महाराजा हरिसिंह की जन्मदिवस वर्षगांठ धूमधाम से
हिमालयायूके न्यूज पोर्टल की विशेष रिपोर्ट
जम्मू-कश्मीर में महाराजा हरिसिंह की 123वीं जन्मदिवस वर्षगांठ 23 सितम्बर को बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगी
1925 में महाराजा हरिसिंह जम्मू-कश्मीर के महाराजा बने और 1949 में उन्हें भारत सरकार के आदेश से जम्मू-कश्मीर से निष्कासित कर दिया गया। महाराजा हरिसिंह ने 1925 में महाराजा बनते ही जनता के सामने घोषणा की थी कि मेरा धर्म इंसानियत है। इससे महाराजा ने बहुत से विद्धानों को हैरानी में डाल दिया था और इसके बाद 1931 में महाराजा हरिसिंह ने लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में, जिसकी अध्यक्षता ब्रिटेन की महारानी कर रही थी, घोषणा की कि, ‘मैं सबसे पहले भारतीय हूं और फिर महाराजा‘‘। यह घोषणा महाराजा ने भारत से आये हुए कई राजाओं और महाराजाओं की उपस्थिति में किया था, जिससे ब्रिटेन की महारानी चकित हो गयी। महाराजा के इस वक्तव्य से महात्मा गांधी के स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन को बहुत बड़ी मजबूती मिली।
जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी महाराजा के जन्मदिन को 1983 से लगातार मनाती आ रही है। पैंथर्स पार्टी महाराजा हरिसिंह के धर्मनिरपेक्ष और राष्ट्रवादी चरित्र की शुरू से ही प्रशंसक रही है। पैंथर्स पार्टी ने महाराजा के योगदान पर कई सभाएं दिल्ली, चंडीगढ़, बंगलूरू, कोलकाता इत्यादि में की और आज पैंथर्स पार्टी जम्मू-कश्मीर के विशेषकर जम्मू प्रदेश के सभी संस्थाओं, राजनीतिक दलों को मुबारकबाद देती है कि आज सब मिलकर महाराजा हरिसिंह के जन्मदिवस की वर्षगांठ पर एक नया संदेश दे रहे हैं समस्त जम्मू-कश्मीर के लोगों को, डोडा से लेकर मीरपुर-कोटली तक और लद्दाख से लेकर मुजफ्फराबाद तक
जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी महाराजा के जन्मदिन को 1983 से लगातार मनाती आ रही है। पैंथर्स पार्टी महाराजा हरिसिंह के धर्मनिरपेक्ष और राष्ट्रवादी चरित्र की शुरू से ही प्रशंसक रही है। पैंथर्स पार्टी ने महाराजा के योगदान पर कई सभाएं दिल्ली, चंडीगढ़, बंगलूरू, कोलकाता इत्यादि में की और आज पैंथर्स पार्टी जम्मू-कश्मीर के विशेषकर जम्मू प्रदेश के सभी संस्थाओं, राजनीतिक दलों को मुबारकबाद देती है कि आज सब मिलकर महाराजा हरिसिंह के जन्मदिवस की वर्षगांठ पर एक नया संदेश दे रहे हैं समस्त जम्मू-कश्मीर के लोगों को, डोडा से लेकर मीरपुर-कोटली तक और लद्दाख से लेकर मुजफ्फराबाद तक। जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी की ओर से महाराजा हरिसिंह की 123वां जन्म दिवस वर्षगांठ के अवसर पर 23 सितम्बर, 2017 को जम्मू प्रेस क्लब में एक सभा आयोजित की जा रही है, जिसका संदेश सभी भारत के लोगों और भारतीय संसद को यह जानना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरिसिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 को भारत से उन्हीं शर्तों पर विलय किया था, जिन शर्तों पर भारत के 575 रियासतों ने किया था। महाराजा हरिसिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 को अपने विलयपत्र में साफ लिखा था कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर की रक्षा, विदेश मामले, संचार इत्यादि विषयों पर भारत संविधान में शामिल करने की घोषण कर दी है। भारत की 575 रियासतों का विलय 26 जनवरी, 1950 को हो गया। जम्मू-कश्मीर की रियासत के महाराजा के विलयपत्र को बाकी प्रांतों के साथ शामिल नहीं किया गया। जम्मू-कश्मीर में महाराजा की हुकूमत को नहीं छेड़ा गया और भारत की संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में उन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार भी आज तक नहीं दिया गया है। प्रो.भीमसिंह ने कहा कि ये दोष ना तो विदेशों का है ना ही पाकिस्तान का, इसके लिए भारत की संसद पूर्णरूप से जिम्मेदार है।
आज प्रो.भीमसिंह ने भारत की संसद को चेतावनी दी है कि वह एक वर्ष के अन्दर महाराजा के हस्ताक्षरित विलयपत्र का सम्मान करते हुए संसद को इन तीन विषयों पर जम्मू-कश्मीर में कानून बनाने का पूरा अधिकार दिया जाना चाहिए। यही होगी महाराजा हरिसिंह को पूरे राष्ट्र की श्रद्धांजलि। भारत के संविधान और ध्वज को जम्मू-कश्मीर में इस विलय के मद्देनजर लागू करना होगा ताकि भारत के संविधान में सभी मानवाधिकार जम्मू-कश्मीर के घर-घर में पहुंच सकें। फिर मिलेगी सही आजादी जम्मू-कश्मीर के लोगों को जिस आजादी का आनंद भारत के लोग 70 वर्षों से ले रहे हैं।
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