हम सब सत्य, अहिंसा और धर्म की राह पर चलेेे- दिग्विजय सिंह ने क्यो कहा?
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 के लिए मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बीजेपी ने बुधवार को मध्यप्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. उनका सीधा मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से होगा. प्रज्ञा इन दिनों जमानत पर चल रही हैं और ऐलान से चंद घंटे पहले ही बीजेपी में शामिल हुई थीं. भोपाल सीट पर पिछले 30 साल से बीजेपी का कब्जा है. यहां कांग्रेस आखिरी बार 1984 में जीती थी.
समझौता एक्सप्रेस धमाके के मुख्य अभियुक्त स्वामी असीमानंद से भी साध्वी प्रज्ञा के तार जुड़े हुए थे। साल 2007 में दिल्ली से अटारी जा रही समझौता एक्सप्रेस के साधारण श्रेणी के डिब्बे में विस्फोट हुआ था। 19 फ़रवरी, 2007 को दर्ज कराई गई एफ़आईआर के मुताबिक़, रात 11.53 बजे दिल्ली से क़रीब 80 किलोमीटर दूर पानीपत के दिवाना रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन में विस्फोट हुआ था। सरकार बदलने के बाद एनआईए ने अदालत से कहा कि उसके पास असीमानंद समेत किसी अभियुक्त के ख़िलाफ़ पुख़्ता सबूत नहीं है। कुछ दिन पहले विशेष अदालत ने असीमानंद को बरी कर दिया, लेकिन यह भी कहा कि एनआईए ने जानबूझकर कर सबूत पेश नहीं किए।यह साफ़ है कि बीजेपी कांग्रेस को उसी मुद्दे पर घेरना चाहती है, जिससे वह बचना चाहती है। नरेंद्र मोदी सरकार के बीते पाँच साल के कामकाज पर चर्च करने के बजाय वह उग्र हिन्दुत्व और आतंकवाद जैसे मुद्दे पर बहस केंद्रित करना चाहती है। साध्वी प्रज्ञा पर दाँव लगाना और उन्हें दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ उतारना इसी रणनीति का हिस्सा है।
भारतीय जनता पार्टी ने आख़िरकार मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को चुनाव में उतार ही दिया। भोपाल संसदीय सीट 1989 से अब तक कभी नहीं हारने वाली बीजेपी ने दिग्विजय सिंह को चुनौती देने के लिए उस व्यक्ति को चुना, जिस पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा है। साध्वी लंबे समय तक जेल में रहने के बाद फ़िलहाल ज़मानत पर हैं, पर उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा चलेगा, यह साफ़ है। ऐसा लगता है कि बीजेपी जानबूझ कर उस उग्र हिन्दुत्व को उभारना चाहती है, जिसकी काट मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास नहीं है।
मैं साध्वी प्रज्ञा जी का भोपाल में स्वागत करता
हूँ। आशा करता हूँ कि इस रमणीय शहर का शांत, शिक्षित और सभ्य वातावरण आपको पसंद आएगा।
मैं माँ नर्मदा से
साध्वी जी के लिए प्रार्थना
करता हूँ और नर्मदा जी से आशीर्वाद माँगता हूँ कि हम सब सत्य, अहिंसा और धर्म की राह पर चल सकें।
नर्मदे हर!
उधर, कांग्रेस उम्मीदवार व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने साध्वी प्रज्ञा को भोपाल से उम्मीदवार बनाए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया एक वीडियो जारी करके दी. उन्होंने अपने वीडियो में कहा, “मैं साध्वी प्रज्ञा जी का भोपाल में स्वागत करता हूं. आशा करता हूं कि इस रमणीय शहर का शांत, शिक्षित और सभ्य वातावरण आपको पसंद आएगा. मैं मां नर्मदा से साध्वी जी के लिए प्रार्थना करता हूं और नर्मदा जी से आशीर्वाद मांगता हूं कि हम सब सत्य, अहिंसा और धर्म की राह पर चल सकें. नर्मदे हर!”
