महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार कठघरे में
भीमा कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ से जुड़े कार्यक्रम के बाद भड़की हिंसा के विरोध में बुलाए गए महाराष्ट्र बंद को भारिप बहुजन महासंघ नेता और बी आर अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने वापस ले लिया है. प्रकाश अंबेडकर ने राज्य सरकार पर दो दिन पहले पुणे जिले के भीमा कोरेगांव गांव में हिंसा रोकने में ‘विफल’ रहने का आरोप लगाते हुए बंद का आह्वान किया था. भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के दौरान 1 जनवरी को पुणे में दलित समूहों और दक्षिणपंथी हिन्दू संगठनों के बीच संघर्ष हो गया था. जिसके बाद हिंसा की यह आग मंगलवार को मुंबई सहित महाराष्ट्र के कई जिलों में फैल गई थी.
इसस पहले महाराष्ट्र बंद ने बुधवार को हिंसक रूप ले लिया. इस वजह से मुंबई में रेल और सड़क यातायात प्रभावित हुए. पीटीआई के मुताबकि प्रदर्शनकारियों ने सिटी बसों पर हमला किया, उपनगरीय लोकल सेवाओं को रोक दिया और शहर में विभिन्न स्थानों पर सड़कों को अवरूद्ध कर दिया. इससे मुंबई में जनजीवन प्रभावित हो गया. प्रदर्शनकारियों ने उपनगरीय चेम्बूर, घाटकोपर, कामराज नगर, विक्रोली, दिंडोशी, कांदिवली, जोगेश्वरी, कालानगर और माहिम में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. सैकड़ों प्रर्दशनकारियों ने वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे को अवरूद्ध करने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें वहां से हटा दिया.
ये हिंसा सोमवार को शुरू हुई, जब दलितों का एक समूह भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं सालगिरह के कार्यक्रम में जा रहा था। इस बीच वढू बुद्रुक इलाके में छत्रपति शंभाजी महाराज के दर्शन करने जा रहा दूसरा गुट रास्ते में आ गया। यहां कहासुनी से बढ़कर बात हिंसा में बदल गई। इस हिंसा में एक युवक की मौत हो गई। 50 गाड़ियों में आग लगा दी गई। 1 जनवरी 1818 में कोरेगांव भीमा की लड़ाई में पेशवा बाजीराव द्वितीय पर अंग्रेजों ने जीत दर्ज की थी। इसमें दलित भी शामिल थे। बाद में अंग्रेजों ने कोरेगांव भीमा में अपनी जीत की याद में जयस्तंभ का निर्माण कराया था। आगे चल कर यह दलितों का प्रतीक बन गया।
राष्ट्रीय स्वयं संघ यानी आरएसएस ने कोरेगांव हिंसा की निंदा की है। डॉक्टर मनमोहन वैद्य की तरफ से जारी बयान में कहा गया- कोरेगांव, पुणे और महाराष्ट्र के दूसरे हिस्सों में हाल ही में हुई घटनाएं दुखी करने वाली हैं। संघ इनकी निंदा करता है। इस मामले में जो भी लोग दोषी हैं उन्हें कानून के मुताबिक सजा मिलनी चाहिए। कुछ लोग समाज में नफरत फैलाना चाहते हैं। संघ समाज में एकता और सद्भाव का समर्थन करता है। ये हमारी प्राथमिकता भी है।
प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि इस मामले में अगर कार्रवाई नहीं हुई तो हम आगे आंदोलन करेंगे। हमने गुजरात में ऊना की वारदात सही, ऐसे और कब तक सहते रहेंगे? अगर हमने भीड़ को संभाला नहीं होता तो हिंदू संस्था के कम से कम 500 लोग मारे जाते। बीएसपी चीफ मायावती ने कहा, “महाराष्ट्र में कार्यक्रम के दौरान सरकार को सुरक्षा मुहैया करानी चाहिए थी। बीजेपी की सरकार ने ध्यान नहीं दिया। ये बीजेपी का षडयंत्र है। इसके पीछे बीजेपी, आरएसएस और जातिवादी ताकतों का हाथ है। ये नहीं चाहते कि दलित वर्ग के लोग अपने इतिहास को बरकरार रखें। ये नहीं चाहते हैं कि दलित सम्मान और गर्व के साथ जिंदगी बिताएं। जानबूझकर हिंसा कराई गई है। कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्वीट किया, “RSS और BJP की सोच यही है कि दलित भारतीय समाज के निचले पायदान पर ही रहे। ऊना, रोहित वेमुला और अब भीमा कोरेगांव इस सोच के विरोध का मजबूत संकेत हैं।”
चंद सवाल हैं जो सीधे महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिए काफी हैं.
