ग्रहों का यह संयोग ठीक नहीं– सफलता आसान नहीं होगा: ऐस्ट्रॉलजर -महासंग्राम 2024- Lok Sabha polls in 2024 going to be a ‘mahasangram’
#अगर विपक्ष एकजुट होता है तो लोकसभा में बाजी पलट सकती है. विपक्ष के एकजुट होने से एक दूसरे के वोट ट्रांसफर भी होंगे. ऐसे में नए समीकरण बनेंगे जो सीटों की संख्या में भी बदलाव करेंगे. एनडीए गठबंधन के बहुमत से दूर होने के बाद नया समीकरण भी बन सकता है और फिर ऊंट किस करवट बैठे, कौन जानता है. बीजेपी बहुमत से थोड़ दूर रही और सहयोगी दलो की जरूरत पड़ी तो संघ नितीन गडकरी को आगे बढ़ायेगा,# दक्षिण से गुड न्यूज की संभावना नजर ?
By Chandra Shekhar Joshi Chief Editor www.himalayauk.org (Leading Web & Print Media) Publish at Dehradun & Haridwar. Mail; himalayauk@gmail.com Mob. 9412932030
सी-वोटर और इंडिया टुडे ने एक सर्वे किया- सर्वे में सामने आया कि मोदी सरकार के कामकाज से असंतुष्ट होने वालों का आंकड़ा बीते 6 साल में करीब 50 फीसदी के हिसाब से बढ़ गया है
17 जनवरी 2023 को गोचर के शनि कुंभ राशि में प्रवेश कर आज़ाद भारत की कुंडली में कर्क राशि के चंद्रमा से अष्टम भाव में आ कर भारतीय राजनीति के परिदृश्य को बदल सकते हैं। मेदिनी ज्योतिष में चंद्रमा को देश की जनता की मनोस्थिति या जनभावनाओं का प्रतिनिधि माना जाता है। किसी राष्ट्र की स्थापना कुंडली में स्थित चन्द्रमा से जब गोचर में शनि चौथे, आठवें या बारहवें घर में आते हैं तब-तब जनता के सरोकार के मुद्दे और भावनाएं बदलने लगती हैं।
वर्तमान में जुलाई 2022 से शनि की अंतर्दशा बीजेपी की कुंडली में चल रही है, जो फरवरी 2024 तक रहेगी। शनि बीजेपी की कुंडली में अष्टम और नवम भाव का स्वामी होकर अपने शत्रु सूर्य की राशि सिंह में राहु, गुरु तथा मंगल से युत होकर वक्री अवस्था में बैठा है जो कि पार्टी के बड़े नेताओं के साथ कुछ आकस्मिक अशुभ घटनाओं की ओर संकेत दे रहा है।
वर्तमान में जुलाई 2022 से शनि की अंतर्दशा बीजेपी की कुंडली में चल रही है, जो फरवरी 2024 तक रहेगी। शनि बीजेपी की कुंडली में अष्टम और नवम भाव का स्वामी होकर अपने शत्रु सूर्य की राशि सिंह में राहु, गुरु तथा मंगल से युत होकर वक्री अवस्था में बैठा है जो कि पार्टी के बड़े नेताओं के साथ कुछ आकस्मिक अशुभ घटनाओं की ओर संकेत दे रहा है।
कर्नाटक, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ तथा तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों में होने वाले 2023 के विधानसभा चुनावों से भारत की राजनीतिक परिदृश्य के बदलने की संभावना दिखती है। जिसके बाद वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव बेहद दिलचस्प होंगे, ममता बनर्जी की जुबान का ख्याल बीजेपी को जरूर आएगा। इसलिए चुनाव का परिणाम बेहद रोमांचक होगा।
वही ममता बनर्जी ने दावा हुआ है कि 2024 में बीजेपी सत्ता में लौटकर नहीं आएगी। अब सवाल उठता है कि क्या ममता बनर्जी की यह बात सच साबित होगी। क्या 2024 तक विपक्ष इस स्थिति में होगा कि बीजेपी के विजय रथ को रोक पाएगी।
एक सर्वे ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी के समीकरण बदल दिए हैं, इस सर्वे में बीजेपी नीत एनडीए को सीटों के मामले में झटका मिलता नजर आ रहा है. लोकसभा चुनाव 2019 में एनडीए को 353 सीटें मिली थीं. ताजा सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी नीत एनडीए को सीधे तौर पर 55 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है.
देश में बढ़ती महंगाई और युवाओं के लिए बेरोजगारी यानी रोजगार की अनउपलब्धता दो ऐसे मुद्दे होंगे जो बीजेपी के विजय रथ को रोक सकते हैं. बढ़ती महंगाई सरकार की सबसे बड़ी नकामी है, और यह सीधे उनकी जेब को नुकसान पहुंचा रही है, देश में तेजी से बढ़ रही युवा आबादी को रोजगार देने में नाकाम रहना भी आने वाले चुनाव में सरकार की गले की फांस बन सकती है. इंडिया टुडे-सी वोटर्स के सर्वे में यह पता लगाने की कोशिश की गई है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में ऐसे कौन से मुद्दे हैं जो बीजेपी के विजय रथ को रोक सकते हैं. मूड ऑफ द नेशन पोल के जनवरी के वर्जन के अनुसार पिछले तीन वर्षों में मुद्रास्फीति, कोविड महामारी और चीन से बाहरी खतरों के बावजूद, नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने सत्ता विरोधी लहर (एंटी इनकंबेंसी) को मात देने में कामयाबी हासिल की है.