संघ परिवार की ही संस्था दुर्गा वाहिनी की सक्रिय सदस्य रह चुकी साध्वी प्रज्ञा सिंह बीजेपी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और विश्व हिन्दू परिषद से भी जुड़ी हुई थीं। हिन्दू आतंकवाद के आरोप उन पर लगे थे।
हैदराबाद के चार मीनार इलाक़े में स्थित मक्का मसजिद में 18 मई, 2007 को हुए बम विस्फोट में असीमानन्द के साथ ही साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नाम आया था और उन्हें भी अभियुक्त बनाया गया था। पर बाद में सबूतों के अभाव में साध्वी को इस मामले में बरी कर दिया गया था।
भोपाल सीट से अपने नाम का ऐलान होने के बाद साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि धर्म की जीत होगी, अधर्म की हार होगी. उन्होंने आगे कहा, “चुनाव में भगवा मुद्दा होगा और भोपाल का विकास मुद्दा होगा. भोपाल के लोग को संदेश एक अच्छी दिशा में जाने के लिए तैयार रहें. मैं पूर्ण मत और बहुमत से भोपाल लोकसभा का चुनाव जीतूंगी.”
गौरतलब है कि एनआईए अदालत ने मालेगांव मामले में उनके खिलाफ सख्त मकोका कानून के तहत लगे आरोपों को हटा लिया था लेकिन उनके सहित अन्य लोगों पर अभी भी दूसरे आरोप चल रहे हैं. इसके अलावा राज्य की गुना संसदीय सीट से केपी यादव को टिकट दिया गया है. यहां से वह कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनौती देंगे. भाजपा ने इसके अलावा राज्य की सागर और विदिशा लोकसभा सीट से क्रमश: राज बहादुर सिंह और रमाकांत भार्गव को टिकट दिया है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 2014 में विदिशा सीट से जीत हासिल की थी पर उन्होंने ऐलान किया है कि वह स्वास्थ्य कारणों के चलते इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगी.
भोपाल से टिकट मिलने के बाद प्रतिक्रिया देते हुए प्रज्ञा ने कहा, “हम तैयार हैं. अब इसी कार्य में लग गई हूं.”
उन्होंने कहा, “चुनाव में भगवा मुद्दा होगा और भोपाल का विकास मुद्दा होगा.” अपने खिलाफ महबूबा मुफ्ती और जावेद अख्तर के ट्वीट पर प्रज्ञा ने कहा कि इसके अलावा वो कर भी क्या सकते है. भोपाल के लोग को संदेश एक अच्छी दिशा में जाने के लिए तैयार रहें, अच्छा भोपाल बनाने के लिए तैयार रहें अच्छा भोपाल बनाएंगे. दिग्विजय के स्वागत करने पर बोली प्रज्ञा करना भी चाहिए, उन्हें मेरे यहां चुनाव लड़ने का स्वागत. पूर्ण मत और बहुमत से जीतूंगी भोपाल लोकसभा का चुनाव. उधर, पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रत्याशी के चयन में कोई देरी नहीं हुई. पार्टी ने सोच समझकर प्रत्याशी का चयन किया है.
हिंदुत्व का बड़ा चेहरा
हिंदुत्व
के चेहरे के रूप में जानी जाने वाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का जन्म मध्य प्रदेश के
कछवाहाघर में हुआ था. साध्वी प्रज्ञा महाराष्ट्र के मालेगांव बम धमाके में आरोपीबनाए जाने पर सुर्खियों में आई थीं. इस
मामले में उनके साथ लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को भी आरोपी बनाया
गया था. साध्वी प्रज्ञा का नाम आरएसएस नेता सुनील जोशी हत्याकांड में भी सामने
आया था. हालांकि, इस मामले में उन्हें
बरी कर दिया गया था. प्रज्ञा ठाकुर को उनके भड़काऊ भाषणों के लिए भी जाना जाता है.
मालेगांव बम धमाके में हैं आरोपी
29 सितंबर, 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव बम धमाके में
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को आरोपी बनाया गया था. इस बम धमाके में 8 लोग मारे गए थे और करीब 90 लोग घायल हुए थे. महाराष्ट्र पुलिस की एटीएस ने
प्रारंभिक जांच के बाद प्रज्ञा ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद धमाके की
जांच एनआईए को सौंप दी गई थी. एनआईए ने जांच में पाया था कि बम धमाके में उपयोग की
गई मोटर साइकिल प्रज्ञा ठाकुर के नाम रजिस्टर्ड थी. एनआईए ने जांच में पाया था कि
बम धमाके की साजिश भोपाल में ही रची गई थी. प्रज्ञा ठाकुर करीब 9 वर्षों तक जेल में रही थीं. फिलहाल इस मामले में
वह जमानत पर बाहर हैं.