पुणे के पास स्थित भीमा-कोरेगांव में एक जनवरी के दिन हुई हिंसा अब पूरे महाराष्ट्र में फैल चुकी है। महाराष्ट्र में हिंसा फैलाने के आरोप में मंगलवार को दो हिंदुवादी नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। राज्य के शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के जानेमाने नेता संभाजी भिड़े और समस्त हिंदू आघाडी के मिलिंद एकबोटे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। 85 वर्षीय भिड़े पर भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ के दौरान हिंसा फैलाने का आरोप लगा है। भिड़े महाराष्ट्र के जाने-माने नेता हैं। वह मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी के अनुयायी हैं और उनके भी भारी संख्या में युवा फॉलोअर्स हैं। उनकी महाराष्ट्र के कोलहापुर में शिव प्रतिष्ठान नाम की संस्था है। वह उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के कई अन्य नेता भी पसंद करते हैं। भिड़े ने प्रतिष्ठित पुणे विश्वविद्यालय से अटॉमिक साइंस में एमएससी की है। वह पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में प्रोफेसर भी रह चुके हैं। डिग्री पूरी होने के बाद उन्हें गोल्ड मेडल से नवाजा गया था। इतना सब होने के बावजूद भिड़े ने जीवन जनता के नाम कर दिया है। वह हमेशा नंगे पैर रहते हैं और अब तक उन्होंने खुद का घर भी नहीं बनाया है। इसके अलावा उन्होंने अपने किसी भी फॉलोअर से फंड की मांग नहीं की और बड़ी पार्टियों से कभी फंड नहीं लिया।
कभी कार में नहीं चलते: सांबाजी भिड़े ने कभी कार में यात्रा नहीं की और ना ही कभी आराम करने के लिए किसी जगह पर रुके। वह हमेशा घूम-घूमकर अपने फॉलोअर्स से मिलकर मुद्दों पर बातचीत करते रहते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र की वर्तमान युवा जनसंख्या उन्हें अपना आदर्श मानती है और भिड़े के एक इशारा पर 4-5 लाख युवा एक जगह जमा हो सकते हैं।
महाराष्ट्र के पुणे में फैली जातीय हिंसा की गूंज राज्यसभा और लोकसभा तक पहुंच गई। जिसके चलते पहले तो लोकसभा की कार्रवाई 10 मिनट के लिए स्थगित की गई। दोबारा कार्रवाई शुरू होने पर ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के प्रावधान वाले संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान सत्तापक्ष एवं तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के बीच तीखी नोंकझोंक के कारण दिनभर के लिए सदन की कार्रवाई को स्थगित कर दिया गया। लोकसभा नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने जातीय हिंसा का मुद्दा उठाया और कहा कि भीमा-कोरेगांव में हर साल दलित लोग जाकर स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। लेकिन इस बार इसमें हिमसा का रंग घोला गया। उन्होंने कहा कि समाज में फूट डालने के पीछे कट्टर हिंदूवादी और आरएसएस का हाथ है। जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है, वहां पर दलितों के खिलाफ इस प्रकार के हादसे हो रहे हैं। खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे पर बयान देना चाहिए। पीएम इस पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं।
आखिर बीजेपी जातीय घेरेबंदी और गोलबंदी को क्यों नहीं तोड़ पा रही है. गुजरात से लेकर महाराष्ट्र तक लगातार हो रही जातीय गोलबंदी बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. हाल ही में खत्म हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में पटेलों की नाराजगी और उस पर बीजेपी की बढ़ती परेशानी के पीछे जातीय गोलबंदी ही रही. बीजेपी और उसके नेता यह बात कहते रह गए कि कांग्रेस जातीय आधार पर समाज को बांटना चाहती है, लेकिन, पटेल आंदोलन और उसके बाद के हालात ने पटेलों को काफी हद तक नाराज कर दिया. असर चुनाव परिणाम पर भी दिखा.
