आगामी तीन लोकसभा चुनाव हारी तो

23 मार्च को होने वाले उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के चुनाव को लेकर यूपी की सियासत में गर्माहट पैदा हो गई है. बीजेपी जहां फूलपुर और गोरखपुर चुनावों में पटखनी के गम को भुलाने के लिए पूरा जोर लगाने की तैयारी में है. वहीं, अखिलेश यादव अपनी बुआ यानी मायावती को फूलपुर-गोरखपुर में जीत का रिटर्न गिफ्ट देने के मूड में हैं. कयास हैं ये रिटर्न गिफ्ट राज्यसभी की सीट हो सकती है.
लोकसभा में लगातार चौथे दिन बुधवार को भी हंगामे के कारण अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सका. हालांकि, सरकार ने कहा कि वह इसके लिए तैयार है. अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के थोटा नरसिम्हन व वाईएसआर कांग्रेस के वाई.वी.सुब्बा रेड्डी ने दिया है. हालांकि केंद्र की मोदी सरकार को फिलहाल अविश्वास प्रस्ताव से कोई खतरा नहीं है. पार्टी के पास लोकसभा में पर्याप्त संख्याबल है. अकेले बीजेपी के पास 274 सांसद है. यानी बहुमत के आंकड़े 272 से दो सांसद ज्यादा है. लेकिन अगर पार्टी आगामी तीन लोकसभा चुनाव हारी तो मुश्किल में पड़ सकती हैं. पार्टी के सहयोगी दल उसके लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं. दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव महाराष्ट्र राज्य में होने हैं.

भंडारा-गोंदिया सीट से बीजेपी सांसद पाना पटोले के पिछले वर्ष इस्तीफा देकर कांग्रेस में चले जाने के कारण यहां उपचुनाव होना है. वहीं पालघर से बीजेपी सांसद चिंतामन वांगा की इस वर्ष जनवरी में मृत्यु होने के कारण यह सीट खाली हुई है. हालांकि, इन सीटों पर उपचुनाव की तारीख की अभी घोषणा नहीं हुई है. इसके अलावा, कैराना लोकसभा सीट पर भी उपचुनाव होने हैं. इसी साल फरवरी में बीजेपी सांसद हुकम सिंह के निधन से ये सीट रिक्त हुई है. इस सीट पर बीजेपी केवल दो बार 1998 और 2014 में ही जीत दर्ज कर सकी है.

 
समाजवादी पार्टी अपने कैंडिडेट से ज्यादा बीएसपी कैंडिडेट भीमराव अंबेडकर को लेकर ज्यादा फिक्रमंद है. अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं अपने एक कैंडिडेट के लिए निर्धारित वोटों को अलग हटाकर जितने वोट ज्यादा बचेंगे वो पहले बीएसपी के कैंडिडेट को दिए जाएंगे. ऐसे में कहा जा रहा है कि एसपी उम्मीदवार जया बच्चन से ज्यादा तरजीह भीमराव अंबेडकर को मिल सकती है.
प्रदेश की दस सीटों के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना 9वां प्रत्याशी उतार कर मुकाबले को काफी रोचक बना दिया है. बीजेपी और समाजवादी पार्टी राज्यसभा की 10 सीटों के चुनाव को लेकर लगातार रणनीति भी बदल रही है. समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने राज्यसभा चुनाव में एक-एक प्रत्याशी उतारे हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा की ताजा स्थिति को देखते हुए एक प्रत्याशी को जीत के लिए 37 विधायकों के वोटों की जरूरत पड़ती है.
विधानसभा की वर्तमान स्थिति को देखते हुए बीजेपी अपने दम पर आठ प्रत्याशियों को राज्यसभा भेजने में खुद ही सक्षम है. एसपी भी अपनी एकमात्र प्रत्याशी जया बच्चन को राज्यसभा आराम से भेज सकती है. लेकिन, मामला अटक गया है बीएसपी के उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर को लेकर. बीएसपी के पास सिर्फ 19 ही विधायक हैं. बीएसपी को एसपी, कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल और कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन चाहिए. जिसके लिए एसपी लगातार प्रयास कर रही है.
 

जिन तीन सीटों पर उपचुनाव होने हैं, वह बीजेपी के कब्जे में थी. पार्टी के सामने इन सीटों पर दोबारा कब्जा करने की चुनौती है. महाराष्ट्र की भंडारा गोंडिया लोकसभा सीट से बीजेपी की टिकट पर नाना पटोले ने 2014 में जीत पाई थी लेकिन दिसंबर 2017 में पार्टी से बगावत कर कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी. उन्होंने अपने पद से भी इस्तीफा दे दिया था. यह सीट भी वर्ष 2008 में अस्तित्व में आई थी. 2009 में इसी सीट से कांग्रेसी नेता प्रफुल्ल पटेल जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. 2014 में बीजेपी की टिकट पर नाना पटोले को जीत मिली. महाराष्ट्र में हाल ही में हुए किसान आंदोलन और छात्र आंदोलन बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. हालांकि पार्टी गोरखपुर और फूलपुर चुनाव से सीख लेकर नई रणनीति के साथ मैदान में उतरने वाली है. वहीं, यह भी देखना होगा कि शिवसेना अपना प्रत्याशी उतारती है या नहीं. फूलपुर और गोरखपुर के चुनाव में मिली शानदार जीत के बाद विपक्ष की नजर कैराना में होने वाले लोकसभा उपचुनाव पर हैं. सपा-बसपा गठबंधन यहां भी कमाल दिखा सकता है. कैराना सीट के उपचुनाव में कांग्रेस भी सपा-बसपा के साथ आ सकती है. ऐसे में बीजेपी को कड़ी मशक्कत करनी होगी. वैसे कैराना में अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल का भी प्रभाव है. वह भी इस गठजोड़ में शामिल हो सकती है.

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