उत्तराखण्ड- फर्जी मदरसों के नाम पर हर साल 14 करोड की बंदरबांट
भवन एक पंजीकरण कई !#फर्जीवाडे का खेल -एक ही भवन मे चल रहे हें कई मदरसे #संचालकों द्वारा अधिकारियों से सांठ गांठ कर फर्जी संख्या दिखा कर सरकारी धन की बंदरबांट की जा रही है #हर साल 14 करोड रूपये बंट रहेे थेे #शिक्षा मंत्री के गृह जनपद मे शिक्षा के नाम पर खिलवाड का खुलासा # यह त्रिवेन्द्र रावत सरकार के लिए एक बडा सवाल हे #मदरसा के नाम पर चल रही शिाक्षण संस्थाओं मे सामने आया फर्जीवाडे का खेल # क्ही मदरसे के पंजीकरण पर चल रहा हे स्कूल,तो कहीं कागजों मे ही हैं मदरसा # जांच में सामने आ सकता हे मदरसों का गड़बड़ झाला #वास्तविक मदरसो को नही मिल रहा हे लाभ #फर्जीवाडे का खेल -एक ही भवन मे चल रहे हें कई मदरसे # एक भवन मे एक मान्यता शिक्षा व मदरसा बोर्ड से भी, जांच मे हुआ खुलासा# नियमानुसार एक भवन मे एक बोर्ड की मिल सकती हे मान्यता #35 पंजीकृत शिक्षण संस्थानों का होना हैं भौतिक सत्यापन जांच होने से संचालकों मे मचा है हड़कंम#मदरसा संचालकों द्वारा फर्जी संख्या बढा कर मिड डे मील की योजना का लाभ उठाकर सरकार को चुना लगाया #शिक्षण संस्थानों मे फर्जी संख्या दिखा कर लूट खसोट का खेल # उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार के खेल पर सनसनीखेज रिपोर्ट – हिमालयायूके न्यूज पोर्टल ब्यूरो
जसपुर- उधम सिंह नगर- उत्तंराखण्ड् । हिमालयायूके न्यूज पोर्टल ब्यू्रो- प्रदेश मे शिक्षा का स्तर लगतार गिरता जा रहा हे।हाईकोर्ट भी कई बार सरकार को शिक्षा मे सुधार के निर्देश दे चुका हे।लेकिन यह जब और गंभीर हो जाता हे जब प्रदेश के शिक्षा मंत्री के ग्रह जनपद मे ही शिक्षा के नाम पर फर्जीवाडे का खेल चल रहा हो।ऐसे मे शासन की साख पर सवाल खडा होना लाजमी हे।
नही किया जायेगा फर्जीवाडा बर्दाश्तः शिक्षा मंत्री
सूबे के शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डे ने सामने आ रहे फर्जीवाडा पर दिये अपने ब्यान मे कहा कि फरजीवाडा किसी स्कूल मे हो या मदरसों मे किसी भी सूरत बरदाश्त नही किया जायेगा।जाॅच उपरांत दोषियो को बखशा नही जायेगा; www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal)
अब आप को एक तसवीर से रूबरू कराते है।उत्तराखण्ड शासन द्वारा प्रदेश के मदरसा बोर्ड मे पंजीकृत शिक्षण संस्थाओं का इन दिनों भोतिक सत्यापन कराया जा रहा हे। माना जा रहा हे हे कि इन संस्थानों मे मिल रही अनियतमिताऐं की शिकायतों के चलते ही उत्तजराखण्डर प्रदेश सरकार द्वारा यह कदम उठाया गया हे तथा मदरसों की जमीनी हकीकत जानने तथा उनमें पारदर्शिता पैदा करने के मकसद से पिछले माह देहरादून में मदरसा बोर्ड की बैठक हुई थी। जिसमें मदरसों की जांच का प्रस्ताव पास हुआ था। इसी प्रस्ताव की बुनियाद पर राज्य परियोजना महानिदेशक