बीजेपी की राह यूपी में इस बार आसान नहीं


लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 लोकसभा सीट को देश की सियासत का सबसे अहम किरदार माना जाता है. इसीलिए देश की राजनीति के सभी बड़े प्रयोग यूपी में ही किए जा रहे हैं. यूपी में सपा-बसपा-RLD का गठबंधन है तो वहीं कांग्रेस महान दल जैसी छोटी पार्टियों के सहारे यूपी में चुनावी मैदान में है. बीजेपी ने भी अपना दल (एस) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन किया है. हर कोई यूपी की अधिकतर सीटें जीतना चाहते है, क्योंकि दिल्ली दरबार तक पहुंचने का गलियारा यूपी ही है. बीजेपी की राह भी यूपी में इस बार आसान नहीं है. सपा-बसपा-RLD के गठबंधन का अपना एक मजबूत वोट बैंक माना जा रहा है और अगर इन पार्टियों के नेता अपने अपने वोट बैंक को एक दूसरे को ट्रांसफर करने में सफल रहे तो बीजेपी के लिए यूपी में मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी रोज़ आंखे दिखा रही है और अपना दल भी ज़्यादा सीटें मांग रही है.
 यूपी में बीएसपी-38, सपा-37, RLD-3 सीटों पर चुनावी गठबंधन में है. कांग्रेस यूपी की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, 
यूपी में लगभग 23% दलित, 21% मुस्लिम, 6.2% यादव और लगभग 1% के आसपास जाट मतदाता हैं. दलित-मुस्लिम-यादव-जाट इसी समीकरण के आधार पर सपा-बसपा-आरएलडी का गठबंधन तैयार हुआ है. 

पूर्वी यूपी में ब्राह्मण-ठाकुर की आपसी अनबन का नुकसान बीजेपी को पहुंच सकता है, क्योंकि ये दोनों ही बीजेपी का वोट बैंक है. बीजेपी बाहरियों को टिकट देने पर विचार कर रही है, इससे बीजेपी का अपना वर्कर मायूस होगा. वहीं सपा-बसपा इस बार पिछड़े और ब्राह्मण नेताओं को ज़्यादा टिकट दे रही है, जो कि अपनी अपनी सीट पर अपनी बिरादरी को वोट लाने में सफल हो सकते हैं. सपा ने अब तक 15 प्रत्याशियों की सूची जारी की है, जिसमें अधिकांश पिछड़ों और दलितों को टिकट दिया है.

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के, पूर्वी उत्तर प्रदेश के राजनीतिक रूप से बहुत अहम क्षेत्र प्रयागराज से लोकसभा चुनाव का प्रचार अभियान शुरू करने की संभावना है. जनता से सीधा संवाद करने के लिए वह गंगा नदी के रास्ते प्रयागराज से वाराणसी जा सकती हैं. वही दूसरी ओर
ममता बनर्जी एक बार फिर देश की राजनीति के केंद्र में आ खड़ी हुई प्रतीत होती हैं. अगर बीजेपी नीत एनडीए सरकार 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत लाने में विफल होती है तो बनर्जी भले खुद शीर्ष पद पर काबिज न हो पाएं लेकिन सत्ता की चाभी यानी किंगमेकर की भूमिका वह निभा सकती हैं.
वही दूसरी ओर मैं अब आपके साथ नहीं रह सकता; शत्रुघ्न सिन्हा की घोषणाा

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वाराणसी की एक गैर सरकारी संस्था ने अपने अध्ययन में बताया कि साल 2016 से 2018 तक गंगा में प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ गई है. संस्था की ओर से कहा गया है कि पानी में कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया की अत्यधिक मात्रा मानव स्वास्थ्य के लिए ख़तरनाक है.

