गंगा की पदयात्रा करना चाहती हूं, इसलिए मैं चुनाव नहीं लडूंगी. उन्होंने कहा कि मैं पहले ही कह चुकी हूं, झांसी से तो पहले से ज्यादा वोटों से जीतूंगी. उमा भारती ने दावा किया कि पार्टी के तरफ से उन्हें खुजराहो, तमिलनाडु, पंजाब और कई जगहों से चुनाव लड़ने के प्रस्ताव मिले लेकिन उन्हें चुनाव नहीं लड़ना. उनका कहना है कि वो लोकसभा चुनाव प्रचार में भाग लेंगी और संगठन में रह कर राजनीति करेंगी.
अमित शाह के गांधीनगर से चुनाव लड़ने पर उमा भारती ने कहा कि अमित शाह गांधीनगर से चुनाव लड़ रहे हैं बहुत अच्छी बात है. वो इसका स्वागत करती हैं. उनका मानना है कि इससे संतुलन बनेगा, गांधीनगर से आडवाणी जैसा ही व्यक्ति चुनाव लड़ रहा है, अमित शाह उसी राजनीतिक विरासत को संभाल रहे हैं जो अडवाणी जी करते थे.
प्रधानमंत्री मोदी पर उमा भारती ने कहा कि मोदी तो यूनिक है, वो अपने आप में संपूर्ण हैं, वह अकेले ही हैं, इसलिए जोड़ी की बात नहीं करती हूं. 75 वर्ष से ज्यादा उम्र के नेताओं को टिकट न देने के मुद्दे पर उमा भारती ने कहा कि मल्टीनेशनल कंपनियां तो रिटायर्ड लोगों को ही रखती हैं और उन्हें ही काम देती हैं. उमा भारती ने कहा कि सोना जितना पुराना होगा उसकी कीमत उतनी ही बढ़ती है. उनका कहना है कि वो इस बात को नहीं मानती लेकिन अगर पार्टी ऐसी बात कहती है तो यह गलत है. उमा भारती का मानना है कि आडवाणी उनसे ज्यादा फिट हैं.
उमा भारती ने प्रियंका गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि वो तब निकली, जब उनके पति बहुत बड़े आरोपों के दायरे में हैं और प्रियंका अपने पति को बचाने के लिए निकली हैं.
उत्तर प्रदेश में माया और अखिलेश की जोड़ी पर उमा भारती ने कहा कि सपा और बसपा के कार्यकर्ता एक-दूसरे को पसंद नहीं करते हैं. मायावती और मुलायम सिंह में टकराव के कारण जहां सपा के उम्मीदवार होंगे बीएसपी के लोग बीजेपी को वोट देंगे और जहां बसपा के उम्मीदवार होंगे सपा के लोग बीजेपी को वोट देंगे. उमा भारती का दावा है कि गठबंधन के होने से बीजेपी को फायदा मिलेगा और कांग्रेस की तो हवा पहले ही निकल चुकी है.
गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) से डॉ. महेश शर्मा, मुज्जफरनगर से संजीव बालियान, गजियाबाद से वी के सिंह, बागपत से सत्यपाल सिंह, मथुरा से हेमा मालिनी को टिकट दिया गया है. उन्नाव से साक्षी महाराज को टिकट दिया गया है. केन्द्रीय मंत्री कृष्णा राज की जगह अरुण सागर को शाहजहांपुर से भाजपा उम्मीदवार बनाया गया. छत्तीसगढ़ से पांच सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित किये गए हैं जिसमें बस्तर से बैदूराम कश्यप शामिल हैं. अरूणाचल ईस्ट से किरण रिजिजू को टिकट दिया गया है. धारवाड़ से प्रह्लाद जोशी को टिकट दिया गया है. तिरूवनंतपुरम से के राजशेखरन को टिकट दिया गया है. उधमपुर से जितेन्द्र सिंह को टिकट दिया गया है. केंद्रपाड़ा से बैजयंत पांडा को टिकट दिया गया है. कन्याकुमारी से पी राधाकृष्णन को टिकट दिया गया है.
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने 184 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. नड्डा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे. वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह गुजरात की राजधानी गांधीनगर से मैदान में उतरेंगे. यहां से वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का टिकट काट दिया गया है. राजनाथ सिंह लखनऊ, महेश शर्मा नोएडा, नितिन गडकरी नागपुर, स्मृति ईरानी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे.
