छत्तीसगढ़ ; मुश्किलो में बीजेपी ?बीजेपी की साख दाँव पर
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के ‘दामाद जी’ डॉ. पुनीत गुप्ता बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के लपेटे में आए हैं। उनके ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और शासकीय दस्तावेजों में हेरफेर और सबूत नष्ट किए जाने की धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया है। डॉ. पुनीत गुप्ता के ख़िलाफ़ गंभीर धाराओं के तहत अलग-अलग एफ़आईआर दर्ज की गई हैं। रायपुर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल एवं पंडित जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में मशीनों की ख़रीद-फरोख़्त से लेकर दवाओं की ख़रीद और कैंटीन के ठेकों तक में हुए भ्रष्टाचार में डॉ. पुनीत गुप्ता के लिप्त पाए जाने के आरोप हैं।
वर्तमान सांसदों के समर्थक पार्टी के फ़ैसले से भड़के हुए – छत्तीसगढ़ में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सभी 11 लोकसभा सीटों पर सीधी टक्कर है। बीजेपी ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में हुई हार से सबक लेते हुए सभी 11 सीटों पर नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा है और अपने मौजूदा सभी 10 सांसदों के टिकट काट दिए हैं। उधर, कांग्रेस ने भी नए चेहरों पर दाँव आजमाया है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी अपने नए उम्मीदवारों के साथ चुनाव मैदान में है। पार्टी को उम्मीद है कि ये सभी नए चेहरे जनता की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे। बीजेपी ने रायपुर से आठ बार के सांसद रमेश बैस का टिकट काट कर उनके स्थान पर रायपुर के पूर्व मेयर सुनील सोनी को मैदान में उतारा है। इसके अलावा बिलासपुर से अरुण साव, महासमुंद से चुन्नीलाल साहू, राजनांदगाँव से संतोष पांडे, बस्तर से बैदूराम कश्यप, कांकेर से मोहन मांडवी, रायगढ़ से गोमती साय, सरगुजा से रेणुका सिंह, जांजगीर चांपा से गुहाराम अजगले, कोरबा से ज्योतिनंद दुबे और दुर्ग से विजय बघेल को पार्टी ने टिकट दिया है। सभी वर्तमान 10 सांसदों का टिकट कटने से इन सीटों पर असंतोष भी देखा जा रहा है। वर्तमान सांसदों के समर्थक पार्टी के फ़ैसले से भड़के हुए हैं। जांजगीर, कांकेर और महासमुंद लोकसभा सीटों पर तो बीजेपी के कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ता बाग़ी प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है। हालाँकि संगठन ऐसे नाराज़ कार्यकर्ताओं को मनाने में जुटा हुआ है। दूसरी ओर, विधानसभा चुनाव में मिली जबरदस्त जीत से कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं। कांग्रेस ने भी सभी 11 सीटों पर नए चेहरे उतारने की बात कही है और नौ सीटों पर अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया है। जबकि दो सीटों पर प्रत्याशियों के चयन को लेकर मंथन का दौर जारी है। बताया जाता है कि कोरबा लोकसभा सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री और छत्तीसगढ़ के मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत और दुर्ग लोकसभा सीट से प्रतिमा चंद्राकर का नाम सुर्ख़ियों में है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि सारे चौकीदार बदल दिए गए हैं, बीजेपी को अपने ख़ुद के चौकीदारों पर विश्वास नहीं है। भूपेश बघेल के मुताबिक़, जिस प्रकार राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में कामयाबी हासिल हुई वैसी ही जीत लोकसभा चुनाव में भी मिलेगी। उन्होंने साफ़ तौर कर कहा कि इस बार एनडीए की नहीं बल्कि यूपीए की सरकार बनेगी और नरेंद्र मोदी नहीं बल्कि राहुल गाँधी प्रधानमंत्री बनेंगे।