वाराणसी: गंगा को अविरल और निर्मल करने के लिए केंद्र सरकार की 20,000 करोड़ रुपये की नमामि गंगे परियोजना के बावजूद गंगा में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वाराणसी स्थित एक गैर सरकारी संस्था संकट मोचन फाउंडेशन (एसएमएफ) ने अपनी एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है. एसएमफ द्वारा इकट्ठा किए गए आकंड़ों के विश्लेषण से गंगा के पानी में कॉलीफॉर्म और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) में बढ़ोतरी का पता चला है. पानी की गुणवत्ता को मापने के लिए इन मापकों का इस्तेमाल होता है. मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा को निर्मल बनाने के लिए मई 2015 में नमामि गंगे परियोजना शुरू की थी. उन्होंने अविरल गंगा के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए 2019 की समयसीमा निर्धारित की थी. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले साल यह समयसीमा बढ़ाकर 2020 कर दी थी. एसएमएफ 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा लॉन्च किए गए गंगा एक्शन प्लान के बाद से गंगा के पानी की गुणवत्ता पर नज़र रख रही है. रिपोर्ट के अनुसार, यह संस्था गंगा के पानी की गुणवत्ता पर लगातार नज़र रखती आ रही है. इसके अलावा संस्था ने नियमित तौर पर गंगा के पानी के नमूनों की जांच के लिए अपनी ख़ुद की प्रयोगशाला भी स्थापित की है. वाराणसी के तुलसी घाट पर स्थित संस्था की प्रयोगशाला की ओर से जमा किए गए आंकड़े बताते हैं कि गंगा के पानी में जीवाणु जनित प्रदूषण काफी बढ़ गया है. संस्था के अनुसार, पीने योग्य पानी में कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया 50 एमपीएन (मोस्ट प्रोबेबल नंबर- सर्वाधिक संभावित संख्या)/100 मिलीलीटर और नहाने के पानी में 500 एमपीएन/100 मिलीलीटर होना चाहिए जबकि एक लीटर पानी में बीओडी की मात्रा 3 मिलीग्राम से कम होनी चाहिए. एसएमएफ के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2016 में फेकल कॉलीफॉर्म (प्रदूषक) की संख्या (उत्तर प्रदेश के नगवा कस्बे में धारा के विपरीत दिशा में) 4.5 लाख से बढ़कर फरवरी 2019 में 3.8 करोड़ हो गई, वहीं वरुणा नदी में धारा की दिशा में इन प्रदूषकों की संख्या 5.2 करोड़ से बढ़कर 14.4 करोड़ हो गई. संस्था के अध्यक्ष और आईआईटी-बीएचयू के प्रोफेसर वीएन मिश्रा ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, ‘इसी तरह जनवरी 2016 से फरवरी 2019 के दौरान बीओडी का स्तर 46.8-54 मिलीग्राम प्रति लीटर से बढ़कर 66-78 मिलगीग्राम प्रति लीटर हो गया. इसी अवधि में डिसॉल्वड ऑक्सीजन (डीओ) का स्तर 2.4 मिलीग्राम प्रति लीटर से घटकर 1.4 मिलीग्राम प्रति लीटर रह गया, हालांकि इसे प्रति लीटर छह मिलीग्राम या इससे अधिक होना चाहिए. गंगा के पानी में कॉलीफॉर्म बैक्टीरिया का अत्यधिक मात्रा में होना मानव स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है.’

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने शुक्रवार को बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी को पहले शुक्रवार यानी आज ही यहां पहुंचना था लेकिन अब वह संभवत: 18 मार्च से चुनाव प्रचार अभियान शुरू करेंगी.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राज बब्बर ने पहले कहा था कि प्रियंका शुक्रवार को यहां पहुंचेंगी. लेकिन बाद में उन्होंने साफ किया कि प्रियंका का कार्यक्रम स्थगित हो गया है.

चुनाव आयोग को सौंपे पत्र में कांग्रेस महासचिव की प्रयागराज से वाराणसी की यात्रा 18 मार्च से 20 मार्च के बीच होने के मद्देनजर अनुमति मांगी गई है. कांग्रेस नेता ने यह भी जानकारी दी कि प्रियंका नदी मार्ग से मोटरबोट के जरिए जाएंगी और सौ किलोमीटर का सफर तय करेंगी. नदी तटों पर उनके स्वागत के कार्यक्रम भी प्रस्तावित हैं, जिसके लिए आदर्श आचार संहिता के अनुरूप चुनाव आयोग से अनुमति जरूरी है .

पार्टी नेताओं ने बताया कि प्रियंका नदी तटों पर बसे लोगों विशेषकर मल्लाह समुदाय के लोगों से सीधा संवाद करेंगी. आम तौर पर नदी तट के इन इलाकों तक सड़क मार्ग से जाना मुश्किल है.

17 मार्च को प्रियंका के राज्य की राजधानी पहुंचने की उम्मीद है. अगले दिन वह प्रयागराज जाएंगी और कांग्रेस के प्रचार अभियान का शंखनाद करेंगी. कांग्रेस नेता ने कहा कि नदी तट के गांव बेहद पिछड़े हैं. पिछले 30 साल में राज्य सरकारों ने उनकी अनदेखी की है. कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने बताया कि चुनाव आयोग से अनुमति मांगी गई है और मंजूरी की प्रतीक्षा है. उन्होंने बताया कि प्रियंका के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए बैठकों का दौर कल से ही जारी है. जल्द ही विस्तृत कार्यक्रम तैयार कर लिया जाएगा . प्रयागराज में प्रियंका नेहरू परिवार का आधिकारिक आवास रहे आनंद भवन जा सकती हैं. उनके मिर्जापुर में मां विंध्यवासिनी और वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने की भी संभावना है.