इसी प्रकार वीके सिंह गाजियाबाद, हेमा मालिनी मथुरा, साक्षी महाराज उन्नाव से मैदान में उतरेंगे. बीजेपी ने जम्मू से जुगल किशोर, डॉ. जितेंद्र सिंह उधमपुर, अनंतनाग से खालिद जहांगीर अनंतनाग से चुनाव लड़ेंगे. इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की केंद्रीय चुनाव समिति की अहम बैठक बुधवार शाम को संपन्न हुई थी. इस मैराथन मंथन में ही उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लग गई थी.
बीजेपी उम्मीदवार(राज्यवार)
उत्तर प्रदेश
वाराणसी से नरेंद्र मोदी, सहारनपुर से राघव लखनपाल, मुजफ्फरनगर से संजीव कुमार बालियान, बिजनौर से कुंवर भारतेंद्र सिंह, संभल से परमेश्वर लाल सैनी, मेरठ से राजेंद्र अग्रवाल, अमरोहा से कंवर सिंह तंवर, बागपत से सत्यपाल सिंह, गाजियाबाद से वीके सिंह, गौतमबुद्ध नगर से महेश शर्मा, अलीगढ़ से सतीश कुमार गौतम, मथुरा से हेमा मालिनी, आगरा से एसपी सिंह बघेल, फतेहपुर सीकरी से राज कुमार चाहर, एटा से राजवीर सिंह, बदायूं से संघमित्रा मौर्य, आंवला से धर्मेंद्र कुमार, बरेली संतोष कुमार गंगवार, शाहजहांपुर से अरुण सागर, खेड़ी से अजय कुमार मिश्रा, सीतापुर से राजेश वर्मा, हरदोई से जय प्रकाश रावत, मिसरिख से अशोक रावत, उन्नाव से साक्षी महाराज, मोहनलालगंज से कौशल किशोर, लखनउु से राजनाथ सिंह और अमेठी से स्मृति ईरानी.
राजस्थान
जयपुर से रामचरण बोहरा, जयपुर ग्रामीण से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, सीकर से स्वामी सुमेधानंद सरस्वती, अजमेर से भगीरथ चौधरी, झालावाड़ से दुष्यंत सिंह, श्रीगंगानगर से निहालचंद, बीकानेर से अर्जुनराम मेघवाल, झुंझुनूं से नरेंद्र खींचड़, टोंक-सवाई माधोपुर से सुखबीर सिंह जौनपुरिया, पाली से पीपी चौधरी, जोधपुर से गजेंद्र सिंह शेखावत, जालौर से देवजी पटेल, उदयपुर से अर्जुनलाल मीणा, चित्तौड़गढ़ से सीपी जोशी, भीलवाड़ा से सुभाष चंद्र बहेडि़या, कोटा से ओम बिरला.
महाराष्ट्र
नंदूरबार से हीना विजयकुमार गवित, धुले से सुभाष रामराव भामरे, रावर से रक्षा निखिल खड़से, अकोला से संजय शामराव धोतरे, वर्धा से रामदास चंद्रभानजी ताड़ास, नागपुर से नितिन गडकरी, गडचिरौली-चिमूर से अशोक महादेवराव नेते, चंद्रपुर से हंसराज अहीर, जालना से रावसाहेब पाटिल दानवे, भिवंडी से कपिल पाटिल, मुंबई उत्तर से गोपाल शेट्टी, मुंबई उत्तर मध्य से पूनम महाजन, अहमदनगर से सुजय विखे, बीड़ से प्रीतम मुंडे, लातूर से सुधाकर भालेराव और सांगली से संजय रामचंद्र पाटिल.
अंडमान और निकोबार से विशाल जौली
असम
करीमगंज से कृपानाथ माल्ला, सिलचर से राजदीप रॉय बंगाली, स्वायत्त जिले से हरेनसिंह बे, गुवाहाटी से क्वीन ओझा, मंगलादोई से दिलीप सैकिया, जोरहाट से तपन गोगोई, डिब्रूगढ़ से रामेश्वर तेली और लखीमपुर से प्रधान बरुआ.
छत्तीसगढ़
सरगुजा से रेणुका सिंह, रायगढ़ से गोमती साय, जांजगीर-चंपा से गुहाराम अजगले, बस्तर से बैदुराम कश्यप, कांकेर से मोहन मांडवी.
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश पूर्व से किरन रिजीजू और अरुणाचल प्रदेश पश्चिम से तपीर गाव.