अलोक तिवारी ने प्रदेश के सभी पंजीकृत मदरसों के भौतिक सत्यापन के निर्देश दिए हैं। इसके लिए ब्लॉक स्तर पर तीन सदस्य टीम गठित की गई है। जिस को लेकर प्रत्येक जिले मे विकास खण्ड स्तर पर कमेटिया गठित की गई हैं। जिस मे शिक्षा बिभाग व अलपसंख्यक विभाग के अधिकारियों को मिलाकर एक संयुक्त टीम बनाई गई हे। यह टीमे हर एक मदरसा बोर्ड मे पंजीकृत शिक्षण संस्थाओं का मोके पर पहुॅच कर भौतिक सत्यान करेंगी। इसी के तहत जसपुर क्षेत्र उधम सिंह नगर जनपद मे भी गत शनिवार को खण्ड शिक्षाधिकारी अनिल कुमार, जिला सहायक अल्पसंख्यक अधिकारी मोहम्मद यामीन व कोडिनेटर मो.अकरम की तीन सदस्य टीम ने पंजीकृत मदरसा शिक्षण संस्थाओं का भेातिक सत्यापन का आगाज हैं।
उत्तराखण्ड में अनुमानत- कुल 178 मदरसे है- उत्तराखण्ड में अनुमानत- कुल 178 मदरसे है- जिसमें सरकार हर साल 14 करोड रूपये छात्रव़त्ति बांट रही थी- 2014-15 में उत्तराखण्ड में 2 लाख 21 हजार आठ सौ मुस्लिम छात्र स्कालरशिप पा रहे थे वही उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद विधेयक-2016 को मंजूरी दे दी है। अब मुंशी, मौलवी को हाईस्कूल, आलिम को इंटर, कामिल को बीए और फाजिल को एमए के बराबर मान्यता मिलेगी। मदरसा की ये डिग्रियां उत्तराखंड के अलावा यूपी, एमपी समेत दूसरे प्रदेशों में भी मान्य होंगी।
इस सत्यापन अभियान के शुरू होने के बाद से नगर के कुछ संचालकों के माथ पर चिंता की लकीरें नजर आ रही हैं। अधिकारियों की माने तो अब तक हुई जाचॅ मे मदरसों के नाम पर चल रही इन शिक्षण संस्थाओ मे कई तरह की अनियमितायें सामने आरही हे। दबी जुबान मे फर्जी बाडे की बात स्वीकार कर रहे है परन्तु पूर्ण जांच के बाद ही अधिकारिक रूप से कहे जाने की बात कही जा रही है परन्तु फिलहाल जांच जारी हे।लेकिन वही दूसरी और जानकारो की माने तो इन मदरसों के नाम पर बीते एक दशक मे अधिकारियों की सांठगांठ के चलते बडे पेमाने पर सरकारी धन की बंदरबाट हुई हे। यह भी कहा जा रहा हे कि इसी बंदरबाट के लाभ उठाये कई कथित मदरसा संचालक आज करोडों की चलअचल संपति के मालिक बताये जा रहे हैं। आज जसपुर क्षेत्र. मे ऐसे पंजीकृत मदरसों की बाड सी आ गई हे। बताया जा रहा हे कि लगभग तीन दर्जन मदरसे तों जांच लिस्ट मे शामिल हैं जब कि ऐसे मदरसों की संख्या भी खासी बडी बताई जा रही हे जिन का नाम इस भौतिक सत्यापन लिस्ट मे नही है।
खेर बात जांच की करें तो जांच को लकर लोगों के मन मे कई तरह की शंकायें भी हे।