तो क्या हालात अब महाराष्ट्र में भी वैसे ही होंगे. यह सवाल इसलिए पूछा जा रहा है क्योंकि महाराष्ट्र में पहले से ही गुजरात में पटेलों की ही तर्ज पर मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन चलाया जा रहा है. मराठा पहले से ही दोबारा आंदोलन तेज करने की धमकी दे रहे हैं. लेकिन, दूसरी तरफ, अब मराठा और दलितों के बीच लड़ाई ने पूरी लड़ाई को ही नया सियासी रंग दे दिया है. ऐसी सूरत में जातीय राजनीति के दलदल में बीजेपी के फंसने का डर है, क्योंकि इससे हिंदुत्व के एजेंडे पर चलने वाली बीजेपी को नुकसान ही उठाना पड़ेगा.
महाराष्ट्र के पुणे में हिंसा के बाद पूरे महाराष्ट्र में बंद का आह्वान किया गया है. एक साथ कई दलित संगठनों ने बंद किया है. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर के संगठन बहुजन महासंघ समेत करीब 250 दलित संगठनों की तरफ से आयोजित बंद का असर भी दिखा, पुणे के अलावा मुंबई और औरंगाबाद समेत कई शहरों में बंद का खासा असर देखने को मिल रहा है. 18 जिलों में बंद का प्रभाव सबसे ज्यादा है. प्रकाश अंबेडकर का आरोप है कि पुणे की हिंसा के पीछे हिंदू एकता अघाड़ी समूह शामिल है. अब अंबेडकर के आह्वान पर पूरे प्रदेश में बंद का आह्वान कर दिया गया, अब बंद के बाद बवाल ज्यादा बड़ा हो गया है.
दरअसल, पेशवा पर दलितों की विजय के प्रतीक भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ को लेकर मराठा और दलितों के बीच का संघर्ष इस कदर हिंसक हो जाएगा, इसका अंदाजा सरकार को भी नहीं था. अगर इस तरह का अंदाजा सरकार को होता तो समय रहते कदम उठाए गए होते. लेकिन, हिंसा और विवाद की आशंका का अंदाजा नहीं होना ही सरकार की विफलता को दिखा रहा है.
भीमा-कोरेगांव युद्ध में दलितों ने अंग्रेजों के साथ मिलकर पेशवा को हराया था. जिसकी वर्षगांठ हर साल मनाई जाती है. लेकिन, भीमा-कोरेगांव में इस साल 200वीं वर्षगांठ मनाए जाने की जानकारी क्या सरकार को पहले से नहीं थी. क्या सरकार को वक्त की नजाकत को भांपते हुए एहतियातन बेहतर कदम नहीं उठाने चाहिए थे.
