आशंका ;गठबंधन भाजपा को झटका देगा?
लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों की तैयारियां जोरशोरों पर हैं। इस बार का चुनाव मोदी बनाम विपक्ष (Modi vs Opposition) कहा जा रहा है। ऐसे में महागठबंधन (MahaGhathbandhan) भाजपा (BJP) के लिए परेशानी ना बन जाए। इस बार का चुनाव खास इसलिए है क्योंकि एक बार फिर भाजपा अपने फायरब्रांड नेता और तेज के कद्दावर नेता नरेंद्र मोदी के दम पर चुनाव लड़ने जा रही है और घटक दल एनडीए भी मोदी के नाम पर राजी है। लेकिन ऐसे में महागठबंधन की बात करें तो कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दल मोदी को हराने के लिए एक हो गए हैं। इसमें मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस से दूर है। लोकसभा चुनावों से पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने के लिए कर्नाटक में सीएम कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में ‘महागठबंधन’ की झलक दिखी थी। महागबंधन जिसमें कांग्रेस के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, तेलगु देशम पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, सपा, आरजेडी, आप, जेडीएस समेत यूपीए गठबंधन की वो सभी पार्टियां शामिल हैं। ऐसे में इन पार्टियां का एक साथ आना भाजपा के लिए चुनौती बन सकता है। क्योंकि जहां एक तरफ कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी है तो वहीं दूसरी तरफ क्षेत्रीय पार्टियां भी हैं जिनका अपने अपने राज्यों में डंका बजता है।
साउथ सुपर स्टार पवन कल्याण और मायावती ने किया गठबंधन, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में साथ लड़ेंगे चुनाव
लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) को हर पार्टी एक युद्ध की तरह देख रही है। इसी लिए किसी भी हाल में वह जीतना चाहती हैं। बड़ी-बड़ी पार्टियां भी आपस में गठबंधन कर रही हैं। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) के लिए सपा-बसपा का गठबंधन है। वहीं अब आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के लिए भी बसपा (BSP) ने गठबंधन किया है। साउथ के सुपर स्टार पवन कल्याण (Pawan Kalyan) ने मायावती (Mayawati) की पार्टी बीएसपी के साथ गठबंधन किया है। यह गठबंधन आंध्र प्रदेश तक के लिए ही होगा। पवन कल्याण (Pawan Kalyan) जन सेना पार्टी (Jana Sena) के अध्यक्ष हैं।
अपने भाई चिरंजीवी (Chiranjeevi) की ही तरह पवन कल्याण भी अब राजनीति में आ गए हैं। लखनऊ पहुंचे पवन कल्याण (Pawan Kalyan) ने कहा कि वह कांशीराम जी के बहुत बड़े प्रशंसक हैं। आज कांशी राम जी (Kanshiram) की जयंती पर यह गठबंधन हुआ है जो कि बड़े ही सौभाग्य की बात है।
बसपा (BSP) सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने कहा कि यह गठबंधन लंबा चलेगा। गठबंधन विधानसभा चुनावों के साथ-साथ लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) में भी रहेगा। यह गठबंधन ऐसा प्रदर्शन करेगा कि भाजपा, चंद्रबाबू नायडू और कांग्रेस बहुत पीछे रह जाएंगे।
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव 2014 में बसपा सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ी थी। लेकिन जीती एक भी नहीं थी।
लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों का ऐलान हो गया है। इस बार का चुनाव बहुत ही अहम होने जा रहा है। उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय लोक दल में गठबंधन हो गया है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों में से सपा 37 और बसपा 38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। तो वहीं गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) तीन सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। दो सीटों को कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ दिया गया है। इस महागठबंधन में कांग्रेस को जगह नहीं दी गई है। बसपा सुप्रीमों मायवती ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने से साफ इनकार कर दिया है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय लोक दल ने भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए गठबंधन तो कर लिया है, लेकिन अब सवाल यह है कि क्या यह महागठबंधन मोदी सरकार झटका देने में कामयाब हो पाएगा?