बताया जा रहा हे कि बीते एक दशक मे अनेकों बार जांच की बात होती रही हे लेकिन हर बार शायद इन कथित मदरसों को कीलीन चिट दी जाती रही हेा जिस के चलते ही इन शिक्षण संस्थायओं मे लगातार इजाफा होता रहा हे। जानकारों का मानना हें कि चल रही इस जांच मे पारदर्शिता, निष्पक्षता तथा इमानदारी दिखाई गई तो कई मदरसों के नाम से संचालित हो रही इन शिक्षण संस्थाओं मे बडे पेमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आ सकता हे। अधिकांश तौर पर देखा जा रहा हे कि ब्लॉक क्षेत्र जसपुर के कुछ स्कूल ऐसे हैं जो मदरसा के नाम संचालित हैं तो कुछ मदरसे सिर्फ कागजों में ही चल रहें हैं। इन ही मदरसों के नाम पर सरकार से मिलने वाली सहायता राशि को ठिकाने लगा कर वारे के नियारे करने की बात कही जा रही है। हालाकि लंबे समय से चल रही इस जुगलबंदी के लए संबंधित अधिकारी जिम्मेदार हैं। मदरसे के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़ा को खतम करने को ही यह जांचने के लिए टीम गठित की गई । प्रारम्भिक दौर की जांच को देख कर माना जा रहा हे कि जांच रिपोर्ट में बहुत जल्द ही मदरसों के नाम पर संचालित होने वाले स्कूल तथा कागजों में चलने वाले मदरसों के नाम सामने आ सकते हैं। इसके लिए टीम ने कुछ भौतिक सत्यापन किया हे जिन मे मदरसा इस्लामिया अरबिया फास्किया (बढिय़ोंवाला), मदरसा वीर अब्दुल हमीद (निजामगढ)़, मदरसा अनवार हुसैन मेमोरियल (मेघावाला) आदि का भौतिक सत्यापन किया है। ।सवाल यह हे कि क्या हो रही जांच मे इस पूरे खेल का परदाफाश हो पायेगा या पूर्व की भांति जाचॅ कागजों मे ही सिमट कर रह जायेगी यह देखने वाली बात होगी। यह त्रिवेन्द्रा रावत सरकार के लिए एक बडा सवाल हे
जांच का दायरा बढ़ते ही मदरसा संचालकों में बढ़ी बेचेनी
जसपुर ।जांच का दायरा बढ़ते ही फर्जी मदरसा संचालकों की बेचेनी बढऩे लगी है। प्ररम्भिक दौर की जांच मे ही अधिकारी दबी जुबान से अनियमितता की बात स्वीकार कर रहे हैं। सही तसवीर जांच के बाद ही सामने आएगी। वही बीते दिनों राज्य के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के मदरसों मे आधार लाग करने से करने से 80 प्रतिशत की छात्रों मे कमी दर्ज किये जाने के आये बयान ने कुछ ऐसे ही मदरसों के फर्जीवाड़े की आशंका को और अधिक प्रबल कर दिया है। जानकारों का यहां तक कहना है कि फर्जी मदरसों के नाम पर सरकारी पैसे की जमकर बंदर बाट हुई है। राज्य सरकार द्वारा सरकारी महकमों मे चलाई जा रही जीरों टोलरेंस की कवायद किस हद तक सफल हो पाती है यह देखने वाली बात होगी।
वास्तविक मदरसों को नही मिल रहा लाभ
सरकार द्वारा करौडौं के बजट की जो योजना तैयार की जाती हे वह अल्पसंख्यकांे को ध्यान मे रख कर जारी की जाती हैं ता कि विकास मे सब की भागेदारी हो।लेकिन विडंबना यह हे कि जिन मदरसों को ध्यान मे रख कर सरकार योजना चलाती हे हकीकत मे उन सरकारी योजनाओं का लाभ उन वास्तिविक मदरसों को नही मिलता जहाॅ मूल रूप् से इस्लामी तालीम दी जाती हे।उन मदरसों का संचालन आज भी चंदे पर निरभर रहता हे।जिस के चलते इन मदरसे मे आज भी छात्रों के लिये जरूरी स्वीधाये ंनगणिय ही रहती हैं।
भवन एक पंजीकरण कई !