शायद इस बात का अंदाजा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी है. लिहाजा, उनकी तरफ से भी डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू कर दी गई. मुख्यमंत्री फडणवीस ने पुणे की हिंसा की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन करने का ऐलान किया है. साथ ही हिंसा में युवक के मारे जाने के मामले की सीबीआई जांच कराने को भी कहा है. इससे पहले मारे गए युवक के परिजनों को दस लाख रुपए की आर्थिक मदद देने की बात कह कर फडणवीस की तरफ से हाथ से फिसलते हालात को काबू में रखने की कोशिश हो रही है. देवेंद्र फडणवीस के बयान के बावजूद इस मसले पर अब सियासत भी खूब तेज हो गई है. संसद के भीतर और बाहर लगातार इस मसले पर विपक्षी दलों का हमला तेज हो गया है. और तो और दलितों के मुद्दे पर सरकार को अपनों का भी साथ नहीं मिल पा रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुणे हिंसा के पीछे आरएसएस-बीजेपी की साजिश बता दिया. लोकसभा के भीतर इस मसले को उठाते हुए कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी पूरा दोष बीजेपी के ऊपर मढ़ दिया. खड़गे ने इसे समाज में फूट डालने की कोशिश तक बता दिया.
हालांकि पलटवार बीजेपी की तरफ से भी हुआ. संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि आग बुझाने के बजाय भड़काने का काम मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी कर रही है. जिसे देश बर्दाश्त नहीं करेगा.
पुणे की हिंसा बीजेपी के लिए और भी ज्यादा चिंता की बात हो गई है. क्योंकि इस वक्त केंद्र और राज्य दोनों ही जगह बीजेपी की सरकार है. ऐसे में विपक्षी दलों की तरफ से दलितों पर हिंसा के मुद्दे को उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश की जा रही है. कोशिश बीजेपी के दलित प्रेम की हवा निकालने की है.
सरकार की तरफ से लगातार बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की विचारधारा को बीजेपी की विचारधारा के करीब दिखाने की कवायद हो रही है. अंबेडकर मेमोरियल के जरिए बीजेपी दलितों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश लगातार कर रही है. इसका असर यूपी में देखने को भी मिला था जब यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त दलितों ने बीएसपी का साथ छोड़ बड़ी तादाद में बीजेपी का साथ दिया था.
लेकिन, दूसरे हिस्सों में बीजेपी की तरफ से की जा रही इस कवायद को पुणे जैसी हिंसा की घटना झटका दे सकती हैं. नेताओं की तरफ से एक-दूसरे पर आरोप लगाए जा रहे हैं. बीजपी-कांग्रेस पुणे हिंसा को लेकर घेरेबंदी में जुटी हुई हैं.
नए साल के पहले दिन से महाराष्ट्र में जारी जातीय संघर्ष के बाद बुधवार को बहुजन महासंघ के नेता और भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर द्वारा बुलाया गया बंद वापस ले लिया गया। सोमवार को पुणे के पास भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित कार्यक्रम में दो गुटों की हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई थी। इसके बाद हिंसा मुंबई, पुणे, औरंगाबाद, अहमदनगर जैसे 18 शहरों तक फैल गई। बहुजन महासंघ, महाराष्ट्र डेमोक्रेटिक फ्रंट, महाराष्ट्र लेफ्ट फ्रंट समेत 250 से ज्यादा दलित संगठनों ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद का एलान किया था। जिसके बाद मुंबई, ठाणे और औरंगाबाद समेत राज्य के कई इलाकों में प्रदर्शन हुए। ठाणे में एडमिनिस्ट्रेशन ने 4 जनवरी तक धारा 144 लगा दी गई है। यहां के ज्यादातर स्कूल और कॉलेज बंद हैं। वहीं, पुणे से बारामती और सतारा जिलों को जाने वाली बसें भी फिलहाल बंद कर दी गई हैं।
ब्यूरो रिपोर्ट- हिमालयायूके न्यूज पोर्टल एवं दैनिक समाचार पत्र –
फेसबुक तथा सोशल मीडिया में भी उपलब्ध- हिमालय गौरव उत्तराखण्ड
www.himalayauk.org (Newsportal & Daily Newspaper) publish at Dehradun & Haridwar
Mail; csjoshi_editor@yahoo.in