आचार्य महामंडलेश्वर की मिली उपाधि
हिस्ट्री
में पोस्ट ग्रैजुएट प्रज्ञा ठाकुर अपने शुरुआती समय में अखिल भारतीय विद्यार्थी
परिषद से जुड़ी रहीं. 2007 में उन्होंने
संन्यास ले लिया था. उन्हें भारत भक्ति अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर बनाया गया और
उन्हें आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी पूर्णचेतनानंद गिरी के नाम से जाना जाता है.
कांग्रेस पर लगाए थे ‘हिंदू आतंकवाद’ का जुमला गढ़ने के आरोप
जेल से बाहर आने के बाद प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि उन्हें 23 दिनों तक यातना दी गई थी. साध्वी प्रज्ञा ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने ‘हिंदू आतंकवाद’ का जुमला गढ़ा था और भगवा आतंकवाद कांग्रेस का षड्यंत्र था. इसे साबित करने के लिए कहानी रची गई और उन्हें झूठे केस में फंसाया गया.
राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी यानी एनआईए की विशेष अदालत ने 27 दिसंबर, 2017 के अपने फ़ैसले में कहा कि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ़्टीनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और दूसरे छह लोगों के ख़िलाफ़ आतंकवाद निरोधी प्रावधानों के तहत मुक़दमा चलाया जाना चाहिए। अदालत ने कहा था कि मकोका और अनलॉफ़ुल एक्टीविटीज़ प्रीवेन्शन एक्ट के तहत लगी धाराएँ हटा दी जाएँ, पर उसने एनआईए के इस दरख्वास्त को खारिज कर दिया था कि इन अभियुक्तों को बरी कर दिया जाए क्योंकि उनके ख़िलाफ़ कोई पुख़्ता सबूत नहीं है। अदालत ने एनआईए के इस तर्क को खारिज कर दिया था कि साध्वी को मोटरसाइकिल के बारे में पता नहीं था। इसी तरह अदालत ने इस बात को भी खारिज कर दिया कि प्रज्ञा सिंह बम धमाके की साजिश में शामिल नहीं थी।उत्तरी महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के मुसलिम बहुल इलाक़े में 29 सितंबर 2008 को हुए बम धमाके में छह लोग मारे गए थे और 101 लोग बुरी तरह ज़ख़्मी हुए थे। महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवादी निरोधी दस्ते ने जाँच पड़ताल के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह और दूसरे 12 लोगों को अभियुक्त बनाया था।
लेकिन केंद्र में सरकार बदलने और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद एनआईए ने साध्वी को क्लीन चिट दे दी। उसने कहा कि साध्वी के ख़िलाफ़ कोई पुख़्ता सबूत नहीं है। एनआईए ने यह भी कहा कि वह मोटर साइकिल प्रज्ञा की ज़रूर थी, पर उन्होंने विस्फ़ोट के बहुत पहले ही उसे किसी को बेच दी थी। एनआईए ने यह अदालत से यह भी कहा कि प्रज्ञा को हमले की साजिश की जानकारी नहीं थी। लेकिन, अदालत ने कहा कि प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों से यह साफ़ है कि प्रज्ञा सिंह भोपाल और फ़रीदाबाद में हुई बैठकों में शामिल थीं और उन्हें साजिश की जानकारी थी।
मध्य प्रदेश के देवास की अदालत में अजमेर दरगाह बम धमाका कांड के अभियुक्त सुनील जोशी की हत्या के मामले में जिन 8 लोगों के ख़िलाफ़ हत्या का मामला चलाया गया, उनमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी हैं। द्वितीय सत्र न्यायाधीश राजेंद्र कुमार वर्मा की अदालत में प्रज्ञा के ख़िलाफ़ धारा 120 बी (आपराधिक साजिश रचने) के तहत मामला दर्ज कर दिया गया। इसके अलावा धारा 320 यानी हत्या के तहत भी मामला दायर किया गया है।
सुनील जोशी आरएसएस के प्रचारक थे और अजमेर दरगाह बम धमाका मामले में राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी ने उन्हें अभियुक्त बनाया था। लेकिन 29 दिसंबर 2007 को देवास में गोली मार कर उनकी हत्या कर दी गई थी। मध्य प्रदेश पुलिस ने यह मामला बंद कर दिया था। पर बाद में यह मामला फिर खोला गया।