Lok Sabha Election Survey: सर्वे में लोकसभा चुनाव में यूपीए (UPA) को बिहार में 47 फीसदी, कर्नाटक (Karnataka) में 43 फीसदी और महाराष्ट्र में 48 प्रतिशत वोट हासिल करने का अनुमान लगाया गया.
बदल रही है स्थिति
इंडिया टुडे-सी वोटर मूड ऑफ द नेशन सर्वे के मुताबिक कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) को बिहार में 47 फीसदी तक वोट हासिल करने का अनुमान लगाया गया. अगस्त 2022 में महज 5 फीसदी वोट हासिल करने का अनुमान था.
सर्वे के मुताबिक यूपीए (UPA) को कर्नाटक में 43 फीसदी और महाराष्ट्र में 48 प्रतिशत वोट हासिल करने का अनुमान है, जबकि अगस्त 2022 के दौरान कर्नाटक में 43 प्रतिशत और अगस्त 2022 में महाराष्ट्र में 47 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान लगाया गया था. 2019 में, इंडिया टुडे के सर्वेक्षण के अनुसार, यूपीए के वोट शेयर ने गठबंधन को महाराष्ट्र में 6 फीसदी, बिहार में 1 प्रतिशत और कर्नाटक में 2 प्रतिशत की बढ़त मिली.
किन राज्यों में UPA को कितनी सीटें •कर्नाटक में 17 सीटें मिलने का अनुमान
•महाराष्ट्र में 34 सीटें मिलने का अनुमान •बिहार में 25 सीटें मिलने का अनुमान
सर्वे के मुताबिक, अगर आज चुनाव हुए तो कर्नाटक में यूपीए को 15 सीटों का फायदा हो सकता है. कर्नाटक में लोकसभा की कुल 28 सीटें हैं. साल 2019 में पार्टी को यहां 2 सीटें मिली थीं. सर्वे में सीटों की संख्या 17 दिखाई गई है. उधर, महाराष्ट्र में यूपीए गठबंधन को 28 सीटों का फायदा हो सकता है. सर्वे के कांग्रेस गठबंधन को 34 सीटें मिल सकती है. साल 2019 में यूपीए को सिर्फ 6 सीटें मिली थीं. इसके अलावा सर्वे के मुताबिक बिहार में यूपीए गठबंधन को 25 सीटें दिखाई गई हैं. साल 2019 में राज्य में महज 1 सीट कांग्रेस ने जीती थी.
सर्वे के मुताबिक अगर इस समय लोकसभा चुनाव होते हैं तो महाराष्ट्र में यूपीए (कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी) को 34 सीटें मिल सकती हैं. यानि कुल वोटिंग का 48 फीसदी शेयर यूपीए के खाते में जा सकता है. सर्वे का मतलब साफ है कि अगर अभी चुनाव हुए तो उद्धव ठाकरे और एनसीपी के साथ मिलकर कांग्रेस कमाल कर सकती है. वहीं यह सर्वे एनडीए (बीजेपी और शिंदे गुट) के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है.
इंडिया टुडे और सी वोटर के सर्वे से पता चला है कि आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल वह विपक्ष के सबसे बेहतर नेता हैं.. यानी कि अरविंद केजरीवाल ही वह नाम है जो 2024 मे नरेंद्र मोदी के सामने चिंता बनकर खड़े हो सकते हैं.
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों से किसको फायदा?
बजट सत्र से पहले इस सर्वे में सामने आया है कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों से बड़े कारोबारियों को फायदा मिल रहा है. सर्वे के मुताबिक, बड़े कारोबारियों को 58 प्रतिशत, छोटे कारोबारियों को 11 प्रतिशत, वेतनभोगी वर्ग को 8 प्रतिशत, किसानों को 8 प्रतिशत, दिहाड़ी मजदूरों को 6 प्रतिशत और अन्य को 3 प्रतिशत फायदा मिल रहा है. इसमें से कह नहीं सकते वाले 6 प्रतिशत लोग भी हैं.
मोदी सरकार में बेरोजगारी को लेकर सर्वे में कहा गया है कि ये बहुत ही गंभीर स्थिति है.
भारत जोड़ो यात्रा के बाद आया सर्वे
मूड ऑफ द नेशन के नाम से किए गए इस सर्वे में बहुमत का आंकड़ा घटता हुआ दिख रहा है. सबसे ज्यादा घाटा बीजेपी को कर्नाटक में होते हुए दिखाया गया है. इस सर्वे के मुताबिक, कर्नाटक में एनडीए को भारी नुकसान होता दिखाया है और यूपीए को फायदा मिलता दिख रहा है. राज्य में यूपीए को 43 प्रतिशत का फायदा हो रहा है. ये आंकड़ें साल 2023 के चुनाव को लेकर पेश किए गए हैं. जहां साल 2019 में यूपीए ने कर्नाटक में 2 सीटें जीती थीं तो वहीं आज चुनाव होते हैं तो यूपीए को 17 सीटें मिलती दिख रही हैं. यानि 25 सीटों में से 17 सीटें निकाल दी जाएं तो एनडीए के खाते में 8 सीटें जाती लग रही हैं.
राहुल की यात्रा का रूट और सियासी समीकरण से ये यात्रा दक्षिण कर्नाटक से होकर गुजरी. यात्रा सात जिलों की सात संसदीय सीटों चामराजनगर, मैसुरू, मांड्या, तुमकुर, चित्रदुर्ग, बेल्लारी और रायचूर से होकर गुजरी जहा माहौल बदल गया