दादरा और नगर हवेली से नाथूभाई गोमनभाई पटेल.
जम्मू कश्मीर
बारामूला से एमएम वार, श्रीनगर से खालिद जहांगीर, अनंतनाग से सूफी युसुफ, उधमपुर से जितेंद्र सिंह और जम्मू से जुगल किशोर शर्मा.
कर्नाटक
बेलगाम से सुरेश आंगड़ी, बागलकोट से पर्वतगौड़ा सी गाडीगौदर, बीजापुर से रमेश चंदप्पा, गुलबर्गा से उमेश जाधव, बीदर से भगवंत खूबा, बेल्लारी से देवेंद्रप्पा, हावेरी से शिवकुमार चनाबसप्पा उडासी, धारवाड़ से प्रहलाद जोशी, उत्तर कन्नड़ से अनंतकुमार हेगड़े, देवनगिरी से एम सिद्धेश्वर, शिमोगा से बीवाई राघवेंद्र, उडुपी चिकमंगलूर से शोभा करंदलजे, हसन से ए मंजू, दक्षिण कन्नड़ से नलिन कुमार कटील, चित्रदुर्गा से ए नारायण स्वामी, टुमकुर से जीएस बसावाराजू, मैसूर से प्रताप सिम्हा, चामराजनगर से श्रीनिवास प्रसाद, बेंगलुरु उत्तर से डीवी सदानंद गौड़ा, बेंगलुरु मध्य से पीसी मोहन और चिक्कबल्लापुर से बीएन बच्चेगौड़ा.
केरल
कासरगोड से रवीश तंत्री कुंटुर, कन्नूर से सीके पद्मनाभन, वडाकरा से वीके सजीवन, कोझिकोड से केपी प्रकाश बाबू, मलापुरम से उन्नीकृष्णन मास्टर, पोन्नानी से वीटी रेमा, पलक्कड़ से सी कृष्णाकुमार, चलाकुड़ी से एएन राधाकृष्णन, एर्नाकुलम से के एल्फोंस, अलापुझा से केएस राधाकृष्णन, कोल्लम से केवी साबू, अट्टींगुल से शोभा सुरेंद्रन और तिरुवनंतपुरम से एस राजशेखरन.
लक्षद्वीप से अब्दुल खादर.
मणिपुर
इन्नर मणिपुर से केके रंजन सिंह और आउटर मणिपुर से एच शोखोपाव माटे.
मिजोरम से निरुपम चकमा.
ओडिशा
सुंदरगढ़ से जुआल ओरांव, केवनझार से अनंत मलिक, बालासोर से प्रताप सारंगी, ढेंकानाल से रुद्र नारायण पानी, बोलंगीर से संगीता कुमारी सिंह देव, नवरंगपुर से बलभद्र माझी, केंद्रपाड़ा से बैजयंत पांडा, भुवनेश्वर से अपराजिता सारंगी, असका से अनीता प्रियदर्शी और बरहामपुर से भृगु बक्शीपात्रा.
सिक्किम से लातेन शेरपा.
तमिलनाडु
कोयम्बटूर से सीपी राधाकृष्णन, शिवगंगा से एच राजा, रामनाथपुरम से नैनार नागेन्द्रन, थुठुकुडी से तमिलसाई सौंदरराजन, कन्याकुमारी से पी राधाकृष्णन.
तेलंगाना
करीमनगर से बांदी संजय, निजामाबाद से डी अरविंद, मल्काजगिरी से एम रामचंद्र राव, सिकंदराबाद से जी कृष्णन रेड्डी, महबूबनगर से डीके अरुणा,नागरकुर्नूल से बंगारु श्रुति, नलगोंडा से गरलापति जितेंद्र कुमार, भोंगीर से पीवी शामसुंदर राव, वारंगल से चिंता संबामूर्ति और महबूबाबाद से जे हुसैन नाईक.
त्रिपुरा
त्रिपुरा पश्चिम से रेबाती त्रिपुरा और त्रिपुरा पूर्व से प्रतिमा भौमिक.
उत्तराखंड
टिहरी गढ़वाल से माला राज्य लक्ष्मी, गढ़वाल से तीरथ सिंह रावत, अलमोड़ा से अजय टम्टा, नैनीताल-उधमसिंह नगर से अजय भट्ट और हरिद्वार से रमेश पोखरियाल.
आंध्र प्रदेश
विशाखापट्टनम से डी पुरंदेश्वरी और नारासारापेट से कन्ना लक्ष्मीनारायण.