भाजपा की पहली लिस्ट तय करेगी चुनौती
ऐसे में सवाल है कि विपक्ष के इस महागठबंधन में कई दल ऐसे भी हैं जो आने वाले चुनावों में एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। तो ऐसे में भाजपा को कहीं ना कहीं फायदा हो सकता है। लेकिन अगर सीट बंटवारे में इन दलों ने अपने अपने गणित से उम्मीदवार उतारे, तो भाजपा के लिए परेशानी बन जाएगी। शनिवार को भाजपा अपने लोकसभा चुनाव उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर सकती हैं। ऐसे में लिस्ट के बाद ही पता चलेगा कि आखिर भाजपा ने पुराने चहरों पर दांव खेलेगी या फिर कुछ नए चेहरों को पार्टी में जगह मिलेगी।
भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) भी भाजपा के साथ है। ऐसे में सरकार के कामकाज की रिपोर्ट जनता के सामने पेश करना भाजपा के घटक दल एनडीए की बड़ी जिम्मेदारी होगी। वहीं इससे पहले महागठबंधन को लेकर भाजपा के नेता बयान दे चुके हैं। प्रकाश जावड़ेकर तो पहले ही कह चुके हैं कि चुनाव नजदीक आते ही महागठबंधन धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा।
फिलहाल, जावड़ेकर कर्नाटक के प्रभारी हैं और केंद्र में शिक्षा मंत्री भी। महागठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी तो कांग्रेस से हाथ मिलाने को तैयार है। दिल्ली हो या हरियाणा दोनों जगहों पर आप तैयार है लेकिन दिल्ली में कांग्रेस साथ चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं। वहीं अभी तक आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू और कोलकता में ममता बनर्जी से भी महागठबंधन पर कोई समझौता नहीं हुआ है। सपा-बसपा एक साथ हैं तो बसपा कांग्रेस के साथ नहीं है।
भाजपा ने 2014 में 71 सीटें की थी हासिल
देश में साल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने कुल 543 सीटों में से 282 सीटें जीत कर स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया था। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को कुल 334 सीटें प्राप्त हुई थी। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों में से 71 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था और दो सीटें उसके सहयोगी अपना दल को मिली थी।
उप चुनावों में भाजपा को मिली करारी हार
उत्तर प्रदेश में भाजपा ने साल 2014 में सबसे अधिक सीटें तो हासिल की लेकिन बीते वर्ष गोरखपुर, फूलपुर, कैराना और नूरपुर में हुए उपचुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद भाजपा पर एक सवाल हावी हो गया कि क्या जनता भाजपा पार्टी के विरोध में उतर आई है। क्या 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए सपा-बसपा का गठबंधन नासूर साबित होगा? उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनावों को 2019 लोकसभा चुनाव के सेमीफाइन के तौर पर देखा गया था। उत्तर प्रदेश में यह उपचुनाव में सपा-बसपा और राष्ट्रीय लोकदल में मिलकर चुनाव लड़ा था। कैराना सीट पर रालोद-सपा गठबंधन की उम्मीदवार तबस्सुम ने भाजपा की मृगांका सिंह को 44,618 मतों से पराजित बड़ा झटका दिया था। जिसके बाद विपक्ष के खेमे में खुशी की लहर दौड़ गई थी।
इस तर्ज पर सपा,बसपा और रालोद ने किया गठबंधन
उत्तर प्रदेश में सत्ता पर काबिज भाजपा को सपा,बसपा और रालोद के गठबंधन ने गोरखपुर, फूलपुर, कैराना और नूरपुर सीटों पर हुए उपचुनावों में मात देकर जीत हासिल की थी। इन चुनावों को 2019 के सेमीफाइन के तौर पर देखा गया था। इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश में एकबार फिर भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय लोक दल में गठबंधन कर लिया है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों में से सपा 37 ,बसपा 38 और रालोद 3 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उम्मीद यह जताई जा रही है कि गठबंधन उपचुनावों की तरह अब 2019 में भी भाजपा झटका देने में कामयाब हो होगा। लेकिन आशंका जताई जा रही है गठबंधन भाजपा को जरूर झटका देगा। लेकिन खास बात यह भी रही कि इस गंठबंधन में कांग्रेस को जहग नहीं दी गई है। अब कांग्रेस भाजपा और महागठबंधन के खिलाफ यूपी में अकेले चुनाव लड़ेगी।
उपचुनावों में हार के बाद भाजपा ने क्या कहा?
उत्तर प्रदेश में सीएम योगी के गढ़ गोरखपुर और यूपी के डिप्टी सीएम की फूलपुर लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में हार के बाद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि देश के राज्यों में भाजपा की बेहतरीन सरकारों में से एक उत्तर प्रदेश की सरकार भी है। अगर 2019 के लोकसभा चुनावों में भी समाजवादी पार्टी और बहुजजन समाज पार्टी का गठबंधन होता है तो उनकी पार्टी मुकाबला करने के लिए तैयार है।
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