जनकारों का मानना हे कि जाचॅ के बाद जब तसवीर सामनेे आयेगी तो कई खुलासों के साथ ही यह भी खुलासा हो सकता कि कई पंजीकृत मदरसा संचालकों द्वारा सरकारी पेसे का लाभ लेने के लिये एक भवन बना कर दो से तीन तक मदरसों का पंजीकरण करा रखा हे और उन के नाम पर सरकारी धन को लूटा जा रहा है।
…..आखिर जाॅच के दौरान ही क्यों कम हो रही हे बच्चों की संख्या; मदरसा संचालकों द्वारा फर्जी संख्या बढा कर मिड डे मील की योजना का लाभ उठाकर सरकार को चुना लगाया;
चल रही जाॅच के दौरान जाॅच टीम जिस मदरसे मे भेतिक स्तयापन को जारी हे वहाॅ छात्रों की संख्या खासी कम पाई जा रही हे।जाॅच टीम ने बताया कि अब तक लगभग डेढ दर्जन मदरसों की जाॅच की जा चुकी हे जि समे अन्य अनियमित्तायें पाये जाने के साथ ही छात्रों की उपस्तिथि खासी कम मिल रही हे।माना जा रहा हे कि मदरसा संचालकों द्वारा फर्जी संख्या बढा कर मिड डे मील की योजना का लाभ उठाकर सरकार को चुना लगाया जा रहा होगा।
पर कार्यवाही भी होगी या फिर बयान बाजी ही होती रहेगी !
खुद प्रदेष के शिक्षा मंत्री यह बात स्वीकार कर चुके हैं कि आधार लगू होने के बाद से प्रदेश के मदरसों मे अस्सी प्रतिशत छात्रों की संख्या मे गिरावट आई हे।जिस से साफ जाहिर हे कि संचालकों द्वारा अधिकारियों से सांठ गांठ कर फर्जी संख्या दिखा कर सरकारी धन की बंदरबांट की जा रही है लेकिन यहाॅ एक बडा सवाल हे कि सरकार उन शिक्षण संस्था चालकों के खिलफ कानूनी कार्यवाही क्यों नही कर रह है।या फिर महज बयान बाजर तक ही मामला सिमट कर रह जायेगा।साथ ही उन अधिकारयों पर विभागय कार्यवाही अमल मे क्यों नही लाई जा रही जिन के रहते यह सारा खेल चलता रहा हे।
विभाग की ठिलाई से अभी भी उठा रहे हैं लाभ !
अब यह पूरी तरहाॅ खुलासा हो चुका हे कि शिक्षण संस्थानों मे फर्जी संख्या दिखा कर लूट खसोट का खेल खेला जा रहा था बा वजूद इस के अभी भी शिक्षण संस्थानों मे आधार लागू करने का हर बार समय बढाकर मिड डे मील योजना का पूरा लाभ दिया जा रहा हे जब कि विभाग कई बार छात्रों के आाधार जमा करने के आदेश के बावजूद आज भी दर्जनों शिक्षण संस्थाओं द्वारा आधे अधूरे आधार ही जमा किये गये हैं।बावजूद इस के विभाग इन संस्थाओं को मिड डे मील का भर पूर लाभ दिये जाने की बात सामने आ रही हे।
-मौलाना जाहिद रजा रिजवी, अध्यक्ष उत्तराखण्ड मदरसा बोर्ड का कहना है कि
बेहतर होता कि टीम में मदरसा बोर्ड के सदस्यों को शामिल किया जाता। सही मदरसों को जांच के नाम परेशान न किया जाए। फर्जी वाड़े में शामिल अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो। सिर्फ मदरसों की मान्यता रद्द करने तक जांच का दायरा न सिमट पाए।
www.himalayauk.org (Leading Digital Newsportal) Jaspur U.S.N. Bureau Report:
हिमालय गौरव उत्तराखण्ड – नाम से – उपलब्ध है- फेसबुक, टविटर, व्हटसअप ग्रुपस तथा समस्त सोशल मीडिया में-
Mail; himalayauk@gmail.com, Mob. 9412932030;