पश्चिम बंगाल
कूचबिहार से निसिथ प्रमाणिक, अलीपुरद्वार से जोन बारला, जलपाईगुड़ी से जयंत रे, रायगंज से देवश्री चौधरी, बलूरघाट से सुकांत मजूमदार, मालदा उत्तर से खगेन मूर्मू, मालदा दक्षिण से श्रीरुपा मित्रा चौधरी, कृष्णानगर से कल्याण चौबे, बैरकपुर से अर्जुन सिंह, दमदम से सामिक भट्टाचार्य, बारासात से मृणाल कांति देवनाथ, बशीरहाट से सयंतन बासु, जयनगर से अशोक कंडारी, मथुरापुर से श्यामाप्रसाद हलदर, जादवपुर से अनुपम हाजारा, कोलकाता दक्षिण से चंद्र कुमार बोस, कोलकाता उत्तर से राहुल सिन्हा, सीरामपुर से देवजीत सरकार, हुगली से लॉकेट चटर्जी, आरामबाग से तपन रॉय, तामलुक से सिद्धार्थ नासकर, घाटल से भारती घोष, झारग्राम से कुनार हेम्ब्रम, मेदिनीपुर से दिलीप घोष, बिष्नुपुर से सौमित्र खा, बर्धमान पूर्व से परेश चंद्र दास, आसनसोल से बाबुल सुप्रियो, बीरभूम से दूध कुमार मंडल.
He was 26 and eager. He was 63 and experienced.
In 1991, when seasoned politician LK Advani filed his nomination papers from Gandhinagar for the Lok Sabha election, a young Amit Shah was by his side. Shah would go on to help the Bharatiya Janata Party leader in his campaigns and towards his eventual triumph.
Shah and Advani painted quite the picture of youth and experience coming together for the cause of the political party they swore by – and still do even if from differing spectrums of age and influence.
Fast forward 28 years and into 2019, Shah will contest from the very same Lok Sabha constituency from where he had helped Advani all those years ago. It is said a generation changes every 25 years and in BJP’s case, it took three years more.
Gandhinagar would be an all-too-familiar territory for Shah and memories of 1991 are likely to make a comeback. Still only an activist of party’s youth wing Bharatiya Janata Yuva Morcha, which he joined as a 23-year-oldin 1987, Shah showed promise and potential to rise through the ranks. It is perhaps for qualities like these that he even got the opportunity to campaign for Advani, who would eventually go on to win by over 1 lakh votes.
In fact, the Gandhinagar Lok Sabha constituency has been a fortress for BJP since 1989 with Advani winning from here on six occasions – the latest was in 2014 when he scripted a win by a colossal margin of close to 5 lakh.
Advani’s string of triumphs here was hardly surprising considering the stature he enjoyed in the country’s politics. If Atal Bihari Vajpayee was the moderate face of a young BJP, Advani was its more forceful reflection. And in the early parts of 1990s, his contribution in the Ram Janmabhoomi campaign had propelled the BJP to its uncharted heights.
If Advani was working at a national level at the time, Shah was busy at the grassroots level with most of his political time in the 1990s being dedicated to rooting out Congress from rural Gujarat. Along with Narendra Modi, Shah has been credited for creating a solid base for BJP in rural Gujarat which eventually helped the party become politically unsurmountable in the state. Modi’s rise to the post of BJP state unit’s general secretary also boded well for Shah whose first of four MLA stints came in a by-election win from Sarkhej.
By the turn of the century, Shah’s growing influence in Gujarat politics was a much talked about even as an ageing Advani held on to the far more significant post of the country’s Home Minister in the Vajpayee-led government.
Modi’s rise to the CM’s post in Gujarat furthered the political prospects for Shah even as Congress kept BJP at bay for ten years – between 2004 and 2014. In this decade, BJP’s role in national politics was restricted to being in the opposition which also meant Advani, in his 80s now, was devoid of any significant political role.
By the time the political bugle of 2014 Lok Sabha election was sounded, BJP had begun looking at Modi to spearhead the anti-Congress drive. And even as Advani, and some other veterans of BJP were made members of the party’s Margdarshak Mandal, Shah was expected to now play a much more major national role.
The massive mandate for BJP only underlined Shah’s political achievements and electoral abilities – qualities he would be banking upon to help him pass the Lok Sabha test.
At 91, Advani’s vast experience would still favour BJP even as the party now calls upon its chief in Shah to lead the charge in Gujarat
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