वही दूसरी ओर
मैं अब आपके साथ नहीं रह सकता; शत्रुघ्न सिन्हा की घोषणाा

बिहार के पटना साहिब से सांसद और बीजेपी के बागी नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने अब जल्द ही अपनी अलग राह चुन सकते हैं. उन्होंने अब बीजेपी छोड़ने के सीधे संकेत दे दिए हैं. हालांकि इस बात के संकेत उन्होंने कई मौकों पर दिया है. लेकिन इस बार उन्होंने खास अंदाज में सीधे-सीधे तौर पर दे दिया है कि वह बीजेपी में नहीं होंगे.  शत्रुघ्न सिन्हा काफी समय से अपनी पार्टी बीजेपी से नाराज चल रहे हैं. वह लगातार पार्टी लाइन से हट कर बयान दे रहे हैं साथ ही अपनी पार्टी को लगातार निशाना बना रहे हैं. वहीं, बीजेपी पार्टी ने भी सिन्हा से मुंह मोड़ लिया है. और बीजपी नेता साफ-साफ कह रहे हैं कि उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया जाएगा. शत्रुघ्न सिन्हा ने पार्टी छोड़ने का इशारा करते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने शायराने अंदाज में लिखा है. ‘मोहब्बत करने वाले कम न होंगे, (शायद) तेरी महफिल में लेकिन हम न होंगे.’ शत्रुघ्न सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर इशारा करते हुए एक अन्य ट्वीट में लिखा, ‘सर, राष्ट्र आपका सम्मान करता है, पर नेतृत्व में विश्वसनीयता और विश्वास की कमी है. नेतृत्व जो कर रहा है और कह रहा है, क्या लोग उसपर विश्वास कर रहे हैं? शायद नहीं. खैर, अब काफी देर हो चुकी है.’उन्होंने कहा कि जनता से किए गए वादे अभी भी पूरे होने बाकी हैं जोकि अब पूरे हो भी नहीं पाएंगे. आशा, इच्छा और प्रार्थना, हालांकि मैं अब आपके साथ नहीं रह सकता.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की कड़ी आलोचना करने वालों में से एक बनर्जी ने अब तक अपनी छवि ऐसी बनाई है जो सत्तारूढ़ एनडीए को सत्ता से बाहर करने की चाहत रखने वाली विपक्षी पार्टियो को जोड़ने में अहम भूमिका निभा सकती हैं. वह इस साल जनवरी में एक रैली में एक मंच पर 23 विपक्षी पार्टियों के नेताओं को ले आने में सफल रही थीं.

पश्चिम बंगाल के कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने बताया कि तीन राज्यों में जब कांग्रेस ने हाल ही में चुनाव जीता था तो सिर्फ तृणमूल कांग्रेस ने ही राहुल गांधी को बधाई नहीं दी थी. कई ऐसे मौके आए हैं जब लगा है कि ममता बनर्जी नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने में रोड़ा अटकाने से ज्यादा राहुल गांधी का रास्ता रोकने की इच्छुक हैं.

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि यह ऐसा समय है जब पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति में अपनी छाप छोड़नी है. ऐसे समय में जब कांग्रेस इस स्थिति में नहीं है कि वह अकेले बीजेपी से निपट सके तो तृणमूल कांग्रेस के कई नेता यह मानते हैं कि क्षेत्रीय पार्टियां दिल्ली की कुर्सी का फैसला करने में मुख्य भूमिका निभा सकती है.

नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर तृणमूल कांग्रेस के एक नेता ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘ हम इस लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनने जा रहे हैं. अगर हम राज्य की ज्यादातर लोकसभा सीट जीतने में सफल रहे तो हम अगली सरकार बनाने में बड़ी भूमिका अदा करेंगे. प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम चुनाव के बाद तय होगा और हम मुख्य दावेदारों में से एक होंगे. हमारी पार्टी सुप्रीमो जो केंद्रीय मंत्री भी रही हैं और मुख्यमंत्री भी हैं, उनकी स्वीकार्यता पार्टी लाइन से इतर भी है.’ 

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