राज्य में बीजेपी की साख दाँव पर है। कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है।
विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस ने स्वास्थ्य परीक्षण के काम आने वाली बेशक़ीमती मशीनों की ख़रीद को लेकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए इस मामले को उठाया था। लेकिन तत्कालीन बीजेपी सरकार के कार्यकाल में मुख्यमंत्री के ‘दामाद जी’ का बाल भी बांका नहीं हुआ था।
कई गंभीर शिकायतों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के ज़िम्मेदार अधिकारियों ने डॉ. पुनीत गुप्ता के ख़िलाफ़ प्राथमिक जाँच करना भी मुनासिब नहीं समझा था। लेकिन अब उनके ख़िलाफ़ मिली सभी शिकायतें सच साबित हो रही हैं। लिहाज़ा, उनके ख़िलाफ़ मिली एक के बाद एक शिकायतें एफ़आईआर का रूप लेने लगी हैं।
- डॉ. पुनीत गुप्ता के ख़िलाफ़ रायपुर के पंडरी थाने में कांग्रेस नेत्री डॉ. किरणमयी नायक के आवेदन पर धारा 420 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत पहली एफ़आईआर दर्ज की गई है। जबकि दूसरी एफ़आईआर रायपुर के गोल बाज़ार थाने में इसी साल 15 मार्च को दर्ज की गई।
पुनीत गुप्ता के ख़िलाफ़ अपराध क्रमांक 70/19, आईपीसी की धारा 409, 467, 468, 420 और 120 के तहत मामला दर्ज किया है। डीकेएस अस्पताल प्रबंधन की ओर से डायरेक्टर डॉ. के.के. सहारे ने मामला दर्ज कराया है। बता दें कि जब डीकेएस अस्पताल बनकर तैयार हो रहा था, उस वक़्त पुनीत गुप्ता अस्पताल के अधीक्षक थे। बताया जा रहा है कि डॉ. पुनीत गुप्ता के ख़िलाफ़ महालेखाकार ने ऑडिट शुरू कर दिया है।
- बीते कई दिनों से तीन अफ़सर रायपुर के भीमराव अंबेडकर अस्पताल में डेरा जमाए हुए हैं। अफ़सर हर फ़ाइल की गहनता से जाँच कर रहे हैं। माना जा रहा है कि अस्पताल में गड़बड़ियों का कच्चा चिट्ठा जल्द खुल सकता है।
डॉ. पुनीत गुप्ता के ख़िलाफ़ जाँच शुरू होने से उनसे विभागीय तौर पर जुड़ा हर शख़्स दहशत में है। पुलिस अधीक्षक द्वारा सीएसपी आज़ाद चौक के नेतृत्व में गठित तीन सदस्यीय जाँच टीम ने शनिवार को अस्पताल के उन डॉक्टर्स, स्टाफ़ के बयान दर्ज किए थे जो डॉ. पुनीत गुप्ता के क़रीबी बताए जा रहे हैं। लेकिन अभी अधीक्षक डॉ. केके सहारे का बयान होना बाक़ी है।
आरोप हैं कि सरकारी पैसों पर देश-विदेश घूमने के अलावा डॉ. पुनीत गुप्ता ने तमाम क़ायदे-क़ानूनों को दरकिनार कर मेडिकल उपकरण और मशीनें थोक के भाव ख़रीदनी शुरू कर दी थीं।
उन आरोप तो यह भी लगाये गये हैं कि मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में होने वाले तमाम ठेकों में डॉ. पुनीत गुप्ता की हिस्सेदारी तय होती थी और स्वास्थ्य विभाग में ज़्यादातर काम ठेकों पर संचालित होने लगा था।
इसके अलावा उनके ख़िलाफ़ यह भी आरोप लगाये गये हैं कि सरकारी संरक्षण मिलने के चलते डॉ. पुनीत गुप्ता ने किडनी विभाग के अध्यक्ष का पद भी खुद संभाल लिया था, जबकि इस विभाग में उनसे कई योग्य डॉक्टर मौजूद थे। उधर, एफ़आईआर का सिलसिला शुरू होने के बाद डॉ. पुनीत गुप्ता ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। हालाँकि उनका इस्तीफ़ा अभी मंज़ूर नहीं किया गया है। कांग्रेस को रॉबर्ट वाड्रा के कथित भ्रष्टाचार पर घेरने वाली बीजेपी को लोकसभा चुनाव के मौक़े पर रमन सिंह के ‘दामाद जी’ के भ्रष्टाचार पर जवाब देते नहीं बन रहा है। अगर जाँच में डॉ. पुनीत गुप्ता दोषी पाए जाते हैं तो इससे राज्य में बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।